वसंत को ऋतुराज क्यों कहा जाता है Add File? - vasant ko rturaaj kyon kaha jaata hai add filai?

प्रश्न 1 : वसंत को ऋतुराज क्यों कहा जाता है? आपस में चर्चा कीजिए

उत्तर : ऋतुओं में ग्रीष्म, वर्षा, शरद तथा पतझड़ भी वातावरण को प्रभावित करते हैं लेकिन वसंत ऋतु के आते ही पसीना, ठिठुरना, कीचड़ आदि नकारात्मक तत्त्व नही होते। पुष्प स्वयं खिलते हैं। प्रकृति की नई सुषमा चारों और वातावरण में छा जाती है। आलस्य और निराशा दूर भाग जाते है। स्वास्थ्य, सौंदर्य और स्फुर्ति का वातावरण होता है। पक्षियों का कलरव चारों ओर सुनाई देता हे। बच्चे, बूढ़े सभी के चेहरों पर नया नूर झलकता है। प्रकृति के इसी परिवर्तन के कारण वसंत को ‘ऋतुराज’ या ‘ऋतुओं की रानी’ कहा जाता है।

प्रश्न 2 : वसंत ऋतु में आनेवाले त्योहारों के विषय में जानकारी एकत्र कीजिए और किसी एक त्योहार पर निबंध लिखिए।

उत्तर : वसंत पंचमी सरस्वती पूजा, महाशिवरात्रि व होली जैसे प्रमुख त्योहारों का आगमन इसी ऋतु में होता है।
होली :
हमारे देश में होली का उत्सव बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। इस त्यौहार को मनाने मैं प्रत्येक भारतीय अपना गौरव समझता है। एक ओर तो आनंद और हर्ष की वर्षा होती है, दूसरी ओर प्रेम व स्नेह की सरिता उमड़ पड़ती है। यह शुभ पर्व प्रतिवर्ष फाल्गुन मास की पूर्णिमा के सुंदर अवसर की शोभा बढ़ाने आता है ।
होली का त्योहार वसंत ऋतु का संदेशवाहक बनकर आता है। मानव मात्र के साथ-साथ प्रकृति भी अपने रंग-ढंग दिखाने में कोई कमी नहीं रखती। चारों ओर प्रकृति कै रूप और सौंदर्य के दृश्य दृष्टिगत होते हैं। पुष्पवाटिका में पपीहे की तान सुनने से मन-मयूर नृत्य कर उठता है। आम के झुरमुट से कोयल की ‘कुहू-कुहू’ सुनकर तो हदय भी झंकृत हो उठता है। ऋतुराज वसंत का स्वागत बड़ी शान से संपन्न होता है। सब लोग घरों से बाहर जाकर रंग-गुलाल खेलते हैं और आनंद मनाते हैं।
होलिकोत्सव धार्मिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। इस उत्सव का आधार हिरण्यकश्यप नामक दानव राजा और उसके ईश्वरभक्त पुत्र प्रल्हाद की कथा है। कहते हैं कि राक्षस राजा बड़ा अत्याचारी था और स्वयं को भगवान मानकर प्रजा से अपनी पूजा करवाता था; किंतु उसी का पुत्र प्रल्हाद ईश्वर का अनन्य भक्त था। हिरण्यकश्यप चाहता था कि मरा पुत्र भी मेरा नाम जपे किंतु वह इसके विपरीत उस ईश्वर का नाम ही जपता था। उसने अपने पुत्र को मरवा डालने के बहुत से यत्न किए, पर असफलता ही मिली। एक बार हिरण्यकश्यप की बहन होलिका ने इस कुकृत्य में अपने भाई का साथ देने का प्रयास किया। उसे किसी देवता से वरदान में एक ऐसा वस्त्र प्राप्त था जिसे ओढ़कर उस आग नहीं लग सकती थी। एक दिन होलिका प्रल्हाद को गोदी में लेकर चिता में बैठ गई। किंतु भगवान की इच्छा कुछ और ही थी, किसी प्रकार वह कपड़ा उड़कर प्रल्हाद पर जा पड़ा। फलत: होलिका तो भस्म हो गई और प्रल्हाद बच गया। बुराई करने वाले की उसका फल मिल गया था। इसी शिक्षा को दोहराने के लिए यह उत्सव मनाया जाता है।
इस दिन खूब रंग खेला जाता है। आपस में नर-नारी, युवा-वृद्ध गुलाल से एक-दूसरे के मुख को लाल करके हँसी-ठट्ठा करते हैं। ग्रामीण लोग नाच-गाकर इस उल्लास- भरे त्योहार को मनाते हैं । कृष्ण-गोपियों की रास-लीला भी होती है। धुलेंडी के बाद संध्या समय नए-नए कपड़े पहनकर लोग अपने मित्रगणों से मिलते हैं. एक-दूसरे को मिठाई आदि खिलाते हैं और अपने स्नेह-संबंधों की पुनर्जीवित करते हैं।
होली के शुभ अवसर पर जैन धर्म के लोग भी आठ दिन तक सिद्धचक्र की पूजा करते हैं, यह ‘अष्टाहिका’ पर्व कहलाता है। ऐसे कामों से इस पर्व की पवित्रता का परिचय मिलता है। कुछ लोग इस शुभ पर्व को भी अपने कुकर्मो से गंदा बना देते हैं। कुछ लोग इस दिन रंग के स्थान पर कीचड़ आदि गंदी वस्तुओं को एक-दूसरे पर फेंकते हैं अथवा पक्के रंगों या तारकोल से एक-दूसरे को पोतते हैं जिसके फलस्वरूप झगड़े भी हो जाते हैं। इसके अतिरिक्त कुछ लोग इस दिन भाँग, मदिरा आदि नशे की वस्तुओं का भी प्रयोग करते हैं जिनके परिणाम कभी भी अच्छे नहीं हो सकते। ऐसे शुभ पर्व को इन बातों से अपवित्र करना मानव धर्म नहीं है।
होलिकोत्सव तो हर प्राणी को स्नेह का पाठ सिखाता है। इस दिन शत्रु भी अपनी शत्रुता भूलकर मित्र बन जाते हैं। इस कारण सब उत्सवों में यदि इसे ‘उत्सवों की रानी’ कहा जाए तो अत्युक्ति न होगी।

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बसंत को ऋतु का राजा माना जाता है। इस ऋतु में ना तो अधिक ठंड पड़ती है ना तो अधिक गर्मी। पेड़ पर नए पत्ते आने लगते हैं चारों ओर हरियाली छा जाती है। ... प्रकृति के परिवर्तन के कारण वसंत को ऋतुराज या ऋतुओं का राजा माना जाता है।

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Vasant ko rituraj isliye Kaha jata hai kyunki is mausam mein Na to jyada thand hoti hai na hi jyada garmi. pedon per naye patte lagte Hain. Charon aur hariyali hi hariyali chai hoti hai.

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Question Description
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बसंत को ऋतु का राजा माना जाता है। इस ऋतु में ना तो अधिक ठंड पड़ती है ना तो अधिक गर्मी। पेड़ पर नए पत्ते आने लगते हैं चारों ओर हरियाली छा जाती है। ... प्रकृति के परिवर्तन के कारण वसंत को ऋतुराज या ऋतुओं का राजा माना जाता है।

वसन्त को ऋतुराज क्यों कहा जाता है?

इसमें वसंत को ऋतुराज कहते हैं क्योंकि इस ऋतु में न अधिक सर्दी पड़ती है और न अधिक गर्मी। अंग्रेज़ी महीने के अनुसार ये मार्च-अप्रैल में होती है। इसमें वसंत पंचमी, नानक त्योहार आता है, पीली-सरसों खिलती है, पेड़ों पर नए पत्ते, नई कोपल आती है, आम के बौर भी लगते हैं।

वसंत ऋतु को ऋतुराज क्यों कहा जाता है ध्वनि कविता के आधार पर स्पष्ट कीजिए?

स्वास्थ्य, सौंदर्य और स्फुर्ति का वातावरण होता है। पक्षियों का कलरव चारों ओर सुनाई देता हे। बच्चे, बूढ़े सभी के चेहरों पर नया नूर झलकता है। प्रकृति के इसी परिवर्तन के कारण वसंत को 'ऋतुराज' या 'ऋतुओं की रानी' कहा जाता है।

वसंत को ऋतुराज क्यों कहा जाता है आपस में चर्चा कीजिए very short answer?

Answer: बसंत को ऋतु का राजा माना जाता है। इस ऋतु में ना तो अधिक ठंड पड़ती है ना तो अधिक गर्मी। पेड़ पर नए पत्ते आने लगते हैं चारों ओर हरियाली छा जाती है।

वसंत ऋतु को क्या कहा जाता है?

वसंत ऋतु को अंग्रेजी में स्प्रिंग(spring) कहा जाता है. वसंत ऋतु को सभी ऋतुओं का राजा माना जाता है. इस मौसम में न तो ज्यादा गर्मी पड़ती है और न ही ज्यादा ठंड होती है. पतझड़ के बाद आने वाले वसंत के मौसम में फूलों की नई कलियां खिलती हैं.