दक्षिण से उत्तर की लंबाई कितनी है? - dakshin se uttar kee lambaee kitanee hai?

भारत मे महात्मा गांधी की वापसी की 100 वीं वर्षगांठ के अवसर पर , सरकार ने निम्न मे से क्या कदम उठाये है ?

📌   मानव शरीर में क्षद्रान्त्र के तीन संरचनात्मक भागों की लम्बाई का कौन सी हासवान क्रम है

📌   निम्नलिखित में से किस एक कारण दूध, दही मे से परिवर्तीत होता है

📌   निम्नलिखित कथनों पर विचार किजिए वास्तविक प्रतिबिम्ब 1.परदे पर बनाया जा सकता है 2.सदैव अवर्धित ओर उल्टा होता है उपरोक्त मे से कौन सा कथन सही है

भारत की उत्तर से दक्षिण तक की कुल लंबाई कितनी है Bharat Ki Uttar Se Dakshin Tak Ki Kul Lambai Kitni Hai भूगोल kya kise kab kaha kaun kisko kiska kaise hota kahte bolte h kyo what why which where gk hindi english Answer of this question Bharat Ki Uttar Se Dakshin Tak Ki Kul Lambai Kitni Hai - 3214 Ki.Mi. - Bharat Ki Uttar Se Dakshin Tak Ki Kul Lambai 3214 Ki.Mi Hai . Jabki Bharat Ka Purv Se Pashchim Tak Ki Kul Lambai 2933 Ki.Mi Hai .

चेतावनी: इस टेक्स्ट में गलतियाँ हो सकती हैं। सॉफ्टवेर के द्वारा ऑडियो को टेक्स्ट में बदला गया है। ऑडियो सुन्ना चाहिये।

प्रश्न है उत्तर प्रदेश की उत्तर से दक्षिण की लंबाई कितनी है इसका आंसर है पूर्व से पश्चिम तक उत्तर प्रदेश की पूर्व से पश्चिम तक इसकी लंबाई 650 किलोमीटर तथा उत्तर से दक्षिण की चौड़ाई 240 किलोमीटर है

prashna hai uttar pradesh ki uttar se dakshin ki lambai kitni hai iska answer hai purv se paschim tak uttar pradesh ki purv se paschim tak iski lambai 650 kilometre tatha uttar se dakshin ki chaudai 240 kilometre hai

प्रश्न है उत्तर प्रदेश की उत्तर से दक्षिण की लंबाई कितनी है इसका आंसर है पूर्व से पश्चिम त

  29      

दक्षिण से उत्तर की लंबाई कितनी है? - dakshin se uttar kee lambaee kitanee hai?
 887

दक्षिण से उत्तर की लंबाई कितनी है? - dakshin se uttar kee lambaee kitanee hai?

दक्षिण से उत्तर की लंबाई कितनी है? - dakshin se uttar kee lambaee kitanee hai?

दक्षिण से उत्तर की लंबाई कितनी है? - dakshin se uttar kee lambaee kitanee hai?

दक्षिण से उत्तर की लंबाई कितनी है? - dakshin se uttar kee lambaee kitanee hai?

Vokal App bridges the knowledge gap in India in Indian languages by getting the best minds to answer questions of the common man. The Vokal App is available in 11 Indian languages. Users ask questions on 100s of topics related to love, life, career, politics, religion, sports, personal care etc. We have 1000s of experts from different walks of life answering questions on the Vokal App. People can also ask questions directly to experts apart from posting a question to the entire answering community. If you are an expert or are great at something, we invite you to join this knowledge sharing revolution and help India grow. Download the Vokal App!

नई दिल्ली. ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण अफ्रीका के बीच ब्रिसबेन के गाबा मैदान में हाल ही में हुआ पहला टेस्ट 2 दिन में खत्म हो गया था. मेजबान देश जीत तो गया, लेकिन, पिच की काफी आलोचना हुई. आईसीसी ने भी इस पिच को औसत से कम रेटिंग दी. पिच को लेकर ऐसी ही किचकिच भारत में भी देखने को मिली. रणजी ट्रॉफी में रेलवे और पंजाब के बीच दिल्ली के करनैल सिंह स्टेडियम में मैच खेला जा रहा था. लेकिन, ऑफिशियल्स ने मैच को बीच में ही रोक दिया. पिच को मैच जारी रखने के लिए खतरनाक और अनफिट माना गया. इस मैच में 2 दिन में 103 ओवर का खेल हुआ, जिसमें 24 विकेट गिरे. इसमें से 20 विकेट तेज गेंदबाजों ने लिए. इसके बाद नई विकेट पर इस मैच को शुरू करने का फैसला लिया गया.

इसी तरह इंदौर में भी मध्य प्रदेश और चंडीगढ़ के बीच हुआ रणजी ट्रॉफी का एक मैच 2 दिन में खत्म हो गया. एक दिन में 2 बार चंडीगढ़ की टीम ऑलआउट हो गई. इसके बाद इंदौर के होल्कर स्टेडियम के विकेट को लेकर भी बातें हो रही हैं. हालांकि, यहां मैच 2 दिन में खत्म होने का विकेट से कोई सीधा कनेक्शन नहीं है. ऐसा इसलिए कहा जा सकता है कि जिस विकेट पर चंडीगढ़ की टीम दोनों पारी में 20 विकेट गंवाने के बाद 182 रन बना पाई. उसी विकेट पर मध्य प्रदेश ने पहले दिन बल्लेबाजी करते हुए 309 रन बनाए थे. ऐसे में मैच के 2 दिन में खत्म होने के लिए पिच पर ठीकरा फोड़ना ठीक नहीं रहेगा.

हर बार विकेट को दोष नहीं दे सकते: समंदर सिंह
इस विषय पर हमने मध्य प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन के चीफ क्यूरेटर समंदर सिंह से बात की, तो उन्होंने भी कुछ ऐसी ही बात कही. उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश और चंडीगढ़ का मैच 2 दिन में खत्म होने के लिए पिच को कसूरवार नहीं ठहराया जा सकता है. चंडीगढ़ की टीम नई है. कहीं न कहीं बल्लेबाजों ने कंडीशन के लिहाज से बल्लेबाजी नहीं की. इसी विकेट पर मध्य प्रदेश ने पहले दिन बल्लेबाजी करते हुए 300 से अधिक रन बनाए थे. ऐसे में अगर टीम ही खराब खेले तो फिर विकेट को दोष नहीं दिया जा सकता है.

पिच को लेकर गाबा से दिल्ली तक हो रही किचकिच
गाबा से लेकर दिल्ली तक पिच को लेकर किचकिच हो रही. अब जिस पिच को लेकर इतना हो-हल्ला मच रहा है, वो बनती कैसे है? भारत में पिच को लेकर बीसीसीआई की गाइडलाइन क्या है? कॉम्पिटिटव क्रिकेट के लिहाज से पिच कैसे तैयार होती है? मौसम का इस पर क्या असर होता है? लाल और काली मिट्टी से बनने वाली पिच क्यों अलग होती है? सिलसिलेवार ढंग से सारे पहलूओं को समझने के लिए हमने बीसीसीआई से सर्टिफाइड मध्य प्रदेश के पिच क्यूरेटर से बात की.

पिच कैसे बनती है?
बीते 4-5 सालों से भारत में पिच बनाने के तरीके में काफी बदलाव हुआ है. अब भारत में भी ऑस्ट्रेलिया की थ्री लेयर पिच कॉन्सेप्ट के हिसाब से विकेट तैयार होती है. इसके लिए बीसीसीआई की तय गाइडलाइन है. इसके मुताबिक, 3 लेयर में पिच तैयार होती है और पिच का प्रोफाइल कहें या आम भाषा में ढांचा कहें तो 16 इंच का होता है. पिच बनाने के लिए सबसे पहले मैदान के बीच में करीब 100 फीट लंबी और 10 फीट चौड़ी जगह चुनी जाती है. पिच की लंबाई हमेशा उत्तर-दक्षिण की दिशा में रखी जाती है, ताकि बल्लेबाजी के समय सूरज की रोशनी सीधे बैटर की आंखों में ना पड़े.

तीन लेयर में तैयार होता है विकेट
पिच तैयार करने में जो पहली लेयर या सतह तैयार होती है, उसमें कोर सैंड (नदी की बारीक रेत) डाली जाती है. इसके बाद अगली जो 4 इंच की लेयर होती है, उसमें 90 फीसदी रेत और 10 फीसदी क्ले रहता है. इसे लोमी लेयर कहा जाता है. तीसरी और आखिरी लेयर 5 पांच की होती है, उसमें काली, लाल या पीली मिट्टी का इस्तेमाल होता है. इस मिट्टी को क्ले सॉयल कहते हैं.

अब तक पिच की ऊंचाई 13 इंच हो गई रहती है और जमीन के स्तर पर आने के बाद इसमें 3 इंच की अतिरिक्त लेयरिंग की जाती है. जमीन के लेवल पर आने के बाद पहले ग्रास (घास) लगाई जाती है. इसमें भी बरमूडा ग्रास (सेलेक्शन नंबर-1) का इस्तेमाल होता है. फाइनल 3 इंच की लेयर तैयार करने के लिए ऐसी मिट्टी का इस्तेमाल किया जाता है, जिसमें क्ले कंटेंट ज्यादा होता है. इसके बाद पिच पर पानी डाला जाता है और रोलिंग होती है. इस तरह से पिच का सिविल वर्क कहें या कंस्ट्रक्शन वो पूरा होता है.

मिट्टी का पिच के नेचर पर क्या फर्क पड़ता है?
पिच किस मिट्टी से बनी है, इसे लेकर भी अक्सर चर्चा होती है. मोटे तौर पर काली मिट्टी से बनी पिच को तेज गेंदबाजों और लाल मिट्टी से बनी पिच को स्पिन गेंदबाजों के लिए मददगार माना जाता है. काली मिट्टी में पानी को सोखने की क्षमता ज्यादा होती है. इसलिए इस विकेट पर तेज गेंदबाजों को शुरुआत में अच्छी मदद मिलती है. लेकिन, जैसे-जैसे मैच आगे बढ़ता है, यह विकेट सूखने लगता है तो विकेट पर दोहरा उछाल नजर आने लगता है. हालांकि, मिट्टी के हिसाब से पिच तैयार करने में मौसम की अहम भूमिका होती है. इसी वजह से एक ही मिट्टी से बनी विकेट का नेचर कई बार ज्यादा गर्मी और सर्दी की वजह से मिजाज अलग होता है.

अच्छी या आदर्श पिच क्या होती है?
आईसीसी और बीसीसीआई की पिच को लेकर तय गाइडलाइन बनी हुई और इसी हिसाब से ही पिच को अच्छा और खराब माना जाता है और उसकी रेटिंग होती है. इसमें पांचों दिन के हिसाब से पिच का नेचर तय किया गया है. पहले दिन में पिच में कितनी नमी होनी चाहिए, यह तय होता है. पहले 2 घंटे में पिच से तेज गेंदबाजों को मदद मिलनी चाहिए. लंच के बाद से विकेट बल्लेबाजी के लिए थोड़ा बेहतर हो और ऐसा दूसरे दिन तक बरकरार रहे. तीसरे दिन स्पिन गेंदबाजों को अपनी काबिलियत दिखाने का मौका मिल सके.चौथे और पांचवें दिन पिच बल्‍लेबाजी के लिए सबसे ज्यादा मुश्किल होती है. टेस्‍ट के लिए एक बेहतरीन पिच उसे माना जाता है, जिसमें फैसला अंतिम दिन लंच के बाद और चाय काल के आसपास आए.

Ranji Trophy: 24 में से 20 विकेट पेसरों ने लिए, बीच में मैच रुका, अंपायर ने लिया बड़ा फैसला

कब किसी विकेट को खराब माना जाता है?
किसे विकेट को कब और क्यों खराब माना जाता है, इसके लिए आईसीसी के नियम साफ हैं. एक खराब पिच या विकेट वो होती है. जहां गेंद और बल्ले के बीच बराबरी की टक्कर नहीं हो पाए. इसका सीधा सा मतलब यही है कि या तो विकेट बल्लेबाजी के लिए जरूरत से ज्यादा मुफीद हो या फिर तेज गेंदबाज या स्पिनर को विकेट पर भरपूर मदद मिल रही है और बल्लेबाजों के लिए एक-एक रन बनाना मुश्किल हो रहा हो. जैसा कि गाबा टेस्ट में देखने को मिला. इस मैच मैच में 2 दिन में 34 विकेट गिरे थे. मैच में सिर्फ एक अर्धशतक लगा था.

एक पिच को खराब रेटिंग तब मिलती है, जब उस पर स्पिन गेंदबाजों को जरूरत से ज्यादा मदद मिलते नजर आए. खासतौर पर अगर मैच के पहले दिन ही गेंद स्पिन होने लगे और बल्लेबाजी मुश्किल हो तो उसे खराब माना जाता है. हालांकि,भारतीय उपमहाद्वीप की पिचों को इससे थोड़ी राहत दी गई है.

AUS vs SA: पैट कमिंस का ‘पंच’… 34 रन का लक्ष्य.. 2 दिन में गिरे 34 विकेट.. टेस्ट क्रिकेट के लिए कितना सही?

अगर मैच भारत, श्रीलंका, पाकिस्तान या बांग्लादेश में हो रहा है, तो पहले दिन से ही स्पिन गेंदबाजों को विकेट से थोड़ी मदद मिलने लगती है. ऐसा यहां के मौसम के कारण भी होता है. हालांकि, आईसीसी के नियम के तहत असमान उछाल स्वीकार्य नहीं किया जाता है.

पिच की रेटिंग खराब होने पर क्या होता है?
अगर किसी पिच को खराब रेटिंग दी जाती है, जैसा कि गाबा के विकेट औसत से कम रेटिंग दी गई है, तो उसमें उसे डिमेरिट पॉइंट दिए जाते हैं. नियम के मुताबिक, मैच रेफरी जिस वेन्यू की पिच को औसत से कमतर करार देता है, उसे एक डिमेरिट पॉइंट दिया जाता है, जबकि जिन पिच को ‘अनफिट’ करार दिया जाता है, उन्हें तीन और पांच डिमेरिट पॉइंट मिलते हैं.

आईसीसी के अनुसार डिमेरिट पॉइंट्स पांच साल तक मान्य रहते हैं. अगर इन पांच सालों में किसी वेन्यू के हिस्से में अगर पांच डिमेरिट अंक आ जाते हैं तो फिर उस वेन्यू पर अगले 1 साल तक कोई भी इंटरनेशनल मैच नहीं खेला जा सकता है.

भारत उत्तर से दक्षिण की लंबाई कितनी है?

उत्तर से दक्षिण तक इसकी अधिकतम लंबाई 3,214 कि. मी. और पूर्व से पश्चिम तक अधिकतम चौड़ाई 2,933 कि. मी.

उत्तर प्रदेश की उत्तर से दक्षिण की लंबाई कितनी है?

उत्तर प्रदेश का अंक्षाशीय विस्तार 23°52' उत्तरी अक्षांश से 30° 24' उत्तरी अक्षांश तक तथा 77°05′ पूर्वी देशान्तर से 84°38' पूर्वी देशान्तर तक है। पूर्व से पश्चिम तक इसकी लम्बाई 650 कि०मी० तथा उत्तर से दक्षिण तक इसकी लम्बाई 240 कि०मी० है । ।

राजस्थान में उत्तर से दक्षिण की लंबाई कितनी है?

सही उत्तर 826 किमी है। राजस्थान राज्य की उत्तर से दक्षिण की लंबाई उत्तर से दक्षिण तक 826 किमी है।

उत्तर प्रदेश की दक्षिण से उत्तर की चौड़ाई कितनी है?

राज्य की पूर्व से पश्चिम तक लंबाई -650 किमी. राज्य की उत्तर से दक्षिण तक चौड़ाई -240 किमी. प्रदेश का सबसे बड़ा ज़िला (क्षेत्रफल में) -लखीमपुर खीरी (7680 वर्ग किमी.)