दूध में कास्टिक डालने से क्या होता है? - doodh mein kaastik daalane se kya hota hai?

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दूध में मिलाया जा रहा सोडा, जरा संभलकर पीएं

ग्वालियर। यदि आप डेयरी या किसी अन्य दूध विक्रेता से दूध खरीदते हैं तो इसकी शुद्धता के बारे में पता कर लें। कहीं ऐसा न हो कि इसमें हानिकारक तत्वों की मिलावट की जा रही हो। यह आपके पूरे परिवार के स्वास्थ्य के लिए खतरनाक हो सकता है। शहर के कई डेयरियों व खुला दूध बेचने वालों के दूध में मिलावट पाई जा रही है। ग्वालियर दुग्ध संघ ने रविवार को दर्पण कॉलोनी में शिविर लगाकर मशीन से दूध की जांच की तो इसमें पानी ही नहीं, बल्कि हानिकारक तत्वों की मिलावट पाई गई।

दर्पण कॉलोनी के सरकारी क्वार्टर में रहने वालीं रेखा भटनागर पास की भैंस डेयरी से दूध लेती हैं। सुबह साढ़े आठ बजे वह स्टील के बर्तन में दूध लेकर आ रही थीं। ग्वालियर दूध संघ के अधिकारियों ने उनसे दूध की जांच कराने का आग्रह किया, ताकि यह मालूम हो सके कि दूध में किसी प्रकार की मिलावट तो नहीं की गई है। जांच में पाया गया कि उसमें पानी की मात्रा अधिक है। दर्पण कॉलोनी खेल मैदान के पास रहने वाली सावित्री देवी दूध विक्रेता से दूध खरीदती हंै। वह शिविर में दूध लेकर पहुंचीं और जांच करने का आग्रह किया। जांच करने पर पता चला कि दूध में खाने का सोडा मिलाया गया है। दुग्धसंघ के अधिकारियों ने सावित्री देवी को उक्त दूध का उपयोग नहीं करने की सलाह दी। दुग्ध संघ ने कुल 14 लोगों के दूध की जांच की। इनमें एक में सोडा मिला था, जबकि ११ में पानी मिला। दूध के दो सैंपल ठीक पाए गए।

दूध का कलर पिंक हो जाए तो समझिए सोडा मिला है

मिलावटी दूध की जांच दो तरह से की जाती है। इलेक्ट्रो मिल्क टेस्ट मशीन से जांच करने पर दूध में पानी व फैट की मात्रा का पता चलता है, जबकि परखनली में केमिकल डालने के बाद दूध डाला जाता है। अगर दूध में सोडा मिला है तो उसका कलर पिंक हो जाएगा।

दूध को फटने से बचाने के लिए मिलाते हैं सोडा

कई दूध विक्रेता दूध की टंकियों को दोपहिया वाहन पर बांधकर दूध शहर में बेचने के लिए आते हैं। दूध के सुरक्षित रहने का समय अधिकतम दो घंटे रहता है, जबकि दूधियों को शहर आने व घर-घर बांटने में तीन से चार घंटे का समय लगता है। इसको लेकर अधिकतर दूधिए दूध को सुरक्षित रखने के लिए उसमें खाने का सोडा मिलाते हैं। ये दूधिए 40 लीटर दूध में 50 ग्राम खाने का सोडा मिलाते है। इससे दूध तीन घंटे तक खराब नहीं होता है।

ये हो सकती है बीमारी

सोडायुक्त दूध का उपयोग करने से अल्सर, पेट में छाले होने का खतरा बना रहता है। इसके अलावा बच्चों को उल्टी, दस्त व पेट में दर्द की शिकायत पैदा होती है।

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यूरिया, कास्टिक सोडा ग्लूकोज का दूध!

दूधमें भी मिलावट का काला खेल। राजधानी से लेकर पटना सिटी आैर दानापुर तक नकली दूध का धंधा चमका हुआ है। मिलावटखोर सक्रिय हैं। कारण यह है कि नक्कालों की मंडी यानी डुप्लीकेट मार्केट में सबसे ज्यादा मुनाफा का सौदा नकली दूध को ही माना जाता है। लागत कम से कम आैर कमाई अधिकतम। इसी फॉर्मूले पर नकली या सिंथेटिक दूध का अवैध धंधा होली के त्योहारी मौसम में परवान चढ़ने लगा है।

इन पहलुओं से जुड़ी हकीकत को परखने निकली डीबी स्टार की टीम शहर के एक इलाके में नकली दूध के धंधेबाजों के ठिकाने पर पहुंची। वहां एक साथ सात-अाठ लोग मिलावटी दूध को तैयार करने में व्यस्त थे। पूछने पर पता चला कि पानी में दूध के पाउडर के अलावा खाने वाला सोडा (कास्टिक सोडा), यूरिया, ग्लूकोज या सैकरीन से लेकर डिटरजेंट तक मिला कर नकली दूध तैयार किया जाता है। नकली दूध में झाग-खुशबू पैदा करने के लिए डिटरजेंट पाउडर को मिला दिया जाता है। वहां हल्की मिठास के लिए ग्लूकोज या सैकरीन का इस्तेमाल किया जाता है। सबका मिश्रण मिला देने के बाद नकली दूध तैयार होता है। दिखने में नकली दूध की सफेदी आम लोगों की आंखों को आसानी से चकमा दे देती है। सफेदी से लेकर झाग तक ऐसा होता है कि सामान्य परिस्थितियों में असली-नकली की पहचान नहीं हो पाती है।

देश में हर तीन में से दो लोग मिलावटी या सिंथेटिक दूध पी रहे हैं। संसद में केंद्र सरकार ने इस कड़वे सच को स्वीकार किया है। बीते बुधवार को लोक सभा में केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि दूध में मिलावट बेहद खतरनाक स्तर पर हो रही है। सिंथेटिक दूध में यूरिया, डिटरजेंट, पेंट, कास्टिक सोडा, नकली रिफाइंड तेल आैर नकली ग्लूकोज मिलाया जा रहा है। पूरे देश में बिकने वाले दूध में 66 प्रतिशत से अधिक फूड रेगुलेटर एफएसएसएआई द्वारा तय मानकों पर खरा नहीं उतरता है।

पहचान के 5 तरीके

1.शुद्ध दूध उंगली पर टिकेगा जबकि नकली पानी की तरह बह जाएगा।

2. समतल सतह पर दूध गिराएं। शुद्ध दूध सीधी पंक्ति में बहते हुए गाढ़ी छाप छोड़ेगा। मिलावटी पानी की तरह बह जाएगा।

3. पांच बूंद हाइड्रोक्लोरिक एसिड आैर थोड़ा चीनी मिलाने पर नकली दूध लाल हो जाएगा।

4. दूध गर्म कर रैजोलिक एसिड डालने पर अगर दूध का रंग लाल हो जाए तो उसमें फॉर्मोलीन की मिलावट है।

5. दूध में यूरिया की पहचान लैब में ही हो सकती है।

नकली दूध है जहर के समान

नकलीदूधजहर के समान है। इसका नियमित सेवन जानलेवा हो सकता है। पेट में संक्रमण से लेकर कई असाध्य बीमारियां हो सकती है। गैस, बदहजमी, उल्टी-दस्त अन्य समस्याओं के अलावा लीवर, किडनी आदि से जुड़ी परेशानी भी हो सकती है। लोगों को कोशिश करनी चाहिए कि अपनी आंखों के सामने गाय-भैंस का शुद्ध दूध खरीदे या ब्रांडेड कंपनियों की पैकिंग वाले दूध का इस्तेमाल करें। डॉ.राजीव रंजन, सीनियर फिजिशियन

दूध की किल्लत पर डिमांड में तेजी

हरमौसम में नकली दूध का कारोबार होता है। वैसे पर्व-त्योहार या शादी-विवाह का मौसम परवान चढ़ने पर शहर से देहात तक दूध (ओरिजनल) की किल्लत होने पर नकली दूध की खपत बढ़ जाती है। जैसे-जैसे किल्लत बढ़ती है उसी हिसाब से नकली दूध की डिमांड आैर सप्लाई भी बढ़ जाती है।

सरेआमसप्लाई पर नहीं होती जांच

नकलीया सिंथेटिक दूध की सप्लाई सरेआम होती है और इससे सरकारी तंत्र भी अनजान नहीं। इसके बावजूद सड़कों पर इसकी कहीं जांच नहीं होती। नतीजतन बेरोकटोक बाइक से लेकर टेम्पो-जीप जैसी गाड़ियों से नकली दूध की सप्लाई होती है।

कास्टिक सोडा दूध में क्यों मिलाया जाता है?

दूध को फटने से बचाने के लिए कुछ दूधिया कास्टिक सोडा का उपयोग करते हैं। इसके साथ ही कास्टिक सोडा, यूरिया, डिटर्जेंट, गुणवत्ता विहीन तेल , शैम्पू आदि से नकली दूध तैयार किया जाता है।

दूध में कौन सा केमिकल मिक्स होता है?

नेशनल डेयरी रिसर्च इंस्टीट्यूट के मुताबिक दूध में यूरिया, अमोनिया, नाइट्रेट फर्टिलाइजर, शुगर, नमक और ग्लूकोज की मिलावट से दूध की मात्रा के साथ ही एसएनएफ और फैट भी बढ़ जाता है। न्यूट्रलाइजर इसलिए मिलाया जाता है ताकि दूध में खटास पैदा न हो।

दूध में खाने का सोडा डालने से क्या होता है?

ये हो सकती है बीमारी सोडायुक्त दूध का उपयोग करने से अल्सर, पेट में छाले होने का खतरा बना रहता है। इसके अलावा बच्चों को उल्टी, दस्त व पेट में दर्द की शिकायत पैदा होती है।

कास्टिक पाउडर क्या होता है?

What is caustic soda: कास्टिक सोडा को हम सोडियम हाइड्रोक्साइड और लाई के नाम से भी जानते हैं. एक रिसर्च के अनुसार, कास्टिक सोडा काफी रिएक्टिव पदार्थ होने के साथ-साथ सबसे शक्तिशाली क्षार भी माना जाता है. कास्टिक सोडा का साइंटिफिक नाम Na OH रखा गया है. यह सफेद रंग के पाउडर के रूप में मौजूद एक ज्वलनशील प्रदार्थ होता है.