पत्र लेखन का अर्थ- पत्र लेखन एक ऐसी कला है, जिसके माध्यम से दो व्यक्ति या दो व्यापारी जो एक दुसरे से काफी दूरी पर स्थित हो, परस्पर एक दूसरे को विभिन्न कार्यों अथवा सूचनाओं के लिए पत्र लिखते है। पत्र लेखन का कार्य पारिवारिक जीवन से लेकर व्यापारिक जगत तक प्रयोग में लाया जाता है। पत्र लेखन का कार्य अत्यंत प्रभावशाली होता है, क्योंकि इस साधन के द्वारा अनेकों लोगो से संपर्क स्थापित करने में भी सुविधा रहती है। Show
पत्र लेखन की उपयोगिता अथवा महत्व –
पत्र लेखन के आवश्यक तत्व अथवा विशेषताएं- पत्र लेखन से संबंधित अनेक महत्व है परन्तु इन महत्व का लाभ तभी उठाया जा सकता है जब पत्र एक आदर्श पत्र की भांति लिखा गया हो। पत्र में सम्मिलित निम्नलिखित तत्वों के कारण ही पत्र को एक प्रभावशाली रूप दिया जा सकता है।
पत्र लेखन के प्रकारपत्रों को लिखने के निम्न दो प्रकार होते है –
आइए पत्र लेखन के इन दोनों रूपों की विस्तृत से जानकारी प्राप्त करते है। #1. औपचारिक पत्र(Formal Letter) – सरकारी तथा व्यावसायिक कार्यों से संबंध रखने वाले पत्र औपचारिक पत्रों के अन्तर्गत आते है। इसके अतिरिक्त इन पत्रों के अन्तर्गत निम्नलिखित पत्रों को भी शामिल किया जाता है।
औपचारिक पत्र का प्रारूप-
#2. अनौपचारिक पत्र (Informal Letter)– इन पत्रों के अन्तर्गत उन पत्रों को सम्मिलित किया जाता है, जो अपने प्रियजनों को, मित्रों को तथा सगे- संबंधियों को लिखे जाते है। उदहारण के रूप में – पुत्र द्वारा पिता जी को अथवा माता जी को लिखा गया पत्र, भाई-बंधुओ को लिखा जाना वाला, किसी मित्र की सहायता हेतु पत्र, बधाई पत्र, शोक पत्र, सुखद पत्र इत्यादि। अनौपचारिक पत्र का प्रारूप- 1) सबसे पहले बाई ओर पत्र भेजने वाले का “पता” लिखा जाता है। औपचारिक तथा अनौपचारिक पत्रों में अंतर
अनौपचारिक पत्रों को लिखने के उद्देश्य
औपचारिक पत्रों को लिखने के लिए कौन- कौन से तत्व आवश्यक है?
पत्र लेखन से सम्बंधित प्रश्न- उत्तरप्रश्न 1- औपचारिक पत्र तथा अनौपचारिक पत्रों में क्या अंतर है? औपचारिक पत्र अनौपचारिक पत्र – • अनौपचारिक पत्रों को परिवारिक, निजी सगे संबंधियों, मित्रों आदि को लिखा जाता है। प्रश्न 2- अनौपचारिक पत्रों को किस उद्देश्य से लिखा जाता है? उत्तर – अनौपचारिक पत्रों को लिखने के उद्देश्य-
प्रश्न 3- पत्रों को लिखने के लिए कौन- कौन से तत्व आवश्यक है? उत्तर –
प्रश्न-4 वर्तमान युग में पत्र लेखन का क्या उपयोग है? उत्तर- वर्तमान युग में सूचना प्रेषण के कई आधुनिक साधन प्रश्न 5- पत्र लेखन के कितने घटक होते है? उत्तर – पत्र लेखन के निम्नलिखित घटक होते है जिन्हें औपचारिक पत्र तथा अनौपचारिक पत्रों के प्रारूप के अनुसार प्रयोग किए जाते हैं। प्रश्न-6 पत्रों को कितने प्रकार से लिखा जाता है? उत्तर- पत्र लेखन विभिन्न क्षेत्रों में अलग अलग रूप से प्रयुक्त किया जाता है, किन्तु नी निर्धारित रूप से पत्र को मुख्यता दो प्रकार से लिखा जाता है। 1* औपचारिक पत्र – इन पत्रों के लिखने का एक मुख्य उद्देश्य निर्धारित होता है। सरकारी तथा व्यावसायिक कार्यों से संबंध रखने वाले पत्र औपचारिक पत्रों के अन्तर्गत आते है। इन पत्रों में शिष्टता की भाषा पर विशेष ध्यान देना पड़ता है। 2* अनौपचारिक पत्र- जिन पत्रों को शोक, खुशी, बधाई, सलाह, सहानुभूति इत्यादि भावनाओं को प्रकट करने के लिए लिखा जाता है उन्हें अनौपचारिक पत्र कहा जाता है। यह पत्र निजी परिवारिक, रिश्तेदारों, मित्रों आदि संबंधियों को लिखा जाता है। प्रश्न -7 औपचारिक पत्रों के अन्तर्गत किन – किन पत्रों को सम्मिलित किया जाता है? उत्तर – औपचारिक पत्रों के अन्तर्गत निम्नलिखित पत्रों को सम्मिलित किया जाता है- प्रश्न 8- औपचारिक पत्रों को लिखने के लिए कौन- कौन से तत्व सम्मिलित किए जाते है? उत्तर – औपचारिक पत्रों को लिखने के लिए निम्नलिखित तत्व सम्मिलित किए जाते हैं-
प्रश्न 9- अनौपचारिक पत्रों के अन्तर्गत किन किन पत्रों को सम्मिलित किया जाता है? उत्तर – अनौपचारिक पत्रों के अन्तर्गत निम्नलिखित पत्रों को सम्मिलित किया जाता है- प्रश्न 10- पत्र लेखन के प्रारूप को समझाइए। उत्तर- पत्र लेखन के प्रारूप में निम्न अंगो का प्रयोग किया जाता है- पत्र लेखन को हमारे जीवन का महत्वपूर्ण अंग क्यों माना जाता है?पत्रों की उपयोगिता/महत्व
मनुष्य की भावनाओं की स्वाभाविक अभिव्यक्ति पत्राचार से भी होती हैं। निश्छल भावों और विचारों का आदान-प्रदान पत्रों द्वारा ही सम्भव है। पत्रलेखन दो व्यक्तियों के बीच होता है। इसके द्वारा दो हृदयों का सम्बन्ध दृढ़ होता है।
पत्र लेखन क्यों महत्वपूर्ण है?पत्र लेखन की उपयोगिता अथवा महत्व
निजी अथवा व्यापारिक सूचनाओं को प्राप्त करने तथा भेजने के लिए पत्र व्यवहार विषय अत्यंत कारगार है। प्रेम, क्रोध, जिज्ञासा, प्रार्थना, आदेश, निमंत्रण आदि अनेक भावों को व्यक्त करने के लिए पत्र लेखन का सहारा लिया जाता है।
पत्र के मुख्य अंग कौन कौन से हैं?पत्राचार के प्रमुख अंग. शीर्षक - शीर्षक प्रायः छपा हुआ होता है। ... . प्रेषक का पता - यह पत्र के दाहिनी ओर रहता है। ... . पत्र संख्या यह बाईं ओर लिखी जाती है। ... . कलेवर यह पत्र का महत्वपूर्ण भाग है। ... . अधोलेख इसे हस्ताक्षर से पूर्व लिखा जाता है, जैसे- भवदीय, आपका, आपका आज्ञाकारी आदि। ... . प्रेषक का नाम - ... . प्रेषक का पदनाम. पत्र लेखन में सबसे ज्यादा महत्व किसका होता है?✎... पत्र लेखन में सबसे अधिक महत्व तथ्यों का होता है, क्योंकि पत्र व्यवहार किसी सटीक जानकारी के आदान-प्रदान हेतु किया जाता है। यदि उसमें तथ्य गलत होंगे तो एक स्वस्थ पत्राचार संभव नहीं हो पाएगा और भ्रम की स्थिति पैदा होगी। इसलिए पत्र लेखन में तथ्यों का सबसे अधिक महत्व होता है।
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