शूद्र आंत्र के आंतरिक स्तर में पाए जाने वाले प्रवर्धन क्या कहलाते हैं? - shoodr aantr ke aantarik star mein pae jaane vaale pravardhan kya kahalaate hain?

हेलो दोस्तों प्रश्न दिया गया है जो दांत के आंतरिक स्तर पर अनेक उंगली जैसी प्रवृत्त होते हैं जिन्हें दीर्घ रोम कहते हैं दोस्तों हमें यहां पर कथन दिया गया है कि सिद्धांत के आंतरिक स्तर पर जो उंगली जैसे प्रबंध होते हैं उन्हें दीर्घ रोम कहा जाता है और हमें बताना है कि यह कथन सत्य है या असत्य है ठीक है तो दोस्तों जो स्वतंत्र होता है ठीक है क्या होता है सुधांशु ठीक है तो दोस्तों जो सुधा अंतर होता है यह छोटी आत का जो छोटी आत होती है इसका अंतिम भाग होता है ठीक है छोटी आज के 3 भाग होते हैं अकरांत मध्यांतर और सुधांशु ठीक है जन्म और हम तो दोस्तों जो सिद्धांत होता है इसे

हीलियम भी कहते हैं ठीक है और इसमें क्या होता है इसके आंतरिक स्तर पर ठीक है दांत के आंतरिक स्तर पर उंगली नुमा नुमा प्रवृत्त होते हैं ठीक है इन प्रवृत्तियों को क्या कहते हैं इन प्रवर्धक और आसाम कोरिया ठीक है भिलाई ठीक है या दीर्घ रोम कहा जाता है ठीक है और यह क्या करते हैं यह अवशोषण के लिए छोटी आत में क्या होता है कि जो 25 भोज्य पदार्थ होते हैं इनका अवशोषण होता है और अवशोषण के लिए क्या करते हैं सत्य ही क्षेत्रफल को बढ़ाते हैं तो दोस्तों यहां पर यह

जो कथन दिया गया शो दांत के आंतरिक स्तर पर अनेक उंगली जैसी प्रवृत्त होते हैं जिन्हें दीर्घ रोम कहते हैं यह सत्य है धन्यवाद

क्षुद्रान्त्र के आन्तरिक स्तर में पाए जाने वाले प्रवर्ध क्या कहलाते हैं?

क्षुद्रांत्र के आंतरिक स्तर पर अनेक उंगली जैसी प्रवर्ध होते है जिन्हें दीर्घ रोम कहते हैं

छोटी आंत में कौन कौन से एंजाइम पाए जाते हैं?

ट्रिप्सिन एक पाचक एंजाइम है जो छोटी आंत में प्रोटीन को तोड़ता है। ट्रिप्सिन अग्न्याशय द्वारा एक निष्क्रिय रूप में निर्मित होता है जिसे ट्रिप्सिनोजेन कहा जाता है। ट्रिप्सिनोजेन सामान्य पित्त नली के माध्यम से छोटी आंत में प्रवेश करता है और सक्रिय ट्रिप्सिन में परिवर्तित हो जाता है।

छोटी आंत और बड़ी आंत को कौन जोड़ता है?

सही उत्तर अन्ध्रान्त है।

छोटी आंत का दूसरा नाम क्या है?

क्षुद्रांत्र या छोटी आंत (स्माल इन्टेस्टिन) मानव पाचन तंत्र का एक महत्वपूर्ण भाग है जो आमाशय से आरम्भ होकर बृहदांत्र (बड़ी आंत) पर पूर्ण होती है। क्षुदान्त्र में ही भोजन का सबसे अधिक पाचन और अवशोषण होता है।