संसद कार्यपालिका को कैसे नियंत्रित करती है? - sansad kaaryapaalika ko kaise niyantrit karatee hai?

जब कोई सरकार या कार्यपालिका लोकसभा में अपना बहुमत खो देती है तो विपक्ष या उसके नेता सदन में एक प्रस्ताव लाते है जिसमें सरकार को अल्पमत की सरकार बताया जाता है और उसे फिर से सदन में अपनी बहुमत दिखाने को कहा जाता है | इस प्रस्ताव को अविश्वास प्रस्ताव कहा जाता है | बहुत सी सरकारें अविश्वास प्रस्ताव के कारण गिर चुकी है | 

  • अविश्वास प्रस्ताव संसद द्वारा कार्यपालिका को उतरदायी बनाने का सबसे सशक्त हथियार है | 
  • यह तभी संभव है जब सरकार लोकसभा में अल्पमत हो अन्यथा यह कल्पना मात्र हैं | 

संसदीय समितियाँ :

समिति एक छोटी संख्या है जिसे विशेष कार्य सौपा जाता है ये विभिन्न मामलों पर विचार विमर्श करती हैं और प्रशासनिक कार्यों पर निगरानी रखती है | 

1. वित्तीय समितियाँ : 

(i) लोक लेखा समिति : भारत सरकार के विभिन्न विभागों का खर्च नियमानुसार हुआ है या नहीं इसका लेखा जोखा रखती है | 

(ii) प्राकलन समिति : खर्च में किफ़ायत किस तरह की जा सकती है | 

(iii) लोक उपक्रम समिति: सरकारी उद्योगों की रिपोर्ट की जाँच करती है कि उद्योग का व्यवसाय कुशलता पूर्वक चलाये जा रहे है या नहीं | 

2. विभागीय स्थायी समितियाँ : यह कृषि, वाणिज्य उद्योग, गृह मंत्रालय इत्यादि संबंधित विधेयकों की देखरेख करती है |  

3. संयुक्त संसदीय समितियाँ : इन समितियों में संसद के दोनों सदनों के सदस्य होते हैं | संयुक्त संसदीय समितियों का गठन किसी विधेयक पर संयुक्त चर्चा अथवा वित्तीय अनिमियतताओं की जाँच के लिए किया जा सकता है |

दलबदल : यदि कोई सदस्य अपने दल के नेतृत्व के आदेश के बावजूद सदन में उपस्थित न हो या दल के निर्देश के विपरीत सदन में मतदान करे अथवा स्वेच्छा से दल की सदस्यता दे दे तो उसे दलबदल कहते है | 

दलबदल निरोधक कानून : संविधान के 52 वाँ संशोधन द्वारा सन 1985 में एक कानून बनाया गया जिसके द्वारा सदन का अध्यक्ष अपने सदस्यों के व्यवहार को नियंत्रित करता है | इसे दलबदल निरोधक कानून कहते है | यदि यह सिद्ध हो जाये कि कोई सदस्य ने दलबदल किया है तो उसकी सदन की सदस्यता समाप्त हो जाती है | उअर ऐसे दलबदलू को किसी भी राजनितिक पद के लिए अयोग्य घोषित कर दिया जाता है |  

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  • प्रश्न :

    आपकी दृष्टि में, भारत में कार्यपालिका की जवाबदेही को निश्चित करने में संसद कहाँ तक समर्थ है? (150 शब्द)

    17 May, 2022 सामान्य अध्ययन पेपर 2 राजव्यवस्था

    उत्तर :

    भारतीय संविधान में ब्रिटेन की तर्ज पर संसदीय प्रणाली की व्यवस्था की गई है। इसके अंतर्गत कार्यपालिका प्रत्यक्ष रूप से विधायिका के निचले सदन के प्रति उत्तरदायी होती है।

    संवैधानिक प्रावधानों, संसदीय संचालन के नियमों व परंपराओं के अंतर्गत विभिन्न नियंत्रण के उपकरणों द्वारा विधायिका कार्यपालिका की जवाबदेही सुनिश्चित करने का प्रयास करती है। ये उपकरण निम्नलिखित हैं :

    • कार्यपालिका (अर्थात्-मंत्रिपरिषद) का अस्तित्व तब तक ही है, जब तक लोकसभा को उसमें विश्वास है। अत: विश्वास मत नियंत्रण का सर्वश्रेष्ठ उपाय है।
    • विभिन्न संसदीय प्रक्रियाओं, यथा- प्रश्न काल, शून्य काल आदि के माध्यम से भी कार्यपालिका पर नियंत्रण रखा जाता है।
    • विभिन्न संसदीय समितियों के माध्यम से भी विधायिका द्वारा कार्यपालिका का नियंत्रण किया जाता है।
    • बजट प्रक्रिया के दौरान विभिन्न वित्तीय समितियों के ज़रिये भी विधायिका कार्यपालिका पर नियंत्रण रखती है।

    इसके बावजूद निम्नलिखित कारणों से कार्यपालिका पर विधायिका का प्रभावी नियंत्रण नहीं हो पाता है-

    • लोकसभा में सशक्त बहुमत वाली सरकारों पर विश्वास मत के ज़रिये नियंत्रण रख पाना बेहद जटिल हो जाता है।
    • कार्यपालिका पर प्रभावी नियंत्रण हेतु आवश्यक विशेषज्ञता सामान्यत: विधायिका के पास नहीं होती है।
    • अध्यादेशों की बढ़ती बारंबारता से भी विधायिका की प्रभावशीलता कम हुई है।
    • ‘गिलोटिन’ के बढ़ते उपयोग ने बजट प्रक्रिया के दौरान भी विधायिका की भूमिका को सीमित किया है।
    • हालिया समय में संसद में सशक्त व जागरूक विपक्ष की अनुपस्थिति के कारण भी विधायिका के कार्यपालिका पर नियंत्रण को क्षति पहुँची है।

    भारतीय संविधान शासन के तीनों अंगों के मध्य प्रतिसंतुलन (Checks & Balances) की व्यवस्था करता है। यदि यह संतुलन बिगड़ता है, तो यह संवैधानिक आदर्शों पर चोट की तरह होगा। अत: विधायिका द्वारा कार्यपालिका पर समुचित व प्रभावी नियंत्रण के प्रयास निरंतर किये जाने चाहिये।

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    •  बहस और वाद-विवाद
    • प्रश्न काल 
    • शून्य काल
    • आधे घंटे की चर्चा और स्थगन - प्रस्ताव  
    • कानूनों की स्वीकृति या अस्वीकृति 
    • वित्तीय नियंत्रण 
    • अविश्वास प्रस्ताव

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    संसद कार्यपालिका पर कैसे नियंत्रण?

    विभिन्न संसदीय प्रक्रियाओं, यथा- प्रश्न काल, शून्य काल आदि के माध्यम से भी कार्यपालिका पर नियंत्रण रखा जाता है। विभिन्न संसदीय समितियों के माध्यम से भी विधायिका द्वारा कार्यपालिका का नियंत्रण किया जाता है। बजट प्रक्रिया के दौरान विभिन्न वित्तीय समितियों के ज़रिये भी विधायिका कार्यपालिका पर नियंत्रण रखती है।

    कार्यपालिका पर नियंत्रण कौन करता है?

    केंद्र की कार्यपालिका शक्ति राष्‍ट्रपति को प्राप्‍त है और उसके द्वारा प्रत्‍यक्ष रूप से या उसके अधीन अधिकारियों के जरिए संविधान के अनुसार अधिकार का प्रयोग किया। संघ के रक्ष बलों का सर्वोच्‍च शासन भी उसी का होता है।

    भारत में संसद द्वारा कार्यपालिका पर वित्तीय नियंत्रण कैसे स्थापित किया जाता है?

    वित्त पर संसदीय नियंत्रण विधानमंडल की स्वीकृति के लिए बजट तैयार करना केन्द्र सरकार तथा राज्य सरकारों, का संवैधानिक दायित्व है। कराधान पर विधायी विशेषाधिकार, व्यय पर विधायी नियंत्रण तथा वित्तीय मामलों पर कार्यपालिका द्वारा पहल संसदीय वित्तीय नियंत्रण प्रणाली के कुछ मूलभूत सिद्धान्त हैं।

    संसद की कार्यपालिका क्या है?

    जहाँ संसद हो वहाँ कार्यपालिका का होना संसद द्वारा निर्वाचित कार्यपालिका जहाँ संसद कार्यपालिका के रूप में काम करती है