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ध्यानपूर्वक पढ़कर उन पर दिए गए प्रश्नों के उत्तर सही उत्तर-विकल्प चुनकर लिखिए। 1) मेरे भाई साहब मुझसे पाँच साल बड़े, लेकिन केवल तीन दरजे आगे। उन्होंने भी पढ़ना शुरू किया था, जब मैंने शुरू किया लेकिन तालीम जैसे महत्त्व के मामले में वह जल्दबाज़ी से काम लेना पसंद न करते थे। इस भवन की बुनियाद खूब मज़बूत डालना चाहते थे, जिस पर आलीशान महल बन सके। एक साल का काम दो साल में करते थे। कभी-कभी तीन साल भी लग जाते थे। बुनियाद ही पुख्ता न हो, तो मकान कैसे पायेदार बने। 2. लेखक के भाई साहब उनसे कितने साल बड़े थे 3. बड़े भाई साहब लेखक से कितने दरजे आगे थे 4. बड़े भाई साहब किस मामले में जल्दबाज़ी से काम लेना पसंद नहीं करते थे- 5. बड़े भाई साहब का शिक्षा के मामले में काम करने का क्या तरीका था- 2) मैं छोटा था, वह बड़े थे। मेरी उम्र नौ साल की थी, वह चौदह साल के थे।
उन्हें मेरी तम्बीह और निगरानी का पूरा और जन्मसिद्ध अधिकार था और मेरी शालीनता इसी में थी कि उनके हुक्म को कानून समझू। वह स्वभाव से बड़े अध्ययनशील थे। हरदम किताब खोले बैठे रहते और शायद दिमाग को आराम देने के लिए कभी कॉपी पर, किताब के हाशियों पर चिड़ियों, कुत्तों, बिल्लियों की तस्वीरें बनाया करते थे। कभी-कभी एक ही नाम या शब्द या वाक्य दस-बीस बार लिख डालते। कभी एक शेर को बार-बार सुंदर अक्षरों में नकल करते। कभी ऐसी शब्द-रचना करते, जिसमें न कोई अर्थ होता, न कोई सामंजस्य। मसलन एक बार उनकी कॉपी पर
मैंने यह इबारत देखी-स्पेशल, अमीना, भाइयों-भाइयों, दरअसल, भाई-भाई। राधेश्याम, श्रीयुत राधेश्याम, एक घंटे तक-इसके बाद एक आदमी का चेहरा बना हआ था। मैंने बहत चेष्टा की कि इस पहेली का कोई अर्थ निकालूँ। लेकिन असफल रहा। और उनसे पूछने का साहस न हुआ। वह नौवीं जमात में थे, मैं पाँचवीं में। उनकी रचनाओं को समझना मेरे लिए छोटा मुँह बड़ी बात थी। 1. बड़े भाई साहब का जन्मसिद्ध अधिकार क्या था 2. लेखक की शालीनता किस बात में थी 3. बड़े भाई साहब का स्वभाव कैसा था 4. बड़े भाई साहब दिमाग को आराम देने के लिए क्या करते थे 5. कौन-सा कार्य लेखक के लिए ‘छोटा मुँह बड़ी बात थी’ 3) मेरा जी पढ़ने में बिलकुल न लगता था। एक घंटा भी किताब लेकर बैठना पहाड़ था। मौका पाते ही होस्टल से निकलकर मैदान में आ जाता और कभी कंकरियाँ उछालता, कभी कागज़ की तितलियाँ उड़ाता और कहीं कोई साथी मिल गया, तो पूछना ही क्या। कभी चारदीवारी पर चढ़कर नीचे कूद रहे हैं। कभी फाटक पर सवार, उसे आगे-पीछे चलाते हुए मोटरकार का आनंद उठा रहे हैं, लेकिन कमरे में आते ही भाई साहब
का वह रुद्र-रूप देखकर प्राण सूख जाते। उनका पहला सवाल यह होता-‘कहाँ थे? हमेशा यही सवाल, इसी ध्वनि में हमेशा पूछा जाता था और इसका जवाब मेरे पास केवल मौन था। न जाने मेरे मुँह से यह बात क्यों 1. लेखक का मन किसमें नहीं लगता था’ 2. लेखक मौका पाते ही क्या करता था 3. लेखक के प्राण कब सूख जाते थे 4. ‘प्राण सूख जाना’ का अर्थ है 5. छोटे भाई (लेखक) का मौन कह देता था कि 4) “इस तरह अंग्रेज़ी पढ़ोगे, तो
जिंदगी-भर पढ़ते रहोगे और एक हर्फ़ न आएगा। अंग्रेज़ी पढ़ना कोई हँसी-खेल नहीं है कि जो चाहे, पढ़ ले, नहीं ऐरा-गैरा नत्थू-खैरा सभी अंग्रेज़ी के विद्वान हो जाते। यहाँ रात-दिन आँखें फोड़नी पड़ती हैं और खून जलाना पड़ता है, तब कहीं यह विद्या आती है। और आती क्या है, : हाँ कहने को आ जाती है। बड़े-बड़े विद्वान भी शुद्ध अंग्रेज़ी नहीं लिख सकते, बोलना तो दूर रहा। और मैं कहता हूँ, तुम कितने घोंघा हो कि मुझे देखकर भी सबक नहीं लेते। मैं कितनी मिहनत करता हूँ, यह तुम अपनी आँखों से देखते हो, अगर नहीं देखते, तो यह
तुम्हारी आँखों का कसूर है, तुम्हारी बुद्धि का कसूर है। : इतने मेले-तमाशे होते हैं, मुझे तुमने कभी देखने जाते देखा है? रोज़ ही क्रिकेट और हॉकी मैच होते हैं। मैं पास नहीं फटकता। हमेशा पढ़ता रहता हूँ। उस पर भी एक-एक दरजे में दो-दो, तीन-तीन साल पड़ा रहता हूँ, फिर भी तुम कैसे आशा करते हो कि तुम यों खेल-कूद में वक्त गँवाकर पास हो जाओगे? मुझे तो दो ही : तीन साल लगते हैं, तुम उम्र-भर इसी दरजे में पड़े सड़ते रहोंगे? अगर तुम्हें इस तरह उम्र गँवानी है, तो बेहतर है, घर चले जाओ और मज़े से गुल्ली-डंडा खेलो।
दादा की गाढ़ी कमाई के रुपये क्यों बरबाद करते हो?” 2. गद्यांश के अनुसार किसे अंग्रेज़ी का एक अक्षर नहीं आएगा 3. अपनी मेहनत के बारे में बड़े भाई साहब ने क्या बताया 4. गद्यांश में दिए गए ‘घोंघा’ शब्द का क्या अर्थ है- 5. बड़े भाई साहब को किस कारण लगता है कि छोटा भाई दादा की गाढ़ी कमाई बरबाद कर रहा है- (5) मगर टाइम-टेबिल बना लेना एक बात है, उस पर अमल करना दूसरी बात। पहले ही दिन उसकी अवहेलना शुरू हो जाती। मैदान की वह सुखद हरियाली, हवा के हलके हलके झोंके, फुटबाल की वह उछल-कूद, कबड्डी के वह दाँव-घात, वॉलीबाल की वह तेज़ी और फुरती, मुझे अज्ञात और अनिवार्य रूप से खींच ले जाती और वहाँ जाते ही मैं सब कुछ भूल जाता। वह जानलेवा टाइम-टेबिल, वह आँखफोड़
पुस्तकें, किसी की याद न रहती और भाई साहब को नसीहत और फ़जीहत का अवसर मिल जाता। मैं उनके साये से भागता, उनकी आँखों से दूर रहने की चेष्टा करता, कमरे में इस तरह दबे पाँव आता कि उन्हें खबर न हो। उनकी नज़र मेरी ओर उठी और मेरे प्राण निकले। हमेशा सिर पर एक नंगी तलवार-सी लटकती मालूम होती। फिर भी जैसे मौत और विपत्ति के बीच भी आदमी मोह और माया के बंधन में जकड़ा रहता है, मैं फटकार और घुड़कियाँ खाकर भी खेल-कूद का तिरस्कार न कर सकता था। 2. लेखक कहाँ जाते ही सब कुछ भूल जाता था 3. लेखक की किस आदत से बड़े भाई साहब को नसीहत और फ़जीहत का अवसर मिल जाता था 4. लेखक बड़े भाई के डर से क्या कार्य करता था 5. “सिर पर नंगी तलवार लटकना’ मुहावरे का अर्थ है 6) मैं यह लताड़ सुनकर आँसू बहाने लगता। जवाब ही क्या था। अपराध तो मैंने : किया, लताड़ कौन सहे? भाई साहब उपदेश की कला में निपुण थे। ऐसी-ऐसी लगती बातें कहते, ऐसे-ऐसे सूक्ति-बाण चलाते कि मेरे जिगर के टुकड़े-टुकड़े हो जाते और हिम्मत टूट जाती। इस तरह जान तोड़कर मेहनत करने की शक्ति मैं अपने में न पाता था और उस निराशा में ज़रा देर के लिए मैं सोचने लगता-‘क्यों न घर चला जाऊँ। जो काम मेरे बूते के बाहर है, उसमें हाथ डालकर क्यों अपनी जिंदगी खराब करूँ।’ मुझे अपना मूर्ख रहना मंजूर
था, लेकिन उतनी मेहनत से मुझे तो चक्कर आ जाता था, लेकिन घंटे-दो-घंटे के बाद निराशा के बादल फट जाते और मैं इरादा करता कि आगे से खूब जी लगाकर पढूँगा। चटपट एक टाइमटेबिल बना डालता। बिना पहले से नक्शा बनाए कोई स्कीम तैयार किए काम कैसे शुरू करूँ। टाइम-टेबिल में खेलकूद की मद बिलकुल उड़ जाती। 2. लेखक द्वारा आँसू बहाने का क्या कारण
था 3. भाई साहब की डाँट सुनने के बाद निराश हुआ छोटा भाई क्या सोचने लगता था 4. भाई साहब हर समय छोटे भाई को क्या उपदेश देते थे 5. निराशा के बादल हटने पर छोटा भाई क्या निश्चय करता था 7) रावण भूमंडल का स्वामी था। ऐसे राजाओं को चक्रवर्ती कहते हैं। आजकल अंग्रेज़ों के राज्य का विस्तार बहुत बढ़ा हुआ है, पर
इन्हें चक्रवर्ती नहीं कह सकते। संसार में अनेक राष्ट्र अंग्रेज़ों का आधिपत्य स्वीकार नहीं करते, बिलकुल स्वाधीन हैं। रावण चक्रवर्ती राजा था, संसार के सभी महीप उसे कर देते थे। बड़े-बड़े देवता उसकी गुलामी करते थे। आग और पानी के देवता भी उसके दास थे, मगर उसका अंत क्या हुआ? घमंड ने उसका नाम-निशान तक मिटा दिया, कोई उसे एक चुल्लू पानी देने वाला भी न बचा। आदमी और जो कुकर्म चाहे करे, पर अभिमान न करे, इतराये नहीं। अभिमान किया और दीन-दुनिया दोनों से गया। 2. रावण चक्रवर्ती सम्राट क्यों था? 3. किसने रावण का नामो-निशान मिटा दिया- 4. ‘नामो-निशान मिटाना’ का अर्थ है 5. कौन, किसे रावण का उदाहरण देकर समझा रहा है 8) अब भाई साहब बहुत कुछ नरम पड़ गए थे। कई बार मुझे डाँटने का अवसर पाकर भी उन्होंने धीरज से काम लिया। शायद अब वह खुद समझने
लगे थे कि मुझे डाँटने का अधिकार उन्हें नहीं रहा, या रहा भी, तो बहुत कम। मेरी स्वच्छंदता भी बढ़ी। मैं उनकी सहिष्णुता का अनुचित लाभ उठाने लगा। मुझे कुछ ऐसी धारणा हुई कि मैं पास ही हो जाऊँगा, पढूँ या न पढूँ, मेरी तकदीर बलवान है, इसलिए भाई साहब के डर से जो थोड़ा-बहुत पढ़ लिया करता था, वह भी बंद हुआ। मुझे कनकौए उड़ाने का नया शौक पैदा हो गया था और अब सारा समय पतंगबाज़ी की भेंट होता था, फिर भी मैं भाई साहब का अदब करता था और उनकी नज़र बचाकर कनकौए उड़ाता था। मांझा देना, कन्ने बाँधना, पतंग टूर्नामेंट की
तैयारियाँ आदि समस्याएँ सब गुप्त रूप से हल की जाती थीं। मैं भाई साहब को यह संदेह न करने देना चाहता था कि उनका सम्मान और लिहाज़ मेरी नज़रों में कम हो गया है। 2. लेखक बड़े भाई साहब की किस बात का अनुचित लाभ उठाने लगा 3. लेखक को कौन-सा नया शौक पैदा हो गया था 4. लेखक द्वारा कौन-सी समस्याएँ गुप्त रूप से हल की जाती थीं 5. लेखक बड़े भाई साहब की नज़र बचाकर कनकौए उड़ाता था, क्योंकि 9) मैं तुमसे पाँच साल बड़ा हूँ और हमेशा रहूँगा। मुझे दुनिया का और जिंदगी का जो तजुरबा है, तुम उसकी बराबरी नहीं कर सकते, चाहे तुम एम०ए० और डी० फिल् और डी० लिट् ही क्यों न हो जाओ। समझ किताबें पढ़ने से नहीं आती, दुनिया देखने से आती है। हमारी अम्माँ ने कोई दरजा नहीं पास किया और दादा भी शायद पाँचवीं-छठी जमात के आगे नहीं गए, लेकिन
हम दोनों चाहे सारी दुनिया की विद्या पढ़ लें, अम्माँ और दादा को हमें समझाने और सुधारने का अधिकार हमेशा रहेगा। केवल इसलिए नहीं कि वे हमारे जन्मदाता हैं, बल्कि इसलिए कि उन्हें दुनिया का हमसे ज्यादा तजुरबा है और रहेगा। अमेरिका में किस तरह की राज-व्यवस्था है और आठवें हेनरी ने कितने ब्याह किए और आकाश में कितने नक्षत्र हैं, यह बातें चाहे उन्हें न मालूम हों, लेकिन हज़ारों ऐसी बातें हैं, जिनका ज्ञान उन्हें हमसे और तुमसे ज्यादा है। 2. बड़े भाई साहब को छोटे भाई के मुकाबले किसका अनुभव अधिक था 3. बड़े भाई साहब के अनुसार दुनिया की समझ किसके द्वारा आती है 4. बड़े भाई साहब के कथन अनुसार दादा और अम्माँ को हमें समझाने और सुधारने का अधिकार किस कारण रहेगा 5. “हजारों ऐसी बातें हैं, जिनका ज्ञान उन्हें हमसे और तुमसे ज्यादा है।” पंक्ति में उन्हें
शब्द किसके लिए प्रयुक्त हुआ है 10) दैव न करे, आज मैं बीमार हो जाऊँ, तो तुम्हारे हाथ-पाँव फूल जाएँगे। दादा को तार देने के सिवा तुम्हें और कुछ न सूझेगा, लेकिन तुम्हारी जगह दादा हों, तो किसी को तार न दें, न घबराएँ, न बदहवास हों। पहले खुद मरज़ पहचानकर इलाज करेंगे, उसमें सफल न हुए, तो किसी डॉक्टर को बुलाएँगे। बीमारी तो खैर बड़ी चीज़
है। हम-तुम तो इतना भी नहीं जानते कि महीने भर का खर्च महीना-भर कैसे चले। जो कुछ दादा भेजते हैं, उसे हम बीस-बाईस तक खर्च कर डालते हैं और फिर पैसे-पैसे को मुहताज हो जाते हैं। नाश्ता बंद हो जाता है, धोबी और नाई से मुँह चुराने लगते हैं, लेकिन जितना आज हम और तुम खर्च कर रहे हैं, उसके आधे में दादा ने अपनी उम्र का बड़ा भाग इज़्ज़त और नेकनामी के साथ निभाया है और कुटुंब का पालन किया है जिसमें सब मिलकर नौ आदमी थे। अपने हेडमास्टर साहब ही को देखो। एम०ए० हैं कि नहीं और यहाँ के एम०ए० नहीं, ऑक्सफोर्ड के। एक
हज़ार रुपये पाते हैं। लेकिन उनके घर का इंतज़ाम कौन करता है? उनकी बूढ़ी माँ। हेडमास्टर साहब की डिग्री यहाँ बेकार हो गई। पहले खुद घर का इंतज़ाम करते थे। खर्च पूरा न पड़ता था। कर्जदार रहते थे। जब से उनकी माताजी ने प्रबंध अपने हाथ में ले लिया है, जैसे घर में लक्ष्मी आ गई है। तो भाईजान, यह गरूर दिल से निकाल डालो कि तुम मेरे समीप आ गए हो और अब स्वतंत्र हो। मेरे देखते तुम बेराह न चलने पाओगे। 2. दादा द्वारा भेजे गए पैसे कितने दिन में खर्च हो जाते हैं 3. हेडमास्टर साहब को कितना वेतन मिलता है 4. हेडमास्टर साहब के घर का इंतज़ाम कौन करता है 5. ‘हाथ-पाँव फूलना’ मुहावरे का अर्थ है Question 1. Answer: (b) किताबी कीड़ा बनाती है और वास्तविकता से दूर है Question 2. Answer: (d) सभी Question 3. Answer: (a) अब तुम कहाँ थे Question 4. Answer: (a) जो आत्म गौरव को मार डाले Question 5. Answer: (d) सभी Question 6. Answer: (d) भाई साहिब के उपदेश सुनने से Question 7. Answer: (d) पतङ्ग उडाने की कला मे Question 8. Answer: (d) सभी Question 9. Answer: (c) शिक्षा के मामले मे Question 10. Answer: (b) ५ साल Question 11. Answer: (c) 400 Question 12. Answer: (a) शोषक एवं शोषित Question 13. Answer: (a) निरन्तर विकट परिस्तिथियो का सामना करने के कारण Question 14. Answer: (a) फ़िल्म निर्माताओ के निर्देश के अनुसार लिखने के कारण Question 15. Answer: (d) आर्थिक तङ्गी से Question 16. Answer: (a) अहंकार के कारण उसे भीख माँगना पड़ा Question 17. Answer: (b) दिन-रात पढ़ाई करना Question 18. Answer: (b) छात्रावास में Question 19. Answer: (b) अपने अनुभवों व आयु की Question 20. Answer: (a) कहाँ थे Question 21. Answer: (c) जब भाई साहब उन्हें डाँटते Question 22. Answer: (b) दिमाग को आराम देने के लिए Question 23. Answer: (c) अध्ययनशील बडे भाई साहब का रौद्र रुप देखकर लेखक पर क्या असर होता?लेखक का मन पढ़ाई में बहुत कम लगता था इसलिए वह मौका पाते ही हॉस्टल से निकलकर खेलने लगता था। परंतु घर पहुंचते ही उसे बड़े भाई का रूद्र रूप देखना पड़ता था उसके सामने लेखक मौन धारण कर लेता था। वार्षिक परीक्षा हुई तब बड़े भाई साहब फिर से फेल हो गए और लेखक अपनी कक्षा में प्रथम आया।
बड़े भाई साहब के उपदेशों का लेखक पर क्या प्रभाव पड़ा?भाई साहब उपदेश बहुत अच्छा देते थे। ऐसी -ऐसी बाते करते थे जो सीधे दिल में लगती थी, ऐसी-ऐसी चुभती बाते करते कि लेखक के दिल के टुकड़े – टुकड़े हो जाते, और लेखक की बाते सुनने की हिम्मत टूट जाती। भाई साहब की तरह कड़ी मेहनत वह नहीं कर सकता था और दुखी होकर कुछ देर के लिए वह सोचने लगता कि “क्यों ना वह घर ही चला जाए।
भाई साहब के उपदेश सुनकर लेखक पर तत्काल क्या प्रभाव पड़ता था?भाई सहाब उपदेश की कला में निपुण थे। ऐसी-ऐसी लगती बातें कहते, ऐसे-ऐसे सूक्ति बाण चलाते कि मेरे जिगर के टुकड़े-टुकड़े हो जाते और हिम्मत टूट जाती। वह जानलेवा टाइम-टेबिल, वह आँखफोड़ पुस्तकें, किसी की याद न रहती और भाई साहब को नसीहत और फ़जीहत का अवसर मिल जाता।
बड़े भाई साहब का कौन सा रूप देखकर लेखक के प्राण सूख जाते थे?बड़े भाई साहब का रौद्र रूप देखकर प्राण सूख जाते।
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