अच्छे शैक्षिक लेखन की विशेषताएं क्या है? - achchhe shaikshik lekhan kee visheshataen kya hai?

Q.54: शैक्षिक लेखन किन-किन विषयों से संबंधित होना चाहिए तथा उनमें कौनसी विशेषताएं होनी चाहिए ताकि उनका चयन पाठ्य हेतु किया जा सके?

उत्तर : छात्राध्यापकों के लिए पाठ्य का चयन लोकप्रिय शैक्षिक लेखन के विस्तृत क्षेत्र से किया जा सकता है। शिक्षा का विस्तृत क्षेत्र है । अपने विस्तृत अर्थ में शिक्षा जीवन पर्यन्त चलने वाली प्रक्रिया मानी गई है । तदनुसार उसमें मनुष्य के जन्म से लेकर मृत्यु तक की वे सब प्रक्रियाएं सम्मिलित रहती हैं जो मनुष्य के ज्ञान में वृद्धि करती हैं। शिक्षाविद डम्बिल के अनुसार, “शिक्षा के व्यापक अर्थ में वे सभी प्रभाव आते हैं जो मानव को बाल्यावस्था से मृत्यु तक प्रभावित करते हैं ।” मैकेंजी ने लिखा है, "व्यापक अर्थ में शिक्षा एक ऐसी प्रक्रिया है जो जीवन पर्यन्त चलती है और जीवन के प्रत्येक अनुभव से उसमें वृद्धि होती है।” किन्तु वास्तविक रूप में यहाँ शैक्षिक लेखन का आशय शिक्षा विषय से प्रत्यक्षतः जुड़े लोकप्रिय शिक्षा विषयों पर लिखें उन सुलेखित निबंधों, अध्यायों, सारांशों आदि से है जिन्हें शिक्षा, विद्यालय, शिक्षण तथा अधिगम (सीखने) आदि विषयों पर लिखने वाले लेखकों व शिक्षाविदों ने इनमें अपने दृष्टिकोण, तर्क या इन पर किसी पक्ष का उद्घाटन किया हो । इन विषयों का संक्षिप्त उल्लेख निम्नानुसार है-

(1) शिक्षा- शिक्षा विषय के अंतर्गत विभिन्न शिक्षाविदों तथा विद्वानों द्वारा दी गई परिभाषाएं, शिक्षा के महत्त्व, उद्देश्य, शिक्षा दर्शन, विभिन्न शैक्षिक वाद, शिक्षा का इतिहास, शिक्षा मनोविज्ञान, बालकेन्द्रित शिक्षा, शिक्षा की समस्याएं, शैक्षिक नीति, पाठ्यक्रम व विभिन्न विषय, शिक्षा के सामाजिक आधार, शैक्षिक अनुसंधान, दूरस्थ शिक्षा, मूल्य शिक्षा, शैक्षिक टेक्नोलॉजी, शिक्षक शिक्षा, शैक्षिक मापन व मूल्यांकन, शैक्षिक परामर्श व मार्गदर्शन, शैक्षिक प्रशासन आदि उपविषय आते हैं।

(2) विद्यालय- विद्यालय विषय के अंतर्गत विद्यालय का संगठन व प्रबंधन, विद्यालयीन शिक्षा के स्तर, विद्यालयीन विषय व उनका पाठ्यक्रम, पाठ्य सहगामी क्रियाएं,शिक्षा का अधिकार, अधिनियम, विद्यालय संहिता, प्राचार्य/प्रधानाचार्य व उनके कर्त्तव्य व अधिकार, शिक्षक, अन्य सहयोगी कर्मचारी, शिक्षक-पाइक संघ, छात्रों का अध्यापक, परीक्षा व मूल्यांकन, अन्य विद्यालयीय गतिविधियाँ आती हैं।

(3) शिक्षण या अध्यापन- इसके अंतर्गत शालेय विषयों का शिक्षण शास्त्र, शिक्षण विधियाँ,शिक्षण कौशल, शिक्षण सिद्धान्त व शिक्षण सूत्र, पाठ योजनाएं, सूक्ष्म शिक्षण, दृश्य-श्रव्य सामग्री व संहायक शिक्षण सामग्री, पाठ्यक्रम, शिक्षण सिद्धान्त, शिक्षण तकनीक आदि विषय समाहित होते हैं।

(4) अधिगम (सीखना) - इसके अंतर्गत अधिगमकर्ता (विद्यार्थी) उसकी वैयक्तिक विभिन्नताएं अधिगम संबंधी सिद्धान्त, अधिगम परिस्थतियाँ, अधिगमकर्ता का विकास, अधिगम का स्थानांतर, अभिप्रेरणा व प्रेरक, बुद्धि के प्रकार, विशिष्ट बालक, व्यक्तित्व, समस्या बालक, सीखने के नियम आदि उपविषय आते हैं।

अच्छे शैक्षिक लेखन की विशेषताएं-

पाठ्य के लिए चयन हेतु उपयुक्त लेख, निबंध, सारांश अध्याय आदि ऐसा होना चाहिए जिसमें निम्नलिखित विशेषताएं विद्यमान हों-

(1) लोकप्रिय लेखन- लेख आदि ऐसे विषय से संबंधित हों जो शिक्षा के क्षेत्र में अपरिचित या अछूते न होकर अधिक से अधिक छात्रों, शिक्षकों को आदि को प्रिय लगे। विद्वान शिक्षाविदों के मौलिक लेखन अत्यन्त गूढ़तापूर्ण, नवीन सिद्धान्त या विषय को स्पर्श करते हुए हो सकते हैं किन्तु बी.एड. छात्राध्यापकों के अध्ययन के प्रयोजन से वे इसलिए संगतिपूर्ण नहीं कहे जा सकते कि उनमें छात्राध्यापकों के पठन, तर्क करने, विश्लेषण करने, पैराग्राफ विषय को समझने प्रयुक्त शतों का अवबोध कर उस पर चर्चा करने तथा उस पर प्रतिक्रिया लेख लिखने में कठिनाई आ सकती है। अतः मध्यम श्रेणी के प्रचलित स्वरूप में लेखन का चुनाव अधिक उपयुक्त होता है । लोकाप्रिय लेख का आशय यह भी नही है कि निम्न स्तर के या के अविचारात्मक अगंभीर लेखों का चयन कर लिया जाए।

(2) विचारात्मक लेखन- लेख का चयन उसमें निहित विचारों, तर्कों, पक्षधरता के आधार पर होना चाहिए। लेख का प्राथमिक वाचन कर लेने से यह अंदाज लग जाता है कि लेख में विषय से संबंधित लेखक के दृष्टिकोण, तर्क, किसी पहलू (पक्ष) का विचारपर्वक विवरण है अथवा नहीं। भावनात्मक या भावप्रधान लेखों में लेखक की भावनाओं के उद्वेग का दर्शन तो होता है किन्तु उन विचारों का अभाव होता है जिनका छात्राध्यापकों को अध्ययन-विश्लेषण करने में आवश्यकता पड़ती है। उदाहरण के लिए हिन्दी भाषा के द्वारा राष्ट्रीय एकता का संदेश देने वाले लेख में यदि लेखक ने भावात्मक अभिव्यक्ति ही दी है तथा अपना संदेश तो दिया है किन्तु लेख में राष्ट्रीय एकता में वृद्धि करने वाले ठोस विचारों का विश्लेषण नहीं किया है तो लेख पढ़ने में अच्छा लगने वाला होने के बाद भी विचारात्मक लेखन से संबंधित नहीं होगा।

(3) विषयानुकूलता- लेख शिक्षा, विद्यालय, शिक्षण या अधिगम जैसे विषय के अनुकूल होगा चाहिए ताकि छात्राध्यापकों को अपने शैक्षिक पाठ्यक्रम के अनुकूल विषय पर लिखे इन लेखों के विश्लेषण में कोई कठिनाई उपस्थित न हो तथा सभी छात्राध्यापक लेख के वाचन व विश्लेषण आदि में अपनी सक्रिय सहभागिता दे सके।

(4) तार्किकता- लेख में तार्किकता से आशय है उसमें उद्देश्यपूर्ण विवेचन हो ताकि छात्राध्यापक उसका वाचन कर, समझकर उस पर अपना विश्लेषण करने में सफल हों।

(5) सुलिखित भाषा शैली- लेख की भाषा स्पष्ट, बोधगम्य और शैली विवेचनापूर्ण, विश्लेषण युक्त हो ताकि लेख की समझ उस पर विवेचन आदि में छात्राध्यापकों को सुविधा हो । यदि भाषागत कठिनाई और शैलीगत असामान्यता होगी तो सभी छात्राध्यापक अपनी सहभागिता देने में सफल नहीं हो पाएंगे।

विषयसूची

  • 1 अच्छे लेखन की क्या विशेषताएं हैं?
  • 2 निम्न में से पत्र लेखन की विशेषताएं कौन सी है?
  • 3 परिपत्र क्या है इसकी विशेषताएं बताइए?
  • 4 रेडियो फीचर के कथा तत्व में कौन से तत्व अपेक्षित है?
  • 5 लेखन कला की शुरुआत कब हुई?
  • 6 एक अच्छे लेख में कौन कौन से गुण होते हैं?
  • 7 टिप्पणी से आप क्या समझते हैं एक अच्छे टिप्पण की विशेषताएं लिखिए?
  • 8 आलेख लेखन कैसे लिखें?

अच्छे लेखन की क्या विशेषताएं हैं?

अच्छे लेखक की एक नहीं बल्कि कई विशेषताएं होती हैं :

  • वह बहुत बढ़िया इंसान होता है , निहायत ही ईमानदार ।
  • वह लेखक तो बाद में होता है , बहुत बढ़िया पाठक पहले होता है ।
  • वह अपनी ही रचना को बीस बार पढ़ने के बाद ही इसे कहीं भेजता है ।
  • रचना से ज्यादा मोह नहीं रखता ।
  • वह खुद का सबसे बड़ा आलोचक होता है ।

निम्न में से पत्र लेखन की विशेषताएं कौन सी है?

पत्र लेखन की विशेषताएँ

  • सरल भाषा-शैली : पत्र की साधारणतः सरल तथा बोलचाल की होनी चाहिए।
  • विचारों की स्पष्टता : पत्रों में विचार सुस्पष्ट तथा सुलझे हुए होने चाहिए।
  • सम्पूर्णत : पत्र में जो लिखा जाना जरूरी है, वह अवश्य लिखा जाए।
  • संक्षिप्तता : पत्र संक्षिप्त होना चाहिए अर्थात पत्र अधिक विस्तृत नहीं होना चाहिए।

शैक्षिक आलेख क्या है?

इसे सुनेंरोकेंशैक्षिक प्रौद्योगिकी शब्द के साथ प्रायः अनुदेशात्मक सिद्धांत तथा अधिगम सिद्धांत संबद्ध और शामिल होते हैं। जबकि अनुदेशी प्रौद्योगिकी में अधिगम एवं अनुदेश की प्रक्रियाएं तथा प्रणालियां शामिल हैं, शैक्षिक प्रौद्योगिकी में मानवीय क्षमताओं के विकास हेतु प्रयुक्त अन्य प्रणालियां शामिल होती हैं।

शैक्षिक लेखन क्या है in Hindi?

इसे सुनेंरोकेंउत्तर : लोकप्रिय शैक्षिक लेखन से आशय शिक्षा, विद्यालय, शिक्षण तथा अधिगम (सीखना) जैसे शिक्षक प्रशिक्षण के लोकप्रिय तथा विस्तार से अध्ययन/प्रशिक्षण में आने वाले पुस्तकों के अध्यायों, स्वतंत्र लेखों या निबंधों से है जो सुलिखित रूप में हों, विचारात्मक हो तथा किसी पक्ष या दृष्टिकोण को अभिव्यक्त करते हों ।

परिपत्र क्या है इसकी विशेषताएं बताइए?

इसे सुनेंरोकेंपरिपत्र Circular जब कोई सूचना, निर्देश अथवा अनुदेश अपने अधीन कार्यालय या कार्यालयों को देनी हो, तो एक परिपत्र निकाला जाता है जिस पर या जिसके साथ नत्थी एक अलग तावपर सारे अमला (कर्मचारीगण) के हस्ताक्षर हो जाते हैं ताकि सूचना पाने का प्रमाण रहे।

रेडियो फीचर के कथा तत्व में कौन से तत्व अपेक्षित है?

इसे सुनेंरोकें”रेडियो रूपक का आलेख प्रिंट मीडिया से अलग होना चाहिए न केवल भाषा की दृष्टि से बल्कि अभिव्यक्ति की दृष्टि से भी।” “तथ्य, सत्य का पर्याय कभी नहीं होता फिर भी रेडियो रूपक में तथ्य, सत्य से साक्षात्कार के हेतु होते हैं।” ) रेडियो रूपक लेखन की एक विशेष तकनीक है। 2) इसका आलेख तथ्यों पर आधारित होना चाहिए।

लेखन से आप क्या समझते हैं इसका महत्व एवं उद्देश्य की विवेचना कीजिए?

इसे सुनेंरोकेंलेखन के माध्यम से ही वह अपने विचारों तथा भावों को साहित्यिक रचना के रूप में प्रस्तुत कर सकता है और अपनी सर्जनात्मक प्रतिभा को विकसित कर सकता है। वस्तुतः लेखन-कौशल का शिक्षण भाषाई कौशलों में विशेष महत्व रखता है। इसका कारण यह है कि वार्तालाप तथा वाचन की तुलना में लेखन एक जटिल कौशल है।

लेखन कला से क्या तात्पर्य है?

इसे सुनेंरोकेंलेखन कला एक ऐसी कला है, जिसको सिखने के लिए कई सारे अभ्यास करने की जरुरत पड़ती है, साथ ये एक ऐसे कला है जिसमे व्यक्ति के सिखने की क्षमता भी होनी चाइये, तथा उस सीखे का मनन, और लिख कर उसका अभ्यास, आदि उतपन्न कला को लेखन कला कहते है।

लेखन कला की शुरुआत कब हुई?

इसे सुनेंरोकेंलेखन का आविष्कार माना जाता है कि सुमेर (दक्षिण मेसोपोटामिया की एक प्राचीन सभ्यता थी) में लिखित भाषा का पहली बार आविष्कार हुआ था ३१०० ईसा पूर्व में।

एक अच्छे लेख में कौन कौन से गुण होते हैं?

CBSE Class 11 Hindi आलेख लेखन

  • नवीनता एवं ताजगी।
  • जिज्ञासाशील।
  • विचार स्पष्ट और बेबाकीपूर्ण।
  • भाषा सहज, सरल और प्रभावशाली।
  • एक ही बात पुनः न लिखी जाए।
  • विश्लेषण शैली का प्रयोग।
  • आलेख ज्वलंत मुद्दों, विषयों और महत्त्वपूर्ण चरित्रों पर लिखा जाना चाहिए।
  • आलेख का आकार विस्तार पूर्ण नहीं होना चाहिए।

बाल साहित्य का क्या महत्व है?

इसे सुनेंरोकेंबालसाहित्य बच्चों की रचनाशीलता को निखारता है, उन्हें नया सोचने और अपनी सोच को अभिव्यक्त करने के अवसर प्रदान करता है। बालसाहित्य बच्चों के व्यक्तित्व निर्माण में भी मदद करता है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह कि बालसाहित्य हमारी साहित्यिक और सांस्कृतिक विरासत को बच्चों तक पहुँचाने का कार्य करता है।

इसे सुनेंरोकेंस्कूल में अनुभव कुछ लोगों को इस धारणा के साथ छोड़ देते हैं कि अच्छा लेखन का मतलब है कि ऐसा लिखना जिसमें कोई गलत गलती न हो – यानी, नहीं त्रुटियों का व्याकरण, विराम चिह्न या वर्तनी. हालाँकि, अच्छा लेखन बहुत अधिक है सही बात लिख रहे हैं।

लेखन क्या है in Hindi?

इसे सुनेंरोकेंउत्तर – लिखना भावों एवं विचारों की कलात्मक अभिव्यक्ति है। वह शब्दों को क्रम से लिपिबद्ध, सुव्यवस्थित करने की कला है। भावों एवं विचारों की यह कलात्मक अभिव्यक्ति जब लिखित रूप में होती है तब उसे लेखन अथवा लिखित रचना कहत हा अभिव्यक्ति की दृष्टि से लेखन तथा वाचन परस्पर पूरक होते हैं । वाचन से लेखन काठन होता है।

टिप्पणी से आप क्या समझते हैं एक अच्छे टिप्पण की विशेषताएं लिखिए?

इसे सुनेंरोकेंटिप्पण की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं- (1) टिप्पण बहुत लम्बा या विस्तृत नहीं होना चाहिए। उसे यथासम्भव संक्षिप्त और सुस्पष्ट होना चाहिए। (2) कोई भी टिप्पण मूलपत्र पर नहीं लिखा जाना चाहिए। उसके लिए कोई अन्य कागज या बफ-शीट का प्रयोग करना चाहिए।

आलेख लेखन कैसे लिखें?

CBSE Class 12 Hindi आलेख लेखन

  • नवीनता एवं ताजगी।
  • जिज्ञासाशील।
  • विचार स्पष्ट और बेबाकीपूर्ण ।
  • भाषा सहज, सरल और प्रभावशाली।
  • एक ही बात पुनः न लिखी जाए।
  • विश्लेषण शैली का प्रयोग।
  • आलेख ज्वलंत मुद्दों, विषयों और महत्त्वपूर्ण चरित्रों पर लिखा जाना चाहिए।
  • आलेख का आकार विस्तार पूर्ण नहीं होना चाहिए।

शैक्षिक लेखन से आप क्या समझते हैं?

उत्तर : लोकप्रिय शैक्षिक लेखन से आशय शिक्षा, विद्यालय, शिक्षण तथा अधिगम (सीखना) जैसे शिक्षक प्रशिक्षण के लोकप्रिय तथा विस्तार से अध्ययन/प्रशिक्षण में आने वाले पुस्तकों के अध्यायों, स्वतंत्र लेखों या निबंधों से है जो सुलिखित रूप में हों, विचारात्मक हो तथा किसी पक्ष या दृष्टिकोण को अभिव्यक्त करते हों ।

लेखन से आप क्या समझते हैं?

उत्तर - लिखना भावों एवं विचारों की कलात्मक अभिव्यक्ति है। वह शब्दों को क्रम से लिपिबद्ध, सुव्यवस्थित करने की कला है। भावों एवं विचारों की यह कलात्मक अभिव्यक्ति जब लिखित रूप में होती है तब उसे लेखन अथवा लिखित रचना कहत हा अभिव्यक्ति की दृष्टि से लेखन तथा वाचन परस्पर पूरक होते हैं । वाचन से लेखन काठन होता है।

लेखन की उपयोगिता क्या है?

लेखन या लिखने का महत्व दोनों ही समाज में क्रान्तिकारी परिवर्तन तथा संशोधन करते हैं। वक्ता की वाणी जादू का काम करती है, किन्तु वह अस्थायी होती है। उससे उसके जीवन काल में ही लाभ प्राप्त किया जा सकता है, परन्तु लेखक को लेखनी से निसृत श्याम वर्णों को छाप स्थायी होती है और उसका प्रभाव युग-युगों तक बना रहता है।