लेखक ने कौन सी क्लास का टिकट खरीदा था? - lekhak ne kaun see klaas ka tikat khareeda tha?

लेखक सेकंड क्लास के डिब्बे में यात्रा क्यों कर रहा था?


सेकंड क्लास का किराया अधिक था। इसीलिए उसमें ज़्यादा भीड़ नहीं होती। लेखक को नई कहानी के सोच-विचार के लिए एकांत चाहिए था। साथ में प्राकृतिक दृश्य देखते हुए किसी भी तरह की बाधा उत्पन्न नहीं होती। एकांत की इच्छा के कारण लेखक ने सेकंड क्लास का टिकट खरीदा।

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निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिये:
मूफ़स्सिल की पैसेंजर ट्रेन चल पड़ने की उतावली में फुँकार रही थी। आराम से सेकंड क्लास में जाने के लिए दाम अधिक लगते हैं। दूर तो जाना नहीं था। भीड़ से बचकर, एकांत में नई कहानी के संबंध में सोच सकने और खिड़की से प्राकृतिक दृश्य देख सकने के लिए सेकंड क्लास का ही ले लिया।
कौन-सी ट्रेन चलने के लिए उतावली हो रही थी?

  • राजधानी
  • पैसेंजर
  • गुडज़ 
  • गुडज़ 

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निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिये:
मूफ़स्सिल की पैसेंजर ट्रेन चल पड़ने की उतावली में फुँकार रही थी। आराम से सेकंड क्लास में जाने के लिए दाम अधिक लगते हैं। दूर तो जाना नहीं था। भीड़ से बचकर, एकांत में नई कहानी के संबंध में सोच सकने और खिड़की से प्राकृतिक दृश्य देख सकने के लिए सेकंड क्लास का ही ले लिया।
गाड़ी जाने के लिए क्या कर रही थी?

  • फूत्कार
  • फुँकार
  • चीत्कार
  • चीत्कार

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नवाब साहब ने बहुत ही यत्न से खीरा काटा, नमक-मिर्च बुरका, अंतत: सूँघकर ही खिड़की से बाहर फेंक दिया। उन्होंने ऐसा क्यों किया होगा? उनका ऐसा करना उनके कैसे स्वभाव को इंगित करता है?


नवाब साहब ने बहुत नजाकत और सलीके से खीरा काटा, उन पर नमक-मिर्च लगाया। उन नमक-मिर्च लगी खीरे की फाँकों को खाया नहीं अपितु सूँघकर खिड़की से बाहर फेंक दिया था। उनकी इस हरकत का यह कारण होगा कि वे एक नवाब थे, जो दूसरों के सामने खीरे जैसी आम खाद्‌य वस्तु खाने में शर्म भव करते थे। लेखक को अपने डिब्बे में देखकर नवाब को अपनी रईसी याद आने लगी। इसीलिए उन्होंने खीरे को मात्र सूँघकर ही खिड़की से बाहर फेंक दिया।

नवाब साहब के ऐसा करने से ऐसा लगता है कि वे दिखावे की जिंदगी जी रहे हैं। वे दिखावा पसंद इंसान थे। उनके इसी प्रकार के स्वभाव ने लेखक को देखकर खीरा खाना अपमान समझा।

गुड -शक्कर, मूँगफली, तिल, चाय, कॉफी आदि का प्रयोग किया जाता है। बरसात में कई लोग कढ़ी खाना अच्छा नहीं समझते। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार एकादशी को चावल नहीं खाने चाहिए।

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‘लखनवी अंदाज’ पाठ के माध्यम से लेखक क्या कहना चाहता है?


‘लखनवी अंदाज’ पाठ के लेखक यशपाल हैं। लेखक इस पाठ के माध्यम से यह बताना चाहता है कि बिना पात्रों, घटना और विचार के भी स्वतंत्र रूप से रचना लिखी जा सकती है। इस रचना के माध्यम से लेखक ने दिखावा पसंद लोगों की जीवन शैली का वर्णन किया है। लेखक को रेलगाड़ी के डिब्बे में एक नवाब मिलता है। नवाब बड़े सलीके से खीरे को खाने की तैयारी करता है लेकिन उसे लेखक के सामने खीरा खाने में संकोच होता है इसलिए अपने नवाबी अंदाज में लजीज रूप से तैयार खीरे को केवल सूँघकर खिड़की के बाहर फेंक देता है। नवाब के इस व्यवहार से लगता है कि वे लोग आम लोगों जैसे कार्य एकांत में करना पसंद करते हैं उन्हें लगता है कि कहीं किसी के देख लेने से उनकी शान में फर्क न आ जाए। आज का समाज भी ऐसी ही दिखावा पसंद संस्कृति का आदी हो गया है।

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लेखक को नवाब साहब के किन हाव-भावों से महसूस हुआ कि वे उनसे बातचीत करने के लिए तनिक भी उत्सुक नहीं हैं?


लेखक ने डिब्बे में प्रवेश किया तो वहाँ पहले से ही एक सज्जन पुरुष पालथी लगाए सीट पर बैठे थे। उनके सामने खीरे रखे थे। लेखक को देखते ही उनके चेहरे के भाव ऐसे हो गए जैसे लेखक का आना अच्छा नहीं लगा। ऐसा लग रहा था जैसे लेखक ने उनके एकांत चिंतन में विघ्न डाल दिया था। इसीलिए वे परेशान हो जाते हैं। परेशानी की स्थिति में कभी खिड़की के बाहर देखते हैं और कभी खीरों को देखते हैं। उनकी असुविधा और संकोच वाली स्थिति से लेखक को लगा कि नवाब उनसे बातचीत करने में उत्सुक नहीं है।

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Solution :  लेखक ने सेकंड क्लास का टिकट इसलिए खरीदा क्योंकि लेखक का अनुमान था कि सेकंड क्लास का डिब्बा खाली होगा, जिससे वे भीड़ से बचकर नई कहानी के विषय में एकांत में चिंतन करने के साथ-साथ प्राकृतिक दृश्यों की शोभा भी निहार सकेंगे।

लेखक को नवाब साहब के किन हाव-भावों से महसूस हुआ कि वे उनसे बातचीत करने के लिए तनिक भी उत्सुक नहीं हैं?


लेखक ने डिब्बे में प्रवेश किया तो वहाँ पहले से ही एक सज्जन पुरुष पालथी लगाए सीट पर बैठे थे। उनके सामने खीरे रखे थे। लेखक को देखते ही उनके चेहरे के भाव ऐसे हो गए जैसे लेखक का आना अच्छा नहीं लगा। ऐसा लग रहा था जैसे लेखक ने उनके एकांत चिंतन में विघ्न डाल दिया था। इसीलिए वे परेशान हो जाते हैं। परेशानी की स्थिति में कभी खिड़की के बाहर देखते हैं और कभी खीरों को देखते हैं। उनकी असुविधा और संकोच वाली स्थिति से लेखक को लगा कि नवाब उनसे बातचीत करने में उत्सुक नहीं है।

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लेखक ने नबाब की असुविधा और संकोच के लिए क्या अनुमान लगाया?


लेखक जिस डिब्बे में चढ़ा वहाँ पहले से ही एक सज्जन पालथी लगाए बैठे थे। उनके सामने दो खीरे रखे थे। लेखक को देखकर उन्हें असुविधा और संकोच हो रहा था। लेखक ने उनकी असुविधा और संकोच के कारण का अनुमान लगाया कि नवाब साहब यह नहीं चाहते होंगे कि कोई उन्हें सेकंड क्लास में यात्रा करते देखें। यह उनकी रईसी के विरुद्ध था। नवाब साहब ने आम लोगों द्वारा खाए जाने वाले खीरे खरीद रखे थे। अब उन खीरों को लेखक के सामने खाने में संकोच आ रहा था। सेकंड क्लास में यात्रा करना और खीरे खाना उनके लिए असुविधा और संकोच का कारण बन रहा था।

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लेखक के सामने नवाब साहब ने खीरा खाने का कौन-सा खानदानी रईसी तरीका अपनाया?


नवाब साहब दूसरों के सामने साधारण-सा खाद्‌य पदार्थ खीरा खाना नहीं चाहते थे। इसलिए उन्होंने खीरे को किसी कीमती वस्तु की तरह तैयार किया। उस लजीज खीरे को देखकर लेखक के मुँह में पानी आ गया था। अब नवाब साहब की इज्जत का सवाल था इसलिए उन्होंने खीरे की फाँक को उठाया नाक तक ले जाकर सूंघा। खीरे की महक से उनके मुँह में पानी आ गया। उन्होंने उस पानी को गटका और खीरे की फाँक को खिड़की से बाहर फेंक दिया। इस तरह उन्होंने सारा खीरा बाहर फेंक दिया। सारा खीरा फेंक कर लेखक को गर्व से देखा। उनके चेहरे से ऐसा लग रहा था जैसे वह लेखक से कह रहे हों कि नवाबों के खीरा खाने का यह खानदानी रईसी तरीका है।

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लेखक सेकंड क्लास के डिब्बे में यात्रा क्यों कर रहा था?


सेकंड क्लास का किराया अधिक था। इसीलिए उसमें ज़्यादा भीड़ नहीं होती। लेखक को नई कहानी के सोच-विचार के लिए एकांत चाहिए था। साथ में प्राकृतिक दृश्य देखते हुए किसी भी तरह की बाधा उत्पन्न नहीं होती। एकांत की इच्छा के कारण लेखक ने सेकंड क्लास का टिकट खरीदा।

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लेखक को खीरे खाने से इंकार करने पर अफसोस क्यों हो रहा था?


नवाब साहब ने साधारण से खीरों को इस तरह से संवारा कि वे खास हो गए थे। खीरों की सजावट ने लेखक के मुँह में पानी ला दिया था परंतु वे पहले ही खीरा खाने से इंकार कर चुके थे। अब उन्हें अपना भी आत्म-सम्मान बचाना था। इसीलिए नवाब साहब के दुबारा पूछने पर उन्होंने मैदा (अमाशय) कमजोर होने का बहाना बनाया।

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लेखक ने यात्रा करने के लिए कौन सा टिकट खरीदा?

Solution : लेखक ने सेकंड क्लास का टिकट इसलिए खरीदा क्योंकि लेखक का अनुमान था कि सेकंड क्लास का डिब्बा खाली होगा, जिससे वे भीड़ से बचकर नई कहानी के विषय में एकांत में चिंतन करने के साथ-साथ प्राकृतिक दृश्यों की शोभा भी निहार सकेंगे।

ख लेखक ने सैकण्ड क्लास का टिकट क्यों खरीदा था?

लेखक को नई कहानी के सोच-विचार के लिए एकांत चाहिए था। साथ में प्राकृतिक दृश्य देखते हुए किसी भी तरह की बाधा उत्पन्न नहीं होती। एकांत की इच्छा के कारण लेखक ने सेकंड क्लास का टिकट खरीदा

लेखक के अनुसार नवाब साहब ने सेकंड क्लास का टिकट क्यों खरीदा था?

Answer: लेखक ने सेकंड क्लास का टिकट इसलिए खरीदा क्योंकि लेखक आरामदायक और सुकून से यात्रा करना चाहता था। उसे यात्रा के दौरान एकांत चाहिए थासेकंड क्लास का किराया अधिक होने के कारण वहां पर भीड़ कम होती थी।

लेखक ने ट्रेन की सेकेंड क्लास की टिकट लेने के क्या कारण बताए हैं?

उत्तरः लेखक ने भीड़ से बचकर एकांत में नई कहानी के संबंध में सोचने और खिड़की से प्राकृतिक दृश्य देखने का आनंद लेने के लिये सेकंड क्लास का टिकट लिया।