नाड़ी दोष : अपवाद / निर्मूलन Show
पंडितों के अधिकांश कुंडली मिलान मे नाड़ी को विशेष स्थान देते हैं ।उचित है ,परंतु किसी भी अधूरे ज्ञान या अपूर्ण ज्ञान के कारण कई विवाह ,अनावश्यक ही रुकवा देना पाप है । लगभग 13 नक्षत्र नाड़ी दोष मुक्त होते हैं| कन्या का जन्म नक्षत्र ब्राह्मण वर्ण का न हो तो नाड़ी दोष का प्रश्न हीनहीं | मानव जाति से नाड़ी नहीं देखि जाती |कन्या का जन्म नक्षत्र किस जाति का है यह ही नाड़ी का सिद्धान्त है | नाड़ी से अभिप्राय एवं प्रकार – नाड़ी का पर्याय रज्जु अर्थात रस्सी । मानव शरीर मे व्याप्त रक्त प्रवाहिनी , रोग निदान के लिए भी आउर्वेद चिकित्सा पद्दती मे नाड़ीका प्रमुख स्थान है । .नारद पुराण मे 05 नाड़ियों के नाम . .–शिरो,कंठ,कुक्षि,कटि एवं पाद । Authored by Rakesh Jha| नवभारतटाइम्स.कॉम | Updated: 24 Apr 2022, 6:16 am 16 संस्कारों में विवाह को सबसे महत्वपूर्ण संस्कार माना गया है। विवाह पूर्व वर और कन्या के जन्म और नामानुसार गुण मिलान करके ही रिश्ते तय किए जाते हैं। ज्योतिषशास्त्र में विवाह के लुए कुल 36 गुण माना जाते हैं जिनमें 50 प्रतिशत गुण मिलन को विवाह के लिए ठीक माना जता है। इससे ऊपर जितने गुण हो बेहतर माने जाते हैं। गुण मिलान की प्रक्रिया में बनने वाले दोषों में से एक है 'नाड़ी दोष' जिसे सबसे अधिक अशुभ दोष माना जाता है तथा अनेक वैदिक ज्योतिषी यह मानते हैं कि कुंडली मिलान में नाड़ी दोष बनने से निर्धनता आना, संतान न होना और वर अथवा वधू दोनों में से एक अथवा दोनों की मृत्यु हो जाना जैसी भारी विपत्तियों का सामना करना पड़ सकता है।
नाड़ी दोष कब नहीं लगता है?1. अगर लड़का-लड़की दोनों का जन्म एक ही नक्षत्र के अलग-अलग चरणों में हुआ हो तो नाड़ी दोष नहीं माना जाता है। 2. अगर दोनों की जन्म राशि एक हो और नक्षत्र अलग-अलग हों तो नाड़ी दोष नहीं माना जाता है।
कौन से नक्षत्र में नाड़ी दोष नहीं लगता?उत्तराभाद्रपद, रेवती, रोहिणी, विशाखा, आद्रा, श्रवण, पुष्य और मघा इन 8 नक्षत्रों में भी वर व कन्या का जन्म नक्षत्र पड़े तो नाड़ी दोष शांत हो जाता है, भरणी, मृगशिरा, शतभिषा, हस्त, पूर्वाषाढ़ा व श्लेषा इन नक्षत्रों में भी नाड़ी दोष नही रहता है।
वर वधू की नाड़ी एक हो तो आगे क्या समस्या आ सकती है?ऐसी स्थिति में हो नाड़ी तो बनता है नाड़ी दोष
गुण का मिलान करते वक्त यदि वर-वधू दोनों की नाड़ी आदि होने की स्थिति में तलाक या अलगाव की प्रबल आशंका बनती है तथा वर-वधू दोनों की नाड़ी मध्य या अन्त्य होने से वर-वधू में से किसी एक या दोनों की मृत्यु की आशंका पैदा होती है।
नाड़ी दोष कब होता है?गुण मिलान करते समय यदि वर और वधू की नाड़ी एक ही आ जाए तो नाड़ी दोष बनता है और इसके लिए उन्हें 0 अंक मिलते हैं। उदाहरण के लिए यदि लड़के की नाड़ी आद्य हो और लड़की की भी आद्य आ जाए तो नाड़ी दोष बन जाता है। ऐसी स्थिति में विवाह करना उचित नहीं होता है।
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