सत्ता की साझेदारी क्यों बनी है? - satta kee saajhedaaree kyon banee hai?

आधुनिक लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं में सत्ता की साझेदारी के अलग-अलग तरीके क्या है? इनमें से प्रत्येक का एक उदाहरण भी देंl


आधुनिक लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं में सत्ता की साझेदारी के अलग अलग तरीके निमनलिखित है-

(i) सरकार के तीन अंग के बीच सत्ता की साझेदारी- लोकतंत्र की सफलता के लिए शासन के तीन अंगों के बीच सत्ता का बंटवारा रहता है ताकि कोई भी अंग अपनी शक्तियों का अनुप्रयोग न कर सकेl विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका शासन के तीन अंग हैl हर अंग दूसरे पर अंकुश रखता हैl इस प्रकार संतुलन बना रहता हैl उदाहरण के लिए कानून और अधनियम विधायक द्वारा बनाए और पास किए जाते है इनका कार्यान्वयन कार्यपालिका करती है और न्यायपालिका कानून को तोड़ने वालों को दंडित करती हैl

(ii) विभिन्न स्तरों पर सत्ता का बँटवारा- सरकार के बीच भी विभिन्न स्तरों पर सत्ता का बंटवारा हो सकता हैl हर प्रान्त या क्षेत्रीय स्तर पर अलग-अलग सरकार स्थापित हैl उदाहरणार्थ भारतीय संविधान में केंद्र तथा राज्य सरकारों की शक्ति को अलग-अलग सूचियों में बांट दिया गया हैl

(iii) विभिन्न सामाजिक समूहों के बीच सत्ता का बँटवारा- सत्ता का बंटवारा विभिन्न सामाजिक समूह अर्थात् भाषायी और धार्मिक समूहों के बीच भी हो सकता हैl बेल्जियम में इसका उदाहरण हैl

(iv) राजनीतिक दलों, दबाव समूह तथा आंदोलन के बीच सत्ता का बँटवारा- लोकतंत्र में व्यपारी, उद्योगपति, किसान आदि जैसे समूह भी सक्रीय रहते हैl लोकतांत्रिक व्यवस्था में कई बार एक दल को बहुमत न मिलने पर कुछ दल मिलकर गठबंधन सरकार बना लेते हैl उदाहरण के लिए भारत में भी 1999-2004 मिली-जुली सरकार का बोला था, इसी तरह डेनकामार्क में अनेक राजनितिक दल है जो सत्ता का बँटवारा कर सरकार चलाते हैl

भारत में लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था है। यहाँ के नागरिक सीधे मताधिकार के माध्यम से अपने प्रतिनिधि को चुनते हैं। लोगों द्वारा चुने हुए प्रतिनिधि एक सरकार को चुनते हैं। इस तरह से एक चुनी हुई सरकार रोजमर्रा का शासन चलाती है और नये नियम बनाती है या पुराने नियमों और कानूनों में संशोधन करती है।

किसी भी लोकतंत्र में हर प्रकार की राजनैतिक शक्ति का स्रोत प्रजा होती है। यह लोकतंत्र का एक मूलभूत सिद्धांत है। ऐसी शासन व्यवस्था में लोग स्वराज की संस्थाओं के माध्यम से अपने आप पर शासन करते हैं। एक समुचित लोकतांत्रिक सरकार में समाज के विविध समूहों और मतों को उचित सम्मान दिया जाता है। जन नीतियों के निर्माण में हर नागरिक की आवाज सुनी जाती है। इसलिए लोकतंत्र में यह जरूरी हो जाता है कि राजनैतिक सत्ता का बँटवारा अधिक से अधिक नागरिकों के बीच हो।



सत्ता की साझेदारी की आवश्यकता

समाज में सौहार्द्र और शांति बनाये रखने के लिये सत्ता की साझेदारी जरूरी है। इससे विभिन्न सामाजिक समूहों में टकराव को कम करने में मदद मिलती है।

किसी भी समाज में बहुसंख्यक के आतंक का खतरा बना रहता है। बहुसंख्यक का आतंक न केवल अल्पसंख्यक समूह को तबाह करता है बल्कि स्वयं को भी तबाह करता है। सत्ता की साझेदारी के माध्यम से बहुसंख्यक के आतंक से बचा जा सकता है।

लोगों की आवाज ही लोकतांत्रिक सरकार की नींव बनाती है। इसलिये यह कहा जा सकता है कि लोकतंत्र की आत्मा का सम्मान रखने के लिए सत्ता की साझेदारी जरूरी है।

सत्ता की साझेदारी के दो कारण होते हैं। एक है समझदारी भरा कारण और दूसरा है नैतिक कारण। सत्ता की साझेदारी का समझदारी भरा कारण है समाज में टकराव और बहुसंख्यक के आतंक को रोकना। सत्ता की साझेदारी का नैतिक कारण है लोकतंत्र की आत्मा को अक्षुण्ण रखना।

सत्ता की साझेदारी एक ऐसी शासन व्यवस्था है जिसमें समाज के प्रत्येक समुदाय ओर नागरिक की हिस्सेदारी होती है। इसे सत्ता की साझेदारी के नाम से जानते हैं। सत्ता की साझेदारी लोकतंत्र का आधार है। अर्थात लोकतंत्र का मूल तत्व है। जो भागीदारी के द्वारा संभव होती है। लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था में उनसे सलाह ले जाने का अधिकार रहता है।

सत्ता की साझेदारी क्यों बनी है? - satta kee saajhedaaree kyon banee hai?
सत्ता की साझेदारी

सत्ता की साझेदारी क्यों जरूरी है ?

समाज (society ) में सौहार्द्र अर्थात मित्रता और शांति बनाये रखने के लिये सत्ता की साझेदारी बहुत जरूरी है। इससे विभिन्न सामाजिक समूहों में टकराव की स्थिति बहुत काम होती हे और सत्ता की साझेदारी का समझदारी भरा कारण भी है। समाज में टकराव और बहु-संख्यक आतंक को रोकना है। सत्ता की साझेदारी का नैतिक कारण अर्थात नीति के साथ व्यवहार जिससे समाज में सहभागिता हो, लोकतंत्र की आत्मा को अक्षुण्ण यर्थात सदैव बना रहे।

इसे सुनेंरोकें(i) टकराव को रोकने के लिए- सत्ता की साझेदारी जरूरी इसलिए है क्योंकि इससे सामाजिक समूहों के बीच टकराव का अंदेशा कम हो जाता है। चूंकि सामाजिक टकराव आगे बढ़कर अक्सर हिंसा और राजनीतिक अस्थिरता का रूप ले लेता है इसलिए सत्ता में हिस्सा दे देना राजनैतिक व्यवस्था के स्थायित्व के लिए अच्छा है।

सत्ता की साझेदारी से आप क्या समझते हैं व्याख्या कीजिए?

इसे सुनेंरोकेंसत्ता की साझेदारी ऐसी शासन व्यवस्था होती है जिसमें समाज के प्रत्येक समूह और समुदाय की भागीदारी होती है। सत्ता की साझेदारी ही लोकतंत्र का मूलमंत्र है। लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था में नागरिकों के पास इस बात का अधिकार रहता है कि शासन के तरीकों के बारे में उनसे सलाह ली जाये।

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सत्ता की साझेदारी से क्या अभिप्राय है लोकतंत्र में सत्ता की साझेदारी क्यों आवश्यक है?

इसे सुनेंरोकेंइसलिए लोकतंत्र में यह जरूरी हो जाता है कि राजनैतिक सत्ता का बँटवारा अधिक से अधिक नागरिकों के बीच हो। समाज में सौहार्द्र और शांति बनाये रखने के लिये सत्ता की साझेदारी जरूरी है। इससे विभिन्न सामाजिक समूहों में टकराव को कम करने में मदद मिलती है। सत्ता की साझेदारी का नैतिक कारण है लोकतंत्र की आत्मा को अक्षुण्ण रखना।

समझदारी से आप क्या समझते हैं?

इसे सुनेंरोकेंइससे विभिन्न सामाजिक समूहों में टकराव की स्थिति बहुत काम होती हे और सत्ता की साझेदारी का समझदारी भरा कारण भी है। समाज में टकराव और बहु-संख्यक आतंक को रोकना है। सत्ता की साझेदारी का नैतिक कारण अर्थात नीति के साथ व्यवहार जिससे समाज में सहभागिता हो, लोकतंत्र की आत्मा को अक्षुण्ण यर्थात सदैव बना रहे।

सत्ता की साझेदारी में युक्तिपरक तर्क से क्या अभिप्राय है?

इसे सुनेंरोकेंयुक्तिपरक कारण- सत्ता के बँटवारे से विभिन्न सामाजिक समूहों के बीच टकराव का अंदेशा कम हो जाता है| इस प्रकार सत्ता का बँटवारा सामाजिक सामंजस्य और शांति के लिए जरूरी होता है। नैतिक कारण- दरअसल सत्ता की साझेदारी या हिस्सेदारी लोकतंत्र की आत्मा है।

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शासन व्यवस्था में मुख्य रूप से कितने रूप प्रचलित हैं?

इसे सुनेंरोकेंयह कोई भी भू-राजनीतिक सरकार (राष्ट्र-राज्य), कॉर्पोरेट सरकार (कारोबारी संस्था), सामाजिक-राजनीतिक सरकार (जाति, परिवार इत्यादि) या किसी भी अन्य प्रकार की सरकार हो सकती है।

सत्ता की साझेदारी के दो कारण क्या है?

Solution : सत्ता की साझेदारी के दो कारण होते हैं। एक है समझदारी भरा कारण और दूसरा है नैतिक कारण

सत्ता की साझेदारी क्या है और इसके क्या क्या लाभ है?

सत्ता की साझेदारी ऐसी शासन व्यवस्था होती है जिसमें समाज के प्रत्येक समूह और समुदाय की भागीदारी होती है। सत्ता की साझेदारी ही लोकतंत्र का मूलमंत्र है। लोकतांत्रिक सरकार में प्रत्येक नागरिक की हिस्सेदारी होती है, जो भागीदारी के द्वारा संभव हो पाती है।

सत्ता की साझेदारी किसकी आत्मा है?

<br> (ii) लोकतंत्र की आत्मा-सत्ता की साझेदारी वास्तव में लोकतंत्र की आत्मा है। लोकतंत्र का अर्थ ही होता है कि जो लोग इस शासन-व्यवस्था के अंतर्गत हैं, उनके बीच सत्ता को बाँटा जाए और ये लोग इसी ढरें से रहें।

12 सत्ता की साझेदारी क्यों वांछनीय है उदाहरण सहित समझाइए?

समाज में सौहार्द्र और शांति बनाये रखने के लिये सत्ता की साझेदारी जरूरी है। इससे विभिन्न सामाजिक समूहों में टकराव को कम करने में मदद मिलती है। किसी भी समाज में बहुसंख्यक के आतंक का खतरा बना रहता है। बहुसंख्यक का आतंक न केवल अल्पसंख्यक समूह को तबाह करता है बल्कि स्वयं को भी तबाह करता है।