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अयोगवाह किसे कहते हैं एवं उसका प्रयोग कहाँ किया जाता हैअयोगवाह की परिभाषा (ayogwah ki paribhasha) – ऐसे वर्ण जिनमें स्वर एवं व्यंजन दोनों के गुण पाए जाते हैं, उन्हें अयोगवाह कहते हैं। हिंदी वर्णमाला में अनुस्वार(अं) एवं विसर्ग(अ:) अयोगवाह वर्ण होते हैं। अं एवं अ: अयोगवाह होते हैं। हिंदी में अयोगवाह की संख्या 2 होती है। अगर हम अयोगवाह नाम के आधार पर इन्हें परिभाषित करें तो- ऐसे वर्ण जो “अ” के योग से उच्चारित होते हैं और व्यंजन वर्णों का उच्चारण वहन करते हैं अयोगवाह कहलाते हैं। अयोगवाह कितने होते हैं – Ayogwah Kitne Hote Hainहिंदी वर्णमाला में दो अयोगवाह होते हैं. अं एवं अ: अयोगवाह होते हैं। अयोगवाह न तो पूर्ण रूप से स्वर होते हैं और ना ही पूर्ण रूप से व्यंजन होते हैं। आइए, अब इस बात को समझते हैं कि अयोगवाह वर्ण पूरी तरह स्वर क्यों नहीं होते हैं। स्वर की परिभाषा से हम जानते हैं कि इनका उच्चारण बिना किसी अन्य वर्ण की सहायता के किया जाता है, लेकिन अनुस्वार(अं) एवं विसर्ग(:) का उच्चारण बिना किसी अन्य वर्ण की सहायता के नहीं किया जा सकता। वर्णों का यह गुण व्यंजनों में पाया जाता है क्योंकि व्यंजन वर्णों का उच्चारण बिना स्वरों की सहायता के नहीं किया जा सकता। अतः यह दोनों वर्ण स्वर की परिभाषा को संतुष्ट नहीं करते हैं और इनमें व्यंजनों का गुण पाया जाता है। इस हिसाब से अनुस्वार(अं) एवं विसर्ग(अ:) को व्यंजन होना चाहिए। आइए, अब इस बात को समझते हैं कि अयोगवाह वर्ण पूरी तरह व्यंजन क्यों नहीं होते हैं। हम सभी जानते हैं कि जब किसी व्यंजन वर्ण को स्वर वर्ण से मिलाया या जोड़ा जाता है, तो स्वर वर्ण व्यंजन वर्ण को उच्चारित कर देते हैं। जब व्यंजनों के साथ अनुस्वार(अं) एवं विसर्ग(अ:) को मिलाया या जोड़ा जाता है तो ये दोनों वर्ण व्यंजनों को उच्चारित कर देते हैं। अतः अनुस्वार(अं) एवं विसर्ग(अ:) का यह गुण स्वर वर्णों से मिलता है क्योंकि स्वर वर्णों की तरह ही अनुस्वार(अं) एवं विसर्ग(अ:) भी व्यंजनों को उच्चारित कर रहें हैं। इस हिसाब से अनुस्वार(अं) एवं विसर्ग(अ:) को स्वर होना चाहिए लेकिन ऐसा नहीं हैं। अतः अनुस्वार(अं) एवं विसर्ग(:) न तो स्वर वर्ण है और न ही व्यंजन है, बल्कि स्वर एवं व्यंजन के बीच की कड़ी हैं, जिनमें स्वर एवं व्यंजन दोनों के गुण पाए जाते हैं। यह भी पढ़ें :-
अनुस्वार अयोगवाह का प्रयोगअनुस्वार के रूप मेंजब किसी शब्द के बीच में अनुस्वार का उच्चारण य, र, ल, व, श, ष, स, ह से पहले आए तो उस शब्द में अनुस्वार का उच्चारण अनुस्वार की तरह ही होगा। जैसे:- संयम, संरक्षण, संरचना, अंश – इन सभी उदाहरणों में अनुस्वार का उच्चारण अनुस्वार की तरह ही हुआ है क्योंकि अनुस्वार के बाद य, र, ल, व, श, ष, स, ह आदि वर्णों का प्रयोग हुआ है। यह भी पढ़ें:-
नासिक्य व्यंजन के स्थान पर
जैसे:- ग+ङ्+गा = गंगा उपरोक्त उदाहरण में क-वर्ग के पंचमाक्षर “ङ” के स्वर रहित रूप का प्रयोग हुआ है तथा “ङ” के बाद क-वर्ग का ही वर्ण भी आया है। अतः यह नासिक्य व्यंजन अनुस्वार में बदल जाएगा। इसी प्रकार- अ+ङ्+क = अंक, श+ङ्+ख = शंख, प+ञ्+च+म = पंचम
जैसे:- प्रसन्नता, सम्मान, अन्न, सम्मेलन, उन्मुख, मृण्मय आदि यह भी पढ़ें:-
अनुनासिक के स्थान पर
जैसे:- में, मैं, नहीं, मैंने आदि उपरोक्त सभी उदाहरणों में जो अनुस्वार लगा हुआ है, वास्तव में वह अनुनासिक या चंद्र बिंदु है। Other Posts Related to Hindi Vyakranसंज्ञा की परिभाषा, भेद और उदाहरण
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अयोगवाह वर्ण कितने है?हिंदी वर्णमाला में अनुस्वार(अं) एवं विसर्ग(अ:) अयोगवाह वर्ण होते हैं। अं एवं अ: अयोगवाह होते हैं। हिंदी में अयोगवाह की संख्या 2 होती है।
4 अयोगवाह कौन कौन से हैं?अयोगवाह वर्ण (अं, अँ, अः) और इसके प्रकार : Sahi Aur Galat. अनुस्वार – ं. अनुनासिक – ँ. विसर्ग – ः. ऊष्म वर्ण कितने होते हैं?हम बता दें की, हिंदी वर्णमाला में कुल 4 वर्णों को ऊष्म व्यंजन के रूप में माना जाता है। जो की निम्नलिखित हैं, जैसे; स ,श ,ष और ह। इन सभी चारों वर्णों के उच्चारण करते वक़्त मुँह से गर्म हवा बाहर की ओर निकालता है।
उष्ण वर्ण कौन कौन से हैं?ह। 'श, ष, स' – इन चार वर्णों के उच्चारण में मुख से विशेष प्रकार की गर्म (ऊष्म) वायु निकलती है, इसलिए इन्हें ऊष्म व्यंजन कहते है । इनके उच्चारण में श्वास की प्रबलता रहती है ।
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