गेहूं का रस्ट रोग किससे होता है - gehoon ka rast rog kisase hota hai

राजस्थान 10th प्रश्न है गेहूं का रस रोग किसके कारण होता है पहला दिया है लाल सेवालाल सवाल जो होते हैं वह रोड पर स्कूल के सदस्य हैं और इनका जो लाल रंग होता है वह किसके कारण होता है होता है भाई को 3:00 के कारण 5 को स्क्रीन के कारण इसका लाल रंग होता इस सवाल का और यह जो है समुद्र में पाए जाते हैं और यह जो है उनका शरीर जो सच था ना जो होता है वह बहुत ही होता तो यह हमारा उत्तर नहीं होगा दूसरा दिया हरित सवाल तो हरीश सवाल जो है वह

क्लोरो फैसी फुल के सदस्य हैं इसे जय समुद्री घास पाठ दिखा जाता है समुद्री घास भी कहा जाता है इनमें जो है क्लोरोफिल ए वह भी दोनों पाए जाते हैं तो यह मेरा उत्तर नहीं होगा तीसरा दिया है कवर तो यही हमारा उतर जाएगा जो कवर होता है वहीं गेहूं में राष्ट्र उत्पन्न करता है उसका नाम है इसका कारण है वैसे वीडियो माय सिटी का

सदस्य प्रिय वस्तु है जो किसी दिन रोग उत्पन्न करता है जैसे कि जनना तो यह हमारा तो नहीं होगा हमारा कर्म तफ्तीश आप आशा करते हैं स्पष्ट तरफ को स्पष्ट हो गया होगा धन्यवाद

हेलो ब्रो नाशिक हमारे को सुनाएं गेहूं की राष्ट्र रोग का रोगजनक खाली स्थान है इस क्वेश्चन का आंसर होगा फक्त सीनियर सीनियर सीनियर ऑफिसर रोग का रोगजनक है ठीक है अब बात करें पक्षी नहीं होता क्या है यह कब होता है ठीक है कब होता है जो कि गेहूं के ठीक है गेहूं की पत्तियों पर गेहूं की पत्तियों पतियों को संक्रमित करता है ठीक है क्या कह सकते हो प्रभावित होता है ठीक है क्योंकि जो गेहूं की पत्तियां हो जाती हैं उसमें एक ऐसे क्यों काले काले धब्बे से भी संत नहीं दिखाई देने लगे उसे बोलते हैं ठीक है तो क्योंकि पतियों को भी प्रभावित करता है जो पक्षी या कवक होता है ठीक है यह हो गया और सीनियर के बारे में आप समझते

यहां पर क्या प्रभाव हो सकते हैं ठीक है मतलब इस रोग से किस पादप आर्यन के हूं पर क्या प्रभाव हो सकते हैं तो जब यह लोग मतलब गेहूं के पौधों में होता है यानी संक्रमित होता गेहूं का पौधा तो इससे जो उत्पादन होती है लेकिन मतलब जो गेहूं का उत्पादन होता है वह लगभग 20% से 20% कम हो जाता है ठीक है कम हो जाता है उत्पादन होता है कम होता है 20% मतलब सामान्य से 20% कम हो जाता है तो गेहूं के रस रोग का रोगजनक जो है जिसका नाम है पक्षी नियम

कहीं गेहूं की फसल को नष्ट न कर दे 'रस्ट'

चंद्रमणि तिवारी, दनकौर : पिछले वर्षो की तुलना में इस बार गेहूं की फसल काफी अच्छी है। मौसम भी इस

चंद्रमणि तिवारी, दनकौर :

पिछले वर्षो की तुलना में इस बार गेहूं की फसल काफी अच्छी है। मौसम भी इस फसल के लिए मुफीद रहा है। बावजूद इसके, किसानों की जरा सी लापरवाही बड़ा नुकसान कर सकती है। करीब एक महीने बाद फिर मौसम में परिवर्तन के संकेत मिलने लगे हैं। सुबह कोहरा छाए रहने के बाद दोपहर तक आसमान साफ हो जाता है और धूप खिल जाती है। यही संयोजन गेहूं की फसल में रस्ट रोग को आमंत्रित करता है। पिछले वर्ष रस्ट रोग से किसानों को बड़ा नुकसान झेलना पड़ा था।

तीन तरह का होता है रस्ट रोग : गेहूं की पत्तियों का रंग पीला पड़ रहा है और वे गिर रहीं हैं तो इसे हल्के में न लें। हो सकता है, फसल को भारी नुकसान पहुंचाने वाले गेरुई (रस्ट) रोग ने उसे अपनी जद में ले लिया हो। गेरुई रोग (रस्ट) तीन प्रकार का होता है। यह रोग फसल को पचास फीसद तक नुकसान पहुंचा सकता है। गेरुई रोग काला, सफेद और पीले रंग का हो सकता है।

गेरुई (रस्ट) रोग ने पिछले वर्ष भी ढाया था कहर: गेरुई रोग से गेहूं की फसल को 50 फीसद तक हानि पहुंच सकती है। गत वर्ष जपनद में कई इलाकों में गेहूं की फसल इस रोग की चपेट में आकर चौपट हो गई थी।

पत्तियों से शुरू होता है असर: गेरुई रोग में पत्तिया पीली होने लगती हैं और पौधे की वृद्धि रुक जाती है। किसान समय रहते फसल को रोग से बचाने के लिए उपाय कर सकते हैं।

गेहूं की फसल में कुछ दिनों से पत्तिया पीली पड़ती जा रही हैं। ऐसा लग रहा है कि फसल पर किसी रोग ने पैर पसार लिए हैं। इस संबंध में ब्लॉक में संपर्क साधा गया है। ठीक सलाह नहीं मिल रही है।

मीनू खान, किसान अट्टा फतेहपुर।

गेरुई रोग से बचाव के लिए किसान प्रोपीकोनाजोल 25 प्रतिशत ईसी, मैंकोजेब 75 प्रतिशत, जिनेब 75 प्रतिशत डब्ल्यूपी, जिरम 80 प्रतिशत, थायोफनेट मिथाइल 70 प्रतिशत में घोल तैयार कर छिड़काव कर सकते हैं। यह रोग फसल को 50 फीसद नुकसान पहुंचा सकता है। इसलिए बचाव आवश्यक है।

शिवकुमार सिंह, कृषि विशेषज्ञ।

गेहूं की फसल में रस्ट रोग की पहचान

गेहूं की फसल में रस्ट रोग की पहचान

लेखक - Dr. Pramod Murari | 31/1/2021

गेहूं की फसल में लगने वाले रोगों में रस्ट रोग भी शामिल है। यह रोग तीन तरह का होता है। रस्ट रोग को गेरूई रोग और रतुआ रोग के नाम से भी जाना जाता है। यहां से आप ब्राउन रस्ट रोग, येलो रस्ट रोग और ब्लैक रस्ट रोग के लक्षण देख सकते हैं। इसके साथ ही इस पोस्ट में बताई गई दवाओं का प्रयोग कर के आप इस रोग पर नियंत्रण भी कर सकते हैं।

  • भूरा रतुआ रोग : इस रोग को ब्राउन रस्ट या पत्ती का रतुआ रोग भी कहते हैं। यह रोग देश के लगभग सभी क्षेत्रों में पाया जाता है। इस रोग के होने पर शुरुआत में पत्तियों की ऊपरी सतह पर नारंगी रंग के धब्बे उभरने लगते हैं। कुछ समय बाद यह धब्बे गहरे भूरे रंग में परिवर्तित हो जाते हैं। इस रोग के कारण गेहूं की पैदावार में 30 प्रतिशत तक कमी आ सकती है। इस रोग पर नियंत्रण के लिए प्रति एकड़ भूमि में 1.2 किलोग्राम डाईथेन एम 45 का छिड़काव करें ।

  • पीला रतुआ रोग : इसे येलो रस्ट या धारीदार रतुआ रोग भी कहा जाता है। इस रोग से प्रभावित पौधों की पत्तियों पर पीली रंग की धारियां उभरने लगती हैं। कुछ समय बाद पूरी पत्तियां पीली रंग की हो जाती हैं। मिट्टी में भी पीले रंग के पाउडर के समान तत्व गिरने लगते हैं। कल्ले निकलने के समय इस रोग के होने पर पौधों में बालियां नहीं बनती हैं। इस रोग पर नियंत्रण के लिए प्रति लीटर पानी में 2 ग्राम मैंकोज़ेब 75 डब्ल्यूपी मिलाकर छिड़काव करें।

  • काला रतुआ रोग : इसे ब्लैक रस्ट या तने का रतुआ रोग भी कहते हैं। शुरुआत में इस रोग के होने पर पौधों के तने एवं पत्तियों पर गहरे भूरे रंग के धब्बे उभरने लगते हैं। रोग बढ़ने के साथ धब्बों का रंग काला होने लगता है। 20 डिग्री सेंटीग्रेड से अधिक तापमान होने पर यह रोग तेजी से फैलता है। इस रोग पर नियंत्रण के लिए 0.1 प्रतिशत टेबुकोनाजोले 250 ई.सी का छिड़काव करें।

यह भी पढ़ें :

  • गेहूं की फसल में चौड़ी पत्ती के खरपतवारों पर नियंत्रण के तरीके यहां से देखें।

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गेहूं में रस्ट नामक रोग का वाहक कौन है?

" गेहूं का पीला रतुआ, जिसे गेहूं का धारीदार रतुआ रोग भी कहते हैं, 'पुसीनिया' नामक फफूंद के कारण होता है। यह फफूंद अक्सर ठंडे क्षेत्रों, जैसे- उत्तर-पश्चिमी मैदानी और उत्तर के पहाड़ी इलाकों में उगाए जाने वाले गेहूं की प्रजातियों में पाया जाता है।"

गेहूं में रस्ट रोग का क्या कारण है?

गेहूं में पीला रतुआ जिसे स्ट्राइप रस्ट के रूप में भी जाना जाता है, रोगज़नक़ के कारण होता है प्यूकिनिया स्ट्रिपिफॉर्मिस एफ। सपा। तृतीया। रोग वनस्पति से अंतिम परिपक्वता चरण तक विभिन्न विकास चरणों में पौधों को प्रभावित करता है।

गेहूं में कौन कौन से रोग होते हैं?

गेहूं में होने वाले प्रमुख रोग तथा उनकी रोकथाम.
पर्ण रतुआ / भूरा रतुआ.
धारीदार रतुआ या पीला रतुआ.
तना रतुआ या काला रतुआ.
करनाल बंट खुला कंडुआ या लूज स्मट.
पर्ण झुलसा या लीफ ब्लाईट.
चूर्णिल आसिता या पौदरी मिल्ड्यू.
ध्वज कंड या फ्लैग समट.
पहाड़ी बंट या हिल बंट.

ब्लैक रस्ट क्या है?

ब्लैक रस्ट फंगस प्यूकिनिया ट्रिटिकिना के कारण होता है। यह रस्ट रोग जहां गेहूं, जौ और अन्य अनाज की फसलें उगाई जाती हैं वहां पाया जाता है।