विद्यार्थी जीवन में योगा का महत्व April 4, 2019, 12:00 pm IST नितिन वर्मा in सामाजिक | कल्चर Show “संजीवनी समान है विद्यार्थी जीवन हेतु – योगा” “योगा” एक ऐसा सकारात्मक शब्द है कि जिसे सुनते ही मनुष्य के मन में उत्साह एवं एवं सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होने लग जाता है और हो भी क्यों न जो भी लोग “योग क्रिया” के बारे में उचित जानकारी रखते हैं वे भली भाँति इससे होने वाले तत्काल एवं दूरगामी लाभों से भी परिचित होते हैं। योग क्रिया आदि-अनादि काल से चलती चली आ रही है और हम सब वास्तव में बहुत ही सौभाग्यशाली हैं कि हम उस देश के वासी हैं कि जहाँ पर “योग क्रिया” बहुत ही प्राचीन समय से चलती चली आ रही है हमारे इसी देश में ऋषि-मुनियों ने योग क्रिया के माध्यम से अपने शरीर को चिरकाल तक युवा रहने वाला, आलस्य रहित, स्फूर्तिवान बना लिया था और आज भी बहुत से ऐसे तपस्वी मौजूद हैं कि जो सदैव ही बर्फ से आच्छादित रहने वाले भारत के सिरमौर हिमालय पर्वत पर योग क्रियाओं में लीन रहते हुए दिखाई दे जायेंगे । नितिन वर्मा डिसक्लेमर : ऊपर व्यक्त विचार लेखक के अपने हैं लेखकनितिन वर्मामेरा नाम नितिन वर्मा है। मैं कानपुर नगर का निवासी हूँ। मुझे ब्लॉग लिखने में बेहद रुचि है इससे पूर्व भी मेरे लेख दैनिक जागरण एवं अमर उजाला जैसे राष्ट्रीय स्तर के अखबारों में प्रकाशित हो चुके हैं और अभी भी मैं इस दिशा में प्रयासरत हूँ साथ ही मैं आदरणीय अशर्फ़ी लाल जी जो कि एक प्रतिष्ठित ब्लॉगर हैं उनसे प्रेरित हूँ। मेरा नाम नितिन वर्मा है। मैं कानपुर नगर का निवासी हूँ। मुझे ब्लॉग. . . योग जीवन में एक खास महत्व रखता है, जिससे इंसान स्वस्थ, खुश और टेंशन फ्री लाइफ जीता है। बता दें कि योगासन हमारे शरीर और मन को स्वस्थ रखने की प्राचीन भारतीय प्रणाली है और वहीं, शरीर को किसी ऐसे आसन या स्थिति में रखना जिससे स्थिरता और सुख का अनुभव हो योगासन कहलाता है। यही योगासन आपके शरीर की आन्तरिक प्रणाली को गतिशील करता है, जिससे रक्त-नलिकाएँ साफ हो जाती हैं तथा शरीर के हर अंग में शुद्ध वायु का संचार होता है और उनमें स्फूर्ति भी आती है। गौरतलब है कि योगासन करने से व्यक्ति में उत्साह और कार्य-क्षमता का विकास तो होता ही है साथ ही एकाग्रता भी आती है। योग का क्या है अर्थयोग शब्द संस्कृत के यज् धातु से बना है, जिसका अर्थ है संचालित करना, सम्बद्ध करना, सम्मिलित करना अथवा जोड़ना। आम शब्दों में अगर कहा जाए, तो शरीर एवं आत्मा का मिलन ही योग कहलाता है। वहीं, अन्य दर्शन हैं – न्याय¸ वैशेषिक¸ सांख्य¸ वेदान्त एवं मीमांसा। इनकी उत्पत्ति भारत में लगभग 5000 ई0 पू0 में हुई थी। पहले यह विद्या गुरू-शिष्य परम्परा के तहत पुरानी पीढ़ी से नई पीढ़ी को हस्तांतरित होती थी। योग की क्या है आवश्यकताइस बात को हम चाह के भी झूठला नहीं सकते हैं कि हमारे शरीर के स्वस्थ रहने पर ही हमारा मस्तिष्क भी स्वस्थ रहता है और मस्तिष्क से ही शरीर की समस्त क्रियाओं का संचालन होता है। इसी के साथ स्वस्थ और तनावमुक्त होने पर ही शरीर की सारी क्रियाएं भली प्रकार से सम्पन्न होती हैं और बस इस प्रकार हमारे शारीरिक, मानसिक, बौद्धिक और आत्मिक विकास के लिए योगासन अति आवश्यक माना जाता है। योग के फायदेहमारी मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए हमारे जीवन में योग बहुत ज़रूरी और उपयोगी है। यह हमारे शरीर, मन एवं आत्मा के बीच सन्तुलन अर्थात् योग स्थापित करना होता है। वहीं, योग की प्रक्रियाओं में जब तन, मन और आत्मा के बीच सन्तुलन एवं योग (जुड़ाव) स्थापित हो जाता है तब ही आत्मिक सन्तुष्टि, शान्ति एवं चेतना का अनुभव होता है। योग ना सिर्फ हमारी शरीर को शक्तिशाली एवं लचीला बनाए रखने में मदद करता है बल्कि यह हमें तनाव से भी मुक्ति दिलाता है। यह शरीर के जोड़ों एवं मांसपेशियों में लचीलापन लाता है और मांसपेशियों को मजबूत बनाए रखता है। यही नहीं, यह हमारी शारीरिक विकृतियों को काफी हद तक ठीक करता है। शरीर में रक्त-प्रवाह को सुचारू करता है तथा पाचन-तन्त्र को मजबूत भी बनाता है। इन सबके अतिरिक्त योग हमारे शरीर की रोग-प्रतिरोधक शक्तियां भी बढ़ाता है और कई प्रकार की बीमारियां जैसे कि अनिंद्रा, तनाव, थकान, उच्च रक्तचाप, चिन्ता इत्यादि को दूर करता है तथा शरीर को ऊर्जावान भी बनाता है। आज के इस भाग-दौड़ भरी ज़िन्दगी में स्वस्थ रह पाना किसी चुनौती से कम नहीं है। अतः हर आयु-वर्ग के स्त्री-पुरूष के लिए योग बहुत उपयोगी होता है। आज की आवश्यकता को देखते हुए यह कहना गलत नहीं होगा कि योग शिक्षा की बेहद आवश्यकता है, क्योंकि सबसे बड़ा सुख अगर कुछ है तो वह हमारे शरीर का स्वस्थ होना है। जान लें कि अगर आपका शरीर स्वस्थ है तो आपके पास दुनिया की सबसे बड़ी दौलत है। स्वस्थ व्यक्ति ही देश और समाज का हित कर सकता है और इस भागती ज़िंदगी में खुद को स्वस्थ एवं ऊर्जावान बनाए रखने के लिए योग बेहद आवश्यक है। बता दें कि वर्तमान परिवेश में योग न सिर्फ हमारे लिए लाभकारी है बल्कि विश्व के बढ़ते प्रदूषण एवं मानवीय व्यस्तताओं से उपजी समस्याओं के निवारण के संदर्भ में इसकी सार्थकता और बढ़ गई है। योग की शिक्षा में क्या आवश्यकता है?योग से अस्वस्थ शरीर को सक्रिय एवं रचनात्मक कार्य करने की प्रेरणा मिलती है. यह मन को शक्तिशाली बनता है एवं दुःख दर्द सहन करने की शक्ति प्रदान करता है. दृढ़ता एवं एकाग्रता को शक्ति प्रदान करता है. योग के नियमित अभ्यास से मस्तिष्क शक्तिशाली एवं संतुलन बना रहता है.
योग की आवश्यकता क्यों होती है?योगासन करने से व्यक्ति शारीरिक और मानसिक दोनों रूप से स्वास्थ्य लाभ प्राप्त करता है. योग से न केवल मांसपेशियों सुदृढ़ होती हैं, बल्कि शरीर में प्राणाशक्ति बढ़ती है और आंतरिक अंगों में दृढ़ता आती है. साथ ही नाड़ी तंत्र को संतुलित बनाती है. योग मानसिक तनाव से मुक्ति और मानसिक एकाग्रता प्रदान करता है.
योग शिक्षा की आवश्यकता और महत्व हमारे लिए क्यों महत्वपूर्ण है?योग आवश्यक है क्योंकि यह हमें फिट रखता है, तनाव को कम करने में मदद करता है और समग्र स्वास्थ्य को बनाए रखता है और एक स्वस्थ मन ही अच्छी तरह से ध्यान केंद्रित करने में सहायता कर सकता है। आंतरिक शांति – योग आंतरिक शांति प्राप्त करने और तनाव तथा अन्य समस्याओं के खिलाफ लड़ाई में मदद करता है।
शारीरिक शिक्षा में योग का महत्व क्या है?योग , जो एक शांत शरीर और मन को प्राप्त करने के लिए शारीरिक और मानसिक विषयों को जोड़ता है , तनाव प्रबंधन और विश्राम में सहायता करता है। यह लचीलेपन , मांसपेशियों की ताकत और समग्र शरीर की टोन के विकास में भी सहायता करता है। यह आपकी ऊर्जा , जीवन शक्ति और श्वसन को बढ़ाता है।
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