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प्रश्न-एकात्मक शासन प्रणाली से आप क्या समझते हैं? इसके गुण-दोष विवेचना करें।एकात्मक सरकार का अर्थ, परिभाषा, विशेषताएं, गुण एवं दोष एकात्मक सरकार का अर्थ-उत्तर--आधुनिक काल में प्रजातंत्र को शासन-शक्ति के केन्द्रीयकरण तथा विकेन्द्रीयकर (विभाजन) के आधार पर एकात्मक और संघात्मक शासन प्रणालियों में विभाजित किया जाता है। एकात्मक सरकार में राज्य की समस्त सत्ता एक केन्द्रीय सरकार में निहित होती है। पूरे देश की एक सर्वोच्च विधायिका होती है जो सारे देश के लिए कानून बनाती है। पूरे देश का प्रशासन केन्द्रीय सरकार के द्वारा ही चलाया जाता है। प्रशासनिक सुविधा के लिए देश को कुछ प्रदेशों अथवा प्रान्तों आदि में बाँटा जा सकता है, परन्तु इन क्षेत्रीय सरकारों को केवल वही शक्तियाँ प्राप् रहती हैं जो कि उन्हें केन्द्रीय सरकार के द्वारा दी गई हों । वह उन्हें कभी भी घटा-बढ़ा सकती है तथा प्रदेशों की सीमाओं में कोई भी परिवर्तन कर सकती है । गार्नर ने एकात्मक सरकार की परिभाषा देते हुए लिखा है कि “जहाँ सरकार की समस्त शक्तियाँ संविधान द्वारा एक केन्द्रीय अंग या अंगों को प्रदान कर दी जायें और स्थानीय सरकारें अपना अस्तित्व और जो भी शक्ति तथा स्वायत्तता उन्हें प्राप्त हो वे उसी केन्द्रीय सत्ता से प्राप्त करती हों तो वह एकात्मक शासन प्रणाली होती है।” फाइनर के अनुसार,” एकात्मक सरकार में समस्त सत्ता व शक्तियाँ एक केन्द्र के पास होती हैं जिसकी इच्छा तथा जिसकी संस्थाएँ वैज्ञानिक रूप से सम्पूर्ण क्षेत्र में सर्वशक्तिमान होती हैं।” विलोबी के शब्दों में, “एकात्मक राज्य में सरकार की सभी शक्तियाँ मौलिक रूप में एक केन्द्रीय सरकार के हाथ में रहती हैं । यह सरकार अपनी इच्छानुसार जैसा उचित समझती है, उन शक्तियों का वितरण क्षेत्रीय इकाइयों में करती है।” डाइसी का मत है, “एकात्मक राज्य में केन्द्रीय सत्ता में कानून बनाने की सर्वोच्च सत्ता निवास करती है।“ स्ट्रांग का कथन है कि“एकात्मक शासन वह शासन है जिसमें शासन की सर्वोच्च सत्ता केन्द्र को प्रदान की जाती है और केन्द्र से ही स्थानीय इकाइयाँ शक्ति या स्वायत्तता प्राप्त करती हैं । वास्तव में केन्द्र की कृपा पर ही उनका अस्तित्व आश्रित है।” उपरोक्त परिभाषाओं से एकात्मक शासन प्रणाली के प्रमुख लक्षण इस प्रकार परिलक्षित होते हैं- 1. एकात्मक शासन प्रणाली में राज्य के शासन की समस्त शक्तियाँ एक केन्द्रीय सरकार में निहित होती हैं। 2. एकात्मक शासन में प्रान्त केवल प्रशासनिक इकाइयाँ होते हैं । उनकी सीमाओं में केन्द्रीय सरकार द्वारा कभी भी परिवर्तन किया जा सकता है। यहाँ तक कि किसी इकाई को समाप्त तक किया जा सकता है। प्रान्तों की सरकारों को भी शक्तियाँ प्राप्त होती हैं, वे उन्हें केन्द्रीय सरकार से मिली हुई होती हैं और वह उन्हें अपनी स्वेच्छा से घटा-बढ़ा सकती है। अतः प्रान्तीय सरकारे केन्द्रीय सरकार की केवल मात्र प्रतिनिधि-रूप होती हैं। उन्हें कोई अधिकार सीधे संविधान से नहीं मिलता। 3. एकात्मक राज्य में नागरिकों को इकहरी नागरिकता प्राप्त होती है। वे पूरे राज्य के नागरिक होते हैं। वहाँ पर कोई प्रान्तीय नागरिकता नहीं दी जाती। 4. एकात्मक राज्य में केन्द्रीय सरकार सर्वोपरि होती है। प्राय: केन्द्र और प्रान्तीय या प्रादेशिक सरकारों में कोई विवाद नहीं पैदा होता और यदि कभी कोई विवाद उठता भी है तो उसका निर्णय केन्द्रीय सरकार के द्वारा स्वयं कर दिया जाता है। प्रादेशिक सरकारों का कोई संवैधानिक अस्तित्व नहीं होता। 5. एकात्मक शासन प्रणाली में सम्पूर्ण देश के लिए केवल एक ही कार्यपालिका, एक ही न्यायपालिका और एक ही विधायिका होती है । 6. एकात्मक शासन प्रणाली में केन्द्र का अपनी इकाइयों पर कठोर नियंत्रण रहता है। आज विश्व के अनेक देशों में एकात्मक शासन प्रणाली को अंगीकृत किया गया है, जिनमें इंग्लैण्ड, फ्रांस, इटली, बेल्जियम आदि विशेष उल्लेखनीय हैं । एकात्मक शासन प्रणाली में प्रमुखतया शक्तियों का एक स्थान पर केन्द्रीयकरण है और इसी से इसके गुण- दोष जन्म लेते हैं । एकात्मक शासन प्रणाली के गुणवस्तुतः एकात्मक शासन के द्वारा ही दृढ़ सरकार की स्थापना हो सकती है। संकटकाल में तो एकात्मक शासन की ही प्रशंसा की जाती है । इसके गुण निम्न प्रकार हैं- 1.कुशल तथा सरल शासन-एकात्मक शासन में सारी शक्ति एक केन्द्रीय सरकार के हाथ होती है। इसमें कोई शक्ति विभाजन की आवश्यकता नहीं होती। इसका शासन संगठन संघीय णाली की अपेक्षा बहुत सरल होता है। इस प्रणाली में सभी फैसले केन्द्रीय सरकार द्वारा ही किये जाते हैं। इस कारण इस प्रणाली बहुत अधिक कार्यक्षमता, दक्षता तथा निर्णयों में समय की बचत दोती है। विलोबीके अनुसार अमेरिका में आज भी संघ और राज्यों के बीच एक खींचतान चलती रहती है, किन्तु ऐसा संघात्मक प्रणाली में नहीं होता| 2. लचीलापन-इस प्रणाली में तुलनात्मक रूप से कहीं अधिक लचीलापन होता है। इसमें संविधान प्राय: लचीला होता है और संसद स्वेच्छा से साधारण विधि के द्वारा कोई भी परिवर्तन कर सकती है, जैसे ब्रिटिश संसद कोई भी विधि बना सकती है। इस प्रकार शासन अपने आपको आसानी से समय के अनुरूप ढाल सकता है। 3. शासन में एकरूपता तथा राष्ट्रीय एकता- शासन में एकरूपता तथा राष्ट्रीय एकता में सुदृढ़ता एकात्मक शासन का तीसरा महत्वपूर्ण गुण माना जाता है। शक्तियों के केन्द्रीय सरकार के हाथों में केन्द्रित हो जाने से इस शासन व्यवस्था में राज्य के कानूनों और नीति में एकरूपता प्राई जाती है जो कि राष्ट्रीय एकता की भावना के लिए परमावश्यक है। इसमें केन्द्रीय और प्रादेशिक कानूनों में किसी प्रकार के विरोध और संघर्ष का प्रश्न ही नहीं उठता। 4. विदेशी तथा आन्तरिक नीति में सुदृढ़ता-एकात्मक शासन प्रणाली का एक गुण यह भी है कि यह विदेशी तथा आन्तरिक मामलों में दृढ़ता के साथ कार्य कर सकती है। चूँकि इस प्रणाली मं सारी शक्तियाँ केन्द्र के पास होती हैं इसलिए इसमें किसी आन्तरिक विरोध का भय नहीं होता आर वह एक दृढ़ नीति का संचालन कर सकती है। एकात्मक शासन युद्ध संचालन भी अधिक सफलता के साथ कर सकता है। ১छोटे राज्यों के लिए उपयुक्त-एकात्मक प्रणाली छोटे-छोटे राज्यों के लिए बहुत उपयुक्त है। जिन राज्यों में जनता की आवश्यकताएँ एक ही कानूनी प्रणाली के द्वारा सफलतापूर्वक पूरी जা सकती हों, वहाँ पर एकात्मक प्रणाली एक आदर्श प्रणाली सिद्ध होती है। 6. मितव्ययी प्रणाली-एकात्मक शासन व्यवस्था कम खर्चीली है, क्योंकि इसमें सारा काम। एक ही राष्ट्रीय सरकार के द्वारा किया जाता है। एकात्मक शासन प्रणाली के दोषउपरोक्त चर्चित गुणों के बावजूद एकात्मक शासन प्रणाली के कुछ अवगुण भी हैं, जो इस प्रकार हैं- 1. स्थानीय उत्साह में कमी-एकात्मक शासन प्रणाली का सबसे बड़ा दोष यह है कि स्थानीय उत्साह और शक्ति को यह घटाती है, क्योंकि स्थानीय मामलों पर भी केन्द्रीय सरकार के । अधिकारियों द्वारा ही निर्णय किये जाते हैं। गार्नरका कहना है कि“एकात्मक शासन प्रणाक स्थानीय उत्साह को दबाती है, सार्वजनिक कार्यों में रुचि बढ़ाने के बजाय कम करती है और स्थानी शासनों की शक्ति को घटाकर एक केन्द्रीयकृत नौकरशाही को बढ़ावा देने में सहायक होती है।”वैसे भी केन्द्रीय सरकार के अधिकारियों को स्थानीय समस्याओं तथा वहाँ की आवश्यकताओं का सही अनुमान होना कठिन होता है। 2. आधुनिक लोक कल्याणकारी राज्यों के लिए अनुपयुक्त-यह प्रणाली आधुनिक समय में लोक कल्याणकारी राज्य के लिए एक अनुपयुक्त शासन पद्धति है। आजकल राज्य का कार्यक्षेत्र इतना बढ़ गया है कि अकेली केन्द्रीय सरकार के द्वारा देश की समस्त समस्याओं को हल का सकना सम्भव नहीं है। न तो केन्द्रीय अधिकारियों के पास स्थानीय समस्याओं की पूर्ण जानकारी है, न ही उनके पास इतना समय है कि वे स्थानीय समस्याओं का उचित समाधान कर सकें। इसके अतिरिक्त उन्हें इस बारे में कोई विशेष रुचि भी नहीं होती। फलस्वरूप स्थानीय समस्याओं पर कोई ध्यान नहीं दिया जाता जिससे स्थानीय हितों की बहुत हानि होती है । 3. निरंकुश प्रवृत्ति-इस प्रणाली पर निरंकुश होने का भी आरोप लगाया जाता है। शक्तियों का केन्द्रीयकरण जो कि एकात्मक प्रणाली का मुख्य लक्षण है, प्राय: निरंकुश प्रवृत्तियों को प्रोत्साहित करता है। इसलिए एकात्मक शासन के निरंकुश होने का भय रहता है। 4. अनुदार शासन-एकात्मक शासन प्रणाली के विरुद्ध अनुदारता का गम्भीर आरोप जाता है, क्योंकि स्थायी पदाधिकारियों द्वारा इसका शासन कार्य संचालित किया जाता है। अना शासन सदैव प्रणति और विकास का विरोधी होता है। 5. नौकरशाही का बोलबाला – एकात्मक शासन प्रणाली में नौकरशाही का बोलबाला होत है। चूंके जनता और सरकार में सम्पर्क न के बर /जर रहता है, इसलिए कर्थचारियों की शिकाये सरकार तक नहीं पहुँचतीं। 6. कान्ति की सम्भावना- चूकि एकात्मक शासन में अनुत्तरदायित्व एवं निरंकुशता की प्रवत्त पाई जाती है, जिससे क्रॉंति और विद्रोह के तत्वों को बढ़ावा मिलता है और इसकी सम्भावना बनी रहती है। 7. बड़े राष्ट्रों के लिए अनुपयोगी- अड़े देशों में विभिन्न जातियाँ तथा भाषाएँ होती हैं, जिनको विभिन्न आवश्यकताएँ भी होती हैं। केन्द्रीय सरकार उन विभिन्न आवश्यकताओं की पूर्ति नहीं कर सकती। इसीलिए यह कहा जाता है कि एकात्मक शासन बड़े राष्ट्रों के लिए उपयोगी नहीं है। ৪. अत्यधिक कार्यभार – चूंकि समस्त देश का शासन एक ही सरकार द्वारा संचालित होता है, इसलिए सरकार अत्यधिक कार्यभार से बोझिल हो जाती है । 9. अप्रजातांत्रिक –एकात्मक शासन प्रणाली में शक्ति और अधिकारों का केन्द्रीयकरण हो जाने के कारण प्रजातांत्रिक मूल्यों की समाप्ति होती रहती है । केन्द्रीयकरण की प्रवृत्ति स्थानीय स्वशासन की भावना को भी समाप्त कर देती है। बेंथम के विचारों की आलोचना। Criticism of Bentham In Hindiएकात्मक शासन व्यवस्था क्या है उसके गुण दोषों का वर्णन कीजिए?एकात्मक सरकार के अन्तर्गत शासन की सारी शक्तियां केन्द्रीय सरकार के पास ही केन्द्रित रहती हैं। सारे देश में एक कार्यपालिका, एक विधायिका व एक न्यायपालिका ही होती है। यद्यपि उनको केन्द्रीय सरकार द्वारा कोई महत्वपूर्ण शक्ति नहीं दी जाती। यदि कोई शक्ति दे भी जाती है तो वे केन्द्रीय सरकार के नियन्त्रण में ही कार्य करती है।
एकात्मक शासन प्रणाली क्या होती है?एकात्मक प्रणाली राजनीतिक संगठन की एक प्रणाली है जिसमें संघीय राज्य के विपरीत अधिकांश या सभी शासकीय शक्ति केंद्रीकृत सरकार में रहती है। इस प्रणाली के अंतर्गत या तो सरकार का केवल एक स्तर होता है या उप-इकाइयाँ केन्द्र सरकार के अधीनस्थ होती हैं। केंद्र सरकार प्रांतीय या स्थानीय सरकारों को आदेश पारित कर सकती है।
एकात्मक व्यवस्था में कौन सा तत्व नहीं हो सकता है?(2) लोकतंत्र की भावना के विरूद्व - एकात्मक शासन व्यवस्था लोकतंत्र की भावना के विरूद्ध हैं क्योंकि इसमें प्रान्तीय अथवा स्थानीय स्वशासन को वो महत्ता नहीं मिलती जो लोकतंत्र में मिलती है। जाती है। सरकार के पास शासन की समस्त शक्तिया होती हैं तथा स्थानीय सरकारें केन्द्र के अधीन रह कर कार्य करती हैं ।
एकात्मक शासन व्यवस्था से क्या तत्व है?एकात्मक शासन व्यवस्था किसे कहते हैं (Unitary government in hindi) – एकल य एकात्मक शासन व्यवस्था वह है जिसमें समस्त शक्तियां एवं कार्य केंद्र सरकार और क्षेत्र सरकार में निहित होती हैं! फ्रांस, ब्रिटेन, जापान, चीन, इटली, बेल्जियम, नार्वे, स्वीडन, स्पेन आदि में सरकार का एकात्मक स्वरूप पाया जाता है!
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