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मनोकामना पूरी होने पर व्रत का उद्यापन किया जाता है. Image-Shutterstock सोमवार के व्रत का उद्यापन वैसे तो किसी भी सोमवार को किया जा सकता है, लेकिन इसके उद्यापन के लिए सावन, कार्तिक, वैशाख, ज्येष्ठ और मार्गशीर्ष मास के सभी सोमवार अति उत्तम माने जाते हैं. इस व्रत के उद्यापन में माता पार्वती और भगवान शिव के अलावा चंद्रमा की पूजा करने का भी विधान है.अधिक पढ़ें ...
Somvar Vrat Uddhyapan : हिंदू धर्म में भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए लोग सोमवार का व्रत रखते हैं. सोमवार के दिन भगवान शंकर की विशेष पूजा करने का और व्रत रखने का विधान है. लोग अपने घर परिवार की खुशियों के लिए और अपनी मनोकामना की पूर्ति के लिए सोलह सोमवार या फिर अपनी मनोकामना पूरी होने तक सोमवार का व्रत करते हैं. ऐसा माना जाता है कि सोमवार का व्रत करने के लिए जितने दिन का संकल्प लेते हैं, उतने ही दिन इस व्रत को करना चाहिए. इसके बाद जब आपकी मनोकामना पूरी हो जाए तब सोमवार के दिन ही पूरी विधि विधान के साथ इस व्रत का उद्यापन करना चहिए. भोपाल के रहने वाले पंडित हितेंद्र कुमार शर्मा, ज्योतिष बता रहें हैं सोमवार व्रत उद्यापन की सरल विधि. सोमवार व्रत के उद्यापन की विधि यह भी पढ़ें – इस नियम से लगाएं दीपक, आपकी मनोकामना होगी पूरी –इसके बाद पूजा स्थल को गंगाजल से अच्छी तरह शुद्ध कर लें, इसके बाद पूजा स्थल पर केले के 4 पत्ते खंबे के रूप में लगाकर चौकोर मंडप स्थापित करें. –चारों तरफ फूल और आम के पत्तों से मंडप को सजाएं. –पूजा स्थल पर पूजा में इस्तेमाल की जाने वाली सभी सामग्री को रखकर पूर्व की तरफ मुख करके आसन बिछाकर बैठ जाएं. –पूजा चौकी को मंडप के बीचो-बीच रखकर इस पर सफेद रंग का साफ-सवच्छ वस्त्र बिछाकर माता पार्वती और भगवान शिव की प्रतिमा स्थापित करें. –इसके अतिरिक्त पूजा चौकी पर किसी अन्य पात्र में चंद्रमा को भी स्थापित करें और पूजा शुरू
करें. –इसके बाद भगवान शिव को बेलपत्र, धतूरा और भांग चढ़ाकर आरती करें. यह भी पढ़ें – बैड लक दूर करना चाहते हैं, तो सुबह उठकर अपनाएं ये उपाय –घर और पूजा में उपस्थित सभी लोगों को प्रसाद का वितरण करें. –पूजा के बाद स्वयं भोजन ग्रहण करें. –ध्यान रहे उद्यापन वाले दिन आपको पूरे दिन में सिर्फ एक ही बार भोजन करना है और इस दिन यदि नमक का सेवन ना करें तो अति उत्तम होगा. ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें News18 हिंदी| आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट News18 हिंदी| Tags: Dharma Aastha, Lord Shiva, Religion FIRST PUBLISHED : June 27, 2022, 09:40 IST होम /न्यूज /धर्म /कैसे करते हैं गुरुवार का व्रत और उसका उद्यापन? यहां जानें संपूर्ण विधि भगवान विष्णु की पूजा का सर्वोत्तम दिन गुरुवार माना जाता है. (Image-shutterstock) गुरुवार का दिन भगवान विष्णु की पूजा के लिए समर्पित है. गुरुवार का व्रत (Guruvar Vrat) करने से भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं. आइए जानते हैं गुरुवार व्रत करने और उसके उद्यापन विधि के बारे में.
Guruvar Vrat Aur Udyapan Vidhi : सनातन धर्म में हर देवी-देवता को सप्ताह के सातों दिन के अनुसार पूजा जाता है. भगवान विष्णु की पूजा आराधना के लिए गुरुवार का दिन समर्पित किया गया है. भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिए भक्त गुरुवार का व्रत करते हैं. व्रत करने के पहले व्यक्ति कोई न कोई मनोकामना करता है, जो पूरी हो जाने के बाद भगवान को धन्यवाद देते हुए उसका उद्यापन करता है. भोपाल निवासी ज्योतिषी एवं पंडित हितेंद्र कुमार शर्मा बताते हैं कि गुरुवार का व्रत पौष माह छोड़कर किसी भी महीने के शुक्ल पक्ष के पहले गुरुवार से प्रारंभ कर सकते हैं. आइए जानते हैं व्रत और उद्यापन विधि. गुरुवार व्रत करने की विधि
यह भी पढ़ें – आत्मबल बढ़ाता है शिव तांडव स्तोत्र का पाठ, जानें फायदे और विधि 2. सुबह जल्दी उठकर स्नानादि से निवृत्त हो जाएं. स्वच्छ वस्त्र धारण करने के बाद भगवान विष्णु के समक्ष बैठ जाएं. अब अपने हाथ में थोड़े से चावल और एक पीला पुष्प लेकर 16 गुरुवार का व्रत करने का संकल्प लें. 3. अब उपले पर हवन करें और हवन में 5, 7 या फिर 11 बार ॐ गुं गुरुवे नमः मन्त्र के साथ आहुति दें. अंत में आरती कर लें और भगवान विष्णु को भोग लगा दें. 4. जिस कलश में जल था, उसे घर के आस-पास किसी केले के पेड़ में चढ़ा दें. 5. गुरुवार के दिन यदि आप केले के पेड़ की पूजा कर रहे हैं, तो उस दिन भूलकर भी केले का सेवन ना करें. गुरुवार व्रत की उद्यापन विधि
2. सुबह जल्दी उठकर सारे कामों से निवृत होने के बाद भगवान विष्णु के समक्ष बैठ जाएं. यह भी पढ़ें – Vastu Tips: विष्णु प्रिय अपराजिता लाती है घर में सम्पन्नता, इस दिशा में लगाएं 3. अब गुरुवार व्रत पूजा जैसे ही भगवान विष्णु की पूजा विधि विधान से करें और हाथ जोड़कर प्रार्थना करें कि आपने जो व्रत करने का संकल्प लिया था, वह पूरा हुआ और आज आप उसका उद्यापन करने जा रहे हैं. आप कृपा हमेशा बनाए रखिएगा. 4. अब पूजा सामग्री भगवान विष्णु को अर्पित करें. सामर्थ्य अनुसार दक्षिणा रखें और यह पूरी सामग्री किसी ब्राह्मण को भेंट कर दें. ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें News18 हिंदी| आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट News18 हिंदी| Tags: Dharma Aastha, Lord vishnu, Religion FIRST PUBLISHED : July 07, 2022, 06:30 IST उद्यापन कब करना चाहिए?देवताओं के प्रबोध समय में ही एकादशी का उद्यापन करे। विशेष कर मार्गशीर्ष के महीने, माघ माह में या भीम तिथि (माघ शुक्ल एकादशी) के दिन उद्यापन करना चाहिये |" भगवान के उपरोक्त कथन से तात्पर्य है कि चातुर्मास (आषाढ़ शुक्ला एकादशी से लेकर कार्तिक कृष्ण एकादशी) में एकादशी उद्यापन नहीं करे।
गुरुवार का उद्यापन कब करना चाहिए 2022?भगवान विष्णु और बृहस्पति देव की कृपा पाने के लिए लगातार 16 गुरुवार का व्रत रखना चाहिए और 17वें गुरुवार को व्रत का उद्यापन करना चाहिए ।
पूर्णिमा का उद्यापन कौन से महीने में करना चाहिए?पं. पुरोहित ने बताया कि पौषी पूर्णिमा पर पूर्णिमा व्रत का उद्यापन विधि विधान के साथ होता है। जो महिलाएँ वर्ष भर या संकल्प अनुसार पाँच वर्षों से पूर्णिमा करती हैं, उनके लिए पौषी पूर्णिमा व्रत उद्यापन के लिए श्रेष्ठ है। माघ माह की शुरुआत 20 जनवरी से होगी।
बृहस्पतिवार व्रत का उद्यापन कब करना चाहिए?धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक एक साल में कुल 16 बृहस्पतिवार का व्रत किया जाता है और 17वें बृहस्पतिवार के दिन इस व्रत का उद्यापन किया जाता है. पौष माह को को छोड़कर इस व्रत को किसी भी महीने में शुरू किया जा सकता है. पौष माह दिसंबर से जनवरी के बीच आता है.
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