दक्षिण पश्चिम दिशा को क्या बोलते हैं? - dakshin pashchim disha ko kya bolate hain?

इसे सुनेंरोकेंदक्षिण-पश्चिम दिशा को ‘नैऋत्य दिशा’ भी कहते हैं. South West दिशा में खुलापन अर्थात खिड़की, दरवाजे बिल्कुल नहीं होने चाहिए. गृहस्वामी का कमरा इस दिशा में होना चाहिए. दक्षिण-पश्चिम दिशा में पौधे रखने से घर में आर्थिक परेशानी होती है.

दक्षिण पश्चिम दिशा में कौन से पौधे लगाने चाहिए?

इसे सुनेंरोकेंदक्षिण व पश्चिम दिशा में लगाएं ऐसे पेड़ इस दिशा में पीपल का वृक्ष, नारियल का पेड़ ,नीम या अशोक का वृक्ष लगाना शुभ फलदायी होता है। लेकिन पश्चिम दिशा में भूल से भी कांटेदार पौधे या वृक्ष नहीं लगाने चाहिए। पीपल को घर से पर्याप्त दूरी पर या कहीं खुले स्थान में पश्चिम दिशा की तरफ लगाना शुभ परिणाम देता है।

दक्षिण लगाने से क्या होता है?

इसे सुनेंरोकेंदक्षिण दिशा सबके लिए अशुभ नहीं होती है. यह दिशा शक्ति साहस और अपार धन देती है. मंत्र शक्ति और साधना के लिए यह दिशा विशेष फलदायी होती है. घर के मुखिया को घर के दक्षिण दिशा में रहना विशेष शुभ होता है.

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दक्षिण दिशा में क्या रखे?

इसे सुनेंरोकेंइससे जुड़ी शुभ प्रभाव पाने के लिए दक्षिण दिशा में नीम का एक बड़ा सा वृक्ष जरूर होना चाहिए। द्वार के ऊपर पंचमुखी हनुमानजी का चित्र भी लगाएं। कहा जाता है द्वार के ठीक सामने आशीर्वाद मुद्रा में हनुमान जी की मूर्ति अथवा तस्वीर लगाने से भी दक्षिण दिशा की ओर मुख्य द्वार के वास्तुदोष का नाश होता है।

दक्षिण पूर्व दिशा को क्या कहते हैं?

इसे सुनेंरोकें- पूर्व और दक्षिण के बीच वाले कोण को दक्षिण-पूर्व या आग्नेय कहते हैं। – दक्षिण और पश्चिम के बीच वाले कोण को दक्षिण-पश्चिम या नैऋत्य कहते हैं। – पश्चिम और उत्तर के बीच के कोण को उत्तर-पश्चिम या वायव्य कोण कहते हैं।

दक्षिण दिशा में पूजा करने से क्या होता है?

इसे सुनेंरोकेंइसलिए भगवान की मूर्ति रखते समय दिशा का ध्यान अवश्य रखें. भगवान का मुख दक्षिण दिशा की ओर कभी भी नहीं होना चाहिए. दक्षिण दिशा की ओर भगवान का मुख होने से उनके भीतर सूर्य की रोशनी नहीं प्रवेश कर पाती है और भगवान सूर्य से सकारात्मक ऊर्जा नहीं ले पाते हैं.

दक्षिण कुतुबनुमा द्वारा दिखायी जाने वाली चार दिशाओं में से एक दिशा है। दक्षिण दिशा उत्तर दिशा के विपरीत (दूसरी तरफ) होती है और पूर्व एवं पश्चिम दिशाओं से ९० डिग्री (अंश) पर होती है। (उत्तर दक्षिण एक दूसरे के आमने सामने हैं और पूर्व पश्चिम भी एक दुसरे के आमने सामने हैं।)

यदि आप सूर्य की तरफ मुख कर के खड़े होंगे तो आपका मुख पूर्व की ओर होगा, दक्षिण दिशा आपके दाएँ हाथ की तरफ होगी, बाएँ हाथ की तरफ उत्तर होगा और पश्चिम आपकी पीठ की ओर होगी।

नक्शों में दक्षिण दिशा अधिकतर पन्ने के नीचे की तरफ दिखायी जाती है और उत्तर दिशा पन्ने के ऊपर की ओर। भारत उपमहाद्वीप के दक्षिण में समुद्र है

वास्तु शास्त्र के मुताबिक, दक्षिण-पश्चिम दिशा, जिसे नायरुत्य कोना भी कहा जाता है, वह पृथ्वी तत्व का प्रतिनिधित्व करता है, जिसका प्रशासक राहु है. वैदिक एस्ट्रोलॉजी के मुताबिक राहु उग्र ग्रहों में से एक है. दक्षिण-पश्चिम कोना घर में स्थिरता का प्रतिनिधित्व करता है और इसलिए  आपके लिए इस क्षेत्र में सभी तत्वों को संतुलित करना महत्वपूर्ण है, ताकि घर में सुख और समृद्धि सुनिश्चित आ सके.

हालांकि, अगर इस कोने में कोई कट या कोई अन्य बड़ा वास्तु दोष है, तो यह आपके घर में अशांति पैदा कर सकता है. यह अप्रत्याशित खर्चों को भी न्योता दे सकता है और मानसिक तनाव का कारण बन सकता है. इसलिए, आपके लिए यह जरूरी है कि आप इस सेक्शन को अपने घर के किसी अन्य हिस्से की तुलना में वजनदार रखें और उन चीजों को रखें जो पृथ्वी के तत्वों का लाभ ला सकते हैं.

साउथ-वेस्ट दिशा में वास्तु दोष

  • साउथ वेस्ट में टॉयलेट
  • साउथ-वेस्ट में किचन
  • साउथ वेस्ट दिशा में कट
  • पश्चिम में बड़ी ओपनिंग/खिड़की, कट/एक्सटेंशन
  • साउथ-वेस्ट में मेन डोर या फिर घर की एंट्रेंस
  • साउथ-वेस्ट में बोरवेल या अंडरग्राउंड वाटर टैंक
  • साउथ-वेस्ट में ड्राइंग रूम या लिविंग रूम
  • साउथ-वेस्ट दिशा में एक्सटेंशन्स
  • साउथ-वेस्ट दिशा में विंडो, बड़ी ओपनिंग और टॉयलेट.

 

दक्षिण पश्चिम दिशा को क्या बोलते हैं? - dakshin pashchim disha ko kya bolate hain?

 

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दक्षिण-पश्चिम कोने में वास्तु दोष का प्रभाव

  • अगर दक्षिण-पश्चिम कोने में कोई कट है तो इससे बड़ा नुकसान हो सकता है चाहे वो वित्तीय हो, स्वास्थ्य से जुड़ा हो या फिर स्थिरता से.
  • आपको अपनी मेहनत और प्रयास के लिए पहचान नहीं मिलेगी.
  • नकारात्मक ऊर्जा और विचार आपको घेर लेंगे.
  • आपको दिल से जुड़ी बीमारी हो सकती है या फिर शरीर का निचला हिस्सा प्रभावित हो सकता है.
  • घर में रहने वाले लोगों में मानसिक अस्थिरता आ सकती है.
  • नकारात्मक मानसिकता के साथ दूसरों को नुकसान पहुंचाने की प्रवृत्ति की संभावना है.
  • आपको जीवन और रिश्तों से संबंधित चिंता के मुद्दे हो सकते हैं.

 

साउथ वेस्ट कॉर्नर के लिए वास्तु उपाय

  • अगर साउथ-वेस्ट दिशा में कोई कट है, तो इस कॉर्नर में वजनदार चीजें रखें. इससे आपको नकारात्मक ऊर्जा का सामना करने में मदद मिलेगी.
  • पृथ्वी तत्व की खूबसूरत और खुशनुमा पेंटिंग्स साउथ-वेस्ट कॉर्नर की दीवारों पर टांग दें.
  • अगर हो सके तो साउथ वेस्ट दीवार को पीच, लाइट ब्राउन कलर या पृथ्वी के शेड्स से रंगवाएं.
  • साउथ वेस्ट कॉर्नर में राहु यंत्र रखें.
  • सभी दिशाओं में वास्तु पिरामिड रखें क्योंकि इससे सकारात्मक ऊर्जा आकर्षित होगी और पैदा हुई नकारात्मक ऊर्जा का सामना करने में मदद मिलेगी.

दक्षिण मुखी घरों के लिए ये हैं वास्तु टिप्स

 

दक्षिण-पश्चिम दिशा की ओर एंट्रेंस वाले घरों के लिए वास्तु उपाय

आदर्श रूप से, प्रॉपर्टी खरीदारों को ऐसे घर नहीं खरीदने चाहिए जिनका मेन डोर दक्षिण-पश्चिम की ओर खुलता हो क्योंकि यह संघर्ष और दुर्भाग्य लाता है. आइए आपको कुछ टिप्स बताते हैं, ताकि आप इस प्रभाव को दूर कर सकें.

दक्षिण पश्चिम दिशा को क्या कहा जाता है?

दक्षिण-पश्चिम दिशा को 'नैऋत्य दिशा' भी कहते हैं. South West दिशा में खुलापन अर्थात खिड़की, दरवाजे बिल्कुल नहीं होने चाहिए. गृहस्वामी का कमरा इस दिशा में होना चाहिए.

नैऋत्य कोण में क्या होना चाहिए?

नैऋत्य कोण दक्षिण-पश्चिम के मध्य स्थान को कहते हैं. इस कोण में पृथ्वी तत्व का स्थान माना गया है. इस दिशा के स्वामी राहु-केतु है. नैऋत्य कोण में ऊंचा और भारी रखना चाहिए.

दक्षिण पश्चिम कोने में क्या होना चाहिए?

घर के दक्षिण-पश्चिम कोने में पानी और नमक से भरा गिलास रखें. इसके अलावा, इसके ऊपर लाल रंग का बल्ब रखें ताकि जब भी बल्ब स्विच-ऑन हो, तो यह ग्लास पर प्रतिबिंबित हो. अगर आपके घर का मुख्य द्वार दक्षिण-पश्चिम दिशा में है, तो सुनिश्चित करें कि घर के अंदर दरवाजे और खिड़कियां भी संख्या में हों.

पूरब और दक्षिण के बीच की दिशा को क्या कहते हैं?

- पूर्व और दक्षिण के बीच वाले कोण को दक्षिण-पूर्व या आग्नेय कहते हैं। - दक्षिण और पश्चिम के बीच वाले कोण को दक्षिण-पश्चिम या नैऋत्य कहते हैं