द्विवेदी जी से किसने पूछा कि नाखून क्यों बढ़ते हैं? - dvivedee jee se kisane poochha ki naakhoon kyon badhate hain?

उत्तर- बढ़ते नाखूनों द्वारा प्रकृति मनुष्य को याद दिलाती है कि तुम भले ही आधुनिक समाज के सर्वश्रेष्ठ प्राणी हो परंतु तुम्हारे अंदर की पशुता अभी गई नहीं है । तुम वही लाख वर्ष पहले के नख- दंतावलंबी जीव हो और एक ही स्थल पर जानवरों की भाँति विचरण करते हो।

2. मनुष्य बार-बार नाखून क्यों काटता है?

उत्तर- आज मनुष्य सभ्‍य बन चुका है । मानवीय गुण आ जाने के कारण वह पशुता की निशानी का त्याग करना ही उचित मानता है और आज के समय में मनुष्य के पास एक से बढ़कर एक शस्त्र मौजूद है जिसके कारण इन नाखूनों की कोई आवश्यकता ही नहीं है इसलिए मनुष्य बार-बार नाखून को काटता है।

3. नाखून बार-बार क्यों बढ़ते हैं ?

उत्तर- नाखून का बढ़ना एक विचित्र घटना है हम इसे काट देते हैं फिर भी या बढ़ता ही जाता है। यह नाखून तब तक बढ़ती रहेगी जब तक मनुष्य के अंदर घृणा, अहंकार, द्वेष की भावना रहेगी। बढ़ता हुआ नाखून मनुष्य को याद दिलाता है कि तुम्हारे अंदर की पशुता अभी गई नहीं है ।

4.नाखून क्यों बढ़ते हैं?

4. लेखक द्वारा नाखूनों को अस्त्र के रूप में देखना कहाँ तक संगत है?

उत्तर- अस्त्र हाथ में रखकर वार किया जाता है और शस्त्र फेंककर, लाखो वर्ष पहले मनुष्य जंगली था। उस समय मनुष्य का एकमात्र हथियार उसका नाखून ही था। दाँँत भी थे लेकिन उनका स्थान नाखूनों के बाद आता था। नाखून से ही वे जंगली जानवरों आदि से अपनी रक्षा करते थे। चूँकि नाखून हमारे शरीर का अंग है इसलिए लेखक द्वारा नाखूनों को अस्त्र के रूप में देखना संगत है।

5. स्‍वधीनता शब्द की सार्थकता लेखक क्या बताता है?

उत्तर- लेखक कहते हैं कि स्वाधीनता शब्द का अर्थ है अपने ही अधीन रहना क्योंकि यहाँ के लोगों ने अपनी आजादी के जितने भी नामकरण किए हैं उनमें स्व का बंधन अवश्य है जैसे स्वतंत्रता , स्वराज , स्वाधीनता ।

6. लेखक क्यों पूछता है कि मनुष्य किस ओर बढ़ रहा है पशुता की ओर या मनुष्यता की ओर स्पष्ट कीजिए।

उत्तर- लेखक के अनुसार मनुष्य पशुता की ओर बढ़ रहा है । मनुष्य ने एक से बढ़कर एक परमाणु हथियार बना लिया है ।इसके उपयोग से पूरी मानव जाति का नाश हो सकता है और इसका प्रमाण हिरोशिमा पर गिराए गए परमाणु बम से है क्योंकि यह एक हिंसक प्रवृत्ति है और हिंसक प्रवृत्ति पशुओं में पाई जाती है, इसलिए हम कह सकते हैं कि मनुष्य पशुता की ओर बढ़ रह। है।

4.नाखून क्यों बढ़ते हैं?

7. मनुष्य की तरह उसके नाखून भी एक दिन झड़ जाएंगे प्राणी शास्त्रियों के इस अनुमान से लेखक के मन में कैसी आशा जगती है?

उत्तर- प्राणी शास्त्रियों का अनुमान है कि एक दिन मनुष्य की पूँछ की तरह उसके नाखून भी झड़ जाएँगे । लेखक के मन में यह आशा जगती है कि जब मनुष्य पशुता को पूर्णता त्याग कर पूर्ण रूप से मानवता को प्राप्त कर लेगा, तब मनुष्य के नाखूनों का बढ़ना बंद हो जाएगा।

8. लेखक ने किस प्रसंग में कहा है कि बंदरिया मनुष्य का आदर्श नहीं बन सकती लेखक का अभिप्राय स्पष्ट करें ।

उत्तर- लेखक के कहने का अभिप्राय है कि एक बंदरिया जो अपने बच्चे को गोद में दबाए रखती है और किसी आधुनिक साधन का उपयोग नहीं करती है ऐसी बंदरिया मनुष्य का आदर्श नहीं बन सकती है क्योंकि मनुष्य एक बुद्धिजीवी प्राणी है। इसे परिस्थितियों के अनुसार साधनों का उपयोग करना चाहिए।

9. काट दीजिए वह चुपचाप दंड स्वीकार कर लेंगे , पर निर्लज्‍ज अपनाधी की भांति फिर छूटते ही उठते ही सेंध पर हाजिर।

उत्तर- प्रस्तुत पंक्ति हजारी प्रसाद द्विवेदी द्वारा शीर्षक नाखून क्यों बढ़ते हैं? से ली गई है इसमें लेखक कहना चाहते हैं कि नाखून काट दिया जाता है फिर वह दूसरे- तीसरे दिन बढ़ जाता है और चुपचाप दंड स्वीकार कर लेता है जैसे कोई निर्लज्ज अपराधी हो यहाँ पर नाखून का बढ़ना पशुता की निशानी है और मनुष्य का इसे बार-बार काटना मनुष्य के सभ्‍य होने की निशानी है ।

4.नाखून क्यों बढ़ते हैं?

10. मैं मनुष्य के नाखून की ओर देखता हूं तो कभी कभी निराश हो जाता हूँँ।

उत्तर- मनुष्य के जीवन में नाखून का बढ़ना एक अजीब घटना है , इसे काट दिया जाता है फिर से बढ़ जाता है। लेखक इसलिए निराश होते हैं कि मनुष्य इतना सभ्य बन चुका हैं फिर भी उसके अंदर की पशुता समाप्त नहीं हो रही है। वह दिन प्रतिदिन हिंसात्मक प्रवृत्ति के होते जा रहे हैं या देखकर लेखक कभी – कभी निराश हो जाते हैं। https://www.biharboardpatnasolution.com/fundamental-chemistry/https://www.youtube.com/channel/UCtWxz2jf1V5IwcOeh95vywA/playlists

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हजारी प्रसाद द्विवेदी जी या निबंध बहुत ही अच्छे तथ्यों को देखते हुए लिखा था और हजारी प्रसाद द्विवेदी जी का यह निबंध बहुत ही महत्वपूर्ण है नाखून क्यों बढ़ते हैं या निबंध हजारी प्रसाद द्विवेदी ने बच्चों के ऊपर लिखा है कि तर्क शक्ति जैसे होती है और व्यक्ति के जीवन में समस्या कैसे आती है तो हजारी प्रसाद द्विवेदी जी भारत के निबंधकार थे उन्होंने लिखा है कि बच्चे कभी-कभी चक्कर में डाल देते हैं से आपसे भी कोई बच्चा पूछ लेता है ना कोई ऐसी चीजें जो आप नहीं जानते हैं अल्पज्ञ पिता बड़ा दंडनीय जीव होता है उनका सबसे अच्छी यह लाइन है हजारी प्रसाद द्विवेदी जी का उन्होंने कहा है कि यदि पिता को पूर्ण ज्ञान नहीं है और वह बच्चे के प्रश्नों का उत्तर नहीं दे पाता है तो वह स्वयं को बहुत डर लेनी है महसूस करता है अर्थात शिक्षा का भाव देखें कि समाज में शिक्षा का प्रभाव किस प्रकार से होना चाहिए जब पिता को शिक्षा ना हो और बेटे को एक उचित मार्गदर्शन करना हो और बच्चे से जब कोई गलती हो जाए और पिता कहे या गलत है और बेटा पूछे कि तुम गलत है और जब उसका उत्तर उनके पास ना हो अर्थात उनके पास पूर्ण ज्ञान ना हो तो वह बहुत अपने आप को शर्मिंदा महसूस करते हैं कि बताओ मैं बच्चे को नहीं बता पाया था उनके अंदर या भाव आता है कि किसी बच्चे का पिता हो और अगर आपके पास ज्ञान ना हो तो बहुत ठंड नहीं है जो हो जाते हैं हम लोग समझ नहीं पाते हैं अपने बच्चे को या अपने बच्चों को हम कैसे समझाएं या उनको लगता है ठीक है और ऐसे शब्दों के लिए उनका चयन कहां से होना चाहिए इसमें हजारी प्रसाद द्विवेदी जी ने बताया है कि कुछ लाख वर्षों की बात है जब मनुष्य वनमानुष जैसा था उन्होंने अपने भाषा में जो चयन प्रक्रिया ली है उसमें उन्होंने कहा है कि जब यह बहुत लाखों वर्षों की बात है अर्थात वह कहते हैं कि ऐसे यह कल्पना है या निबंध लिखने की उनकी भाषा शैली है ठीक है उन्होंने कहा कि लाखों वर्षों के बाद है क्या मनुष्य बनमानुस जैसा था मतलब उसको पास ज्यादा बुद्धि विवेक नहीं था और आज भी दिल के पास बल बुद्धि विवेक ना हो वनमानुष हैं जिनको ज्ञान ना हो सभी लोगों के सुरक्षा का सभी लोगों के जीवन का संविधान का किसी भी प्रकार से उनका गलत उद्देश्य करना हो तो वह वनमानुष है अगर वह गलत उद्देश्य से जीवन जी रहे हैं तो उनको आप तो बहुत समझदार नहीं कह सकते उनके बुद्धि विवेक में कोई गुण है ही नहीं वह दुर्गुण ही कह जा सकते हैं उसे नाखून की जरूरत थी उसकी जीव रक्षा के लिए नाखून बहुत जरूरी था असल में वही अस्त्र-शस्त्र भी थे बंदरों को आप जब तन करेंगे तो नाचे गाना मनुष्य बंदर चाहिए और सभी मनुष्य ऐसा नहीं कि भारतीय से हुए वह कंगारू से ऐसा नहीं है लगभग सभी लोगों के जीवन में एक ही जैसे शुक्राणु पाए जाते हैं तो मनुष्य अपने नाखूनों को अपने हथियार के रूप में जब बंदर को आप तंग करेंगे तो वह आपको हाथों से नहीं लेता है या किसी भी जंतु के पास जो हादसा हुआ है वह चलने वाले तो हाथों से नाश्ता बिल्ली को आप देख लो ठीक है कुत्ते को देख लो वह भी अपने आगे वाले पैर का इस्तेमाल करता है तो वैसे ही मनुष्य था और वह अपने नाक को हथियार के रूप में प्रयोग करते थे दांत भी थे उन दिनों कुछ समस्याएं ऐसी थी आपके मन में विचार आया होगा कि ऐसा क्यों है यह विचार आने चाहिए जैसे जब प्रभु राम के जीवन में हजारी प्रसाद द्विवेदी जी ने के ही शब्दों में है उन्होंने कहा है कि जिस प्रकार बांदरी सेना ने जो बांदरी सेना थी अतात बंदरों की सेना बंदरों की सेना पर विराम लेकर लंका पर चढ़ाई किए थे उनके पास भी इसी प्रकार के हर प्रकार से जैसे बंदर होते हैं मनुष्य होते हैं तो इसी प्रकार के लोग थे ठीक है उनके पास कोई बहुत ज्यादा अस्त्र-शस्त्र नहीं होते थे अब वह जैसे लोहे के अस्त्र हुए या जिन भी प्रकार से उस समय अपनी रक्षा के लिए लोग उपयोग करते थे एक दिन हजारी प्रसाद द्विवेदी जी का मुख्य कथा ने पूर्ण रूप से इतना लंबा निबंध 10 मिनट में नहीं आप सुन सकते हैं हजारी प्रसाद द्विवेदी जी कहते हैं कि जब एक बच्चे ने समझाया था बच्चा पूछ रहा था कि पृथ्वी में मनुष्य की उत्पत्ति कैसे हुई तो उसके पिताजी समझा नहीं पा रहे थे उन्होंने एक के ऊपर एक कथाएं लिखते हुए चले गए और लगभग उन्होंने सभी प्रश्नों के उत्तर दें डालें बच्चे के जो भी उत्तर को दे पाते थे वह देते थे जो नहीं दे पाते थे उस को टाल देते थे या ऐसे कह सकते हैं कि जो उत्तर बच्चे को नहीं देना चाहिए था या जिसमें कोई विशेष उद्देश्य ना रहा हो तो उसका उत्तर वह नहीं देते थे या उनके पास ज्ञान नहीं था बच्चे ने पूछा यह नाखून क्यों बढ़ते हैं अब उसके पिता को एक ज्ञान नहीं था बच्चे यह आज क्योंकि रात है अभी आपके बच्चे ने पूरा आपका बच्चा पूछ ले कि नाखून क्यों बढ़ते हैं बाल क्यों बढ़ते हैं आपको ज्ञान नहीं है तो अब बच्चे को क्या समझाएंगे फस गए ना तो उनके कहने का अर्थ यह था हजारी प्रसाद द्विवेदी जी के इस निबंध में कि सभी लोगों को शिक्षित होना चाहिए कि हमारे शरीर में किस प्रकार से विकास होता है किस प्रकार से जीवन आगे बढ़ते हैं और शिक्षा सबसे ज्यादा बहुमूल्य अर्थात जब बच्चे ने दो तीन बार यह पूछा तो जब पिता को एक ज्ञान नहीं था तो उन्होंने बच्चे को पीट दिया और अपशब्दों का प्रयोग किया और कहा कि इसी कारण है तो उन्होंने कहा क्यों तो बच्चे को मारते हुए यह संभवत जो डांटना होता है उन्होंने जब मारा दो मुंह पर तो बच्चे ने हाथ किया तो उसके नाखून जो थे वह हाथों में पिताजी के लग गए तो बच्चे नैना को नहीं काटा था तो पिताजी के हाथों में लग गए तो बच्चे ने कहा कि पिताजी हमको पता चल गया कि यह नाखून क्यों बढ़ते हैं और अब आप मुझे बताइए तो पिताजी भी अपना उसको देखे तो उन्होंने सोचा नाखून लग गया यहां पर तो बच्चे मारना चाहिए थोड़ा समझदारी किया वह बच्चे को नहीं मारा कुछ देर बाद बच्चे ने पूछा कि पिताजी आपके हाथों में जो लगा है ठीक हो गया तो उन्होंने कहा कि ऐसे दुष्टता क्यों करते हो कि हमको आपको पीटना पड़ेगा नहीं मैंने पूछा था कि यह नाखून क्यों बढ़ते हैं तो आपने नहीं बताया लेकिन हम जानते तो उन्होंने कहा हम जानते हैं कि तुम बताओ तुम क्या जाने तो बच्चे ने कहा कि यह नाखून इसलिए बढ़ते थे कि आप अपने जीवन की रक्षा कर सकूं पिताजी ने कहा ऐसा तो नहीं है इसमें काफी ज्यादा नाखून बढ़ने से आप अच्छे नहीं लगते हैं तो उन्होंने कहा कि नाखून काटे इसलिए जाते हैं कि पिता जब पीते तो उसके हाथों में चोट न लगे इसलिए काटे जाते हैं समझ में आया आपको नहीं आया फिर से सुना बेटे ने पिता को शिक्षा दिया के नाखून बढ़ते इसलिए हैं कि आप अपने हाथों द्वारा इससे कुछ ऐसी चीजें करो जिससे आपकी रक्षा हो सके फिर बच्चे ने उत्तर दिया कि ये छोटे इसलिए होते और कांटे इसलिए जाते हैं कि यह पिताजी आपको पीते तो जवाब मार खाएं तो आप हाथ न लगाएं यह तो उनके हाथों में चोट लग जाएगी यह प्रेम था ठीक है तो आप इस प्रकार से भी अपने पिता-पुत्र के संबंधों को बनाए रख सकते हैं जय हिंद जय भारत भारत माता की जय वंदे मातरम जय श्री राम

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हजारी प्रसाद द्विवेदी जी या निबंध बहुत ही अच्छे तथ्यों को देखते हुए लिखा था और हजारी प्रसा

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द्विवेदी जी से किसने पूछा कि नाखून क्यों बढ़ते हैं? - dvivedee jee se kisane poochha ki naakhoon kyon badhate hain?
 2013

द्विवेदी जी से किसने पूछा कि नाखून क्यों बढ़ते हैं? - dvivedee jee se kisane poochha ki naakhoon kyon badhate hain?

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लेखक से किसने पूछा था कि नाखून क्यों बढ़ते हैं?

यह प्रश्न लेखक के आगे उनकी लड़की के माध्यम से उपस्थित हुआ। बढ़ते नाखूनों द्वारा प्रकृति मनुष्य को क्या याद दिलाती है ? प्राचीन काल में मनुष्य जंगली था

हजारी प्रसाद द्विवेदी का निबंध नाखून क्यों बढ़ते हैं?

द्विवेदी जी ने इस आलोचनात्मक निबन्ध में स्पष्ट किया है नाखूनों का बढ़ना मनुष्य की उस अन्ध सहजावृत्ति का परिणाम है, जो उसके जीवन में सफलता(success) ले आना चाहती हैं तथा नाखूनों को काट देना स्व-निर्धारित आत्म बन्धन है, जो उसे चरितार्थ की ओर ले जाती है।

3 नाखून क्यों बढ़ते हैं प्रश्न उत्तर?

(३) नाखून बढ़ना और उसे नहीं बढ़ने देना इनकी निशानी है (अ) मनुष्य के भीतर की पशुता की । (ब) मनुष्य की अपनी इच्छा और अपने आदर्श की। (१) मनुष्य में जो घृणा है जो अनायास बिना सिखाए आ जाती है, वह पशुत्व का द्योतक है। (२) नाखून बढ़ते हैं तो बढ़ें, मनुष्य उन्हें बढ़ने नहीं देगा।