वसंत ऋतु फाल्गुन, चैत तथा वैसाख महीने की शुरुआत के दिनों में अर्थात मार्च-अप्रैल में आती है। इसकी अवधि लगभग दो महीने की होती है।
इस ऋतु में निम्नलिखित त्योहार मनाए जाते हैं। Show (क) बसंत पंचमी- इस त्योहार पर लोग पीले रंग के कपड़े पहनते हैं। इस दिन किसान शाम को नई फसल का अनाज मुंह में डालते हैं। साथ ही ज्ञान की देवी सरस्वती की आराधना की जाती है। इसके अलावा कई जगह मां सरस्वती की चौकियां लगाकर उनकी पूजा की जाती है। (ख) महाशिवरात्रि- इस त्योहार पर लोग भगवान शिव की आराधना करते है। उनके भक्त इस दिन व्रत रख उनकी पूजा करते हैं। साथ ही शिवलिंग पर दूध, भांग और धतूरा चढ़ाते हैं। (ग) बैसाखी- यह त्योहार पंजाब प्रांत के लोगों में काफी लोकप्रिय है। इस दिन लोग कनक की खेती की पूजा करते हैं। फसल की पहली कटाई का अंश पूजा में सामग्री के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है। (घ) होली- भारत त्योहारों का देश है और यहां रक्षाबंधन, दीपावली, दशहरा, ईद समेत कई अन्य त्योहार मनाए जाते हैं। इन्हीं में से एक है होली। भारत में होली का त्योहार बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। इस दिन बच्चे, बूढ़े और जवान एक दूसरे को प्यार से रंग और गुलाल लगाकर गले लगते हैं। हिंदू धर्म के अनुसार होली का त्योहार वसंत ऋतु में मनाया जाने वाला सबसे प्रमुख त्योहार है। होली का त्योहार फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। ऐसा लगता है कि यह त्योहार ऋतुराज वंसत के आगमन का समाचार देता है। इस ऋतु में पेड़ों की शाखाओं पर नई पत्तियां व कोमल कलियां उगने लगती हैं। मौसम पहले से ज्यादा सुहाना होने लगता है। हालांकि होली का त्योहार मनाने के पीछे कई सारे किस्से और कहानियां भी छिपे हैं। ऐसी मान्यता है कि हिरण्यकश्यप नामक एक दानव अत्यंत क्रूर और अत्याचारी था। ईश्वर के प्रति उसमें कोई आस्था नहीं थी। वह खुद को ईश्वर से श्रेष्ठ बताकर लोगों के बीच भगवान बनने का प्रयास कर रहा था। हालांकि उसी के घर में उसका पुत्र अपने पिता को भगवान मानने की बजाये, सच्चे मन से भगवान की आराधना में लगा रहता था। यह बात हिरण्यकश्यप को मन ही मन दुखी कर रही थी। इसलिए उसने अपने ही पुत्र प्रह्लाद की मृत्यु करने का मन बना लिए। उसने कई प्रयास किए लेकिन हर बार हिरण्यकश्यप की क्ररता प्रह्लाद के सामने बेबस हो गई। आखिरकार हिरण्यकश्यप ने अपनी बहन होलिका को बुलवाया और उससे अपने पुत्र प्रह्ललाद के प्राण लेने को कहा। इसके बाद होलिका ने हिरण्यकश्यप का आदेश माना और अग्नि पर भक्त प्रह्लाद को लेकर बैठ गई, लेकिन ईश्वर की सच्ची आस्था करने वाले प्रह्लाद का बाल बांका भी न हुआ और होलिक अग्नि में जलकर राख हो गई। तभी से बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक के रूप में होली का त्योहार मनाया जाता है। इस दिन रात को चौराहों पर कटे हुए पेड़ों की टहनियां या लकड़ियों को जलाकर अच्छाई पर बुराई की जीत के इस प्रतीक को जिंदा रखने का प्रयास किया जाता है। अगले दिन सुबह लोग एक दूसरे के गले मिलकर उन्हें होली की शुभकामाएं देते हैं। वह प्यार से एक दूसरे को रंग व गुलाल लगाते हैं। माथे और गालों पर रिंगबिरंगे गुलाल लोगों के बीच आपसी प्रेम और अपनेपन का एहसास दिलाते हैं। वहीं, बच्चे पिचकारियों में पानी भरकर एक दूसरे के साथ होली के त्योहार का लुत्फ उठाते हैं। महिलाएं एक दूसरे के घर पकौड़े, नमकीन और मिठाइयां भेजती हैं। पिछले कुछ समय से इस त्योहार में कुछ गलत चीजें भी शामिल होने लगी हैं, जिसकी वजह से लोग इससे परहेज करने लगे हैं। शराब पीकर सकड़ों पर हुड़दंग उतारने और कीचड़-ग्रीस जैसी चीजों का इस्तेमाल करने वाले लोगों ने इसे एक अलग ही रूप दे दिया है। इस त्योहार पर लोग अराजकता का माहौल न बनाएं इस वजह से सरकार पुलिस को भी सतर्क रहने के आदेश देती है। वसंत ऋतु में कौन कौन से त्योहार आते हैं उनकी सूची बनाएं?वसंत ऋतु में वसंत पंचमी, शिवरात्रि तथा होली नामक पर्व मनाए जाते हैं।
वसंत ऋतु में कौन कौन से त्योहार आते हैं उनकी सूची बनाइए आप उन पर्वो को किस प्रकार मनाते हैं?Solution : वसंत ऋतु उल्लास और उमंग की ऋतु है। यह हमारे देश में ऋतु चक्र के अनुसार मार्च और अप्रैल अर्थात् फाल्गुन माह के कुछ दिनों से आरम्भ होकर चैत्र-वैशाख के कुछ दिनों अर्थात् दो माह से कुछ अधिक दिनों तक रहती है। इस ऋतु में (1) वसन्त पंचमी, (2) मस्ती और रंगों का त्योहार होली, (3) बैसाखी आदि प्रमुख त्योहार आते हैं।
1 वसंत ऋतु में कौन से त्योहार आते हैं उनकी सूची बनाइए आप इन पर्वों को कैसे मनाते हैं चित्र सहित बताएं?वसंत ऋतु कुल दो महीने से कुछ अधिक रहती है यह आधे फाल्गुन से शुरू होकर चैत बैसाख के कुछ दिनों तक रहती है। अत: इस ऋतु में मस्तीभरी होली रंगो का त्योहार, वसंत पंचमी, देवी सरस्वती की पूजा, खेती में पकी फसल और पीली सरसों का रंग, बैसाखी आदि त्योहार मनाए जाते हैं।
किस ऋतु में कौन सा त्यौहार आता है?हेमंत ऋतु में कार्तिक, अगहन और पौष मास पड़ेंगे। कार्तिक मास में करवा चौथ, धनतेरस, रूप चतुर्दशी, दीपावली, गोवर्धन पूजा, भाई दूज आदि तीज-त्योहार पड़ेंगे, वहीं कार्तिक स्नान पूर्ण होकर दीपदान होगा। शिशिर ऋतु : यह ऋतु हिन्दू माह के माघ और फाल्गुन के महीने अर्थात पतझड़ माह में आती है।
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