सूर्य नमस्कार आसन में कुल कितने चरण होते हैं? - soory namaskaar aasan mein kul kitane charan hote hain?

लाइफस्टाइल डेस्क, अमर उजाला Published by: अपराजिता शुक्ला Updated Tue, 19 May 2020 11:00 AM IST

किसी भी तरह के एक्सरसाइज और योग की जरूरत नहीं पड़ेगी। अगर आप रोजाना नियम से सूर्य नमस्कार के बारहों स्टेप्स करेंगे। रोजाना सुबह के समय सूर्य के सामने इसे करने से शरीर को विटामिन डी भरपूर मात्रा में मिलता है जिससे शरीर को मजबूती मिलने के साथ ही स्वस्थ रखने में भी मदद मिलती है। तो चलिए जानें सूर्य नमस्कार के बारह चरणों को करने का तरीका....


 

प्रणामासन

खुले मैदान में योगा मैट के ऊपर खड़े हो जाएं और सूर्य को नमस्कार करने के हिसाब से खड़े हो जाएं। सीधे खड़े हो जाएं और दोनों हाथों को जोड़ कर सीने से सटा लें और गहरी, लंबी सांस लेते हुए आराम की अवस्था में खड़े हो जाएं।


 

हस्तउत्तनासन

पहली अवस्था में खड़े रहते हुए सांस लीजिए और हाथों को ऊपर की ओर उठाएं। और पीछे की ओर थोड़ा झुकें। इस बात का ध्यान रखें कि दोनों हाथ कानों से सटे हुए हों। हाथों को पीछे ले जाते हुए शरीर को भी पीछे की ओर ले जाएं।


 

पादहस्तासन

सूर्य नमस्कार की यह खासियत होती है कि इसके सारे चरण एक दूसरे से जुड़े हुए होते हैं। हस्तोतानासन की मुद्रा से सीधे हस्त पादासन की मुद्रा में आना होता है। इसके लिए हाथों को ऊपर उठाए हुए ही आगे की ओर झुकने की कोशिश करें। ध्यान रहें कि इस दौरान सांसों को धीरे-धीरे छोड़ना होता है। कमर से नीचे की ओर झुकते हुए हाथों को पैरों के बगल में ले आएं। ध्यान रहे कि इस अवस्था में आने पर पैरों के घुटने मुड़े हुए न हों। 


 

अश्व संचालनासन

हस्त पादासन से सीधे उठते हुए सांस लें और बांए पैर को पीछे की ओर ले जाएं और दांये पैर को घुटने से मोड़ते हुए छाती के दाहिने हिस्से से सटाएं। हाथों को जमीन पर पूरे पंजों को फैलाकर रखें। ऊपर की ओर देखते हुए गर्दन को पीछे की ओर ले जाएं।

सूर्य नमस्कार में कितने चरण होते हैं?

April 2, 2020

(A) 24 चरण
(B) 12 चरण
(C) 6 चरण
(D) 3 चरण

Answer : 12 चरण

Explanation : सूर्य नमस्कार में कुल 12 चरण होते हैं। सूर्यनमस्कार या सूर्य सम्बोधन, एक योग दिनचर्चा है जो आसन पर आधारित है। आसन हैं : प्रणामसासन, हस्त उत्तानासन, हस्तपादासन, एकपदप्रसारनासन, अधोमुख स्वानासन, अष्टाांग नमस्कार, भुजंगासन, अधो मुखस्वानासन, अश्व संचलानासन, उत्तानासन, हस्त उत्तानासन और प्रणामासन। आपको बता दे कि सूर्य नमस्कार करने से त्वचा संबंधी रोग समाप्त हो जाते हैं अथवा इनके होने की संभावना समाप्त हो जाती है। इस अभ्यास से कब्ज आदि उदर रोग समाप्त हो जाते हैं और पाचन तंत्र की क्रियाशीलता में वृद्धि हो जाती है। इसके अलावा इसके अभ्यास से हमारे शरीर की छोटी-बड़ी सभी नस-नाडि़यां क्रियाशील हो जाती हैं, इसलिए आलस्य, अतिनिद्रा आदि विकार दूर हो जाते हैं। सूर्य नमस्कार की तीसरी व पांचवीं स्थितियां सर्वाइकल एवं स्लिप डिस्क वाले रोगियों के लिए वर्जित हैं।....अगला सवाल पढ़े

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10 अंगों की मदद से किए जाने वाले सूर्य नमस्कार में कुल 12 तरह के आसन होते हैं। इन आसनों से शरीर का संपूर्ण व्यायाम हो जाता है।

योग संपूर्ण स्वास्थ्य पैकेज की तरह होता है। मतलब कि, शरीर के हर अंग की सेहत के लिए योग में कोई न कोई आसन जरूर मौजूद है। ऐसा ही एक योगासन है -सूर्य नमस्कार। 10 अंगों की मदद से किए जाने वाले सूर्य नमस्कार में कुल 12 तरह के आसन होते हैं। इन आसनों से शरीर का संपूर्ण व्यायाम हो जाता है। वजन कम करने में लगे लोगों को हर रोज इसका अभ्यास करना चाहिए। इसके अलावा त्वचा की खूबसूरती बनाए रखने तथा बेदाग त्वचा के लिए भी यह योगासन बेहद लाभकारी होता है। इससे मसल्स मजबूत होते हैं और शरीर डिटॉक्स होता है।

सूर्य नमस्कार के आसन – सूर्य नमस्कार 12 आसनों की मदद से किया जाता है। आइए, जानते हैं कि ये आसन कौन से हैं और इन्हें कैसे किया जाता है।

प्रणामआसन – सीधे खड़ें हो जाएं और अपने दोनों पंजों को एक साथ मिलाएं। शरीर का धार दोनों पैरों पर दें। अब अपनी छाती फुलाएं और कंधे को ढ़ीला छोड़ें।

हस्तउत्तानासन – सांस धीरे से अंदर की ओर खीचें और हाथों को ऊपर की ओर ले जाएं। इस आसन को करने में शरीर के सारे हिस्सों में खिंचाव होता है। [ये भी पढ़ें: हलासन करने की विधि और इससे होने वाले स्वास्थ्य लाभ]

अश्वसंचालन आसन – सांस को अंदर की ओर लेते हुए जितना हो सके पैरों को पीछे खींचें। अब दाएं खुटने को जमीन पर रखें और ऊपर की ओर देखें।

पर्वतआसन – सांस छोड़ते हुए कुल्हों और टेल बोन को ऊपर उठाएं। फिर छाती को वी शेप में रखें।

अष्टांग नमस्कार – अब अपने घुटनों को जमीन पर रखें और सांस छोड़ें और अपनी छाती और ठुड्डी को जमीन पर रखें।

भुजंगआसन – अपनी छाती को कोब्रा पोस्चर में ले जाएं। अपने कानों को कंधे से अलग रखें।

पर्वतआसन – सांस छोड़ते हुए कुल्हों और टेल बोन को ऊपर उठाएं। फिर छाती को वी शेप में रखें।

दंडासन – जैसे ही आप सांस अंदर की ओर लेते हैं वैसे ही बाएं पैर को पीछे ले जाएं और पूरे शरीर को सीधा कर लें। अपने हाथों को जमीन पर सीधा रखें।

अश्वसंचालनआसन – सांस लेते हुए दाहिना पैर दोनों हाथों के बीच ले जाएं, बाएं घुटने को ज़मीन पर रख सकते हैं। अपने चेहरे को ऊपर की ओर रखें।

हस्तपादआसन – सांस छोड़ें और दाएं पैर को आगे करें। दोनों हथेली को जमीन पर रखें। अगर जरूरत लगे तो घुटनों को मोड़ लें। कोशिश करें कि अपनी नाक को घुटनों से मिलाएं।

हस्तउत्थानआसन – सांस लेते हुए रीढ़ की हड्डी को धीरे-धीरे ऊपर लाएं, हाथों को ऊपर और पीछे की ओर ले जाएं, कुल्हों को आगे की तरफ रखें।

ताड़ासन – जैसे ही सांस छोड़ेंगे, सबसे पहले अपने शरीर को सीधा कर लें और हाथों को नीचे रख लें। अब आप रिलैक्स कर सकते हैं।

सावधानियां – सूर्य नमस्कार करते वक्त कुछ सावधानियां बरतनी बहुत जरूरी हैं। अन्यथा यह आपके लिए नुकसानदेह भी हो सकता है।

  • सूर्य नमस्कार जल्दबाजी में ना करें। इससे आपकी मुद्रा बिगड़ जाएगी और आप पूरी तरह अपने सांस पर ध्यान भी नहीं दे पाएंगें।
  • अर्ध उत्तानासना करते वक्त यदि आप स्पाइन को कम लिफ्ट करते हैं तो आर इससे होने वाले लाभ से वंचित रह जाएंगें। इस आसन को सही तरह से करने के लिए आपको गहरी सांस लेते हुए अपनी छाती को लिफ्ट करना चाहिए ताकि आपकी स्पाइन पूरी तरह से स्ट्रेच हो।
  • कोब्रा पोज और अपवॉर्ड फेसिंग डॉग पोज को एक-साथ ना करें, वरना आप दोनों के लाभ प्राप्त नहीं कर सकते हैं। कोब्रा पोज का अभ्यास अलग करें ताकि आपके शरीर को ताकत मिल सके।

सूर्य नमस्कार के कितने चरण होते है *?

12 चरणों में ऐसे करें सूर्य नमस्कार, शरीर के साथ मन को भी रखेगा स्वस्थ, दूर रहेगी बीमारियां

सूर्य नमस्कार के 12 चरण कौन कौन से हैं?

सूर्य नमस्कार (Surya Namaskar) क्या है ?.
सूर्य नमस्कार के 12 आसन (Posture) करने के तरीके एवं लाभ:.
2 हस्त उत्तानासन (Hasta Uttanasana):.
3 हस्तपादासन (Hasta Padasana):.
4 अश्व संचालनासन (Ashwa Sanchalanasana or Equestrian Pose Benefits):.
5 पर्वतासन (Mountain pose or Parvatasana):.
6 अष्टांग नमस्कार(Ashtanga Namaskar):.