दोस्तों आपको हम इस आर्टिकल में Shabd shakti kise kahate hain शब्द शक्ति किसे कहते हैं । एवं उनके भेद एवं विशेष महत्व भी बताए हैं । संस्कृत में शब्द शक्ति, हमने उदाहरण सहित सभी भेदों को बताया हैं । Show
तो दोस्तो हम अब देर नही करते हैं । और आपको शुरुआत में ही शब्द शक्ति किसे कहते हैं, यह बता देते हैं । SHABD SHAKTI KISE KAHATE HAIN! जिस SHABD का अर्थ BODH कराने की शक्ति होती हो, उसे शब्द शक्ति कहते हैं । तथा शब्दों के अर्थ को जिन रीतियों से ग्रहण किया जाता है, उन्हें शब्द शक्ति (SHABD SHAKTI) कहते हैं ।” शब्द शक्ति यानी शब्दवृत्ति | शब्दों की शक्ति – HINDI VYAKARAN उस अर्थ को कहते हैं जिसमे हम वाक्य के भाव जानते हैं । कुछ वाक्यों के अर्थ हर किसी के लिए सामान किंतु कुछ ऐसे भी वाक्य है जिनके अर्थ अलग अलग हेतु अलग रहते हैं । एवं कुछ वाक्य के अर्थ हम परिस्थिति अनुसार व्यक्त कर पाते हैं । इसी तहत हम शब्द शक्ति के प्रकार एवं भेदों में व्यक्त एवं विभक्त करते हैं ।शब्द शक्ति की परिभाषाSHABD SHAKTI KI PARIBHASHA! शब्द के अर्थ को बोध या ज्ञान दिलाने वाली शक्ति को, शब्द शक्ति या शब्दवृत्ति कहते हैं । यह SHABD, शब्द और शक्ति के मध्य हुए समन्वय से बना होता हैं यानी शब्दवृत्ति या शब्द शक्ति को हम समास में विग्रह करे तो तात्पर्य होता हैं! शब्द की शक्ति बताने से होता है । >>> संज्ञा किसे कहते हैं शब्द शक्ति के भेदशब्द शक्ति(SHABD SHAKTI) के भेद हमने नीचे क्रम से बताए हैं । शब्द शक्ति की संख्या कितनी है । यह सब आपको नीचे क्रम से देखने को मिलेगा, अभिधा, लक्षणा एवं व्यंजना तीनों को हम नीचे तालिका में क्रम से कर रहे हैं । 1. अभिधा शब्द शक्ति 2. लक्षणा शब्द शक्ति 3. व्यंजना शब्द शक्ति अभिधा शब्द शक्तिAbhida shabd shakti kise kahate hain! जिस शक्ति से शब्द अपने स्वाभाविक रूप या भाव साधारण बोल-चाल को भाषा में प्रसिद्ध अर्थ को बताता है । उसे अभिधा शब्द शक्ति (ABHIDA SHABD SHAKTI) कहते हैं ।आपको बता दें की! स्वाभाविक अर्थ (ARTH) को बताने वाला शब्द वाचक होते है । इन शब्दों के अर्थ को वाच्यार्थ कहते हैं । जैसे_ मैंने पानी पिया । ऊपर के उदाहरण (EXAMPLE) में यहाँ रेखांकित शब्द पानी का अर्थ सामान्य रूप से पेय SAMAGRI से है । एवं यह साधारण अर्थ है । लक्षणा शब्द शक्तिLaxana shabd shakti kise kahate hain! ऐसी शक्ति जहां कोई शब्द अपने सामान्य (SIMPLE) अर्थ को छोड़कर, विशेष अर्थ को प्रकट करें, वहां लक्षणा शब्द शक्ति (LAXANA SHABD SHAKTI) होती है ।आपको बता दें! जो शब्द लक्षणा के अर्थ बतायें । उसे लक्षक कहते हैं । लक्षक के अर्थ को लक्ष्यार्थ बोलते हैं । जैसे- गरीबों की रोटी मत छीनो! उपर के वाक्य (VAKYA) यहाँ रेखांकित शब्द रोटी का सामान्य अर्थ है । व्यंजना शब्द शक्तिVyanjana shabd shakti kise kahate hain!जिस सकती के शब्द, जो अर्थ अभिधा और लक्षणा (ABHIDA OUR LAKSHANA) से नहीं बताया जा सके या जब शब्द अपने सामान्य अर्थ को छोड़ कर बहुत सा विशेष अर्थ प्रकट हो तो वहां व्यंजना शब्द शक्ति (VYANJANA SHABD SHAKTI) है । जैसे– नरेंद्र मोदी भारत के शेर है ।ऊपर के उदाहरण में शेर के बहुत से अर्थ प्रकट होते हैं इसलिए इस वाक्य में व्यंजना शब्द शक्ति है । शब्द शक्ति का महत्वहमने तीनों शब्द वृत्तियों का महत्व को नीचे क्रम से बता हैं । अभिधा का महत्त्वअभिधा का महत्त्व : ABHIDA SHABD SHAKTI KA MAHATV! कुछ अलंकार शास्त्रियों के अनुसार यदि हम जाने तो काव्य में अभिधा शब्द-शक्ति एक विशेष महत्त्व नहीं है । किंतु यह भी सत्य हैं की अभिधा पूरी तरह ही महत्त्वहीन नहीं है ।
आचार्य रामचन्द्र शुक्ल के अनुसार है : ‘वास्तव में व्यंग्यार्थ अर्थात लक्ष्यार्थ के कारण चमत्कार आता है, किंतु वह चमत्कार होता है! वाच्यार्थ में ही । अतः इस वाच्यार्थ को देने हेतु अभिधा शक्ति का अपना महत्त्व है ।’
हिन्दी इतिहास के रीतिकालीन आचार्य देव का मानना है! अभिधा उत्तम काव्य है, मध्य लक्षणालीन / अधम व्यंजना रस विरस , उलटी कहत नवीन ।
आचार्य शुक्ल अन्यत्र लिखते हैं! जब कविता में कल्पना एवम सौंदर्यवाद का अतिशय जोर हो जाता तब जीवन की वास्तविकता पर बल देने हेतु काव्य में भी अभिधा शक्ति का महत्त्व बढ़ जाता है ।
लक्षणा का महत्त्वलक्षणा का महत्त्व : LAXANA SHABD SHAKTI KA MAHATV! काव्य में लक्षणा के UPYOG से जीवन के अनुभव को समृद्ध किया जाता है. कल्पना के सहारे सादृश्य एवं साधर्म्य के कई विधानों द्वारा अनुभवों की सूक्ष्मता एवं विस्तार को प्रकट किया गया है । इसलिए काव्य में लक्षणा शब्द वृत्ति की प्रबलता है ।
व्यंजना का महत्त्वव्यंजना का महत्त्व : VYANJANA SHABD SHAKTI KA MAHATV! काव्य सौंदर्य के बोध में व्यंजना शब्द वृत्ति का विशिष्ट महत्त्वपूर्ण स्थान है । व्यंजना शब्द-शक्ति काव्य (KAVYA) में अर्थ की गहराई , सघनता एवं विस्तार लाता है । काव्य शास्त्रियों ने सर्वश्रेष्ठ काव्य की सत्ता वहीं स्वीकार की है, जहाँ रस व्यंग्य (व्यंजित) हो । रीति कालीन कवि एवं आचार्य प्रतापसाहि के शब्दों में – व्यंग्य जीव है, कवित में शब्द अर्थ गति अंग । सोई उत्तर काव्य है, वरणै व्यंग्य प्रसंग । ।
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अभिधा, लक्षणा एवं व्यंजना में अंतरअभिधा, लक्षणा एवं व्यंजना के मध्य अंतर नीचे प्रकार हैं
1. अभिधा ; किसी शब्द के केवल उसी ARTH को व्यक्त करती है, जो पहले से निश्चित एवं व्यवहार में प्रसिद्ध हो । यह अर्थ BHASHA सीखते समय हमें बताया जाता है । शब्दकोश या व्याकरण (VYAKARAN) से हम इस अर्थ को प्रकट करते हैं । लेकिन लक्षणा एवं व्यंजना के तहत शब्दों के जो अर्थ निकालते हैं, वह पहले से जाने हुए नहीं होते । लक्षणा शब्द शक्ति के तहत शब्दों से ऐसा अर्थ निकालते हैं, जो SHABDON से सामान्यतः नहीं लिया जाता । पर यह अर्थ सदैव मुख्यार्थ से RELATED ही होगा । व्यंजना SHABD SHAKTI के लिए हम शब्दों से ऐसा अर्थ भी निकालते हैं, जो उनके मुख्यार्थ से संबंध नही हैं । अन्य शब्दों में एक बात के अंदर जो दूसरी बात छिपी हुई रहती है, उसे व्यंजना शक्ति (VYANJANA SHABD SHAKTI) के द्वारा निकालते हैं ।
2. अभिधा शक्ति (ABHIDA SHABD SHAKTI) शब्द की सबसे साधारण शक्ति है । इसके तहत व्यक्त अर्थ में चमत्कार नहीं रहता है । दूसरी ओर लक्षणा एवं व्यंजना के arth में विलक्षणता रहती है , इसलिए काव्य में जितना महत्त्व लक्षणा व व्यंजना का रहा है, उतना अभिधा का नहीं रहा । व्यंजना का काव्यशास्त्र (साहित्य शास्त्र) में बहुत ही महत्त्वपूर्ण स्थान रहा है । चाहे वैयाकरण, नैयायिक, मीमांसक, वेदांती इत्यादि अभिधा के महत्त्व हेतु संतुष्ट हो जाये, किंतु काव्यशास्त्र तो रस की प्रधानता रखती है, रसास्वादन के बगैर, सहृदय की तृप्ति नहीं होती है एवं उस रसाभिव्यक्ति के हेतु व्यंजना शक्ति की सत्ता नितांत आवश्यक होती है ।
3. अभिधा और लक्षणा शब्दों की वृत्ति का व्यापार केवल शब्दों में रहती है, लेकिन व्यंजना वृत्ति का व्यापार शब्द और अर्थ दोनों में मिलता हैं ।
4. वाचक एवं लक्षक तो केवल शब्द (SHABD) होते हैं, लेकिन व्यंजक केवल शब्द ही नहीं संभवत वक्ता, श्रोता, देश, काल, चेष्टा प्रकरण इत्यादि भी व्यंजक है ।
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अभिधा और लक्षणा में अंतरअभिधा और लक्षणा में अंतर नीचे तालिका में हैं 1. अभिधा और लक्षणा दोनों शब्द-शक्तिया हैं । दोनों से शब्दों के अर्थ का बोध व्यक्त होता है, लेकिन अभिधा से शब्द के मुख्यार्थ का बोध आता है, वही लक्षणा से मुख्यार्थ का बोध नहीं आकर, मुख्यार्थ से संबंधित अन्य अर्थ (लक्ष्यार्थ) का बोध मिलता है । अभिधा का उदाहरण बाघ खड़ा है ।- इस वाक्य में बाघ शब्द सुनते ही ‘पशु विशेष’ की छवि हमारी आँखों के सामने आ जाता है । लक्षणा का उदाहरण- ‘राहुल बाघ है ।’- राहुल को बाघ कहने में मुख्यार्थ की बाधा है, क्योंकि कोई आदमी बाघ नहीं हो सकता । बाघ में जड़ता, बुद्धिहीनता आदि धर्म होते हैं । राहुल में भी बुद्धिहीनता है, इसलिए सादृश्य संबंध से राहुल का लक्ष्यार्थ किया गया- बुद्धिहीन । बुद्धिहीनता का बोध हुआ लक्षणा के द्वारा । इसलिए इस वाक्य में लक्षणा है । 2. अभिधा शब्द वृत्ति (Abhida Shabd Shakti) में तत्काल अपने मुख्यार्थ का बोध व्यक्त मिलता है, लेकिन लक्षणा शब्द-शक्ति में अपने लक्ष्यार्थ का बोध तत्काल नहीं मिलता है । लक्षणा के हेतु तीन बातों का होना नितांत आवश्यक है- मुख्यार्थ में बाधा, मुख्यार्थ एवं लक्ष्यार्थ में संबंध तथा रूढ़ि या प्रयोजन । इस त्रयी के अभाव में लक्षणा की कल्पना नहीं होती, लेकिन अभिधा वृत्ति कल्पना संभव है । 3. अभिधा शब्द शक्ति! शब्द की सबसे सिंपल शक्ति है । इस शब्द शक्ति का काव्य में कोई विशेष स्थान नहीं है, क्योंकि वाच्य ( अभिधेय ) SHABD में कोई चमत्कार नहीं मिलता हैं । शब्द शक्ति क्या है समझाइए?हिन्दी व्याकरण में किसी वाक्य के भाव को समझने के लिए प्रयुक्त अर्थ को शब्द शक्ति कहा जाता है। कुछ वाक्य ऐसे होते हैं जिनके अर्थ सभी लोगों के लिए समान होते हैं लेकिन कुछ वाक्य ऐसे होते हैं जिनका अर्थ प्रत्येक व्यक्ति अपनी परिस्थितियों के अनुसार लेता है।
शब्द शक्ति किसे कहते हैं कितने प्रकार के होते हैं?शब्द शक्ति का अर्थ है- शब्द की अभिव्यंज शक्ति। शब्द का कार्य किसी अर्थ की अभिव्यक्ति तथा उसका बोध कराना होता है। शब्दों के अर्थों का बोध कराने वाले अर्थ- व्यापार को शब्द शक्ति कहते हैं।
शब्द शक्ति का क्या महत्व है?शब्द शक्ति का महत्व –
किसी शब्द का महत्व उसमें निहित अर्थ पर निर्भर होता हैं। बिना अर्थ के शब्द अस्तित्व-विहीन एवं निरर्थक होता है। शब्द शक्ति के शब्द में निहित इसी अर्थ की शक्ति पर विचार किया जाता है। काव्य में प्रयुक्त शब्दों के अर्थ ग्रहण से ही काव्य आनन्ददायक बनता है।
शक्ति शब्द से क्या आशा है?'शक्ति' शब्द का शाब्दिक अर्थ उस क्षमता से है जिसके द्वारा कोई व्यक्ति किसी दूसरे व्यक्ति अथवा व्यक्तियों के आचरण को प्रभावित अथवा नियंत्रित करता है।
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