सल्तनत काल से ही हिन्दू मुस्लिम संघर्ष का काल था । दिल्ली सुल्तानों ने हिन्दू धर्म के प्रति अत्याचार करना आरंभ कर दिये थे । उन्होंने अनेक मंदिरेां और मुर्तियों को तोड़ने लगे थे । जिससे हिन्दुओं ने अपने धर्म की रक्षा के लिए एकेश्वरवाद को महत्व दिया और धर्म सुधारक ने एक आंदोलन चलाया यही आंदोलन भक्ति आंदोलन के नाम से विख्यात हुआ। Show
मध्यकाल में सुल्तानों के अत्याचार एवं दमन की नीति से भारतीय समाज आंतकित और निराश हो चुका था । ऐसी स्थिति में कुछ विचारकों एवं संतों ने हिन्दू धर्म की कुरीतियों को दूर करने के लिए एक अभियान प्रारंभ किया । इसी अभियान को भक्ति आंदोलन के नाम से जाना जाता था। भक्ति आंदोलन के कारणभक्ति आंदोलन के कारण - भक्ति आंदोलन को अपनाने के कारण थे । जो इस प्रकार है -
भक्ति आंदोलन का उदय
भक्ति आंदोलन की मुख्य विशेषताएंभक्ति आंदोलन की मुख्य विशेषताएं है।
भक्ति आंदोलन के प्रमुख संतभक्ति आंदोलन के प्रमुख संत -
भक्ति आंदोलन का प्रभाव
भक्ति आंदोलन के प्रमुख संत कौन कौन थे?भक्ति आन्दोलन के प्रमुख सन्त. अलवर (लगभग २री शताब्दी से ८वीं शताब्दी तक; दक्षिण भारत में). नयनार (लगभग ५वीं शताब्दी से १०वी शताब्दी तक; दक्षिण भारत में). आदि शंकराचार्य (788 ई से 820 ई). रामानुज (1017 - 1137). बासव (१२वीं शती). माध्वाचार्य (1238 - 1317). नामदेव (1270 - 1309 ; महाराष्ट्र). भक्ति आंदोलन के प्रथम संत कौन थे?भक्ति आंदोलन के प्रथम प्रचारक और संत शंकराचार्य थे। केरल में आठवीं शताब्दी में जन्मे संत शंकराचार्य द्वारा भारत में व्यापक स्तर पर भक्ति मत को ज्ञानवादी रूप में प्रसारित किया गया।
भक्ति आंदोलन के जनक कौन है?(1) भक्ति आन्दोलन का आरम्भ दक्षिण भारत में आलवारों एवं नायनारों से हुआ जो कालान्तर में उत्तर भारत सहित सम्पूर्ण दक्षिण एशिया में फैल गया. (2) इस हिन्दू क्रांतिकारी अभियान के नेता शंकराचार्य थे जो एक महान विचारक और जाने-माने दार्शनिक रहे.
भक्ति आंदोलन के प्रमुख संत कौन कौन थे किन्हीं पांच संतो के योगदान की व्याख्या कीजिए?यहां हम सामान्य जागरूकता के लिए भक्ति आंदोलन के संतों और शिक्षकों की सूची दे रहे हैं। शंकराचार्य (788 - 820 ई.) रामानुज (1017-1137 ई.) माधव (1238-1319 ई.). मराठा राजा शिवाजी के समकालीन. विठ्ठल के भक्त. उन्होंने वाराकू संप्रदाय की स्थापना की।. अभंगास में उनकी शिक्षाएं समाहित हैं।. |