बुजुर्गों की देखभाल की आवश्यकता क्यों है? - bujurgon kee dekhabhaal kee aavashyakata kyon hai?

सभी चाहते हैं कि वे अपने बुढ़ापे का समय अपने घर पर ही बिताएं। वे जितना हो सके खुद के हिसाब से रहना पसंद करते हैं। ऐसे लोग जिन्हें एकदम घर जैसा महसूस करना होता है उनके लिए एल्डर होम-केयर भी हैं। वृद्धावस्था में अकेले रहना थोड़ा मुश्किल हो जाता है। होम-केयर वाले आपको ऐसी सुविधाएं देते हैं, जिसमें हमेशा एक न एक इंसान आपके साथ घर पर रहता है। बहुत से लोगों का अपने घर से एक भावुक रिश्ता जुड़ा हुआ होता है। इसलिए, वे अपनी जिंदगी भी उसी घर में निकलना चाहते हैं।

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बुजुर्गों की देखभाल करने के क्या तरीके हैं?

होम केयर

होम केयर में आपको रोज के कामों में (जैसे नहाने, खाने, दवाई लेने में और घूमने में) भी मदद करके बुजुर्गों की देखभाल की जाती है।

रिकवरी केयर

होम केयर बहुत लंबे समय तक होता है। रिकवरी केयर में भी होम केयर की तरह ही सारी सेवाएं दी जाती है, पर कुछ समय के लिए ही जैसे कोई बहुत बीमार हो और उसे जरूरत हो। इस तरह से बीमार बुजुर्गों की देखभाल की जा सकती है।

रेस्पाइट केयर

एक और टेंपरेरी केयर होता है रेस्पाइट केयर। यह होम केयर की तरह ही होता है, पर उसमें केयर देने वाले नहीं होते। बुजुर्गों की देखभाल उन्हें खुद ही करनी पड़ती है।

होम हेल्थ केयर

इस केयर को स्किल्ड नर्सिंग केयर भी कहते हैं। इस होम केयर में ज्यादातर नर्सिंग से जुड़े हुए काम होते है,जैसे की दवाइयां देना,पट्टी बदलना आदि। बुजुर्गों की देखभाल के लिए नर्स रखी जाती है।

सीनियर लिविंग

इसमें होम केयर मतलब घरेलू केयर जैसा कुछ नहीं होता। इसमें बहुत से बूढ़े लोग एक जगह पर आकर आराम से रहना पसंद करते है। यह एक समुदाय की तरह बन जाता है। यहां कोई घर की तरह अकेला एक पर ध्यान नहीं देता। बुजुर्गों की देखभाल बुजुर्गों के द्वारा ही की जाती है।

नर्सिंग होम

जो लोग अपनी बीमारी से चिंतित होते हैं और उनमें कुछ करने की हिम्मत नहीं रह जाती, तो वे नर्सिंग होम में रहने जाते हैं। यहां पर उनके पर्सनल हेल्थ का भी ख्याल रखा जाता है।

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अगर आपके माता-पिता बुजुर्ग हो गए हैं तो आप उनका ऐसे ख्याल रख सकते हैं :

फोन कॉल

अगर आप घर से ज्यादा समय बाहर रहते हैं तो यह बहुत जरूरी है कि कम से एक बार घर पर फोन करके अपने पेरेंट्स का हालचाल जरूर लें। दिन के 5 मिनट निकालना इतना मुश्किल नहीं है इसके लिए आप लंच ब्रेक में एक बार घर पर फोन कर सकते हैं। अगर आपको लगता है कि व्यस्तता के चलते आपको ध्यान नहीं रहेगा तो इसके लिए आप फोन में रिमाइंडर भी लगा सकते हैं। ऐसा करने से मां बाप को इस बात के एहसास होता है कि आपको उनकी फिक्र रहती है और यह एहसास मन की शांति और खुशी के लिए काफी है।

बाहर घूमने जाएं

कभी-कभी ब्रेक बहुत जरूरी होता है और खासकर कि वे लोग जो दिन भर घर में रहते हैं। उनके लिए थोड़ी आउटिंग जरूरी है। इससे मूड चेंज होता है और काफी पॉजिटिविटी आती है। इसलिए वीकेंड पर या महीने में कम से कम एक बार एक फैमिली पिकनिक पर जाएं।

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मिलने में ज्यादा समय का अंतराल न रखें

अगर आप घर से दूर हैं तो इस बात की पूरी कोशिश करें कि उनसे मिलने कम समय के अंतराल में जाएं। माना कि काम के चलते ज्यादा छुटियां मिलना मुश्किल है पर अपनी छुट्टियों को कुछ ऐसे मैनेज करें कि उनका इस्तेमाल आप घर जाने के लिए कर सकें। कोशिश करें कि कम से कम 2 -3 महीने में एक बार घर जरूर जाएं।

एल्डर पेरेंट्स की केयर: पेरेंट्स की सोशल लाइफ

वृद्धावस्था में अकेलापन सबसे ज्यादा परेशान करता है इसलिए कोशिश करके मां-बाप को सोशल एक्टिविटी का हिस्सा बनाएं। उन्हें क्लब हाउस जॉइन कराने या उनकी उम्र के लोगों के साथ मेल- जोल बढ़ाने में मदद करें। ताकि वे सारा दिन घर में अकेले परेशान न हों। आप डे को स्पेशल बनाने के लिए उनके बर्थ डे को सेलीब्रेट कर सकते हैं। आप उस दिन उनके सभी साथियों को घर बुलाएं। ऐसा करने से उन्हें बहुत अच्छा एहसास होगा। मौके को कैसे खास बनाना है, ये आपको ही तय करना पड़ेगा।

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उनकी असमर्थता को समझें

जेनरेशन गैप एक ऐसी दिक्क्त है, जिसमें एडजेस्ट करने में सबसे ज्यादा दिक्क्त आती है। खासकर नयी टेक्नोलॉजी को समझने में अक्सर ओल्ड ऐज के लोग असमर्थ महसूस करते हैं। जैसे कि मोबाइल या कंप्यूटर। ऐसे में जरूरी है कि आप उनकी मदद करें। इसलिए जब भी समय मिले उनके साथ बैठे, बातें करें और उन्हें नई टेक्नोलॉजी को समझाने में मदद करें।

ऐसी ही छोटी -छोटी बातों का ध्यान रखकर आप अपने माता-पिता को यह एहसास दिला सकते हैं कि वे आपके लिए कितनी अहमियत रखते हैं। यह एहसास आप दोनों के बीच के बॉन्ड को स्ट्रॉन्ग करता है। इसलिए जितना भी हो सके उनके लिए वक्त निकालें और छोटे -छोटे काम में उनकी मदद करें ताकि वे बेहतर महसूस कर सकें।

एल्डर पेरेंट्स की केयर: अगर रहेंगे साथ तो है बेहतर

आजकल लोगों के पास खुद के लिए टाइम निकालना बहुत मुश्किल काम होता है, ऐसे में बुजुर्ग माता-पिता की देखभाल के लिए हर वक्त घर में रहना मुश्किल काम है। अगर आप जॉब के कारण घर से दूर रहे हैं तो माता-पिता को अकेले छोड़ने के बाजाय उन्हें अपने साथ ही रखें। आप चाहे तो घर में बुजुर्ग माता-पिता की केयर के लिए नर्स रख सकते हैं। ऐसा करने से आप दिनभर आराम से काम कर सकेंगे और घर पहुंचने के बाद माता-पिता को देखकर आपकी थकान भी छूमंतर हो जाएगी। हर घर में हालात भिन्न हो सकते हैं, लेकिन बेहतर रहेगा कि आप अपनी देखरेख में अपने बुजुर्ग माता-पिता की देखरेख करें। बुजुर्ग लोगों को केयर के साथ ही आपनों का साथ भी चाहिए होता है जो उनकी समस्याओं को कम कर देता है।

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ज्यादा नहीं तो कुछ समय तो निकालें

जल्दबाजी में सुबह ऑफिस निकलना और फिर देर रात को घर पहुंचना, ऐसी लाइफस्टाइल में अपनों के लिए रोजाना समय निकाल पाना वाकई मुश्किल का काम है। अगर आपको ये लग रहा है तो इस बारे में ज्यादा न सोचिए। आप दिन भर एक बार अपने माता-पिता के साथ खाना जरूर खाएं। ऐसा करने से उन्हे बहुत अच्छा लगेगा। माता-पिता को बच्चों की खुशी से आनंद का एहसास होता है। अगर बुजुर्गों को घर में स्वस्थ्य माहौल मिले तो उनका मानसिक स्वास्थ्य बेहतर रहता है। शारीरिक स्वास्थ्य की बेहतरी के लिए समय पर दवाओं का सेवन, हल्की फुल्की एक्सरसाइज और योगा बहुत जरूरी है। अगर कुछ बातों का ध्यान रखा जाए तो आप भी आसानी से बुजुर्गों का ख्याल रख सकते हैं।

एल्डर पेरेंट्स की केयर: बदलाव से घबराएं नहीं

जब शरीर बूढ़ा हो जाता है तो उसमे कई तरह के परिवर्तन भी होते हैं। पहले जो चीजें आसानी से याद आ जाती थी, अब उन्हें याद करना पड़ता है। आपके बुजुर्ग माता-पिता सब बातों को याद रखें, ये जरूरी नहीं है। अब आपको इन बातों का ख्याल रखना होगा। अगर बुजुर्गों की देखभाल के समय आपको डांट खानी पड़े तो आपको मन से बात को लगाने की जरूरत नहीं है। बुजुर्गों को जल्दी गुस्सा आ सकता है या फिर वो किसी बात से असहमति भी जता सकते हैं। ऐसा भी हो सकता है कि वो किसी बात को लेकर जिद करें। ऐसी स्थिति को संभालने के लिए बेहद नरम भाव से बुजुर्गों के सामने अपनी बात रखें। समय के साथ बुजुर्गों में बदलाव आ सकता है, जो घबराने की बात नहीं है।

एल्डर पेरेंट्स की केयर: ओवरऑल हेल्थ का रखें ध्यान

अगर आपके घर में कोई बुजुर्ग हैं और उन्हें भी बुढ़ापे में गिरना जैसी समस्या का सामना करना पड़ रहा है (बार-बार गिरने से चोट लग जाती है) तो सबसे पहले उन्हें डॉक्टर के पास ले जाएं। हो सकता है कि उन्हें कोई शारीरिक परेशानी जैसे कि बीमारी हो जिसके कारण ऐसा हो रहा है। ऐसा ज्यादातर डायबि​टीज की बीमारी, कमजोरी या हड्डियों से जुड़ी समस्या होने पर हो सकता है। इसके लिए डॉक्टर से संपर्क करने में बिलकुल देर न करें।

आपको इस आर्टिकल में समझ आ गया होगा कि होम केयर किस तरह से बुजुर्गों की देखभाल में अहम भूमिका निभाते हैं। अगर आप बुजुर्गों की देखभाल घर में ही कर रहे हैं तो भी आपको कई बातों पर ध्यान रखने की आवश्यकता है। आशा है कि आपको इस आर्टिकल के माध्यम से बुजुर्गों की देखभाल के संबंध में कई अहम जानकारियां मिल गई होंगी। अगर आपको बुजुर्गों के स्वास्थ्य के बारे में अधिक जानकारी चाहिए तो आप हैलो स्वास्थ्य की वेबसाइट में विजिट कर सकते हैं। स्वास्थ्य संबंधी खबरों से अपडेट रहने के लिए हैलो स्वास्थ्य के फेसबुक पेज को लाइक करें।

बुजुर्गों को विशेष देखभाल की जरूरत क्यों होती है?

बुजुर्ग सामाजिक रिश्तों पर अधिक से अधिक भरोसा करते हैं और उन्हें अब पहले से कहीं ज्यादा जरूरत है। बुजुर्गों और सेवानिवृत्त लोगों को कभी-कभी मदद की ज़रूरत होती है और उन्हें अक्सर अपने आस-पास के लोगों की आवश्यकता होती है।

बुजुर्गों की देखभाल कैसे करनी चाहिए?

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बुजुर्गों की प्रमुख समस्याएँ कौन सी हैं?

शारीरिक रूप से शुगर, मोतियाबिंद, हायपर टैंशन, कम सुनाई देना, हृदय रोग, आर्थराइटिस, कब्ज रहना आदि समस्या होती है। इसके अलावा मानसिक रूप से डिप्रेशन, डिमेंशिया, नींद की दिक्कत, नशा करना आदि समस्याएं होती है।

हमें अपने बड़े बुजुर्गों की सेवा क्यों करनी चाहिए?

जिन बुजुर्गों ने खुद कष्ट सह कर हमें आराम दिया, चलना सिखाया, पढ़ाया लिखाया, हमें समाज में रहने के काबिल बनाया तो हमारा भी फर्ज बनता है कि हम उनके सुख-दुख पर ध्यान दें। उनके चरणों में ही हमारा स्वर्ग है। हमें जीवन में ईमानदारी सच्चाई के मार्ग पर चलते हुए समाज सेवा करनी चाहिए