गुरु ने अंधेर नगरी में रहने से मना क्यों कर दिया? - guru ne andher nagaree mein rahane se mana kyon kar diya?

Solution for SCERT up board textbook कक्षा 5 कलरव ( वाटिका ) पाठ 18 अंधेर नगरी हिन्दी solution hindi pdf. If you have query regarding Class 5 “Vatika” Chapter 18 Andher Nagari, please drop a comment below.

अंधेर नगरी

Exercise ( अभ्यास )

प्रश्न-1. बोध प्रश्न – उत्तर लिखिए

(क) अंधेर नगरी के सभी पात्रों के नाम बताइए ।

उत्तर- अंधेर नगरी नाटक के पात्र निम्न हैं – महंत, कुंजडिन, नारायणदास, हलवाई, गोबर्धनदास, शिष्य, राजा, फरियादी, कल्लू, बनिया, कारीगर, चूने वाला, भिश्ती, कसाई, गड़रिया, कोतवाल, सिपाही |

(ख) महंत अंधेर नगरी को क्‍यों छोड़कर चला गया ?

उत्तर- महंत को जब शहर के अलबेलेपन के बारे में और वहां के राजा के बारे में पता चला तो वह वहां से चला गया |

(ग) शिष्य गोबर्धनदास अपने गुरु के साथ क्यों नहीं लौटा ?

उत्तर- शिष्य गोबर्धनदास, अंधेर नगरी में मिलने वाली सस्ती वस्तुओं से बहुत खुश था, इसलिए वह अपने गुरु के साथ नहीं लौटा |

(घ) सिपाही गोबर्धनदास को क्‍यों फाँसी देना चाहते थे ?

उत्तर- राजा के हुक्म के अनुसार सिपाही मोटे आदमी की तलाश में जाते हैं ,तभी उन्हें गोबर्धनदास दिखाई देता है | गोबर्धनदास मिठाई खाकर खूब मोटा हो गया था, इसलिए सिपाही गोबर्धनदास को फाँसी देना चाहते थे |

(ड.) गोबर्धनदास की जान कैसे बची ?

उत्तर- स्वयं को संकट में पाकर गोबर्धनदास ने अपने गुरु को याद किया | गुरु ने आकर ऐसा भ्रम फैलाया कि सब फाँसी पर चढ़ने के लिए लड़ने लगे और अंत में राजा स्वयं फांसी चढ़ गए | इस प्रकार गोबर्धनदास की जान बची |

(च) इस एकांकी में किन-किन बातों पर व्यंग्य किया गया है ?

उत्तर- इस एकांकी में दिखाया गया है कि कैसे एक अयोग्य राजा के होने पर पूरा राज्य नष्ट हो सकता है |

प्रश्न-2. सोच-विचार : बताइए –

(क) बकरी के मरने का असली दोषी कौन था ?

उत्तर- बकरी के मरने का असली दोषी वैसे तो कोई भी नहीं था | बकरीवाला स्वयं दोषी हो सकता है क्योंकि उसने अपनी बकरी पर ध्यान नहीं रखा |

(ख) नगर को अंधेर नगरी क्‍यों कहा गया है ?

उत्तर- क्योंकि उस नगर में सभी वस्तुओं का भाव एक ही था और राजा को न्याय और अन्याय में अंतर करना नहीं आता था |

प्रश्न-3. अनुमान और कल्पना –
महंत ने अपने शिष्य के कान में क्या कहा होगा, जिसके फलस्वरूप कोतवाल मंत्री और राजा सबके सब स्वयं फाँसी पर चढ़ने के लिए उतावले हो गए।

उत्तर- स्वयं लिखें |

प्रश्न-4. भाषा के रंग

(क) रिक्त स्थानों की पूर्ति कोष्ठक से उपयुक्त शब्द चुन करके कीजिए –

  • नगर तो बड़ा सुंदर है पर भिक्षा भी सुंदर मिले तो बड़ा आनंद हो।
  • सात पैसे भीख में मिले थे उसी से साढ़े तीन सेर मिठाई मोल ली है।
  • अंधेर नगरी अनबूझ राजा राजा, टके सेर भाजी, टके सेर …….. |
  • इस समय ऐसी शुभ घड़ी में जो मरेगा सीधा स्वर्ग जाएगा।

(ख) नीचे लिखे शब्दों की वर्तनी शुद्ध कीजिए –

अशुद्ध वर्तनीशुद्ध वर्तनी
दिवार दीवार
गोबर्धनदास गोबर्धनदास
गणेरिया गड़ेरिया
भिस्ती भिश्ती
फाँसी फाँसी
हूज्जत हुज्जत
महंथ महंत

(7) निम्नलिखित विशेषण और विशेष्य शब्द दिए गए हैं उनके सही जोड़े बनाइए –

विशेषण – सुदर, टका सेर, चौपट, अंधेर, बड़ी, शुभ
विशेष्य- भेड़, राजा, राजा, नगरी, घड़ी, नगर, भाजी

उत्तर- सुन्दर नगर, चौपट राजा, टका सेर भाजी, अंधेर नगरी, बड़ी भेड़, शुभ घड़ी

प्रश्न-5.तुम्हारी कलम से –
इस एकांकी से हमें क्या सीख मिलती है ? संक्षेप में लिखिए।

उत्तर-स्वयं लिखें |

प्रश्न-6.अब करने की बारी

(क) एकांकी को कहानी के रूप में लिखिए
(ख) एकांकी का कक्षा में अभिनय कीजिए |

उत्तर-स्वयं लिखें |

(ग) नीचे लिखी कथा को ध्यान से पढ़िए –

एक आदमी की भेंट एक देवता से हो गई। वह देवता के सामने अपना दुखड़ा रोने लगा। देवता ने उँगली से एक पत्थर की ओर इशारा कियां। पत्थर सोने का बन गया, पर सोने का पत्थर मिलने के बाद भी वह आदमी संतुष्ट न हुआ। देवता ने ऊँगली से एक -मूर्ति की ओर इशारा किया। मूर्ति भी सोने की बन गई। उस आदमी को फिर भी संतोष न हुआ। देवता ने पूछा-“तुम आखिर चाहते क्या हो ?” उस आदमी ने कहा, “क्या आप मुझे अपनी उँगली दे सकते हैं ?”
  • इस कहानी का उचित शीर्षक लिखिए – चौपट राजा
  • सही विकल्प पर निशान लगाइए –

आदमी ने देवता से ऊँगली माँगी क्योंकि –
(क) उस आदमी के उँगली न थी।
(ख) उस आदमी को सन्तोष न था।
(ग) वह ऊँगली सोने की थी।

प्रश्न-7. मेरे दो प्रश्न : पाठ के आधार पर दो सवाल बनाइए –

  1. किसकी बकरी दबकर मर गई थी ?
  2. अंत में किसको फांसी पर लटकाया गया ?

प्रश्न-8. इस पाठ से –
(क) मैंने सीखा – स्वयं लिखें |
(ख) मैं करूँगी/करूँगा -स्वयं लिखें |

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अंधेर नगरी को क्यों छोड़ कर चला गया?

महंत ने नगर की असलियत जानने पर वह नगर छोड़कर जाने का फैसला किया। अंधेर नगरी में भाजी और खाजा दोनों टका सेर बिकता था। कसाई ने गड़रिये से भेड़ मोल ली थी। महंत ने गोवर्धनदास को सलाह दी थी कि ऐसी नगरी में रहना उचित नहीं है, जहाँ टके सेर भाजी और टके सेर खाजा बिकता है।

अंधेर नगरी का उद्देश्य क्या है?

अंधेर नगरी पाठ का मूल उद्देश्य यह है कि किसी भी व्यक्ति को लालच नहीं करनी चाहिए, क्योंकि अगर कोई भी आदमी ज्यादा लालची होता है तो वह अपने लिए बेहतर क्या है और क्या नहीं है सोचने में असमर्थ हो जाता है ,जैसे कि इस पाठ में गंगाधर और राजा के मामले में हुआ.

अंधेर नगरी का क्या मतलब होता है?

[सं-स्त्री.] - 1. ऐसा स्थान जहाँ भ्रष्टाचार और अव्यवस्था फैली हुई हो; धाँधली और बेईमानी का स्थान 2.

अंधेर नगरी में रुकना गुरुजी ने ठीक क्यों नहीं समझा?

उत्तर - अंधेरी नगरी में रुकना गुरुजी ने इसलिए ठीक नहीं समझा क्योंकि ऐसी नगरी में किसी भी पल कोई भी मुसीबत आ सकती है !