Rajasthan GK Rajasthan Ka Pehla Kisaan Andolan Hua Tha ?Q.24884: राजस्थान का पहला किसान आन्दोलन हुआ था ? Show
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अपना जवाब या सवाल नीचे दिये गए बॉक्स में लिखें। बिजोलिया आन्दोलन मेवाड़ राज्य के किसानों द्वारा 1897 ई मे किया गया था। यह आन्दोलन किसानों पर अत्यधिक लगान लगाये जाने के विरुद्ध किया गया था। यह आन्दोलन बिजोलिया जागीर से आरम्भ होकर आसपास के जागीरों में भी फैल गया। इसका नेतृत्व विभिन्न समयों पर विभिन्न लोगों ने किया, जिनमें फ़तेह करण चारण, सीताराम दास, विजय सिंह पथिक और माणिक्यलाल वर्मा के नाम उल्लेखनीय हैं। यह आन्दोलन लगभग आधी शताब्दी तक चला और 1941 में समाप्त हुआ। वर्तमान समय में बिजोलिया, राजस्थान के भीलवाड़ा जिले में स्थित है। आंदोलन के मुख्य कारण थे- 84 प्रकार के लाग बाग़ (कर), लाटा कूंता कर (खेत में खड़ी फसल के आधार पर कर), चवरी कर (किसान की बेटी के विवह पर), तलवार बंधाई कर (नए जागीरदार बनने पर कर) आदि । यह सर्वाधिक समय (44 साल) तक चलने वाला एकमात्र अहिंसक आन्दोलन था। इसमें महिला नेत्रियो जैसे अंजना देवी चौधरी, नारायण देवी वर्मा व रमा देवी आदि ने भी प्रमुखता से हिसा लिया था। गणेश शंकर विद्यार्थी ने अपने समाचार पत्र प्रताप में इस आंदोलन को प्रमुखता दी थी। जानकी देवी का संबंध बिजौलिया किसान आंदोलन से रहा था। आन्दोलन के चरण[संपादित करें]इस आन्दोलन को मुख्यतः तीन चरणों में विभक्त माना जाता है- प्रथम चरण (1897-1916)[संपादित करें]बिजोलिया के राव कृष्ण सिंह ने किसानों पर पांच रुपए की दर से चवंरी कर लगा दिया था जिसके अंतर्गत किसानों को अपनी पुत्री के विवाह पर ठिकाने को कर देना पड़ता था। बिजोलिया ठिकाने में अधिकतर धाकड़ जाति के लोग थे। 1897 में गिरधारीपुरा नामक गांव में गंगाराम धाकड़ के पिता के मृत्यु भोज के अवसर पर किसानों ने एक सभा रखी जिसमें कर बढ़ोतरी की शिकायत मेवाड़ के महाराजा से करने का प्रस्ताव रखा गया। इस हेतु नानजी पटेल एवं ठाकरी पटेल को उदयपुर भेजा गया लेकिन वे महाराणा से मिलने में सफल न हो सके। 1913 में, फ़तेह करण चारण के नेतृत्व में, लगभग 15,000 किसानों ने 'नो टैक्स' अभियान शुरू किया, जिसके तहत उन्होंने बीजोलिया की भूमि को बंजर छोड़ने और इसके बजाय बूंदी, ग्वालियर और मेवाड़ राज्यों के पड़ोसी क्षेत्रों में किराए के भूखंडों पर खेती करने का फैसला किया। इसके परिणामस्वरूप पूरे बिजोलिया में कृषि भूमि असिंचित रह गई और खाद्य सामग्री की कमी के अलावा जागीर के राजस्व में भारी गिरावट आई। किसान आंदोलन में उनकी भूमिका के कारण, फ़तेह करण चारण से उनकी जागीर (सामंती-अनुदान) छीन ली गई और उन्हें मेवाड़ से निर्वासित कर दिया गया। [1][2] कृष्ण सिंह की मृत्यु के बाद नये ठिकानेदार पृथ्वी सिंह ने जनता पर 'तलवार बधाई शुल्क' अर्थात उत्तराधिकार शुल्क लगा दिया। 1903 में साधु सीताराम दास व उनके सहयोगियों को बिजोलिया से निष्कासित कर दिया गया। द्वितीय चरण (1915 -1923 )[संपादित करें]इस चरण का नेतृत्व विजय सिंह पथिक ने किया था जो 1916 में इस आन्दोलन से जुड़े थे जब पृथिवी सिंह ने जागीरदार बनने पर जनता पर 'तलवार बंधाई का कर' लगा दिया। 1917 ई में 'उपरमाल पंचायत बोर्ड' की स्थापना की गई व मन्ना जी पटेल को इसका अध्यक्ष बनाया गया। मेवाड़ रियासत में बिंदुलाल भट्टाचार्य की अध्यक्षता में आयोग गठित किया गया। AGG हॉलेंड के प्रयासों से किसानों व रियासत के बीच एक समझौता हुआ लेकिन ठिकाने ने इसे लागू नहीं किया। विजय सिंह पथिक ने इस आंदोलन के मुद्दे को कांग्रेस के अधिवेशन में उठाया। तृतीय चरण (1923-1941 )[संपादित करें]तीसरे चरण में जमना लाल बजाज ने नेतृत्व संभाला एवं हरिभाऊ उपाध्याय को नियुक्त कर दिया। माणिक्यलाल वर्मा ने अपने 'पंछीड़ा' गीत से किसानों में जोश भर दिया। 1941 में रियासत व किसानों के बीच समझौता हो गया एवं आंदोलन का अंत हो गया। सन्दर्भ[संपादित करें]
राजस्थान के किसान आंदोलन❖ बिजोलिया किसान आंदोलन :- 1897-1941 बिजोलिया :- (i) प्राचीन नाम – विजयावल्ली (ii) राणा सांगा ने अशोक परमार को ऊपर माल (उतगादी) ठिकाना दिया था | (iii) इसका मुख्यालय बिजोलिया था| (iv) अशोक परमार ने खानवा का युद्ध में भाग लिया था| (v) बिजोलिया मेवाड़ का प्रथम श्रेणी ठिकाना था | (vi) वर्तमान भीलवाड़ा जिले में है| 2. कारण :- (i) 84 प्रकार के टैक्स (ii) अधिक भू राजस्व (iii) लाटा कुंता (iv) चंवरी कर- कृष्ण सिंह द्वारा बेटी की शादी पर कर ₹5 (1903 में) (v) तलवार बधाई कर – 1906 में पृथ्वी सिंह द्वारा (vi) यह आंदोलन तीन चरणों में हुआ| ❖ प्रथम चरण:- (1897-1914) 1. यह आंदोलन धाकड़ जाति के किसानों द्वारा किया गया | 2. गिरधरपुरा नामक गांव से प्रारंभ हुआ | 3. साधु सीताराम दास के कहने पर नानजी पटेल व ठाकरी पटेल मेवाड़ के महाराणा फतेह सिंह के पास शिकायत के लिए गये| 4. हामिद को जांच के लिए भेजा गया | 5. प्रथम चरण में किसानों को सफलता नहीं मिली | 6. स्थानीय नेता – प्रेमचंद भीम, फतेह करण चारण, ब्रह्मदेव| ❖ द्वितीय चरण :- (1915-1923) 1. नेता :- विजय सिंह पथिक, माणिक्य लाल वर्मा | 2. ऊपरमाल पंच बोर्ड :- (i) 1917 में विजय सिंह पथिक द्वारा स्थापित| (ii) गांव- बेरीसाल (iii) हरियाली अमावस्या के दिन (iv) अध्यक्ष – मन्ना पटेल 3. विजय सिंह पथिक ने ऊपरमाल सेवा समिति की स्थापना की तथा एक समाचार पत्र – ऊपरमाल का डंका निकाला | 4. 1919 में मेवाड़ सरकार ने बिंदुलालभट्टाचार्य आयोग बनाया| 5. 1922 में किसानों के 35 कर कम कर दिए गए| 6. इनके प्रयासों से समझौता :- AGG रॉबर्ट हॉलेंड , PA विलकिन्स | 7. बिजोलिया के सामंत मैं समझौते को मानने से मना कर दिया| ❖ तीसरा चरण :- (1923-1941) 1. विजय सिंह पथिक के कहने पर किसानों ने अपनी जमीन सामन्त को दे दी | उसने जमीनों को जब्त कर के बेच दी | 2. 1927 में विजय सिंह पथिक आंदोलन से अलग हो गये | 3. गांधी जी ने आंदोलन के लिये जमनालाल बजाज को भेजा| 4. जमनालाल बजाज ने हरि उपाध्याय को नेता बनाया | 5. 1941 में मेवाड़ के प्रधानमंत्री वी. राघवाचार्य तथा राजस्व मंत्री मोहन सिंह मेहता ने समझौता किया | किसानों के कर माफ कर दिये गये तथा उनकी जमीन वापस दे दी | 6. लगातार 44 वर्षों तक का चलने वाला विश्व का सबसे लंबा अहिंसक आंदोलन था| 7. राजस्थान का पहला संगठित किसान आंदोलन था| 8. तिलक ने मराठा समाचार पत्र में आंदोलन के पक्ष में लिखा(तिलक ने मेवाड़ महाराणा फतेह सिंह को पत्र लिखा) 9. गणेश शंकर विद्यार्थी ने प्रताप समाचार पत्र में आंदोलन के पक्ष में लिखा| यह समाचार पत्र कानपुर से प्रकाशित हुआ | विजय सिंह पथिक ने गणेश शंकर विद्यार्थी को चांदी की राखी भेजी| 10. प्रेमचंद का रंगभूमि उपन्यास बिजोलिया किसान आंदोलन पर आधारित है| 11. माणिक्य लाल वर्मा ने पंछीड़ा गीत के माध्यम से किसानों को प्रोत्साहित किया| 12. भंवर लाल जी ने भी अपने गीतों के माध्यम से किसानों को प्रोत्साहित किया| ❖ बेगू किसान आंदोलन :- 1. बेगू मेवाड़ रियासत का प्रथम श्रेणी ठिकाना था | वर्तमान चित्तौड़ जिले में है| 2. धाकड़ जाति के किसान थे। 3. 1921 में गेनाल नामक स्थान से किसानों ने आंदोलन शुरू किया। 4. बेगू के साभंत अनूप सिंह ने किसानों से समझौता कर लिया। 5. मेवाड़ महाराणा ने इस समझौते को मानने से इनकार कर दिया तथा इसे बोल्शेविक समझौता कहा । 6.मेवाड़ महाराणा ने ट्रेंच को जांच करने के लिए भेजा। 7. गोविंदपुरा हत्याकांड :- 13 जुलाई 1923 (i) ट्रेंच ने सभा में फायरिंग की (ii) रूपाजी धाकड़ व कृपाजी शहीद हो गये । 8. आंदोलन के नेता :- रामनारायण चौधरी, विजय सिंह पथिक(10 सितंबर 1923 को गिरफ्तार कर लिया) ❖ बूंदी किसान आंदोलन/ बरहड़ किसान आंदोलन :- 1. गुर्जर किसान सर्वाधिक। 2. डाबी किसान पंचायत :- 1920, संस्थापक साधु सीताराम दास ,अध्यक्ष हरला भड़क 3. अप्रैल 1922 में आंदोलन शुरू हुआ। 4. डाबी हत्याकांड :- 2 अप्रैल 1923 (i) पुलिस अधिकारी इकराम हसैन ने फायरिंग। (ii) नानक की भील व देवीलाल गुर्जर शहीद हो गए। (iii) नानकजी भील झंडा गीत गाते हुए शहीद हुये। 5. नेता :- पंडित न्यून राम शर्मा (राज्य सेवा संघ के सदस्य) 6. 1927 में राज. सेवा संघ बंद हो गया अतः बेगू किसान आंदोलन बंद हो गया। ❖ नींमूचणा किसान आंदोलन :- 1. नीमूचणा हत्याकांड :- 14 मई 1925 ❖ सीकर / शेखावाटी किसान आंदोलन :- ❖ जाट
प्रजापति महायज्ञ :- 20 जनवरी 1937 बसंत पंचमी ❖ कटराथल (सीकर) सम्मेलन:- ❖
कुंदन हत्याकांड :- 25 अप्रैल 1935 ❖ जयसिंह पुरा हत्याकांड :-(झुंझुनू) 21 जून 1934 राजस्थान में जनजातीय आंदोलन 1. भगत आंदोलन :- ❖ मानगढ़ हत्याकांड :- 17 नवंबर 1913 नोट्स :- डाकन प्रथा पर रोक 1853 मेवाड़ महाराणा स्वरूप सिंह द्वारा। 2.
एकी आंदोलन/ भोमट भील आंदोलन :- ❖ नीमडा हत्याकांड :- 6 मार्च 1922 ❖ महाइन्द्रराज सभा :- ❖ मेवाड़ भील कोर:- 3. मीणा आंदोलन :- ❖ बागवास सम्मेलन :- 28 अक्टूबर 1946 , राजस्थान का प्रथम किसान आंदोलन कौन सा है?सही उत्तर बिजोलियां है। राजस्थान में किसान आंदोलन पहली बार 1897 में बिजोलियां से शुरू हुआ। यह 1847-1941 के बीच 3 वाक्यांशों में जारी रहा।
राजस्थान में कितने किसान आंदोलन हुए?शेखावाटी किसान आन्दोलन - (1931 से 1947 तक)
यह जयपुर रियासत का ठिकाना था। 1931 में राजस्थान जाट क्षेत्रिय महासभा का गठन होता है इस सभा ने शेखावटी किसान आन्दोलन का नेतृत्व किया। 1935 में शेखावटी किसान आन्दोलन राजस्थान का एकमात्र किसान आन्दोलन था जिसकी गुंज ब्रिट्रिश संसद में गुजती है।
राजस्थान में किसान आंदोलन का जनक कौन है?मांडलगढ़ | त्रिवेणी संगम स्थित गुर्जर धर्मशाला में राजस्थान केसरी, बिजौलिया किसान आंदोलन के जनक, भारतीय स्वतंत्रता संग्राम सेनानी विजय सिंह पथिक की 64वीं पुण्यतिथि मनाई गई।
राजस्थान का सबसे बड़ा किसान आंदोलन कौन सा है?बेगूँ किसान आंदोलन चित्तौड़गढ़ में सन 1921 में आरम्भ हुआ। इसकी शुरूआत बेगार प्रथा के विरोध के रूप में हुई थी। आंदोलन की शुरूआत रामनारायण चैधरी ने की, बाद में इसकी बागड़ोर विजयसिंह पथिक ने सम्भाली थी। इस समय बेगूँ के ठाकुर अनुपसिंह थे।
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