शुक्राणु अंडे तक कैसे जाता है? - shukraanu ande tak kaise jaata hai?

In this article

  • महिला के शरीर के अंदर: डिंब (अंडा) कैसे बनता है
  • पुरुष के शरीर के अंदर: शुक्राणु कैसे बनते हैं
  • संभोग (सेक्स) के दौरान क्या होता है?
  • संभोग के बाद जब आप आराम करते हैं, शुक्राणु अपने काम पर लग जाते हैं।
  • अब एक नई जिंदगी जन्म लेगी...

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शुक्राणु अंडे तक कैसे जाता है? - shukraanu ande tak kaise jaata hai?
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जब डिंब (अंडा-एग) और शुक्राणु (स्पर्म) आपस में मिलते हैं, तो गर्भधारण होता है। शुक्राणु को आपकी डिंबवाही नलिकाओं (फैलोपियन ट्यूब्स) तक पहुंचने में 45 मिनट से लेकर 12 घंटों तक का समय लग सकता है। आमतौर पर गर्भाधान डिंबवाही नलिकाओं में ही होता है। हालांकि, शुक्राणु आपके शरीर के अंदर सात दिन तक जीवित रह सकते हैं। इसलिए यदि आप डिंबोत्सर्जन (ओव्यूलेट) कर रही हैं, तो संभोग के बाद एक हफ्ते तक कभी भी गर्भधारण हो सकता है।

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महिला के शरीर के अंदर: डिंब (अंडा) कैसे बनता है

महिलाओं में गर्भधारण की प्रक्रिया अंडाशयों से शुरु होती है। ये दो छोटे अंडाकार अंग होते हैं, जो गर्भाशय के दोनों तरफ जुड़े होते हैं। अंडाशय डिंब (अंडों) से भरे होते हैं, जो कि आपके पैदा होने से पहले ही बन जाते हैं।

हर नन्ही बच्ची अपने अंडाशयों में 10 से 20 लाख अंडों के साथ पैदा होती है। बहुत से डिंब तो लगभग तुरंत ही खत्म होना शुरु हो जाते हैं और बाकि बचे हुए भी उम्र बढ़ने के साथ-साथ कम होते जाते हैं। जब पहली बार आपके पीरियड्स शुरु होते हैं, आमतौर पर करीब 10 से 14 साल की उम्र के बीच, तो लगभग छह लाख अंडे अभी भी जीवनक्षम होते हैं। वैज्ञानिकों की गणना है कि 30 साल की उम्र तक केवल 72000 अंडे ही जीवनक्षम बचते हैं।

आप शायद अपने जननक्षम सालों के दौरान यानि कि आपकी पहली माहवारी से रजोनिवृत्ति (मेनोपॉज) तक करीब 400-500 अंडे जारी करेंगी।

हर मासिक चक्र के दौरान, आपकी माहवारी के कुछ समय बाद, तीन से 30 अंडे आपके किसी एक अंडाशय में परिपक्व होना शुरु हो जाते हैं। इसके बाद सर्वाधिक परिपक्व डिंब जारी कर दिया जाता है, इस प्रक्रिया को ओव्यूलेशन (डिंबोत्सर्जन) कहा जाता है। यह डिंब निकटतम डिंबवाही नलिका (फैलोपियन ट्यूब) के ट्यूलिप आकार के मुख द्वारा खींच लिया जाता है।

महिला के शरीर में दो डिंबवाही नलिकाएं होती हैं। इनमें से प्रत्येक की लंबाई तकरीबन 10 सें.मी. होती है और ये अंडाशय से होकर गर्भाशय तक जाती हैं।

ओव्यूलेशन आमतौर पर आपके अगले पीरियड्स आने से 12 से 14 दिन पहले होता है। ओव्यूलेशन का एकदम सटीक समय आपके मासिक चक्र की अवधि पर निर्भर करता है।

बहुत से अलग-अलग हॉर्मोन एक साथ मिलकर आपके मासिक चक्र की अवधि, अंडे की परिपक्वता और ओव्यूलेशन के समय को नियंत्रित करते हैं। माहवारी चक्र पर हमारे लेख में आप इन हॉर्मोन के बारे में विस्तार से पढ़ सकती हैं।

जारी होने के बाद एक औसत अंडा करीब 24 घंटों तक जीवित रहता है। गर्भाधान के लिए डिंब को इसी समयावधि में शुक्राणु द्वारा निषेचित किए जाने की आवश्यकता होती है। अगर डिंब गर्भाशय में जाते हुए रास्ते में स्वस्थ शुक्राणु से मिल जाता है, तो नई जिंदगी के सृजन की प्रक्रिया शुरु होती है। यदि, ऐसा नहीं होता, तो अंडा गर्भाशय तक जाकर अपनी यात्रा समाप्त कर देता है और विघटित हो जाता है।

अगर, आपका गर्भधारण नहीं हुआ है, तो अंडाशय ईस्ट्रोजेन और प्रोजेस्टीरोन हॉर्मोन बनाना बंद कर देती है। ये वे दो हॉर्मोन हैं, जो गर्भावस्था को बरकरार रखने में मदद करते हैं। जब इन हॉर्मोनों का स्तर घट जाता है, तो गर्भाशय की मोटी परत माहवारी के दौरान निकल जाती है। साथ ही अनिषेचित अंडे के अवशेष भी उसी समय निकलते हैं।

पुरुष के शरीर के अंदर: शुक्राणु कैसे बनते हैं

महिलाओं का शरीर हर महीने एक अंडे को परिपक्व बनाता है। वहीं, पुरुषों का शरीर लगभग निरंतर काम पर लगा रहता है और लाखों सूक्ष्म शुक्राणुओं का उत्पादन करता है। हर शुक्राणु का एकमात्र उद्देश्य डिंब की और आना और उसमें व्याप्त हो जाना होता है।

शुरुआत से अंत तक एक नई शुक्राणु कोशिका को बनने में करीब 10 हफ्तों का समय लगता है। एक औसत शुक्राणु पुरुष के शरीर में केवल कुछ ही हफ्तों तक जीवित रहता है। हर बार वीर्यपात के साथ कम से कम चार करोड़ शुक्राणु बाहर निकलते हैं। इसका मतलब यह है कि पुरुषों को अपने वयस्क जीवन के दौरान नियमित तौर पर शुक्राणुओं का उत्पादन करते रहना होता है।

जो हॉर्मोन महिलाओं में ओव्यूलेशन को नियंत्रित करते हैं, वे ही पुरुषों में टेस्टोस्टीरोन बनने की प्रक्रिया को उत्तेजित करते हैं। टेस्टोस्टीरोन हॉर्मोन पुरुषों में शुक्राणुओं के उत्पादन के लिए जिम्मेदार होता है।

शुक्राणुओं का उत्पादन वीर्यकोष (टेस्टिकल्स) में शुरु होता है। वीर्यकोष, लिंग के नीचे अंडकोषीय थैली में दो ग्रंथियां होती हैं। वीर्यकोष शरीर के बाहर लटके होते हैं, क्योंकि ये तापमान के प्रति काफी संवेदनशील होते हैं। कुशलतापूर्वक स्वस्थ शुक्राणुओं के उत्पादन के लिए इनका 34 डिग्री सेल्सियस के तापमान में रहना जरुरी है। यह शरीर के सामान्य तापमान से करीब चार डिग्री अधिक ठंडा होता है।

एक बार शुक्राणु के बन जाने पर यह दोनों वीर्यकोषों के अधिवृषण (ऐपिडिडिमिस) में संग्रहित हो जाता है। यह एक छह मीटर लंबी लच्छेदार नलिका होती है। वीर्यपात से बिल्कुल पहले शुक्राणु ऊपर की तरफ आकर वीर्य में मिल जाते हैं।

लाखों शुक्राणुओं के उत्पादन और हर वीर्यपात के साथ इनके बाहर आने के बावजूद केवल एक शुक्राणु ही हर अंडे को निषेचित कर सकता है। आपके शिशु का लिंग क्या होगा, यह इस बात पर निर्भर करता है कि आपका कौन सा शुक्राणु पहले डिंब से मिलता है। वाई (Y) गुणसूत्र वाले शुक्राणु से बेटे का जन्म होगा और एक्स (X) गुणसूत्र वाले शुक्राणु से बेटी का जन्म होता है।

ऐसे बहुत से मिथक प्रचलित हैं, जो बताते हैं कि बेटा या बेटी पाने के लिए गर्भाधान कैसे किया जाए। इनमें से कुछ के थोड़े-बहुत वैज्ञानिक प्रमाण हो सकते हैं, मगर कुल मिलाकर शिशु का लिंग निर्धारण योजनाबद्ध नहीं हो सकता।

संभोग (सेक्स) के दौरान क्या होता है?

संभोग (सेक्स) के दौरान मिलने वाले आनंद के साथ-साथ आपके शरीर में तनाव भी बढ़ रहा होता है, जो कि चर्मोत्कर्ष पर पहुंचकर समाप्त होता है। चरम आनंद पर पहुंचना भी एक महत्वपूर्ण जैविक प्रक्रिया है। पुरुषों में चर्मोत्कर्ष शुक्राणुओं से भरपूर वीर्य को योनि में डालता है और यह करीब 10 मील प्रति घंटे की दर से ग्रीवा की तरफ जाता है। वीर्यपात की तेजी शुक्राणु को अंडे तक पहुंचने के लिए एक अच्छी शुरुआत देती है।

गर्भाधान के लिए महिला का चर्मोत्कर्ष पर पहुंचना जरुरी नहीं है। गर्भाशय के हल्के संकुचन भी शुक्राणु को आगे ले जाने में मदद कर सकते हैं, मगर ये संकुचन चर्मोत्कर्ष पर पहुंचे बिना भी होते हैं।

बहुत से दंपत्ति यह सोचते हैं कि क्या संभोग की कोई विशेष अवस्था गर्भाधान के लिए बेहतर होती है। इस बात का निश्चित जवाब किसी के पास नहीं है। संभोग के लिए सबसे महत्वपूर्ण यह है कि आप दोनों इसका आनंद लें और नियमित रूप से प्रेम संबंध बनाएं।

ऐसा नहीं है कि सभी महिलाएं मासिक चक्र के मध्य में डिंबोत्सर्जन करें या फिर मासिक चक्र में हर महीने उसी समय ओव्यूलेट करें। गर्भाधान की संभावनाओं को बढ़ाने के लिए अपने पूरे मासिक चक्र के दौरान हर दूसरे या तीसरे दिन संभोग करने का प्रयास करें।

संभोग के बाद जब आप आराम करते हैं, शुक्राणु अपने काम पर लग जाते हैं।

इस समय पर आप ज्यादा कुछ नहीं कर सकते, बस आशा करें कि आप गर्भधारण कर लें। सेक्स के बाद जब आप और आपके पति एक दूसरे से आलिंगनबद्ध होकर प्यार जता रहे होंगे, आपके शरीर के अंदर उस समय काफी कुछ चल रहा होगा। उन लाखों शुक्राणुओं ने डिंब को ढूंढ़ने की तलाश शुरु कर दी होगी, और यह कोई आसान यात्रा नहीं होती है।

इसमें सबसे पहली रुकावट आपकी ग्रीवा का श्लेम हो सकता है, जो कि आपके अजननक्षम दिनों में अभेद्य जाली की तरह प्रतीत हो सकता है। हालांकि, जब आप सर्वाधिक जननक्षम (फर्टाइल) होती हैं, तो यह श्लेम चमत्कारिक ढंग से ढीला पड़ जाता है, ताकि सबसे मजबूत तैराक शुक्राणु इसके पार जा सके।

जो शुक्राणु अब भी जीवित बच जाते हैं, उन्हें अभी भी लंबी यात्रा तय करनी होती है। कुल मिलाकर उन्हें ग्रीवा से होते हुए गर्भाशय से डिंबवाही नलिकाओं तक पहुंचने में करीब 18 सें.मी. यात्रा करनी पड़ती है।

यह सोचा जाए कि ये शुक्राणु हर 15 मिनट में करीब 2.5 सें.मी. की दर से सफर करते हैं, तो यह एक लंबी यात्रा प्रतीत होती है। सबसे तेज तैराक शुक्राणु कम से कम 45 मिनट में अंडे को ढूंढ़ सकता है। वहीं, सबसे धीमे तैराक को इसमें 12 घंटें तक लग सकते हैं। अगर शुक्राणु को संभोग के समय फैलोपियन ट्यूब में अंडा नहीं मिलता, तो वे आपके शरीर के अंदर सात दिनों तक जीवित रह सकते हैं। इसका मतलब यह है कि यदि आप इस समयावधि के दौरान ओव्यूलेट करें, तो आप गर्भधारण (कंसीव) कर सकती हैं।

शुक्राणु की मृत्यु दर काफी ज्यादा है और केवल कुछ दर्जन शुक्राणु ही अंडे तक पहुंच पाते हैं। बाकि बचे शुक्राणु कहीं फंस जाते हैं, गुम हो जाते हैं (शायद गलत फैलोपियन ट्यूब में चले जाते हैं) या फिर रास्ते में ही मृत हो जाते हैं।

कुछ भाग्यशाली शुक्राणु जो अंडे के पास पहुंच जाते हैं, उनके लिए भी दौड़ अभी समाप्त नहीं हुई है। हरेक को डिंब की बाहरी परत को व्यग्रतापूर्वक भेदना होता है और दूसरों से पहले अंदर जाना होता है। अंडे को बाहर निकलने के बाद 24 घंटे के भीतर निषेचित होना होता है।

जब सबसे बलशाली शुक्राणु अंडे तक पहुंच जाता है, तो डिंब में तत्काल बदलाव आता है, ताकि कोई अन्य शुक्राणु अंदर प्रवेश न कर सके। यह एक सुरक्षा कवच की तरह होता है, जो कि पहले शुक्राणु के सुरक्षित भीतर पहुंचते ही तुरंत डिंब को पूरी तरह आवरित कर लेता है।

अब एक नई जिंदगी जन्म लेगी...

निषेचन के दौरान शुक्राणु और डिंब के आनुवांशिक पदार्थ आपस में मिलते हैं और एक नई कोशिका बनती है, जो कि तेजी से विभाजित होना शुरु होगी। नई कोशिकाओं के इस गट्ठे को ब्लास्टोसिस्ट कहा जाता है। यह फैलोपियन ट्यूब से नीचे आते हुए गर्भाशय तक आना जारी रखते हैं। इस यात्रा में भी लगभग तीन दिन या इससे ज्यादा लग सकते हैं।

वास्तव में आप तब तक गर्भवती नहीं हैं, जब तक कि ब्लास्टोसिस्ट खुद को गर्भाशय की दीवार से नहीं जोड़ लेती। यहां यह भ्रूण और अपरा के रूप में विकसित होगी। कभी-कभार ब्लास्टोसिस्ट गर्भाशय के अलावा कहीं और भी प्रत्यारोपित हो जाती है (आमतौर पर फैलोपियन ट्यूब में)। इसे एक्टोपिक प्रेग्नेंसी (अस्थानिक गर्भावस्था) कहा जाता है, और यह चिकित्सकीय आपात स्थिति होती है।

गर्भाशय के बाहर गर्भावस्था जारी नहीं रह सकती और फैलोपियन ट्यूब को क्षति होने से बचाने के लिए इसे पूरी तरह से निकालना जरुरी होता है।

माहवारी चूकने और गर्भवती होने की पक्की खबर मिलने में कुछ सप्ताह लग सकते हैं। आपकी माहवारी चूकने या गर्भावस्था के कुछ अन्य लक्षण महसूस होने पर घर पर गर्भावस्था जांच से इसकी पुष्टि हो जाएगी। अगर आप गर्भवती हैं, तो आपको बहुत-बहुत बधाई। एक और शानदार यात्रा की शुरुआत में आपका स्वागत है।

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शुक्राणु को अंडे तक कैसे पहुंचाएं?

वीर्य केवल शुक्राणुओं को भोजन देने और जीवित रहने में मदद करता है, लेकिन शुक्राणु अंडे तक पहुंचने की क्षमता रखता है। वहीं, संभोग के दौरान वजाइना से भी फ्लूइड निकलता है जो शुक्राणु को वजाइना के अंदर जाने में मदद करता है। इससे शुक्राणु को योनि के अंदर जाने का रास्‍ता मिलता है और वह अंडे तक पहुंचने तक जी‍वित रहता है।

शुक्राणु को अंडे तक पहुंचने में कितना समय लगता है?

शुक्राणु को आपकी डिंबवाही नलिकाओं (फैलोपियन ट्यूब्स) तक पहुंचने में 45 मिनट से लेकर 12 घंटों तक का समय लग सकता है।

अंडा फटने के बाद कितने दिन हम गर्भवती प्राप्त करने की कोशिश कर सकते हैं?

अंडाशय से निकलने के बाद अंडा अगले 12 से 24 घंटो तक निषेचन कर सकता है इसलिए गर्भधारण हेतु इस दौरान शुक्राणुओं का महिला के शरीर में होना आवश्यक है। सही परिस्थितियों में शुक्राणु 5 दिन तक महिला के शरीर में जीवित रह सकते है इसलिए ओव्यूलेशन के समय पर निरंतर शारीरिक संबंध गर्भधारण के लिए कारगर साबित हो सकता है।

कौन सा अंडाशय लड़का पैदा करता है?

इसी तरह भ्रूण मादा का रूप तब लेता है, जब ओवरीज़ यानी अंडाशय का विकास होता है. यहां से एस्ट्राडिओल नाम के हार्मोन का रिसाव होता है. लड़कों के शारीरिक विकास में जो भूमिका टेस्टोस्टेरोन की होती है, लड़कियों में वही भूमिका एस्ट्राडिओल निभाता है. इसी हार्मोन के चलते फैलोपियन ट्यूब, गर्भाशय और योनि का विकास होता है.