बिहारी सतसई में कौन सा छंद है? - bihaaree satasee mein kaun sa chhand hai?

"‍बिहारी सतसई" किस भाषा का काव्य ग्रन्थ है?

  1. ब्रज भाषा
  2. खडी बोली
  3. अवधी
  4. भोजपुरी

Answer (Detailed Solution Below)

Option 1 : ब्रज भाषा

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10 Questions 40 Marks 10 Mins

"‍बिहारी सतसई" ब्रज भाषा का काव्य ग्रन्थ है, अन्य विकल्प असंगत है। अत: विकल्प1 'ब्रज भाषा' सही उत्तर होगा। 

बिहारी सतसई में कौन सा छंद है? - bihaaree satasee mein kaun sa chhand hai?
Key Points

  • बिहारी सतसई ग्रंथ ब्रजभाषा शैली में रचित है।
  • ब्रजभाषा विक्रम की 13वीं शताब्दी से लेकर 20वीं शताब्दी तक भारत के मध्यदेश की मुख्य साहित्यिक 

​           भाषा एवं साथ ही साथ समस्त भारत की साहित्यिक भाषा थी। 

बिहारी सतसई में कौन सा छंद है? - bihaaree satasee mein kaun sa chhand hai?
Additional Information

  खड़ी     बोली  खड़ी बोली वह भाषा है जो मोटे तौर पर आज की मानक हिन्दी का एक पूर्वरूप है। भाषाविज्ञान की दृष्टि से इसे आदर्श (स्टैंडर्ड) हिंदी, उर्दू तथा हिंदुस्तानी की आधार स्वरूप बोली होने का गौरव प्राप्त है। किन्तु 'खड़ी बोली' से आपस में मिलते जुलते अनेक अर्थ निकाले जाते हैं।
 अवधी 

अवधी हिंदी क्षेत्र की एक उपभाषा है। यह उत्तर प्रदेश के "अवध क्षेत्र" (लखनऊरायबरेलीसुल्तानपुरबाराबंकीउन्नावहरदोईसीतापुर

लखीमपुरअयोध्याजौनपुरप्रतापगढ़प्रयागराजकौशाम्बी

अम्बेडकरनगरगोंडा,बस्तीबहराइच,बलरामपुरसिद्धार्थनगर

श्रावस्ती तथा फतेहपुर) में बोली जाती है। 'अवध' शब्द की व्युत्पत्ति "अयोध्या" से है। 

भोजपुरी 

भाषाई परिवार के स्तर पर भोजपुरी एक आर्य भाषा है और मुख्य रूप से पश्चिम बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश के क्षेत्र में बोली जाती है।

Last updated on Sep 22, 2022

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बिहारी के विषय में महत्वपूर्ण कथन


न्म -1595
स्थान -ग्वालियर
मृत्यु,-1663
जाति-माथूर चतुर्वेदी
बिहारी सतसई का रचना काल -1662
भाषा -ब्रज
छंद -दोहा 713
का०य स्वरूप -मुक्तक काव्य
प्रमुख रस -संयोग श्रृंगार रस

विशेष :-
               बिहारी रीतिकाल के सर्वश्रेष्ठ कवि हैं ।
      यह आचार्यत्व न स्वीकार करने वाले कवि हैं।
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हिन्दी में समास पद्धति की शाक्ति का सर्वाधिक परिचय बिहारी ने दिया है ।
बिहारी सतसई की प्रथम टीका लिखने वाले-कृष्ण कवि
बिहारी सतसई के दोहों का पलवन रोला छंद में करने वाले-अंबिकादतव्यास
कृष्ण कवि ने बिहारी सतसई की टीका किस छंद में लिखी - सवैया छंद में
बिहारी सतसई को शाक्कर की रोटी कहने वाले -पद्मसिंह शर्मा
बिहारी के दोहों का संस्कृत में अनुवाद करने वाले- परमानन्द
प२मानन्द ने बिहारी सतसई के दोहों का संस्कृत में किस नाम से अनुवाद किया - श्रृंगार सप्तशती
बिहारी सतसई के प्रत्येक दोहें पर छंद बनाने वाले - कृष्ण कवि
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बिहारी सतसई की रसिकों  के हृदय का घर कहने वाले -हजारी प्रसाद द्विवेदी
बिहारी को हिन्दी का चौथा रतन मानने वाले -लाला भगवानदीन
बिहारी को रीतिकाल का सर्वाधिक लोकप्रिय कवि कहने वाले -हजारी प्रसाद द्विवेदी
बिहारी के दोहों पर प्रसन्न होकर राजा जयसिंह ने इन्हें कौनसा गाँव पुरस्कार में दिया -काली पहाड़ी
इनके दोहे क्या है रस के छोटे छोटे छींटे हैं  कथन किसका है-रामचन्द्र शुक्ल का कथन है
"इनकी  कविता श्रृंगारी है किन्तु प्रेम की उच्च भूमि पर नही पंहुचती , नीचे रह जाती है "कथन है- रामचन्द्र शुक्ल का
बिहारी की भाषा चलती होने पर भी साहित्यिक है कथन है -रामचन्द्र शुक्ल का
शुक्ल ने बिहारी सतसई के किस पक्ष का उपहास किया है-वियोग वर्णन का
किसने बिहारी को ऐसा पीयूष वर्षी मेघ कहा है जिसके उदय होते ही सूर और तुलसी आच्छादित हो जाते हैं- राधाचरण गोस्वामी ने
बिहारी सतसई की "रामचरितमानस" के बाद सबसे अधिक प्रचारित कृति मानने वाले -  श्यामसुन्दर दास
बिहारी को हिन्दी साहित्य का बेजोड़ कवि मानने वाले - विश्वनाथ सिंह
बिहारी की वागविभूति के लेखक- विश्वनाथ सिंह
सम्पूर्ण विश्व में बिहारी सतसई के समकक्ष कोई रचना प्राप्त नही होती कथन है- ग्रियर्सन का
फिरंगे सतसई के रचनाकार -आनंदीलाल शर्मा
बिहारी सतसई की टीका "अमरचन्द्रिका"नाम से लिखने वाले -सूरति मिश्र
बिहारी सतसई की सरल टीका -लाला भगवानदीन
बि हारी सतसई की टीका "लाल चान्द्रिका"नाम से लिखने वाले-लल्लू लाल
राम सतसई - राम सहाय दास
सतसई  बरनार्थ - ठाकुर
बिहारी सतसई की सर्वश्रेष्ठ टीका लिखने वाले जगन्नाथ दास रत्नाकर
जगन्नाथ दास रत्नाकर ने किस नाम से टीका लिखी - बिहारी रत्नाकर
बिहारी रत्नाकर खड़ी बोली में लिखी गई है।
बिहारी सतसई की टीका ब्रज भाषा में लिखने वाले - राधा कृष्ण चौबे
मुंशी देवी प्रसाद ने उर्दू शेरों में बिहारी सतसई का अनुवाद किया है।
आनंदीलाल शर्मा की फिरंगे सतसई फारसी में रचित है ।

https://youtu.be/J0NIlAQ5an0

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👉भक्तिकाल लोक जागरण काल है-  रामविलास शर्मा 👉भक्ति आन्दोलन लोकजागरण है- हजारी प्रसाद द्विवेदी। 👉भक्ति द्रविड़ उपजी लाये रामानन्द प्रकट किया कबीर न,सात दीप नौ खंड-कबीर। 👉भक्ति काल हिन्दी साहित्य का स्वर्णयुग है-ग्रियर्सन। 👉भक्तिकाव्य का प्रथम क्रांतिकारी पुरस्कर्त्ता कबीर हैं-बच्चन सिंह। 👉भक्ति आंदोलन एक जातीय जनवादी आंदोलन था-रामविलास शर्मा। 👉पद्मावत महाकाव्य हिन्दी में अपने ढंग की अकेली ट्रेजिक कृति है- विजयदेव नारायण साही। 👉हिन्दू हृदय और मुसलमान हृदय दोनों को आमने सामने करके अजनबीपन मिटाने वालो में इन्ही (जायसी)का नाम लेना पड़ेगा -रामचन्द्र शुक्ल। 👉बिजली की चमक के समान अचानक समस्त पुराने धार्मिक मतों के अंधकार में एक नयी बात दिखाई दी-ग्रियर्सन। 👉हिन्दी  काव्य की प्रौढ़ता के युग का आरम्भ तुलसी से हुआ-रामचन्द्र शुक्ल। 👉तुलसी उत्तर भारत की समग्र जनता के हृदय में पूर्ण प्रेम प्रतिष्ठा के साथ विराज रहे हैं-रामचन्द्र शुक्ल।

👉कामायनी महाकाव्य -जय शंकर प्रसाद 👉सर्ग - 15 👉मुख्य छंद - तोटक 👉कामायनी पर प्रसाद को मंगलाप्रसाद पारितोषिक पुरस्कार मिला है 👉काम गोत्र में जन्म लेने के कारण श्रद्धा को कामायनी कहा गया है। 👉कामायनी के पांडूलिपी संस्करण का प्रकाशन 1971 में हुआ। 👉प्रसाद ने कामायनी में आदिमानव मुन की कथा के साथ साथ युगीन समस्याओं पर प्रकाश डाला है। 👉कामायनी का अंगीरस शांत रस है। 👉कामायनी दर्शन समरसता - आनन्दवाद है। 👉कामायनी की कथा का आधार ऋग्वेद,छांदोग्य उपनिषद् ,शतपथ ब्राहमण तथा श्री मद्भागवत हैं। 👉घटनाओं  का चयन शतपथ ब्राह्मण से किया गया है। 👉कामायनी की पूर्व पीठिका प्रेमपथिक है। 👉कामायनी की श्रद्धा का पूर्व संस्करण उर्वशी है। 👉कामायनी का हृदय लज्जा सर्ग है। hindisahityarenu.blogspot.in कामायनी के विषय में कथन:- 1. कामायनी मानव चेतना का महाकाव्य है।यह आर्ष ग्रन्थ है।--नगेन्द्र 2. कामायनी फैंटेसी है।-   मुक्तिबोध 3.कामायनी एक असफल कृति है।- इन्द्रनाथ मदान 4. कामायनी नये युग का प्रतिनिधि काव्य है।- नन्द दुलारे वाजपेयी 5.कामायनी ताजमहल के समान है- सुमित्रानन्दन पंत hindis

बिहारी सतसई का मुख्य छंद कौन सा है?

बिहारी सतसई में एक मात्र 'रोला' छंद का प्रयोग किया गया है।

बिहारी के प्रमुख छंद कौन से हैं?

बिहारी ने केवल दो ही छंद अपनाए हैं, दोहा और सोरठा। दोहा छंद की प्रधानता है। बिहारी के दोहे समास-शैली के उत्कृष्ट नमूने हैं

बिहारी रचित सतसई की भाषा क्या है?

Detailed Solution. "‍बिहारी सतसई" ब्रज भाषा का काव्य ग्रन्थ है, अन्य विकल्प असंगत है। अत: विकल्प1 'ब्रज भाषा' सही उत्तर होगा। बिहारी सतसई ग्रंथ ब्रजभाषा शैली में रचित है।

बिहारी सतसई का मूल रस क्या है?

बिहारी सतसई में प्रधान रस श्रृंगार है कुछ शोध कर्ता विद्वानों ने बिहारी सतसई के 712 दोहों मे से लगभग 600 दोहे श्रृंगार रस से परिपूर्ण बताये है। परन्तु इस संबंध में विवाद है। श्रृंगार रस की प्रधानता के साथ साथ बिहारी सतसई में भक्ति रस अन्योक्तियों और नीति से संबंधित दोहे भी मिल जाते है।