1 कवि को ऐसा विश्वास क्यों है कि उसका अंत अभी नहीं होगा 2 फूलों को अनंत तक विकसित करने के लिए कवि कौन कौन सा? - 1 kavi ko aisa vishvaas kyon hai ki usaka ant abhee nahin hoga 2 phoolon ko anant tak vikasit karane ke lie kavi kaun kaun sa?

कवि फूलों को अनंत काल तक विकसित करने के लिए अनेक तरह के प्रयास करना चाहता है। कवि चाहता है कि वसंत ऋतु में जो सुगंधित व आकर्षक फूल खिले हुए हैं। वह यूं ही हमेशा अनंत काल तक खिलते रहें। इसके लिए कवि उन फूलों को आलस्य  और प्रमाद से निकाल कर उन्हें चिरकाल तक खेलते रहने के लिए प्रेरित कर रहा है। ताकि वे सदैव अपनी सुगंध यूँ ही बिखेरते रहें।कवि उन फूलों को युवा का प्रतीक मानता है और वह उनके अंदर से उनका आलस्य और प्रमाद को हमेशा के लिए समाप्त कर देना चाहता है, ताकि वह जोश और उमंग से भरकर देश के विकास में अपना योगदान दे।

विशेष :
‘ध्वनि’ कविता जोकि सूर्यकांत त्रिपाठी निराला द्वारा लिखी गई है, उस के माध्यम से कवि निराला युवा मन में जोश भरने का प्रयत्न कर रहे हैं। वे आशावादी दृष्टिकोण अपनाकर जीवन में आगे बढ़ने की प्रेरणा दे रहे हैं।

संदर्भ :

(‘ध्वनि’ कविता – सूर्यकांत त्रिपाठी निराला, पाठ 1, कक्षा 8

कुछ और जाने :

कवि ने ऐसा क्यों विश्वास किया है कि उसका अंत अभी नहीं होगा?

कवि पुष्पों की तंद्रा और आलस्य दूर करने के लिए क्या करना चाहता है?

usaka ant abhi nahi hoga

1 कवि को ऐसा विश्वास क्यों है कि उसका अंत अभी नहीं होगा 2 फूलों को अनंत तक विकसित करने के लिए कवि कौन कौन सा? - 1 kavi ko aisa vishvaas kyon hai ki usaka ant abhee nahin hoga 2 phoolon ko anant tak vikasit karane ke lie kavi kaun kaun sa?

प्रश्न 1. कवि को ऐसा विश्वास क्यों है कि उसका अंत अभी नहीं होगा?

कवि के अंदर जीवन जीने का उत्साह, प्रेरणा और ऊर्जा बची है। वह युवा पीढ़ी को आलस्य की दशा से उबारना चाहते हैं। अभी उन्हें काफी काम करना है। वह स्वयं को काम के लिए सर्वथा उपयुक्त मानते हैं। इसलिए उन्हें विश्वास है कि उनका अंत अभी नहीं होगा।

प्रश्न 2. फूलों को अनंत तक विकसित करने के लिए कवि कौन-कौन-सा प्रयास करता है?

फूलों को अनन्त तक विकसित करने के लिए कवि उन्हें कलियों की स्थिति से निकालकर खिले फूल बनाना चाहते हैं। कवि का मानना है कि उसके जीवन में बसंत आई हुई है इसलिए वह कलियों पर वासंती स्पर्श का अपना हाथ फेरकर उन्हें खिला देगा। अर्थात कवि उस युवा पीढ़ी को काव्य प्रेरणा से आनंद का द्वार दिखाना चाहता है, जो अब तक अपना समय व्यर्थ कर रहे हैं।

प्रश्न 3. कवि पुष्पों की तंद्रा और आलस्य दूर हटाने के लिए क्या करना चाहता है?

कवि पुष्पों की तंद्रा व आलस्य दूर हटाने के लिए उन पर अपना वासंती हाथ फेरकर जगाना चाहता है। तथा कलियों को प्रभात के आने का संदेश देता है। यहां कलियां आलस्य में पड़े युवकों का प्रतीक हैं। अतः कवि नींद में पड़े युवकों को प्रेरित करके उनमें नए उत्कर्ष के स्वप्न जगा देगा। उनका आलस्य दूर भगा देगा। उनमें नए उत्साह का संचार कर देगा।

प्रश्न 4. वसंत को ऋतुराज क्यों कहा जाता है? आपस में चर्चा कीजिए।

उत्तर वसंत को ऋतुराज इसलिए कहा गया है क्योंकि यह सभी ऋतुओं का राजा होता है। वसंत ऋतु का दृश्य अद्भुत होता है। चारों तरफ हरियाली होती है, पेड़-पौधों में नए – नए पत्ते और कलियां खिलना शुरू हो जाते हैं।

प्रश्न 5. वसंत ऋतु में आनेवाले त्योहारों के विषय में जानकारी एकत्र कीजिए और किसी एक त्योहार पर निबंध लिखिए।

NCERT solutions for Class 8 Hindi Dhvani

prashn 1.
kavi ko aisa vishvaas kyon hai ki usaka ant abhee nahin hoga?

prashn 2.
phoolon ko anant tak vikasit karane ke lie kavi kaun-kaun-sa prayaas karata hai?

prashn 3.
kavi pushpon kee tandra aur aalasy door hataane ke lie kya karana chaahata hai?

prashn 4.
vasant ko rturaaj kyon kaha jaata hai? aapas mein charcha keejie.

prashn 5.
vasant rtu mein aanevaale tyohaaron ke vishay mein jaanakaaree ekatr keejie aur kisee ek tyohaar par nibandh likhie.

कवि पुष्पों तंद्रा और आलस्य दूर हटाने के लिए क्या करना चाहता है?


कवि अपने हाथों के सुधा स्पर्श से पुष्पों की नींद व आलस्य मिटाकर उन्हैं चुस्त, प्राणवान, आभामय व पुष्पित करना चाहता है। ऐसा करने का उसका उद्देश्य है कि धरा पर जरा भी आलस्य, प्रमाद, निराशा व मायूसी का निशान तक न रहे। वह हर ओर वसंतकी भाँति हरियाली, सौंदर्य, सुख और आनंद की अनुभूति चाहता है ।

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वसंत ऋतु में आनेवाले त्योहारों के विषय में जानकारी एकत्र कीजिए और किसी एक त्योहार पर निबंध लिखिए।


वसंत पंचमी सरस्वती पूजा, महाशिवरात्रि व होली जैसे प्रमुख त्योहारों का आगमन इसी ऋतु में होता है।

होली

हमारे देश में होली का उत्सव बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। इस त्यौहार को मनाने मैं प्रत्येक भारतीय अपना गौरव समझता है। एक ओर तो आनंद और हर्ष की वर्षा होती है, दूसरी ओर प्रेम व स्नेह की सरिता उमड़ पड़ती है। यह शुभ पर्व प्रतिवर्ष फाल्गुन मास की पूर्णिमा के सुंदर अवसर की शोभा बढ़ाने आता है ।

होली का त्योहार वसंत ऋतु का संदेशवाहक बनकर आता है। मानव मात्र के साथ-साथ प्रकृति भी अपने रंग-ढंग दिखाने में कोई कमी नहीं रखती। चारों ओर प्रकृति कै रूप और सौंदर्य के दृश्य दृष्टिगत होते हैं। पुष्पवाटिका में पपीहे की तान सुनने से मन-मयूर नृत्य कर उठता है। आम के झुरमुट से कोयल की ‘कुहू-कुहू’ सुनकर तो हदय भी झंकृत हो उठता है। ऋतुराज वसंत का स्वागत बड़ी शान से संपन्न होता है। सब लोग घरों से बाहर जाकर रंग-गुलाल खेलते हैं और आनंद मनाते हैं।

होलिकोत्सव धार्मिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। इस उत्सव का आधार हिरण्यकश्यप नामक दानव राजा और उसके ईश्वरभक्त पुत्र प्रल्हाद की कथा है। कहते हैं कि राक्षस राजा बड़ा अत्याचारी था और स्वयं को भगवान मानकर प्रजा से अपनी पूजा करवाता था; किंतु उसी का पुत्र प्रल्हाद ईश्वर का अनन्य भक्त था। हिरण्यकश्यप चाहता था कि मरा पुत्र भी मेरा नाम जपे किंतु वह इसके विपरीत उस ईश्वर का नाम ही जपता था। उसने अपने पुत्र को मरवा डालने के बहुत से यत्न किए, पर असफलता ही मिली। एक बार हिरण्यकश्यप की बहन होलिका ने इस कुकृत्य में अपने भाई का साथ देने का प्रयास किया। उसे किसी देवता से वरदान में एक ऐसा वस्त्र प्राप्त था जिसे ओढ़कर उस आग नहीं लग सकती थी। एक दिन होलिका प्रल्हाद को गोदी में लेकर चिता में बैठ गई। किंतु भगवान की इच्छा कुछ और ही थी, किसी प्रकार वह कपड़ा उड़कर प्रल्हाद पर जा पड़ा। फलत: होलिका तो भस्म हो गई और प्रल्हाद बच गया। बुराई करने वाले की उसका फल मिल गया था। इसी शिक्षा को दोहराने के लिए यह उत्सव मनाया जाता है।

इस दिन खूब रंग खेला जाता है। आपस में नर-नारी, युवा-वृद्ध गुलाल से एक-दूसरे के मुख को लाल करके हँसी-ठट्ठा करते हैं। ग्रामीण लोग नाच-गाकर इस उल्लास- भरे त्योहार को मनाते हैं । कृष्ण-गोपियों की रास-लीला भी होती है। धुलेंडी के बाद संध्या समय नए-नए कपड़े पहनकर लोग अपने मित्रगणों से मिलते हैं. एक-दूसरे को मिठाई आदि खिलाते हैं और अपने स्नेह-संबंधों की पुनर्जीवित करते हैं।

होली के शुभ अवसर पर जैन धर्म के लोग भी आठ दिन तक सिद्धचक्र की पूजा करते हैं, यह ‘अष्टाहिका’ पर्व कहलाता है। ऐसे कामों से इस पर्व की पवित्रता का परिचय मिलता है। कुछ लोग इस शुभ पर्व को भी अपने कुकर्मो से गंदा बना देते हैं। कुछ लोग इस दिन रंग के स्थान पर कीचड़ आदि गंदी वस्तुओं को एक-दूसरे पर फेंकते हैं अथवा पक्के रंगों या तारकोल से एक-दूसरे को पोतते हैं जिसके फलस्वरूप झगड़े भी हो जाते हैं। इसके अतिरिक्त कुछ लोग इस दिन भाँग, मदिरा आदि नशे की वस्तुओं का भी प्रयोग करते हैं जिनके परिणाम कभी भी अच्छे नहीं हो सकते। ऐसे शुभ पर्व को इन बातों से अपवित्र करना मानव धर्म नहीं है।

होलिकोत्सव तो हर प्राणी को स्नेह का पाठ सिखाता है। इस दिन शत्रु भी अपनी शत्रुता भूलकर मित्र बन जाते हैं। इस कारण सब उत्सवों में यदि इसे ‘उत्सवों की रानी’ कहा जाए तो अत्युक्ति न होगी।

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वसंत को ऋतुराज क्यों कहा जाता है? आपस में चर्चा कीजिए।


ऋतुओं में ग्रीष्म, वर्षा, शरद तथा पतझड़ भी वातावरण को प्रभावित करते हैं लेकिन वसंत ऋतु के आते ही पसीना, ठिठुरना, कीचड़ आदि नकारात्मक तत्त्व नही होते। पुष्प स्वयं खिलते हैं। प्रकृति की नई सुषमा चारों और वातावरण में छा जाती है। आलस्य और निराशा दूर भाग जाते है। स्वास्थ्य, सौंदर्य और स्फुर्ति का वातावरण होता है। पक्षियों का कलरव चारों ओर सुनाई देता हे। बच्चे, बूढ़े सभी के चेहरों पर नया नूर झलकता है। प्रकृति के इसी परिवर्तन के कारण वसंत को ‘ऋतुराज’ या ‘ऋतुओं की रानी’ कहा जाता है।

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कवि को ऐसा विश्वास क्यों है कि उसका अंत अभी नहीं होगा 2 फूलों को अनंत?

कवि को ऐसा विश्वास क्यों है कि उसका अंत अभी नहीं होगा? उत्तर:- कवि को ऐसा विश्वास इसलिए है क्योंकि अभी उसके मन में नया जोश व उमंग है। अभी उसे काफ़ी नवीन कार्य करने है। वह युवा पीढ़ी को आलस्य की दशा से उबारना चाहते हैं।

2 फूलों को अनंत तक विकसित करने के लिए कवि कौन कौन सा प्रया करता है?

Solution : कवि चाहता है कि सारे पुष्प अनन्त काल तक अपनी आभा, सुषमा और सुगन्ध सारे वातावरण में बिखेरते रहें। इसलिए किशोरों रूपी फूलों को अनंत तक विकसित करने के लिए उन पर छाये उनींदेपन के आलस्य को दूर करके अपने नवजीवन के अमृत से सहर्ष सींचने का प्रयास करता है।

कवि को ऐसा विश्वास क्यों है कि उसका अंत अभी नहीं होगा छ लेखक पेड़ों को दुश्मन क्यों समझ रहा था?

कवि को स्वयं पर दृढ़ विश्वास है कि वह अपनी कर्तव्यपरायणता तथा सक्रियता से विमुख होकर अपनै जीवन का अंत नहीं होने देगा। वह तो अपने यशस्वी कार्यो की आभा को वसंत की भाँति सुगंधित रूप में सब और फैलाना चाहता है।

कवि अपने जीवन का अंत क्यों नहीं चाहता class 8?

स्वप्न भरे कोमल-कोमल हाथों को अलसाई कलियों पर फेरते हुए कवि कलियों को प्रभात के आने का संदेश देता है, उन्हें जगाना चाहता है और खुशी-खुशी अपने जीवन के अमृत से उन्हें सींचकर हरा-भरा करना चाहता है।