ब्लूम ने संज्ञात्मक पक्ष को छः वर्गों में विभाजित किया है। यह प्रणाली सरल से जटिल तथा मूर्त से अमूर्त है। यह निम्न हैं- Show
1. ज्ञान (Knowledge) – ज्ञान उद्देश्य ज्ञानात्मक स्तर का निम्नतम उद्देश्य है। ज्ञान उद्देश्य के अंतर्गत निम्न लिखित का ज्ञान सम्मिलित है – 4. विश्लेषण (Analysis) इस स्तर पर विद्यार्थी किसी पाठ्यवस्तु का विश्लेषण करके उसे निर्मित करने वाले तत्वों में विभाजित करता है और उनमें परस्पर संबंध स्थापित करता है। इस क्रिया द्वारा विषय वस्तु की संगठनात्मक संरचना के स्वरूप को समझा जा सकता है। 5. संश्लेषण (Synthesis) संश्लेषण उस क्षमता की ओर संकेत करता है जिसमें विषय सामग्री के विभिन्न अंगों को नई समग्रता के साथ संयोजित किया जा सके इसके स्तर पर विद्यार्थी विभिन्न स्त्रोतों से प्राप्त किए गए विश्लेषण किए गए तत्वों को एकत्रित करके अपनी सर्जनात्मक क्षमताओं का उपयोग करते हुए एक नवीन वस्तु का निर्माण करते हैं। 6. मूल्यांकन (Evaluation) मूल्यांकन पठन सामग्री की उपयोगिता के परीक्षण करने की क्षमता से संबंधित है। यह परीक्षण निश्चित मापदंडों पर आधारित होना चाहिए। यह ज्ञानात्मक पक्ष का सर्वोच्च स्तर है। इस स्तर पर व्यक्ति विभिन्न विचारों, नियमों, विधियों, सिद्धांतों आदि की आलोचनात्मक व्याख्या कर सकता है और इनके संबंध में मात्रात्मक तथा गुणात्मक निर्णय लेने की क्षमता का विकास होता है। जैसे पाठ्यक्रम में जीवन कौशल विषय को सम्मिलित करने पर अपनी विवेचनात्मक टिप्पणी उदाहरण सहित प्रस्तुत कर सके। • भावात्मक पक्ष के स्तर (Affective Domain)इसमें वे उद्देश्य शामिल हैं जिनका संबंध बालक की रूचि, बालक की अभिवृत्ति, भावनाओं, संवेदनाओं तथा मूल्यों से है। • मनोक्रियात्मक पक्ष के स्तर (Psychomotor Domain)इसमें वे उद्देश्य शामिल है जिनका संबंध बालक के क्रियात्मक अथवा मनोगत्यात्मक कौशलों से है। इसमें विभिन्न अंगों और मांसपेशियों की गतियों को किसी विशेष कार्य को करने हेतु विशेष प्रतिमान में संगठित अथवा प्रशिक्षित किया जाता है। मनोगत्यात्मक पक्ष को 6 वर्गों में बांटा गया है। निष्कर्ष Conclusion –ब्लूम के वर्गीकरण (bloom taxonomy) में ब्लूम ने छात्रों के ज्ञान एवं बौद्धिक पक्ष पर पूरा ध्यान केंद्रित किया हैं। वह छात्रों के सर्वांगीण विकास के लिये बौद्धिक विकास पर अध्यधिक बल देते हैं। उनका यह वर्गीकरण छात्रों के व्यवहार में वांछित परिवर्तन लाने हेतु काफी उपयोगी सिद्ध हुआ हैं। ब्लूम के वर्गीकरण के माध्यम से चलकर ही हम शिक्षण के उद्देश्यों की प्राप्ति कर सकतें हैं। शैशवावस्था का अर्थ एवं परिभाषाएं,विशेषताएं,शैशवावस्था में शिक्षा बाल्यावस्था का अर्थ एवं परिभाषाएं,विशेषताएं,बाल्यावस्था में शिक्षा किशोरावस्था का अर्थ एवं परिभाषाएं,विशेषताएं,समस्याएं,किशोरावस्था में शिक्षा अधिगम का अर्थ एवं परिभाषा,अधिगम के नियम, प्रमुख सिद्धान्त एवं शैक्षिक महत्व इसी भी पढ़ें… थाईडाइक के सीखने के सिद्धांत (1) प्रयास एवं त्रुटी का सिद्धांत पुनर्बलन का सिद्धांत/ हल का सिद्धांत
बान्डुरा का सामाजिक अधिगम सिद्धांत क्रिया-प्रसुत का अधिगम् सिद्धांत 1. R.S. का सिद्धांत पावलव का अनुकूलित अनुक्रिया सिद्धांत 1. शरीर शास्त्री का सिद्धांत कोहलर का अर्न्तदृष्टि या सूझ का सिद्धांत
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ब्लूम टैक्सनॉमी में कितने भाग होते हैं?संज्ञानात्मक पक्ष (Cognitive Domain of Bloom's Taxxonomy)
अतः हम कह सकते हैं कि संज्ञानात्मक पक्ष मानसिक क्षमताओं से संबंधित है। संज्ञानात्मक पक्ष को 6 भागों में बांटा गया है जिसमें बालक को निम्न स्तर से उच्च स्तर तक ले जाया जाता है।
ब्लूम के अनुसार शिक्षा क्या है?शिक्षण उद्देश्य वह शैक्षिक कार्य है जिसके द्वारा छात्रों के व्यवहार में परिवर्तन लाने का प्रयास किया जाता है। इसमें सबसे अधिक योगदान ब्लूम का है। इस वर्गीकरण को मानसिक जीवन के तीन पक्षों- ज्ञान, भावना और कर्म के आधार पर विकसित किया गया है। जिन्हें क्रमशः, ज्ञानात्मक, भावनात्मक एवं क्रियात्मक क्षेत्र कहते हैं।
ब्लूम के अनुसार शिक्षा के उद्देश्य कितने प्रकार के होते हैं?ब्लूम ने सीखने के उद्देश्यों को तीन पक्षों में विभाजित किया है। सीखने के उद्देश्यों का सम्बन्ध छात्रों के व्यवहार परिवर्तन से होता है। ब्लूम के वर्गीकरण को “शिक्षा के उद्देश्यों” के नाम से भी जाना जाता हैं। व्यवहार परिवर्तन तीन प्रकार के होते हैं।. ज्ञानात्मक. भावात्मक. क्रियात्मक. ब्लूम के वर्गीकरण के अनुसार ज्ञान आयामों की संरचना क्या है?ब्लूम के वर्गीकरण के अनुसार ज्ञान आयामों की संरचना है तथ्यात्मक, वैचारिक, प्रक्रियात्मक और कौशल K सूचना, तथ्यात्मक, ज्ञान और प्रक्रियात्मक ज्ञान और कौशल तथ्यात्मक, वैचारिक, प्रक्रियात्मक और मेटाकोग्निटिव
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