बिरादरी का यही सहारा होता है।क. किसने किससे कहा? ख. किस प्रसंग में कहा? ग. किस आशय से कहा? घ. क्या कहानी में यह आशय स्पष्ट हुआ है? (क) यह मोहन के पिता वंशीधर ने युवक रमेश से कहा। (ख) यह उस प्रसंग में कहा गया जब रमेश ने मोहन को अपने साथ लखनऊ ले जाकर पढ़ाई कराने के लिए स्वयं को प्रस्तुत किया। (ग) यह कथन रमेश के प्रति कृतज्ञता प्रकट करने के लिए कहा गया। (घ) नहीं, कहानी में यह आशय स्पष्ट नहीं हुआ है। रमेश ने मोहन को सहारा देने के स्थान पर एक घरेलू नौकर बना दिया। 479 Views मास्टर त्रिलोकसिंह के किस कथन को लेखक ने ज़बान के चाबुक कहा है और क्यों? जब मास्टर त्रिलोकसिंह ने धनराम को तेरह का पहाड़ा याद करके सुनाने के लिए कहा और धनराम को यह पहाड़ा याद नहीं हो पाया तब वह मास्टरजी की सजा का हकदार हो गया। इस बार मास्टरजी ने सजा देने के लिए बेंत का उपयोग नहीं किया, बल्कि फटकारते हुए जबान की चाबुक लगा दी। उनका कथन था- ‘तेरे दिमाग में तो लोहा भरा है रे! विद्या का ताप कहाँ लगेगा इसमें।’ वे यह जताना चाहते थे कि पढ़ना-लिखना धनराम के वश की बात नहीं है। वह तो लोहे का काम ही कर सकता है। 516 Views घनराम मोहन को अपना प्रतिद्वंद्वी क्यों नहीं समझता था? धनराम मोहन को अपना प्रतिद्वंद्वी इसलिए नहीं समझता था क्योंकि वह जानता था कि मोहन एक बुद्धिमान लड़का है। वह मास्टर जी के कहने पर ही उसको सजा देता था। धनराम मोहन के प्रति स्नेह और आदर का भाव रखता था। शायद इसका एक कारण यह था कि बचपन से ही उसके मन में जातिगत हीनता की भावना बिठा दी गई थी। धनराम ने कभी मोहन को अपना प्रतिद्वंद्वी नहीं समझा, बल्कि इसे वह मोहन का अधिकार समझता रहा था। उसके लिए मोहन के बारे में किसी और तरह से सोचने की गुंजाइश ही न थी। 561 Views कहानी के उस प्रसंग का उल्लेख करें, जिसमें किताबों की विद्या और घन चलाने की विद्या का जिक्र आया है। जब घनराम को तेरह का पहाड़ा याद नहीं हुआ तो मास्टर त्रिलोकसिंह ने अपने थैले से 5 -6 दरातियाँ निकालकर धार लगाने के लिए उसे पकड़ा दीं। उनका सोचना था कि किताबों की विद्या का ताप लगाने की सामर्थ्य धनराम के पिता में नहीं है। जब धनराम हाथ-पैर चलाने लायक हुआ तभी उसके पिता ने उसे घन चलाने की विद्या सिखानी शुरू कर दी। धीरे- धीरे धनराम धौंकनी हंसने, सान लगाने के काम से आगे बढ्कर घन चलाने की विद्या में कुशल होता चला गया। इसी प्रसंग में किताबों की विद्या और घन चलाने की विद्या का जिक्र आया है । 927 Views मोहन के लखनऊ आने के बाद के समय को लेखक ने उसके जीवन का एक नया अध्याय क्यों कहा है? मोहन के लखनऊ आने के बाद के समय को लेखक ने उसके जीवन का एक नया अध्याय इसलिए कहा है, क्योंकि इसके बाद उसका जीवन’ एक बँधी-बँधाई लीक पर चलने लगा। उसकी कुशाग्र बुद्धि जैसे कुंठित हो गई। उसे एक साधारण से स्कूल में भर्ती करा दिया गया था। उसे सारे दिन मेहनत के काम करने पड़ते थे। जिस बालक के उज्ज्वल भविष्य की कल्पना की जा रही थी, वही घरेलू कामकाज में उलझकर रह गया। उसे अपने पैरों पर खड़ा होने के लिए कारखानों और फैक्ट्ररियों के चक्कर लगाने पड़े। उसे कोई काम नहीं मिल 422 Views Solution (1) क. यह कथन पंडित वंशीधर ने गाँव के व्यक्ति से कहा। ख. जब रमेश ने वंशीधर को शहर ले जाकर अच्छे विद्यालय में पढ़ाने की बात कही, तब वंशीधर ने उससे यह बात कही। उसकी बात सुनकर वे प्रसन्न हो गए। उन्हें मोहन का सुनहरा भविष्य शहर में दिखाई देने लगा। ग. अपनी जाति की एकता और प्रेम को दिखाने के लिए तथा रमेश के प्रति धन्यवाद व्यक्त करने हेतु कहा गया। घ. कहानी में इसका आशय स्पष्ट नहीं हुआ बल्कि इसके विपरीत ही दिखाई दिया। रमेश तथा उसके परिवार ने मोहन का भविष्य नष्ट कर दिया और होनहार मोहन के भविष्य को चौपट कर दिया। उन्होंने मोहन को अपने स्वार्थ के लिए प्रयोग किया। (2) उसकी आँखों में एक सर्जक की चमक थी- कहानी का यह वाक्य- ख. जब मोहन ने धनराम के लोहे को अपनी चोटों से इच्छित आकार दे दिया, तब उसकी आँखों में यह सर्जक की चमक दिखाई दी। ग. यह पात्र-विशेष के उस चारित्रिक विशेषता का सूचक हैं, जहाँ उसके परिश्रम का पता चलता है और जाति के स्थान पर कार्य के प्रति प्रेम को दर्शाता है। प्रश्न 5-6. बिरादरी का यही सहारा होता है| (ग) किस आशय से कहा? (घ) क्या कहानी में यह आशय स्पष्ट हुआ है? उत्तर (घ). नहीं, कहानी में यह आशय स्पष्ट नहीं हुआ है| इसका कारण यह है कि शहर जाने के बाद मोहन की पढ़ाई बंद ही हो गई| रमेश उसकी आगे की पढ़ाई पूरी करवाने अपने साथ ले कर गया था लेकिन मोहन वहाँ जाकर नौकर बनकर रह गया| मोहन की प्रतिभा काम के बोझ के टेल दब कर रह गई| वहीँ उसके पिता वंशीधर इसी भ्रम में जी रहे थे कि उनका बेटा पढ़-लिखकर बड़ा अफसर बनकर गाँव लौटेगा| लेकिन मोहन ने अपनी वास्तविक स्थिति अपने परिवार वालों को नहीं बताया क्योंकि वह उन्हें दुखी नहीं करना चाहता था| प्रश्न 5-7. उसकी आँखों में एक सर्जक की चमक थी- कहानी का यह वाक्य उत्तर (क) यह वाक्य मोहन के लिए कहा गया है| (ग) यह पात्र विशेष के किन पहलुओं को उजागर करता है? |