लेखिका ने गिल्लू के घाव पर क्या लगाया? - lekhika ne gilloo ke ghaav par kya lagaaya?

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गिल्लू Questions and Answers, Notes, Summary

अभ्यास

I. एक वाक्य में उत्तर लिखिए:

प्रश्न 1.
लेखिका ने कौए को क्यों विचित्र पक्षी कहा है?
उत्तर:
लेखिका ने कौए को इसलिए विचित्र पक्षी कहा है कि वह एक साथ समादरित, अनादरित, अति सम्मानित, अति अवमानित है।

प्रश्न 2.
गिलहरी का बच्चा कहाँ पडा था ?
उत्तर:
गिलहरी का बच्चा गमले और दीवार की संधि में पड़ा था।

प्रश्न 3.
लेखिका ने गिल्लू के घावों पर क्या लगाया?
उत्तर:
लेखिका ने गिल्लू के घावों पर पेन्सिलिन का मरहम लगाया।

प्रश्न 4.
वर्माजी गिलहरी को किस नाम से बुलाती थी?
उत्तर:
वर्माजी गिलहरी को ‘गिल्लू’ नाम से बुलाती थी।

प्रश्न 5.
गिलहरी का लघु गात किसके भीतर बन्द रहता था?
उत्तर:
गिलहरी को लघु गात लिफाफे में बन्द रहता था।

प्रश्न 6.
गिलहरी का प्रिय खाद्य क्या था?
उत्तर:
गिलहरी का प्रिय खाद्य काजू था।

प्रश्न 7.
लेखिका को किस कारण से अस्पताल में रहना पंडा?
उत्तर:
लेखिका को मोटर-दुर्घटना में आहत होने के कारण से अस्पताल में रहना पड़ा।

प्रश्न 8.
गिलहरी गर्मी के दिनों में कहाँ लेट जाता था?
उत्तर:
गिलहरी गर्मी के दिनों में लेखिका के पास रखी सुराही पर लेट जाता था।

प्रश्न 9.
गिलहरियों की जीवनावधि सामान्यतया कितनी होती है?
उत्तर:
गिलहरियों की जीवनावधि सामान्यतया दो वर्ष से अधिक नहीं होती है।

प्रश्न 10.
गिलहरी की समाधि कहाँ बनायी गयी है?
उत्तर:
गिलहरी की समाधि सोनजुही लता के नीचे बनायी गयी है।

II. दो-तीन वाक्यों में उत्तर लिखिए:

प्रश्न 1.
लेखिका को गिलहरी किस स्थिति में दिखाई पडी?
उत्तर:
लेखिका ने गिलहरी को गमले और दीवार की संधि में निश्चेष्ट-सा, गमले से चिपका पड़ा देखा। वह गिलहरी का छोटा बच्चा था और सम्भवतः घोंसले से नीचे गिर पड़ा था। काकद्वय की चोंचों के दो घाव उस लघुप्राण के लिए बहुत थे और दोनों कौए उसे अपना आहार बनाना चाहते थे।

प्रश्न 2.
लेखिका ने गिल्लू के प्राण कैसे बचाये?
उत्तर:
महादेवी जी गिलहरी के बच्चे को उठाकर अंधर लायी। रुई से उसके रक्त को पोंछा और घावों पर पेन्सिलिन का मरहम लगाया। कई घंटे उपचार किया। उसके बाद मुँह में एक बूंद पानी टपकाया जा सका।

प्रश्न 3.
लेखिका का ध्यान आकर्षित करने के लिए। गिल्लू क्या करता था?
उत्तर:
लेखिका का ध्यान आकर्षित करने के लिए गिल्लू को तीव्र इच्छा होती थी कि उसने एक अच्छा उपाय खोज निकाला। वह उसके पैर तक आकर सर्र से परदे पर चढ़ जाता है और फिर उसी तेजी से उतरता था।

प्रश्न 4.
वर्माजी को चौंकाने के लिए गिल्लू कहाँ कहाँ छिप जाता था?
उत्तर:
महादेवी वर्मा को चौंकाने की इच्छा उसमें न जाने कब और कैसे उत्पन्न हो गयी थी । इसके लिए वह फूलदान के फूलों में छिप जाता, कभी परदे की चुन्नट में और कभी सोनजुही की पत्तियों में।

प्रश्न 5.
गिल्लू ने लेखिका की गैरहाजरी में दिन कैसे बिताये?
उत्तर:
लेखिका मोटर दुर्घटना में आहत होकर अस्पताल में थी। उन दिनों जब उनके कमरे का दरवाजा खोला जाता, तब गिल्लू अपने झूले से उतरकर दौड़ता और फिर किसी दूसरे को वहाँ देखकर तेजी से अपने घोंसले में जा बैठता। सब उसे काजू दे जाते, परंतु अस्पताल से लौटकर जब लेखिका ने उसके झूले की सफाई की, तब उन्हें काजू भरे मिले, जिनसे ज्ञात होता था कि वह उन दिनों अपना प्रिय खाद्य भी कम खा रहा था।

III. पाँच-छः वाक्यों में उत्तर लिखिए:

प्रश्न 1.
गिल्लू के कार्य-कलाप के बारे में लिखिए।
उत्तर:
महादेवी जी जब लिखने को बैठ जाती थी, तब गिल्लू उनका ध्यान अपनी ओर आकर्षित करने के लिए, उनके पैर तक आकर, सर्र करके परदे पर चढ़ जाता था। जब बाहर की गिलहरियाँ उसे चिकचिक करके बुलाती थीं, तब लेखिका उसे बाहर जाने के लिए मुक्त करती थी। फिर गिल्लू चार बजे तक खेलकर, घर वापस लौटता था। वापस आकर सीधे अपने झूले में झूलने लगता था। लेखिका को चौंकाने के लिए वह कभी फूलदान के फूलों में तो कभी सोनजुही की पत्तियों में छिप जाता था। जब लेखिका खाना खाने बैठ जाती, तब उनकी थाली में बैठने के लिए आता था। लेखिका ने उसे बड़ी कठिनाई से थाली के पास बैठना सिखाया और फिर गिल्लू ने एक-एक चावल चुनकर खाने की आदत डाल दी। काजू, उसका प्रिय खाद्य था। अगर काजू के अलावा कुछ दिया जाता, तो उसे झूले के नीचे फेंक देता था।

प्रश्न 2.
लेखिका ने गिलहरी को क्या-क्या सिखाया?
उत्तर:
गिलहरी को एक लंबे लिफाफे में इस तरह रख देती कि उसके अगले दो पंजों और सिर के अतिरिक्त सारा लघु गात लिफाफे के भीतर बंद रहता। इस अद्भुत स्थिति में कभी-कभी घंटों मेज पर दीवार के सहारे खड़ा रहकर वह अपनी चमकीली आँखों से लेखिका के कार्य-कलापों को देखा करता। लेखिका के पास बहुत से पशु-पक्षी थे। परन्तु उनमें से किसी को उनके साथ उसकी थाली में खाने की हिम्मत नहीं थी। लेकिन गिल्लू इनमें अपवाद था। जैसे ही लेखिका खाने के कमरे में पहुँचती, वह खिड़की से निकलकर आँगन की दीवार-बरामदा पार करके मेज पर पहुँच जाता और उसकी थाली में बैठ जाना चाहता। बड़ी कठिनाई से लेखिका ने उसे थाली के पास बैठना सिखाया, जहाँ बैठकर वह उसकी थाली में से एक-एक चावल उठाकर बड़ी सफाई से खाता रहता।

प्रश्न 3.
गिल्लू के अंतिम दिनों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
गिलहरियों के जीवन की अवधि दो वर्ष से अधिक नहीं होती इसलिए गिल्लू की जीवन-यात्रा | का अंत आ ही गया। दिन भर उसने न कुछ खाया, न बाहर गया। पंजे इतने ठंडे हो रहे थे कि लेखिका ने हीटर जलाकर उसे उष्णता देने का प्रयत्न किया। लेकिन प्रभात की प्रथम किरणों के साथ ही गिल्लू चिर निद्रा में सो गया।

प्रश्न 4.
गिल्लू के प्रति महादेवी वर्माजी की ममता का वर्णन कीजिए ।
उत्तर:
जब गिल्लू घायल हुआ तब उस पर रुई से रक्त पोंछकर पेन्सिलिन का मरहम लगाया। गिल्लू को पकडकर एक लंबे लिफाफे में रखती थी महादेवी वर्मा ने गिल्लू को काजू और बिस्कुट खाने को देती थी। वर्माजी ने गिल्लू को मुक्त करना आवश्यक समझकर खिड़की के कीले निकालकर जाली का एक कोना खोल दिया और इस मार्ग से गिल्लू बाहर जाने पर सचमुच ही मुक्ति की साँस ली। वर्माजी ने बडी कठिनाई से उसे थाली के पास बैठना सिखाया और एक-एक चावल उठाकर सफाई से खाना सिखाया । तब गिल्लू का अंत नजदीक आया तो उसके पंजे ठंडे हो रहे थे तो हीटर जलाकर उसे उष्णता देने की कोशिश की।

IV. रिक्त स्थान भरिए:

  1. यह ………… भी विचित्र पक्षी है।
  2. उसी बीच मुझे ……….. में आहत होकर कुछ | दिन अस्पताल में रहना पड़ा।
  3. गिल्लू के जीवन का प्रथम ………… आया ।
  4. मेरे पास बहुत ………… हैं।
  5. गिल्लू की ……….. का अंत आ ही गया ।

उत्तर:

  1. काक
  2. मोटर दुर्घटना
  3. वसंत
  4. पशु-पक्षी
  5. जीवन-यात्रा

V. अनुरूप शब्द लिखिए :

  1. 1907 : महादेवी वर्मा जी का जन्म :: 1987 : …………….
  2. गुलाब : पौधा :: सोनजुही : …………….
  3. हंस : सफेद :: कौआ : ………..
  4. बिल्ली : म्याऊँ-म्याऊँ :: गिल्लू :
  5. कोयल : मधुर स्वर :: कौआ : ………

उत्तर:

  1. महादेवी वर्मा जी का निधन
  2. फूल
  3. काला
  4. चिक-चिक
  5. कर्कश

VI. कन्नड या अंग्रेजी में अनुवाद कीजिएः

प्रश्न 1.
कई घंटे के उपचार के उपरांत उसके मुँह में | एक बूंद पानी टपकाया जा सका।
उत्तर:
ಎಷ್ಟೋ ಗಂಟೆಗಳ ಉಪಚಾರ ನಂತರ ಬಾಯಿ
ಯಲ್ಲಿ ಒಂದು ಹನಿ ನೀರನ್ನು ಹಾಕಿದೆನು.
After hours of treatment it took a drop of water in its mouth.

प्रश्न 2.
बड़ी कठिनाई से मैंने उसे थाली के पास बैठना सिखाया।
उत्तर:
ಬಹಳ ಪರಿಶ್ರಮದಿಂದ ನಾನು ಅದಕ್ಕೆ ತಟ್ಟೆಯ ಬಳಿ
ಕುಳಿತುಕೊಳ್ಳುವುದನ್ನು ಕಲಿಸಿದೆ.
With great difficulty I taught it to sit near the plate.

प्रश्न 3.
गिल्लू मेरे पास रखी सुराही पर लेट जाता था।
उत्तर:
ಗಿಲ್ಲು ನನ್ನ ಬಳಿ ಇಟ್ಟಿದ್ದ ನೀರಿನ ಪಾತ್ರೆಯ ಮೇಲೆ
ಮಲಗುತ್ತಿತ್ತು.
Gillu always used to sleep near the pot.

प्रश्न 4.
दिन भर गिल्लू ने न कुछ खाया, न वह बाहर गया।
उत्तर:
ದಿನವೆಲ್ಲ ಗಿಲ್ಲು ಏನನ್ನೂ ತಿನ್ನಲಿಲ್ಲ, ಹೊರಗೂ
ಸಹ ಹೋಗಲಿಲ್ಲ.
Whole day Gillu did not eat anything nor went outside.

VII. दिए गए सही स्त्रीलिंग शब्दों को चुनकर सम्बन्धित पुल्लिंग शब्द के आगे लिखिए:
(मयूरी, लेखिका, श्रीमती, कुतिया)
उत्तर:
पुल्लिंग स्त्रीलिंग
1. लेखक – लेखिका
2. श्रीमान – श्रीमती
3. मयूर – मयूरी
4. कुत्ता – कुतिया

VII. खाली जगह भरिए:

एकवचन बहुवचन
1. ऊँगली – …………
2. ………. – आँखें
3. पूँछ – …………
4. ……….. – खिडकियाँ
5. फूल – ……………
6. ……… – पंजे
7. लिफाफा – …………..
8. कौआ – ……………
9. ………… – गमले
10. ………. – घोंसले
उत्तर:
एकवचन बहुवचन
1. ऊँगली – उँगलियाँ
2. आँख – आँखें
3. पूँछ – पूँछे
4. खिडकी – खिडकियाँ
5. फूल – फूल
6. पंजा – पंजे
7. लिफाफा – लिफाफे
8. कौआ – कौए
9. गमला – गमले
10. घोंसला – घोंसले

IX. उदाहरणानुसार प्रेरणार्थक क्रिया रूप लिखिए:

1.

चिपकना चिपकाना चिपकवाना
लिखना लिखाना लिखवाना
मिलना मिलाना मिलवाना
चलना चलाना चलवाना

2.

देखना दिखाना  दिखवाना
भेजना  भिजाना  भिजवाना
 खेलना खिलाना खिलवाना
देना दिलाना दिलवाना

3.

सोना सुलाना सुलवाना
रोना रुलाना  रुलवांना
धोना धुलाना धुलवाना
खोलना खुलाना खुवानाल

4.

पीना पिलाना पिलवाना
सीना सिलाना सिलवाना
सीखना सिखाना सिखवाना

5.

माँगना मँगाना मँगवाना
बाँटना बँटाना बँनाटवा
माँझना मॅझाना मॅझवाना
जाँचना हुँचाना हुँचवाना

X. विलोम शब्द लिखिए:

निकट × दूर

  1. दिन × रात
  2. भीतर × बाहर
  3. चढ़ना × उतरना

उत्तीर्ण × अनुत्तीर्ण

  1. उपयोग × अनुपयोगी
  2. उपस्थिति × अनुपस्थिति
  3. उचित × अनुचित

विश्वास × अविश्वास

  1. प्रिय × अप्रिय
  2. संतोष × असंतोष
  3. स्वस्थ × अस्वस्थ

ईमान × बेईमान

  1. होश × बेहोश
  2. खबर × बेखबर
  3. चैन × बेचैन

बलवान × बलहीन

  1. बुद्धिमान × बुद्धिहीन
  2. शक्तिमान × शक्तिहीन
  3. दयावान × दयाहीन

धन × बेधन

  1. जन × निर्जन
  2. बल × निर्बल
  3. गुण × निर्गुण

XI. समानार्थक शब्दों को चुनकर लिखिएः
(खाना,शरीर, चिकित्सा, इलाज, देह, तलाश, भोजन, साहस, अचरज, धैर्य, ढूँढ़, आश्चर्य)

  • उदा- उपचार चिकित्सा इलाज
  1. गात – शरीर – देह
  2. आहार – खाना – भोजन
  3. विस्मय – आश्चर्य – अचरज
  4. हिम्मत – धैर्य – साहस
  5. खोज – तलाश – ढूँढ़

XII. कारक का नाम लिखिए:

उदा- गमले के चारों ओर – संबंध कारक

  1. मुँह में एक बूंद पानी – अधिकरण कारक
  2. गिल्लू को पकडकर – कर्म कारक
  3. जीवन का प्रथम वसंत – संबंध कारक
  4. खिडकी की खुली जाली – संबंध कारक
  5. मैंने कीलें निकालकर – कर्ता कारक
  6. झूले से उतरकर – करण कारक
  7. सुराही पर लेट जाता – अधिकरण कारक
  8. कुछ पाने के लिए – संप्रदान कारक

XIII. दी गयी शब्द-पहेली से पशु-पक्षियों के नाम हूँढ़कर लिखिए:

मो कु यू
त्ता रु
हं बू
बि ल्ली कौ

उत्तर:

  1. मोर
  2. हंस
  3. कबूतर
  4. कुत्ता
  5. कौआ
  6. गरुड
  7. बिल्ली
  8. मयूर

भाषा ज्ञान
I. उदाहरणसहित स्वर संधि के पाँच भेदों का नाम लिखिए:

व्यंजन संधि

व्यंजन के साथ स्वर अथवा व्यंजन के मेल से
उत्पन्न परिवर्तन की व्यंजन संधि कहते हैं।
उदाहरण :
जगत् + नाथ = जगन्नाथ
सत् + आचार = सदाचार
वाक् + मय = वाङ्मय
वाक् + ईश = वागीश
षट् + दर्शन = षड्दर्शन

II. संधि विच्छेद करके लिखिए:

तल्लीन = तत् + लीन
चिदानंद = चित् + आनंद
दिगम्बर = दिक् + अम्बर
सज्जन = सत् + जन
सद्गति = सत् + गति

III. स्वर संधि और व्यंजन संधि के शब्दों की सूची बनाइए:

सदाचार, गिरीश, वागीश, इत्यादि, सदैव, नयन, जगन्नाथ, महोत्सव, षड्दर्शन, जगन्मोहन

स्वर संधि व्यंजन संधि
सदाचार, गिरीश,
वागीश, महोत्सव,
सदैव, नयन,
इत्यादि ।
षड्दर्शन,
जगन्नाथ,
जगन्मोहन

गिल्लू Summary in Hindi

गिल्लू लेखिका का परिचय :
महादेवी वर्मा जी विश्व स्तर की कवयित्री हैं। उन्हें ‘आधुनिक मीरा’ भी कहा जाता है। उनका जन्म 24 मार्च, 1907 को फरुखाबाद में हुआ। उनके पिता गोविंद प्रसाद वर्मा और माता हेमारानी थी। उन्होंने प्रयाग के विश्वविद्यालय से संस्कृत में एम.ए. उपाधि प्राप्त कर प्रयाग के महिला विद्यापीठ में प्रधानाध्यापिका का पद संभाला।

महादेवी वर्मा जी ने गद्य और पद्य दोनों की रचना की है। इनकी प्रमुख रचनाएँ हैं – ‘यामा’, ‘सांध्यगीत’, ‘दीपशिखा’, ‘नीरजा’, ‘नीहार’, ‘अतीत के चलचित्र’, ‘स्मृति की रेखाएँ’, ‘पथ के साथी’, ‘मेरा परिवार’, ‘श्रृंखला की कड़ियाँ’ आदि।

महादेवी वर्मा जी को सेक्सरिया पुरस्कार, मंगला प्रसाद पुरस्कार, द्विवेदी पदक आदि अनेक पुरस्कार प्राप्त हुए हैं। उनकी ‘यामा’ के लिए ज्ञानपीठ पुरस्कार मिला है। उनका निधन सितंबर सन्
1987 को हुआ।

पाठ का सारांश :
लेखिका ने बरामदे में आकर देखा कि दो कौए आपस में चोंच मिलाकर खेल रहे थे। पुराणों में कौए को काकभुशुंडी कहा जाता है। यह विचित्र पक्षी है, जो कभी आदर पाता है, तो कभी अनादर भी। हमारे बुजुर्ग न हंस के रूप में आते हैं, न गरुड़ के रूप में; बल्कि वे तो श्राद्ध-पक्ष में कौए के रूप में ही आते हैं। भले ही उनके ‘काँव-काँव’ की ध्वनि से हम नाराज ही हों, परन्तु उन्हें बुलाना तो पड़ता ही है।

अचानक लेखिका की नजर गमले के पास पड़ी, तो वहाँ एक छोटा-सा गिलहरी का बच्चा दिखाई दिया। कौओं से भयभीत होकर, वहीं छुपा हुआ था। सबने कहा कि कौए की चोंच का घाव लगने के बाद वह बच नहीं सकता, अतः उसे ऐसे ही रहने दिया जाय।

लेखिका ने गिल्लू के घाव पर क्या लगाया? - lekhika ne gilloo ke ghaav par kya lagaaya?

परन्तु लेखिका को उस पर दया आ गई। उसे उठाकर कमरे में ले आई और उसके घावों पर पेंसिलिन का मरहम लगाया। दो-चार दिनों में गिलहरी का बच्चा चंगा हो गया, उछल-कूद मचाने लगा। लेखिका के उपचार तथा व्यवहार से तीन-चार मास में गिलहरी का बच्चा बड़ा सुंदर लगने लगा। सभी उसे ‘गिल्लू’ कहकर पुकारने लगे। उसे एक हल्की डलिया में रुई बिछाकर लिटा दिया और खिड़की पर लटका दिया।

यही गिल्लू का दो वर्षों तक घर रहा। अपनी सुंदर, चमकीली आँखों से न जाने वह क्या-क्या देखता रहता। लेखिका कहती है कि जब वह लिखने बैठती, तो गिल्लू उसके इर्द-गिर्द घूमने लगता। लेखिका कभी उसे कागज के लिफाफे में डाल देती। गिल्लू लेखिका के कार्यकलाप को देखने में तल्लीन हो जाता। भूख लगने पर चिक-चिक आवाज करके मानों सूचना देता और काजू या बिस्कुट मिलने पर कुतरता रहता।

गिल्लू एक वर्ष का हुआ तो बाहर की गिलहरियाँ खिड़की के पास आकर न जाने ‘चिक-चिक’ करके क्या कहती थीं। लेखिका को लगा कि अब गिल्लू को मुक्त कर देना चाहिए। उन्होंने कीलें निकालकर जाली का एक कोना खोल दिया। खिड़की से बाहर जाकर, अन्य गिलहरियों के संग पेड़ों पर उछल-कूद मचाकर वह फिर ठीक चार बजे वापस आ जाता और अपने झूले में झूलने लगता।

लेखिका ने और भी कई पशु-पक्षियों को पाला है, परन्तु उनमें से कोई भी लेखिका की थाली में मुँह नहीं डालते, मात्र गिल्लू के। बड़े ही प्रयास से उन्होंने गिल्लू को थाली के पास बैठना सिखाया और गिल्लू थाली से एक-एक दाना चावल उठाकर खाता। काजू उसकी प्रिय वस्तु है। यदि किसी दिन काजू नहीं मिलता, तो वह झूले से नीचे भी नहीं आता। एक बार मोटर दुर्घटना में आहत होकर लेखिका को अस्पताल में रहना पड़ा। इस अवधि में गिल्लू को यद्यपि काजू खाने के लिए दिए गए; परन्तु उसने काजू बहुत कम खाए। अस्वस्थ लेखिका के पास आकर उसके सिर और बालों को सहलाता। गर्मी में वह सदा सुराही के पास ही बैठा रहता।

लेखिका ने गिल्लू के घाव पर क्या लगाया? - lekhika ne gilloo ke ghaav par kya lagaaya?

कहा जाता है कि गिलहरियों की अवधि दो वर्षों से अधिक नहीं होती। अतः गिल्लू के भी अंतिम दिन नज़दीक आ गए थे। उसने दिन-भर कुछ नहीं खाया और न बाहर गया। पंजे इतने ठंडे हो गए थे कि लेखिका ने हीटर से उष्णता पहुँचाई; फिर भी प्रभात की प्रथम किरण के साथ ही वह चिर निद्रा में सो गया। सोनजुही गिल्लू को प्रिय थी। अतः वहीं गिल्लू की समाधि है; ताकि लेखिका को लगे कि कहीं वह छोटा-सा जीव फूल के रूप में खिलकर संतोष दे सके।

गिल्लू Summary in English

Squirrel Summary in English:

In the author’s house, there was a baby Squirrel. It was suffering from pain. The author felt sorry for its suffering and kept it in a safer place and treated it with medicine. The author called it with a name Gillu and Galu became alright within a year and became able to run all over the house and began loving the author with affection.

Once the author fell ill on account of a car accident and so she was admitted to ‘a hospital for few days. The baby Squirrel was always remembering her and in the absence

of the author, it did not eat anything. It was sleeping in a cool place in the house. After two years, one day it died away. Its body was burried in the author’s compound.

गिल्लू Summary in Kannada

लेखिका ने गिल्लू के घाव पर क्या लगाया? - lekhika ne gilloo ke ghaav par kya lagaaya?

लेखिका ने गिल्लू के घाव पर क्या लगाया? - lekhika ne gilloo ke ghaav par kya lagaaya?

लेखिका ने गिल्लू के घाव पर क्या लगाया? - lekhika ne gilloo ke ghaav par kya lagaaya?

लेखिका ने गिल्लू के घाव पर क्या लगाया? - lekhika ne gilloo ke ghaav par kya lagaaya?

लेखिका ने गिल्लू के घाव पर क्या लगाया? - lekhika ne gilloo ke ghaav par kya lagaaya?

लेखिका ने गिल्लू के घाव पर क्या लगाया? - lekhika ne gilloo ke ghaav par kya lagaaya?

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लेखिका ने गिल्लू के घाव पर क्या लगाया? - lekhika ne gilloo ke ghaav par kya lagaaya?

KSEEB SSLC Class 10 Hindi Solutions

गिल्लू की चोट पर लेखिका ने कौन सी दवा लगाई?

Answer: लेखिका गिलहरी के घायल बच्चे को उठाकर अपने कमरे में ले आई उसका घाव रुई से पोंछा उस पर पेंसिलिन दवा लगाई फिर उसके मुँह में दूध डालने की कोशिश की परन्तु उसका मुँह खुल नहीं सका। कई घंटे के उपचार के बाद उसने एक बूँद पानी पिया। तीन दिन के बाद उसने आँखे खोली और धीरे-धीरे स्वस्थ हुआ।

गिल्लू के घावों पर क्या लगाया गया *?

उत्तर – गिलहरी के घायल बच्चे के घाव पर लगे खून को पहले रुई से साफ किया गया। उसके बाद उसके घाव पर पेंसिलिन का मलहम लगाया गया

लेखिका के उपचार से गिल्लू कितने दिनों में स्वस्थ हो गया?

लेखिका के इस प्रकार के उपचार के तीन दिन बाद ही गिलहरी का बच्चा पूरी तरह अच्छा और स्वस्थ हो गया। 4. गिल्लू लेखिका का ध्यान आकर्षित करने के लिए सर्र से परदे के ऊपर चढ़ जाता और तेजी से नीचे उतर आता था।

लेखिका ने गिल्लू के घावों पर क्या लगाया उत्तर लेखिका ने गिल्लू के घावों पर पेन्सिलिन का मरहम लगाया?

गिलहरी के घायल बच्चे का उपचार किस प्रकार किया गया? लेखिका गिल्लू को हौले से उठाकर अपने कमरे में ले आया, लि, ७३ से रक्त पोंछकर घावों पर पेंसिलिन का मरहम लगाया। कई घंटे के उपचार के उपरान्त उसके मुँह में एक बूंद पानी टपकाया जा सका।