read also : 5 ऐतिहासिक खजाने जिनके बारे में जानकारी तो है लेकिन ये आज तक नहीं मिले Show अकबर ने अपने शासन के अंतिम वर्ष इलाही 50 में भी राम में आस्था को दर्शाया। अकबर ने 1584 में दीन ए इलाही धर्म की स्थापना की थी। बादशाह शासन के अंतिम वर्ष 1604 में सोने व चांदी की मुद्रा सिक्के जारी किए। इनमें एक तरफ भगवान राम हाथ में धनुष लिए और माता सीता हाथ में पुष्प लिए है। नागरी भाषा में राम सिया अंकित किया गया है। सिक्के में दूसरी तरफ जारी करने का वर्ष इलाही 50 तथा महीना अंकित है। सोने की आधी मोहर पर माह का नाम फरवरदीन व चांदी के आधे रुपए पर अमरदाद अंकित है। सोने की आधी मोहर दिल्ली के नेशनल म्यूजियम तथा चांदी के आधे रुपए का सिक्का रुपया वाराणसी के भारत कला भवन में संग्रहित है। अकबर के अलावा मोहम्मद गौरी ने भी धनकी देवी लक्ष्मी पर एक सोने की मुद्रा जारी की थी। read also : द्रोपदी की प्यास बुझाने यहां भीम ने पूरी ताकत से पटका था गदा,निकल आया था पाताली कुंड मौर्य, चौहान व विजयनगर साम्राज्य में भी सिक्के अकबर ने भगवान राम पर मोहर सिक्का जारी किया था। मोहम्मद गौरी ने भी लक्ष्मी को मुद्रा में अंकित करवाया। सिक्कों पर राम के अंकन के कई उदाहरण हैं।
अन्य कई शासकों ने भी राम को मुद्राओं में अंकित किया है। अकबर के सिक्केFirst Published: October 30, 2021 अकबर के सिक्कों में सोने, चांदी और तांबे के सिक्के शामिल हैं। अकबर के समय में बनाए गए सोने के सिक्कों को ‘मुहर’ के नाम से जाना जाता है। अबुल फजल के अनुसार अकबर ने कई मूल्य के सोने के सिक्के जारी किए
थे। इस काल में भारी वजन के सिक्के आम थे लेकिन समय के साथ हल्के वजन के सिक्के आम हो गए और भारी वजन के सिक्के दुर्लभ हो गए। सभी धातुओं में कुछ भिन्नात्मक सिक्कों का उपयोग किया गया, हालांकि वे दुर्लभ थे। ये सिक्के पूरे साम्राज्य के लिए थे लेकिन कुछ सिक्के स्थानीय पैटर्न पर भी सोने और चांदी में जारी किए गए थे। सोने के सिक्के हुमायूँ के समय में जारी किए गए सिक्कों के समान थे और चांदी के सिक्के गुजरात, मालवा और कश्मीर से जारी किए गए थे। अकबर के सिक्कों का आकार गोल था और बाद में सोने और चांदी के
सिक्कों के लिए इसे चौकोर में बदल दिया गया था। अकबर ने मिहराबी आकार में कुछ स्मारक सोने के सिक्के भी जारी किए थे। विज्ञापन Recent Current Affairs
विज्ञापन अकबर ने कौन सा सिक्का चलाया था?अकबर के समय में बनाए गए सोने के सिक्कों को 'मुहर' के नाम से जाना जाता है। अबुल फजल के अनुसार अकबर ने कई मूल्य के सोने के सिक्के जारी किए थे। इस काल में भारी वजन के सिक्के आम थे लेकिन समय के साथ हल्के वजन के सिक्के आम हो गए और भारी वजन के सिक्के दुर्लभ हो गए।
मुगल काल में चांदी के सिक्कों को क्या कहा जाता था?हुमायूँ के शासनकाल में उसने कुछ भारी चांदी के सिक्के भी जारी किए थे जिन्हें रुपया कहा जाता था।
अकबर के समय सोने का सबसे बड़ा सिक्का?शहंशाह के सोने के सिक्के का वजन 102 तोले था।. अकबर के सिक्कों का सबसे दिलचस्प पहलू उन पर इस्तेमाल किए गए प्रतीक हैं। ... . एक बाज़ को स्मारक सिक्के पर चित्रित किया गया था जो कि किले असीरगढ़ पर जीत का जश्न मनाने के लिए जारी किया गया था।. कालपी रुपए में एक मछली है और हजरत दिल्ली टकसाल से सिक्कों पर एक कछुआ देखा जा सकता है।. 28 अकबर के द्वारा जारी किया गया चांदी के सिक्के को क्या कहा जाता था?प्रदर्शनी में कॉइन डीलर अविनाश राम टेके ने उस सिक्के को प्रदर्शित किया, शेरशाह सूरी ने ही अपने शासन काल में टका को रुपया नाम दिया था। उन्होंने करीब 1540 में जिस सिक्के को जारी किया, इसे पहला भारतीय रुपया कहा गया। उसके बाद ही रुपए का नाम प्रचलित हुआ।
|