Solutions For All Chapters Aroh Class 11 Show गजल के साथप्रश्न 1: आखिरी शेर में गुलमोहर की चर्चा हुई है। क्या उसका आशय एक खास तरह के फूलदार वृक्ष से है या उसमें कोई सांकेतिक अर्थ निहित है। समझाकर लिखें। उत्तर – अंतिम शेर में गुलमोहर का शाब्दिक अर्थ तो एक खास फूलदार वृक्ष से ही है, पर सांकेतिक अर्थ बड़ा मार्मिक है। इस शेर में कवि दुष्यंत कुमारे यह बताना चाहते हैं कि जीवन वही उत्तम है जो अपने घर की सुखद छाया में है और मरना वह उत्तम है कि दूसरों को सुख देने के लिए मरा जा सके। प्रश्न 2: पहले शेर में ‘चिराग’ शब्द एक बार बहुवचन में आया है और दूसरी बार एकवचन में। अर्थ एवं काव्य-सौंदर्य की दृष्टि से इसका क्या महत्व है? उत्तर – पहले शेर में ‘चिराग’ शब्द का बहुवचन, ‘चिरागाँ’ का प्रयोग हुआ है। इसका अर्थ था-बहुत-सारी सुख-सुविधाएँ उपलब्ध करवाना, दूसरी बार यह एकवचन में प्रयुक्त हुआ है। इसमें इसका अर्थ है-सीमित सुविधाएँ मिलना। दोनों का अपना महत्व है। बहुवचन के रूप में यह कल्पना को बताता है, जबकि दूसरा रूप यथार्थ को दर्शाता है। कवि ने एक ही शब्द का प्रतीकात्मक व लाक्षणिक शब्द करके अपनी अद्भुत कल्पना क्षमता का परिचय दिया है। प्रश्न 3: गजल के तीसरे शेर को गौर से पढ़ें। यहाँ दुष्यंत का इशारा किस तरह के लोगों की ओर है? उत्तर – न हो कमीज़ तो पावों से पेट बँक लेंगे, प्रश्न 4: आशय स्पष्ट करें: उत्तर – इसमें कवि शायरों और शासक के संबंधों के बारे में बताता है। शायर सत्ता के खिलाफ लोगों को जागरूक करता है। इससे सत्ता को क्रांति का खतरा लगता है। वे स्वयं को बचाने के लिए शायरों की जबान अर्थात् कविताओं पर प्रतिबंध लगा सकते हैं। जैसे गजल के छद के लिए बंधन की सावधानी जरूरी है, उसी तरह शासकों को भी अपनी सत्ता कायम रखने के लिए विरोध को दबाना जरूरी है। गजल के आस-पासप्रश्न 1: दुष्यंत की इस गजल का मिजाज बदलाव के पक्ष में है। इस कथन पर विचार करें। उत्तर – गज़ल को बार-बार पढ़कर सहपाठियों के साथ विचार करें, परस्पर चर्चा करें कि दुष्यंत किस बात से खिन्न हैं और व्यवस्था में बदलाव क्यों चाहते हैं? उपर्युक्त प्रश्न परिचर्चा के आयोजन के लिए है। प्रश्न 2: ‘हमको मालूम है जनत की हकीकत लेकिन उत्तर
– दुष्यंत की गजल पर चौथा शेर है- प्रश्न 3: ‘यहाँ दरख्तों के साये में धूप लगती है’ यह वाक्य मुहावरे की तरह अलग-अलग परिस्थितियों में अर्थ दे सकता है मसलन, यह ऐसी अदालतों पर लागू होता है, जहाँ इंसाफ नहीं मिल पाता। कुछ ऐसी परिस्थितियों की कल्पना करते हुए निम्नांकित अधूरे वाक्यों को पूरा करें- (क) यह ऐसे नाते-रिश्तों पर लागू होता है, …………. (ख) यह ऐसे विद्यालयों पर लागू होता है,…………. (ग) यह ऐसे अस्पतालों पर लागू होता है, …………. (घ) यह ऐसी पुलिस व्यवस्था पर लागू होता है, …………. उत्तर – लघूत्तरात्मक प्रश्नप्रश्न 1: ‘गजल’ का प्रतिपाद्य लिखिए। उत्तर – ‘गजल” नामक इस विधा में कवि राजनीतिज्ञों के झूठे वायदों पर व्यंग्य करता है कि वे हर घर में चिराग उपलब्ध कराने का वायदा करते हैं, परंतु यहाँ तो शहर में ही चिराग नहीं है। कवि को पेड़ों के साये में धूप लगती है अर्थात् आश्रयदाताओं के यहाँ भी कष्ट मिलते हैं। अत: वह हमेशा के लिए इन्हें छोड़कर जाना ठीक समझता है। वह उन लोगों के जिंदगी के सफर को आसान बताता है जो परिस्थिति के अनुसार स्वयं को बदल लेते हैं। मनुष्य को खुदा न मिले तो कोई बात नहीं, उसे अपना सपना नहीं छोड़ना चाहिए। थोड़े समय के लिए ही सही, हसीन सपना तो देखने को मिलता है। कुछ लोगों का विश्वास है कि पत्थर पिघल नहीं सकते। कवि आवाज़ के असर को देखने के लिए बेचैन है। शासक शायर की आवाज को दबाने की कोशिश करता है; क्योंकि वह उसकी सत्ता को चुनौती देता है। कवि किसी दूसरे के आश्रय में रहने के स्थान पर अपने घर में जीना चाहता है। प्रश्न 2: कवि के असंतोष के कारण बताइए। उत्तर – कवि के असंतोष के निम्नलिखित कारण हैं- प्रश्न 3: ‘दरख्तों का साया’ और ‘धूप’ का क्या प्रतीकार्थ है? उत्तर – ‘दरख्तों का साया’ का अर्थ है-जनकल्याण की संस्थाएँ। ‘धूप’ का अर्थ है-कष्ट। कवि कहना चाहता है कि भारत में संस्थाएँ लोगों को सुख देने की बजाय कष्ट देने लगी हैं। वे भ्रष्टाचार का अड्डा बन गई हैं। प्रश्न 4: ‘सिल दे जुबान शायर की’ पंक्ति का आशय स्पष्ट करें। उत्तर – कवि का आशय यह है कि कुशासन के विरोध में जब शायर विरोध करता है तो उसे कुचल दिया जाता है। उसकी रचनाओं पर प्रतिबंध लगा दिया जाता है। सत्ता अपने खिलाफ विद्रोह का स्वर नहीं सुनना चाहती। दरख्तों के साये में धूप लगने का क्या अर्थ है?यहाँ दुष्यंत की जो गज़ल दी गई है, वह उनके गज़ल संग्रह साये में धूप ली गई है। गज़लों में शीर्षक देने का कोई चलन नहीं है, इसीलिए यहाँ कोई शीर्षक नहीं दिया जा रहा है। कहाँ तो तय था चिरागाँ हरेक घर के लिए, कहाँ चिराग मयस्सर नहीं शहर के लिए। न हो कमीज़ तो पाँवों से पेट ढँक लेंगे, ये लोग कितने मुनासिब हैं इस सफ़र के लिए।
यहाँ दरख्तों के साये में धूप लगती है इसमें कौन सा अलंकार है?चिराग किसे मयस्सर नहीं है- 10.
I यहाँ दरख्तों के साये में धूप लगती है पंक्ति में क्या व्यंग्य निहित है?Answer: 'दरख्तों का साया' का अर्थ है-जनकल्याण की संस्थाएँ। 'धूप' का अर्थ है-कष्ट। कवि कहना चाहता है कि भारत में संस्थाएँ लोगों को सुख देने की बजाय कष्ट देने लगी हैं।
ग़ज़ल कविता में कवि के असंतोष के क्या कारण हैं *?उत्तर: कवि ने ग़ज़ल में गुलमोहर का प्रयोग आत्मसम्मान के प्रतीक के रूप में किया है। हमें गुलमोहर के जरिए यह कहना चाहते हैं कि हम जहां भी,जैसे भी जिए गुलमोहर के साथ जिए। इसका अर्थ है हम हमेशा अपने आत्मसम्मान के साथ जीवन जिए। 2.
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