समावेशी विकास
भारतीय संदर्भ में समावेशी विकास की अवधारणा कोई नई बात नहीं है। प्राचीन धर्मग्रंथों का अवलोकन करे तो उनमें भी सब लोगों को साथ लेकर चलने का भाव निहित है। ‘सर्वे भवन्तु सुखिन’ में इसी बात की पुष्टि की गई है। नब्बे के दशक में उदारीकरण के बाद विकास की यह अवधारणा नए रूप में उभरी क्योंकि उदारीकरण के दौरान वैश्विक Show
अर्थव्यवस्थाओं को एक साथ जुड़ने का मौका मिला तथा यह धारणा देश एवं राज्यों की परिधि से बाहर निकलकर वैश्विक संदर्भ में अपनी महत्ता बनाए रखने में सफल रही। समावेशी विकास से आशयसमावेशी विकास के अर्थ को समझने के लिये इसे विभिन्न संदर्भों में देखे जाने की आवश्यकता है, जैसे-
समावेशी विकास हेतु सरकार द्वारा पहल:
समावेशी विकास का मापन:
समावेशी विकास की आवश्यकता:समावेशी विकास न केवल आर्थिक विकास है बल्कि यह एक सामाजिक एवं नैतिक अनिवार्यता भी है। समावेशी विकास के अभाव में कोई भी देश अपना विकास नहीं कर सकता है। निम्नलिखित संदर्भों में हम समावेशी विकास की महत्ता को समझ सकते हैं-
समावेशी विकास के समक्ष चुनौतियाँ:
आगे की राह:संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा वर्ष 2030 तक गरीबी के सभी रूपों (बेरोज़गारी, निम्न आय, गरीबी इत्यादि) को समाप्त करने का लक्ष्य सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल के लक्ष्य-1 में निर्दिष्ट किया गया हैI चूँकी कृषि क्षेत्र देश में कुल श्रम बल के आधे श्रम बल को रोज़गार उपलब्ध कराता है। इसके अलावा सरकार द्वारा भी वर्ष 2022 तक किसानों की आय को दोगुना करने का लक्ष्य रखा गया है परंतु इस क्षेत्र में प्रति व्यक्ति उत्पादकता काफी कम है जिसके कारण यह गरीबी के सबसे उच्चतम क्षेत्र से जुड़ी है। अत: यदि भारत में तीव्र समावेशी विकास के लक्ष्य को प्राप्त करना है तो कृषि क्षेत्र पर विशेष ध्यान देने की ज़रूरत होगीI हालाँकि 1.21 बिलियन जनसंख्या वाले देश में सबसे बड़ी चुनौती यह है कि विकास के लाभ को समाज के सभी वर्गों और सभी हिस्सों तक कैसे पहुँचाया जाए तथा यहीं पर तकनीक के उपयुक्त इस्तेमाल की भूमिका सामने आती है। हाल हीं में शुरू किया गया डिजिटल इंडिया कार्यक्रम इस चुनौती का सामना करने के लिये एक अच्छी पहल है। धारणीय विकास का सूचक कौन सा है?धारणीय विकास के सूचक : धारणीय विकास की धारणा बहुआयामी पर्यावरण प्रबन्धन को इंगित करती है। विकास की इस अवधारणा में स्थानीय पर्यावरण एवं उससे सम्बन्धित प्राकृतिक संसाधनों का मानवीय हित में प्रयोग इस तरह किया जाए कि प्रकृति की गुणवत्ता का हास न हो साथ ही विकास के कार्यों में किसी तरह की रुकावट भी न पड़े।
धारणीय विकास की कौन सी श्रेष्ठ स्थिति होती है?Solution : धारणीय विकास वह प्रक्रिया है जिसके फलस्वरूप प्रति व्यक्ति वास्तविक आय तथा आर्थिक विकास में इस प्रकार से वृद्धि होती है कि भावी पीढ़ी के जीवन की गुणवत्ता में कोई कमी न हो।
धारणीय विकास को कैसे मापा जाता है?धारणीय विकास ऐसा विकास है जो कि भावी पीढ़ियों की आवश्यकताओं की पूर्ति की क्षमता से समझौता किये बिना वर्तमान पीढ़ी की आवश्यकताओं की पूर्ति करे । (i) गैर - नवीकरणीय संसाधनों के लिये स्थानापन्न ढूंढ़कर और नवीकरणीय संसाधनों का युक्ति संगत प्रयोग करके ।
धारणीय विकास की कितनी अवस्था होती है?गत वर्ष सितम्बर में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने वैश्विक धारणीय विकास लक्ष्य के 17 ऐसे पक्षों को अपनाने के लिए प्रतिबद्धता दिखाई, जो अपने आप में 169 लक्ष्य रखते हैं।
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