वर्तमान में हर रोज कोई न कोई नयी फिल्म रिलीज़ होती रहती है लेकिन क्या आपको पता भारत की सबसे पहली फिल्म कौनसी थी? अगर आपको नहीं पता तो हमारी यह पोस्ट आपके लिए बहुत उपयोगी साबित होने वाली है। Show
क्योकि इस पोस्ट में हम आपको भारत की पहली फिल्म से सम्बंधित पूरी जानकारी देने वाले है। फिल्म प्रोडक्शन के आधार पर भारतीय फिल्म इंडस्ट्री सबसे बड़ी फिल्म इंडस्ट्री में से एक है क्योकि भारत में कई भाषाओ के लोग रहते है और अलग अलग-भाषाओ में फिल्म बनाई जाती है। वही अगर बात करे हिंदी भाषा की तो इसके अंतर्गत बनने वाली फिल्मो को बॉलीवुड इंडस्ट्री कहा जाता है और बॉलीवुड फिल्म इंडस्ट्री का सबसे बड़ा केंद्र मुंबई को माना जाता है क्योकि यहाँ बॉलीवुड फिल्म इंडस्ट्री के बहुत से प्रोडक्शन हाउस है। चलिए अब बात कर लेते है भारत की पहली फिल्म के बारे में। Contents
भारत की सबसे पहली फिल्म कौन सी थीवर्तमान में जो फिल्म हम देखते है वह रंगीन और अच्छी क्वालिटी की होती है लेकिन हमारी फिल्म इंडस्ट्री को बने लगभग 100 साल से भी ऊपर हो गए है और पहले जो फिल्म बनती थी वह इस तरह की बिलकुल नहीं होती थी लेकिन धीरे-धीरे आधुनिकता बढ़ती गयी और बहुत से उतार चड़ाव आते गए। अगर बात करे भारत की सबसे पहली फिल्म की तो वह Raja Harishchandra (राजा हरिशचन्द्र) थी जिसे 1913 में दादा साहेब फाल्के द्वारा बनाया गया था और यह फिल्म मूक फिल्म थी यानि की इसे बिना आवाज के ब्लैक एंड वाइट फिल्म बनाया गया था। यानि की अगर बात करे भारत की पहली मूक फिल्म कौन सी थी तो इसका जवाब Raja Harishchandra है यानि राजा हरिशचन्द्र ही भारत की पहली मूक फिल्म भी थी। भारत की पहली फिल्म किसने बनाईजैसा की हमने ऊपर बात की भारत की पहली फिल्म राजा हरिशचन्द्र को दादा साहेब फाल्के द्वारा बनाया गया था। दादा साहेब फाल्के का पूरा नाम Dhundiraj Govind Phalke था। इसका जन्म 30 अप्रैल 1870 में त्रिम्बक में हुआ था और 16 फरवरी 1944 को इनकी मृत्यु हो गयी थी। दादा साहेब फाल्के प्रोडूसर होने के साथ साथ डायरेक्टर और स्क्रीनराइटर भी थे इन्होने अपने जीवनकाल में 95 फीचर फिल्म और 27 शार्ट मूवी बनाई थी और भारतीय सिनेमा में इनके बेमिसाल योगदान के लिए इन्हे भारतीय सिनेमा का पिता (Father of Indian Cinema) भी कहां जाता है। वही अगर बात करे भारत की दूसरी फिल्म कौन सी थी या भारत की पहली बोलती फिल्म कौन सी थी तो आपको बता दे भारत की दूसरी फिल्म या पहली बोलती फिल्म आलम आरा थी जो 1931 में बनी थी। बात करे भारत की पहली बोलती फिल्म की नायिका कौन थी तो आपको बतादे Zubeida(जुबैदा) पहली बोलती फिल्म आलमआरा की नायिका थी और वही अगर बात करे भारत की दूसरी फिल्म कौन सी थी या भारत की पहली बोलती फिल्म कौन सी थी तो आपको बता दे भारत की दूसरी फिल्म या पहली बोलती फिल्म आलमआरा थी जो 1931 में बनी थी। बात करे भारत की पहली बोलती फिल्म की नायिका कौन थी तो आपको बतादे Zubeida(जुबैदा) पहली बोलती फिल्म आलमआरा की नायिका थी और मास्टर विट्ठल और पृथ्वीराज कपूर ने नायक की भूमिका निभाई थी। भारत की पहली रंगीन फिल्म कौन सी थीभारत की पहली बोलती फिल्म 1937 में बनी किसान कन्या थी जोकि हिंदी भाषा में बनाई गयी थी और इस फिल्म की अवधि 137 मिनट थी और इस फिल्म के अभिनेता घानी, स्येद, अहमद, निसार, ग़ुलाम मोहम्मद, जिल्लो, पद्मदेवी थे। किसान कन्या भारत की पहली स्वदेशी निर्मित रंगीन फिल्म थी और इस फिल्म के निर्माता अर्देशिर ईरानी थे और निर्देशक मोती बी॰ गिडवानी और लेखक सादत हसन मंटो थे। भारत की पहली फीचर फिल्म किसने बनाई थी?भारत की पहली फीचर फिल्म दादा साहेब फाल्के जी ने बनाई थी। भारत में पहली फिल्म बनाने का श्रेय किसे जाता है?भारत की पहली फिल्म राजा हरिशचन्द्र को बनाने का श्रेय दादा साहेब फाल्के जी को जाता है। भारत की पहली 3D फिल्म कौन सी थी?भारत की पहली 3D फिल्म माई डियर कुट्टीचातन है जोकि 24 अगस्त 1984 को रिलीज़ हुई थी। तो दोस्तों आशा करते है आपको हमारी यह पोस्ट जरूर पसंद आयी होगी और हमारे द्वारा इस पोस्ट में शेयर की गयी जानकारी आपके लिए उपयोगी रही होगी। अगर आपको हमारी यह पोस्ट भारत की सबसे पहली फिल्म कौनसी थी पसंद आयी है तो इसे अपने सोशल मीडिया दोस्तों के साथ जरूर शेयर करे ताकि उन्हें भी इस रोचक जानकारी के बारे में पता चल सके और साथ ही साथ अगर आपको इस पोस्ट से सम्बंधित किसी भी प्रकार का Doubts है तो हमे कमेंट करके जरूर बताये। Related Articles :-
आलमआरा (विश्व की रौशनी) 1931 में बनी हिन्दी भाषा और भारत की पहली सवाक (बोलती) फिल्म है। इस फिल्म के निर्देशक अर्देशिर ईरानी हैं। ईरानी ने सिनेमा में ध्वनि के महत्व को समझते हुये, आलमआरा को और कई समकालीन सवाक फिल्मों से पहले पूरा किया। आलम आरा का प्रथम प्रदर्शन मुंबई (तब बंबई) के मैजेस्टिक सिनेमा में 14 मार्च 1931 को हुआ था।[1] यह पहली भारतीय सवाक इतनी लोकप्रिय हुई कि "पुलिस को भीड़ पर नियंत्रण करने के लिए सहायता बुलानी पड़ी थी"।[2] संक्षेप[संपादित करें]आलमआरा एक राजकुमार और बंजारन लड़की की प्रेम कथा है। यह जोसफ डेविड द्वारा लिखित एक पारसी नाटक पर आधारित है। जोसफ डेविड ने बाद में ईरानी की फिल्म कम्पनी में लेखक का काम किया।। फिल्म में एक राजा और उसकी दो झगड़ालू पत्नियां दिलबहार और नवबहार है। दोनों के बीच झगड़ा तब और बढ़ जाता है जब एक फकीर भविष्यवाणी करता है कि राजा के उत्तराधिकारी को नवबहार जन्म देगी। गुस्साई दिलबहार बदला लेने के लिए राज्य के प्रमुख मंत्री आदिल से प्यार की गुहार करती है पर आदिल उसके इस प्रस्ताव को ठुकरा देता है। गुस्से में आकर दिलबहार आदिल को कारागार में डलवा देती है और उसकी बेटी आलमआरा को देशनिकाला दे देती है। आलमआरा को बंजारे पालते हैं। युवा होने पर आलमआरा महल में वापस लौटती है और राजकुमार से प्यार करने लगती है। अंत में दिलबहार को उसके किए की सजा मिलती है, राजकुमार और आलमआरा की शादी होती है और आदिल की रिहाई। महत्व[संपादित करें]फिल्म और इसका संगीत दोनों को ही व्यापक रूप से सफलता प्राप्त हुई, फिल्म का गीत "दे दे खुदा के नाम पर" जो भारतीय सिनेमा का भी पहला गीत था और इसे अभिनेता वज़ीर मोहम्मद खान ने गाया था, जिन्होने फिल्म में एक फकीर का चरित्र निभाया था, बहुत प्रसिद्ध हुआ।[3] उस समय भारतीय फिल्मों में पार्श्व गायन शुरु नहीं हुआ था, इसलिए इस गीत को हारमोनियम और तबले के संगीत की संगत के साथ सजीव रिकॉर्ड किया गया था।[4] फिल्म ने भारतीय फिल्मों में फिल्मी संगीत की नींव भी रखी, फिल्म निर्देशक श्याम बेनेगल ने कहा फिल्म की चर्चा करते हुए कहा है, "यह सिर्फ एक सवाक फिल्म नहीं थी बल्कि यह बोलने और गाने वाली फिल्म थी जिसमें बोलना कम और गाना अधिक था। इस फिल्म में कई गीत थे और इसने फिल्मों में गाने के द्वारा कहानी को कहे जाने या बढा़ये जाने की परम्परा का सूत्रपात किया।" निर्माण[संपादित करें]तरन ध्वनि प्रणाली का उपयोग कर, अर्देशिर ईरानी ने ध्वनि रिकॉर्डिंग विभाग स्वंय संभाला था। फिल्म का छायांकन टनर एकल-प्रणाली कैमरे द्वारा किया गया था जो ध्वनि को सीधे फिल्म पर दर्ज करते थे। क्योंकि उस समय साउंडप्रूफ स्टूडियो उपलब्ध नहीं थे इसलिए दिन के शोरशराबे से बचने के लिए इसकी शूटिंग ज्यादातर रात में की गयी थी। शूटिंग के समय माइक्रोफ़ोन को अभिनेताओं के पास छिपा कर रखा जाता था।[3] मुख्य कलाकार[संपादित करें]
संदर्भ[संपादित करें]
बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]
सबसे पहली हिंदी फिल्म कौन सी थी?राजा हरिश्चंद्र (१९१३) भारत में बनी पहली हिंदी फिल्म थी। इसे दादासाहेब फाल्के ने निर्देशित किया था।
भारत की दूसरी फिल्म कौन सी थी?वही अगर बात करे भारत की दूसरी फिल्म कौन सी थी या भारत की पहली बोलती फिल्म कौन सी थी तो आपको बता दे भारत की दूसरी फिल्म या पहली बोलती फिल्म आलमआरा थी जो 1931 में बनी थी।
भारत की सबसे पुरानी फिल्म कौन सी है?दादासाहेब फाल्के द्वारा राजा हरिश्चंद्र (1 9 13) को भारत में बनाई गई पहली मूक फीचर फिल्म के रूप में जाना जाता है। 1 9 30 के दशक तक, उद्योग प्रति वर्ष 200 से अधिक फिल्मों का उत्पादन कर रहा था। पहली भारतीय ध्वनि फिल्म, अर्देशिर ईरानी के आलम आरा (1 9 31), एक प्रमुख व्यावसायिक सफलता थी।
विश्व की पहली बोलती फिल्म कौन सी है?विश्व की पहली बोलती फिल्म 6 अक्टूबर 1927 को रिलीज़ हुई. पहली बोलती फिल्म "द जैज़ सिंगर" थी । जब ये फिल्म बन रही थी तो फिल्म बनानेवालों ने ये सोचा था की सिर्फ इस फिल्म के गानों में आवाज डाली जायेगी पर इस फिल्म के मुख्य अभिनेता ऑल जोलसन के अलग ही विचार थे।
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