आगरा मैनपुरी एटा कासगंज अलीगढ मथुरा हाथरस व फिरोजाबाद मेंं एडीज एजिप्टी नामक नर व मादा मच्छरों का कुनबा पल रहा है। केवल मादा मच्छर खून से पोषण लेती है अतः यह ही वाहक होती है ना कि नर। एक मादा पैदा कर रही 500 से 1000 मच्छर। Show आगरा, जागरण संवाददाता। मच्छर एक हानिकारक कीट है, लेेकिन आगरा जोन में यह अब और ताकतवर हो गया हैं। मच्छर एकलिंगी जंतु है। यानी नर और मादा मच्छर के शरीर अलग-अलग होते हैं। सिर्फ मादा मच्छर ही अंडा देने के लिए इंसान या अन्य जंतुओं के रक्त चूसते हैं, जबकि नर मच्छर पेड़-पौधों का रस पीते हैं। आगरा, मैनपुरी, एटा, कासगंज, अलीगढ, मथुरा, हाथरस व फिरोजाबाद जनपदों मेें डेंंगू का प्रकोप बढने पर मंडलीय कीट विज्ञानी मीना राजपूत व इंसेक्ट कलेक्टर कमल अग्रवाल ने विभिन्न स्थानों पर लिए गए नमूने व उनकी जांच के बाद यह बात कही है। उनका कहना है कि आगरा, मैनपुरी, एटा, कासगंज, अलीगढ, मथुरा, हाथरस व फिरोजाबाद मेंं एडीज एजिप्टी नामक नर व मादा मच्छरों का कुनबा पल रहा है। उन्होंने बताया कि केवल मादा मच्छर खून से पोषण लेती है, अतः यह ही वाहक होती है ना कि नर। मादा मच्छर एनोफ़िलीज़ रात को ही काटती है। शाम होते ही यह शिकार की तलाश मे निकल पडती है। तब तक घूमती है जब तक शिकार मिल नहीं जाता। यह खड़े पानी के अन्दर अंडे देती है। अंडों और उनसे निकलने वाले लार्वा, दोनों को पानी की अत्यन्त सख्त जरुरत होती है। इसके अतिरिक्त लार्वा को सांस लेने के लिए पानी की सतह पर बार-बार आना पड़ता है। अंडे-लार्वा-प्यूपा और फिर वयस्क होने में मच्छर लगभग 10-14 दिन का समय लेते हैं। वयस्क मच्छर पराग और शर्करा वाले अन्य भोज्य-पदार्थों पर पलते हैं, लेकिन मादा मच्छर को अंडे देने के लिए रक्त की आवश्यकता होती है। उन्होेने बताया कि मच्छर एक बार में अपने एक डंक से इंसान का 0.001 से 0.1 मिलीलीटर तक खून चूस लेते हैं। घुटनों तक ही काटता है डेंगू का मच्छर मीना राजपूत ने बताया कि अक्टूबर व नवंबर डेंगू का पीक सीजन माना जाता है। दिलचस्प बात यह है कि डेंगू फैलाने वाली एडीज एजिप्टी नामक मादा मच्छर की उम्र एक महीना तक ही होती है लेकिन अक्टूबर-नवंबर वाली अवधि अर्थात वह 500 से लेकर 1000 तक मच्छर पैदा कर देती है। यह मच्छर तीन फुट से ज्यादा ऊंचा नहीं उड़ सकता, इस कारण केवल लोअर लिंब्स पर ही इसका डंक चलता है। मादा मच्छर कूलर, गमलों, फ्लावर पॉट, छत पर पड़े पुराने बर्तनों व टायर इत्यादि में भरे पानी और आबादी के आसपास गड्ढों में लंबे समय तक खड़े साफ पानी में अपने अंडे देती है। यह एक बार में 100 से लेकर 300 तक अंडे देती है। अंडों से लार्वा बनने में 2 से 7 दिन लगते हैं। लार्वा के बाद 4 दिन में यह मच्छर की शेप में आ जाता है और 2 दिन बाद उड़ने लायक मच्छर बन जाता है। तीव्र होती है सूंघने की क्षमता मीना राजपूत ने बताया कि मच्छरों की सूंघने की क्षमता इतनी तीव्र होती है कि वे 50 मीटर की दूरी से भी चीजों को सूंघ लेते हैं। जिन लोगों का ब्लड ग्रुप ए है उनकी तुलना में ओ ब्लड ग्रुप वाले लोगों के प्रति मच्छरों का आकर्षण दोगुना होता है। तो वहीं बी ब्लड ग्रुप वाले लोगों के प्रति मच्छरों का आकर्षण ए ब्लड ग्रुप वालों से ज्यादा और ओ ब्लड ग्रुप वालों से कम होता है। मच्छरों को पसंद है कार्बन-डाई-ऑक्साइड मीना राजपूत ने बताया कि मच्छर, हर तरह के कार्बन डाई ऑक्साइड के प्रति आकर्षित होते हैं। बड़े उम्र के लोग अधिक कार्बन डाई आक्साइड छोड़ते हैं। यही वजह है कि बच्चों के मुकाबले बड़ों को ज्यादा मच्छर काटता है। कुछ इसी तरह की परिस्थिति गर्भवती महिलाओं के साथ ही होती है क्योंकि जब कोई महिला गर्भवती होती है तो वह सामान्य दिनों की तुलना में ज्यादा कार्बन डाई आक्साइड छोड़ती है और इसलिए गर्भावस्था के दौरान उसे ज्यादा मच्छर काटते हैं। Edited By: Prateek Gupta मच्छर काटता है कौन सा ब्लड ग्रुप?कुछ मेडिकल साइंटिस्ट का ये भी मानना है कि जिनका ब्लड ग्रुप 'O' होता है उनके खून के प्रति मच्छर ज्यादा आकर्षित होते हैं. ऐसे लोगों को मच्छर ज्यादा काटते हैं. इसके अलावा शरीर की गंध, पसीने की महक जैसे फैक्टर्स से भी मच्छर प्रभावित होते हैं.
कौन सा ब्लड ग्रुप मच्छर सबसे ज्यादा पसंद करते हैं?इस रिसर्च के मुताबिक, ओ (O) ब्लड ग्रुप वालों को मच्छर सबसे अधिक काटते हैं। वहीं, अगर हम ए (A) ग्रुप ब्लड की बात करें, तो ओ की तुलना में इन्हें कम मच्छर काटते हैं। इसके साथ ही 'बी' और 'एबी' को भी ओ की तुलना में कम मच्छर काटते हैं। ऐसे में ओ ब्लड ग्रुप वालों को मच्छर काटने का खतरा सबसे अधिक रहता है।
मच्छरों को ओ ब्लड ग्रुप क्यों पसंद है?ब्लड ग्रुप भी भूमिका निभा सकता है
स्किन की गंध के साथ, शोधकर्ताओं ने यह भी बताया कि कुछ प्रकार के ब्लड ग्रुप वाले लोगों की तरफ भी मच्छर अधिक आकर्षित होते हैं. रिसर्च में पाया गया कि जिनका ब्लड ग्रुप O टाइप का होता है, उनके प्रति मच्छरों की कई प्रजातियां आकर्षित होती हैं.
मच्छर कुछ लोगों को क्यों नहीं काटते?इसके पीछे कई वजहे हैं. मेडिकल साइंस ने इस बात का पता लगाया है. कुछ लोग कहते हैं कि अगर किसी का खून मीठा है तो उसे मच्छर ज्यादा लगते हैं जबकि कुछ लोगों का खून कड़वा होता है कि इसलिए उसे मच्छर नहीं काटते.
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