व्यक्ति की पहचान क्या होती है? - vyakti kee pahachaan kya hotee hai?

नई दिल्ली: आचार्य चाणक्य (Acharya Chanakya) की बताई बातों को अपनाकर कोई भी व्यक्ति अपने जीवन को सुखमय बना सकता है. दरअसल चाणक्य के विचार कठोर लग सकते हैं लेकिन इसमें ही जीवन की सच्चाई है. आज की भाग-दौड़ भरी जिंदगी में जीवन की हर कसौटी पर आचार्य चाणक्य की ये बातें आपकी मदद कर सकती हैं. अपने इन्हीं विचारों को आचार्य चाणक्य ने चाणक्य नीति (Chanakya Niti) में लिखा है. अक्सर जीवन में हम किसी इंसान की पहचान करने में गलती कर देते हैं. आपके साथ ऐसा न हो इसके लिए आप चाणक्य की इन बातों को हमेशा याद रखें. 

आचार्य चाणक्य ने चाणक्य नीति के पांचवें अध्याय के दूसरे श्लोक में लिखा है,  
यथा चतुर्भिः कनकं परीक्ष्यते निर्घर्षणं छेदनतापताडनैः।
तथा चतुर्भिः पुरुषं परीक्ष्यते त्यागेन शीलेन गुणेन कर्मणा।।

अर्थात: घिसने, काटने, तापने और पीटने, इन चार प्रकारों से जैसे सोने की परख होती है, ठीक उसी प्रकार किसी व्यक्ति की परख या पहचान इस बात से होती है कि वह कितना त्याग करता है, उसका आचरण या चरित्र कैसा है, उसमें गुण कौन से है और उसका कर्म कैसा है.

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त्याग की भावना- चाणक्य कहते हैं कि त्याग (Sacrifice) किसी व्यक्ति का सर्वश्रेष्ठ गुण होता है और इसके जरिए आसानी से किसी व्यक्ति को परखा जा सकता है. जो व्यक्ति दूसरों के सुख के लिए कुछ भी नहीं कर सकता वो कभी भी भला इंसान नहीं हो सकता. जो व्यक्ति दूसरों की खुशियों के लिए अपनी खुशियों का त्याग कर दे वही सही मायने में अच्छा इंसान होता है.

चरित्र बहुत मायने रखता है- व्यक्ति को परखने की प्रक्रिया में चाणक्य कहते हैं कि दूसरी सबसे अहम चीज व्यक्ति का चरित्र (Character or Conduct) है. जिन लोगों का चरित्र बेदाग है, जो बुराइयों से दूर रहते हैं और दूसरों के प्रति गलत भावनाएं नहीं रखते वही श्रेष्ठ होते हैं. 

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व्यक्ति में कैसे गुण हैं- किसी व्यक्ति को परखने के लिए उसके गुण (Qualities) देखने चाहिए. वैसे तो हर व्यक्ति में गुण-अवगुण दोनों होते हैं, लेकिन अगर किसी में अवगुण ज्यादा हैं जैसे- अगर कोई व्यक्ति बहुत ज्यादा गुस्सा करता है, बात-बात पर झूठ बोलता है, दूसरों का अपमान करता है और उसमें अहंकार की भावना है तो ऐसा व्यक्ति दूसरों का भला नहीं कर सकता. इसलिए इन गुणों से भी अच्छे या बुरे इंसान की पहचान की जा सकती है. 

व्यक्ति को उसके कर्म से परखना- कोई व्यक्ति किस स्थिति या कुल में जन्मा है, इन बातों के आधार पर किसी व्यक्ति को परखने की बजाए उस व्यक्ति के कर्म (Act or Doings) कैसे हैं, इस आधार पर उसे परखना चाहिए. 

(नोट: इस लेख में दी गई सूचनाएं सामान्य जानकारी और मान्यताओं पर आधारित हैं. Zee News इनकी पुष्टि नहीं करता है. इन पर अमल करने से पहले किसी विशेषज्ञ से संपर्क करें)

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एक अच्छे व्यक्ति की पहचान अच्छा इंसान ही कर सकता है

राज्य के युवाओं को शिक्षित करना ही उसकी नींव होनी चाहिए।

उस व्यक्ति के पास सब कुछ होता है जो कम में खुश रहने की कला जानता है।

सभी जानवरों में मनुष्य सबसे समझदार भी है और बेवकूफ भी।

जब छात्र कुछ बद्तमीजी करते हैं तो शिक्षक को डांटना चाहिए।

गरीबी क्या होती है यह आप ही, खुद को सिखा सकते हैं।

कोई, किसी को दर्द नहीं पहुंचा सकता है। सिर्फ आप ही खुद को दर्द देते हैं।

अच्छे व्यक्ति की पहचान एक अच्छा व्यक्ति ही कर सकता है।

यह कोई नहीं जानता कि भगवान है या नहीं, लेकिन भगवान को होना ही चाहिए।

सूर्य छिपता है, अस्त है, लेकिन कोई उसे मैला नहीं कर सकता है।

भगवान किसी चीज़ की उम्मीद नहीं करते और भगवान में विश्वास रखने वाले थोड़ी चीज़ों में ही खुश हो जाते हैं।

कोई भी व्यक्ति कभी पागल नहीं होता है, फर्क सिर्फ इतना है कि दो लोगों के सोचने का तरीका थोड़ा अलग होता है।

डॉग और फिलॉसफर सबसे अच्छा काम करते हैं, लेकिन इन्हीं दोनों के काम को सबसे कम पहचान मिलती है।

खुद को कभी एक देश या एक शहर का नागरिक मत कहिए, खुद को दुनिया का नागरिक समझिए।

डियोयेनिस ऑफ सिनोपेस ग्रीक फिलॉसफर थे। उनका पूरा जीवन कंट्रोवर्सी में घिरा रहा है। उन्होंने कहा था कि अच्छाई को किताबों तक या थ्योरी तक ही सीमित रखिए। इसे हकीकत का स्वरूप दीजिए। सिनोपेस एथेन्स की सड़कों पर रहते थे और भिखारी के समान जीवन जीते थे। उन्होंने कई किताबें लिखी, लेकिन इनका कोई भी काम आज उपलब्ध नहीं है।

डियोयेनिस ऑफ सिनोपेस

412बीसी- 323 बीसी

चरित्र के आधार पर व्यक्ति की पहचान होती

चरित्र एक ऐसी मशाल के समान होता है जिसका प्रकाश दिव्य और पावन होता है। चरित्र बल के आलोक से अनेक लोगों को प्रेरणा मिलती है, एक नई राह मिलती है। चरित्र एक ऐसा आकर्षण केंद्र होता है, जिसकी ओर सभी अनायास खिंचे चले आते हैं। चरित्र से व्यक्तित्व आकार पाता है, पहचान मिलती है। वस्तुत: आमतौर पर अच्छी आदतों व गुणों के समूह को

चरित्र एक ऐसी मशाल के समान होता है जिसका प्रकाश दिव्य और पावन होता है। चरित्र बल के आलोक से अनेक लोगों को प्रेरणा मिलती है, एक नई राह मिलती है। चरित्र एक ऐसा आकर्षण केंद्र होता है, जिसकी ओर सभी अनायास खिंचे चले आते हैं। चरित्र से व्यक्तित्व आकार पाता है, पहचान मिलती है।
वस्तुत: आमतौर पर अच्छी आदतों व गुणों के समूह को चरित्र में शामिल किया जाता है। चरित्र का क्षेत्र बड़ा ही व्यापक व विस्तृत है। इसे हमने संकीर्णता की सीमाओं में सीमित कर दिया है। चरित्र के संबंध में हम अनेक भ्रांत धारणाओं से ग्रस्त हैं, जबकि यह हमारे समूचे व्यक्तित्व को गढ़ता है और विकसित करता है। यह अपने गुणों के बीजों का हमारे अंतस् में रोपण करता है और कालांतर में इन गुणों के विकास से हमारे व्यक्तित्व का निर्माण होता है। चरित्र के आधार पर व्यक्ति की पहचान होती है। चरित्र के बीज सही और प्रखर हों, सत्य से आवृत्त हों, तो व्यक्तित्व सशक्त होगा। इसके विपरीत दुर्गुण से शिकार हों, तो व्यक्तित्व दोषयुक्त होगा। इसलिए चरित्र को व्यक्तित्व के गुणों का समुच्य कहा जा सकता है। इसमें अच्छे-बुरे और सद्गुण-दुर्गुण दोनों को ही शामिल किया जाता है। ये गुण हमारे समूचे व्यक्तित्व का निर्माण करते हैं। इसके आधार पर हम जाने व समझे जाते हैं। हम क्या हैं, हमारा अस्तित्व क्या है, हमारी वर्तमान स्थिति क्या है और कहां पर विद्यमान हैं? इसकी समूची जानकारी चरित्र के इर्द-गिर्द घूमती नजर आती हैं।
अध्यात्म व्यक्तित्व ढालने की टकसाल है और चरित्र-निर्माण की प्रयोगशाला है। ऐसे अनेक, असंख्य जीवंत प्रमाण हैं, जिनका व्यक्तित्व कोयले के समान अनगढ़ व कुरूप था, परंतु बाद में वे ही विद्वान, ज्ञानी और महापुरुष बने। चरित्र से ही व्यक्तित्व की व्याख्या-विवेचना संभव है। व्यक्तित्व निर्माण चिंतन की प्रेरणा प्रदान करता है। चरित्र एक पात्र है, जिसमें चिंतन विकसित होता है। चरित्र की उपजाऊ भूमि पर ही चिंतन का बीजारोपण होता है। यह वह भूमि है, जहां से अध्यात्म की कोंपलें फूटती हैं, परंतु विडंबना है कि आज की तथाकथित आध्यात्मिकता में अध्यात्म की मूलभूत विशेषता चरित्र विलुप्त हो रही है। यही कारण है कि आज तमाम आध्यात्मिक व धार्मिक व्यक्ति बाहर से जैसे दिखते हैं, वैसे अंतर्मन से होते नहीं हैं।

व्यक्ति की पहचान कैसे करें?

ये 8 लक्षण बतायें कि आप हैं एक अच्‍छे इंसान.
'मिस्टर नाइस' की पहचान 1/9. ... .
वादे न करना 2/9. ... .
झूठ बोलना नहीं आता 3/9. ... .
बेइमानी नहीं करता 4/9. ... .
पीठ पीछे बुराई न करना 5/9. ... .
छुपाता भी नहीं 6/9. ... .
फ्लर्ट करना नहीं आता 7/9. ... .
लोगों का विश्‍वास होता है 8/9..

एक व्यक्ति की पहचान क्या होती है?

ठीक उसी तरह से व्यक्ति की पहचान उसके आचरण, उसमें कौन से गुण हैं, त्याग की भावना और कर्म की भावना से होती है।

व्यक्ति की पहचान कब होती है?

इंसान की असल पहचान जब होती है जब आप परेशानी में हो ओर कोई आपके काम आता है तो आप उसको पहचान जाते है की यह अपना है। विपत्ति के समय में। एक कहावत है - "दि फ्रेंड इन नीड इज फ्रेंड इंडीड "। अर्थात वही मित्र सच्चा होता है जो आप की जरूरतों में आपकी सहयता करता है ।

एक अच्छे मनुष्य में क्या क्या विशेषताएं होनी चाहिए?

व्यक्तित्व की विशेषताएँ :-.
सामाजिकता.
लक्ष्य – प्राप्ति के लिए कार्य करना.
आत्म – चेतना.
परिवेश के साथ समायोजन.
शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य.
अनवरत विकास.
भरपूर उत्साह.