कभी मां से क्या-क्या प्रार्थना करता है - kabhee maan se kya-kya praarthana karata hai

पंचम दस धर्मादेश हमें बताता है कि हमें अपने माता और पिता का सम्मान करने की आवश्यकता है। यदि आप भाग्यशाली हैं, तो आपको इस आज्ञा का पालन करना आसान लगता है। आपकी माँ एक ऐसी व्यक्ति है जिसका आप सम्मान करते हैं और प्यार करते हैं, और जिसका सकारात्मक प्रभाव हर दिन आपकी मदद करता है। आप जानते हैं कि वह आपके लिए सबसे अच्छा चाहती है और वह आपको सफल होने के लिए आवश्यक सहायता, सहायता और प्यार प्रदान करती है।

हालाँकि, कई किशोरों के लिए, पाँचवीं आज्ञा का सम्मान करना आसान नहीं है। कई बार हमारे माता-पिता हमारी पसंद और मूल्यों के बारे में हमसे असहमत होते हैं। यदि हम अपने माता-पिता के निर्णयों के पीछे के कारणों को देख भी लें, तो भी हम क्रोधित और विद्रोही महसूस कर सकते हैं। जिस व्यक्ति से हम असहमत हैं या लड़ते हैं, उसे 'सम्मान' देने का विचार पाखंडी लग सकता है।

कुछ किशोरों के लिए अपने माता-पिता का सम्मान करना और भी कठिन समय होता है क्योंकि उनके माता-पिता के कार्य या शब्द ईसाई धर्म की शिक्षाओं के सीधे विरोध में होते हैं। एक किशोर अपने माता-पिता का सम्मान कैसे कर सकता है जो अपमानजनक, उपेक्षापूर्ण, या यहाँ तक कि अपराधी भी है?

किसी व्यक्ति का 'सम्मान' करने का क्या अर्थ है?

आधुनिक अमेरिका में, हम उन लोगों का 'सम्मान' करते हैं जिन्होंने कुछ प्रभावशाली हासिल किया है या वीरतापूर्वक काम किया है। हम सैन्य नायकों और व्यक्तियों का सम्मान करते हैं जो किसी और की जान बचाने के लिए अपनी जान जोखिम में डालते हैं। हम उन लोगों का भी सम्मान करते हैं जिन्होंने वैज्ञानिक सफलताओं या अद्भुत कलात्मक या एथलेटिक करतबों जैसी महान चीजें हासिल की हैं। यह बहुत संभव है कि आपकी माँ ने कभी किसी की जान नहीं बचाई हो या मानवता के लिए प्रभावशाली योगदान दिया हो।

हालाँकि, बाइबल में 'सम्मान' शब्द का अर्थ कुछ अलग है। बाइबिल के संदर्भ में अपनी मां का 'सम्मान' करने का मतलब उनकी उपलब्धियों या नैतिक गुणों का जश्न मनाना नहीं है। इसके बजाय, इसका मतलब है कि उसकी देखभाल करना और उसे वह सहारा देना जो उसे आराम से जीने के लिए चाहिए। इसका अर्थ अपनी माँ की आज्ञा का पालन करना भी है, लेकिन केवल तभी जब उसकी आज्ञाएँ परमेश्वर की आज्ञाओं का खंडन न करें। बाइबल में, परमेश्वर अपने लोगों को अपने बच्चों के रूप में संदर्भित करता है और पूछता है कि उसके बच्चे उसका सम्मान करें।


प्रार्थना में अपनी माँ का सम्मान कैसे करें

भले ही आप असहमत हों आपकी मां , या यह मानते हैं कि उसकी हरकतें गलत हैं, फिर भी आप उसे एक देखभाल करने वाला लेकिन दोषपूर्ण इंसान समझकर उसका सम्मान कर सकते हैं जो आपसे प्यार करता है और आपके लिए सबसे अच्छा चाहता है। अपने बच्चों की परवरिश करते समय आपकी माँ द्वारा किए गए बलिदानों पर ध्यान देना और अपने निर्णयों और कार्यों के पीछे के कारणों को समझने की पूरी कोशिश करना महत्वपूर्ण है। यह प्रार्थना आपको आरंभ करने में मदद कर सकती है, लेकिन किसी भी अन्य प्रार्थना की तरह, इसे आपकी अपनी व्यक्तिगत भावनाओं और विश्वासों को प्रतिबिंबित करने के लिए बदला जा सकता है।


'भगवान, मुझे मेरी माँ के साथ आशीर्वाद देने के लिए धन्यवाद। मुझे पता है कि कभी-कभी मैं आदर्श बच्चा नहीं होता। मुझे पता है कि मैं उसे अपने विचारों और कार्यों से बहुत चुनौती देता हूं, लेकिन मैं यह भी जानता हूं कि आपने मुझे उसे दिया है ताकि वह मुझसे प्यार कर सके।

मैं प्रार्थना करता हूं, भगवान, कि आप उसे मेरे लिए धैर्य के साथ आशीर्वाद देना जारी रखें क्योंकि मैं बड़ा हो जाता हूं और अधिक स्वतंत्र हो जाता हूं। मैं आपसे मेरी पसंद के बारे में उसे शांति की भावना देने और हमें उन चीजों के बारे में बात करने की अनुमति देने के लिए कहता हूं जो कभी-कभी हमारे बीच आती हैं।

मैं यह भी पूछता हूं, भगवान, आप उसे दिलासा दें और उसे अपने जीवन के उन क्षेत्रों में खुशी दें जहां उसे आपकी सबसे ज्यादा जरूरत है। मैं प्रार्थना करता हूं कि आप उसके रिश्तों को आशीर्वाद देना जारी रखें और उससे उन चीजों में खुशी और सफलता पाने के लिए कहें जो वह करना और हासिल करना चाहती है।

प्रभु, मैं आपसे मेरी माँ के लिए ज्ञान, प्रेम और समझ का आशीर्वाद देने के लिए भी कहता हूँ। मैं प्रार्थना करता हूं कि आप मुझे एक ऐसा दिल दें जो मेरी मां से प्यार करता रहे और मेरे दिमाग को खोल दे कि वह मेरे लिए क्या चाहती है। उसने मेरे लिए जो बलिदान दिए हैं, उन्हें मैं हल्के में न लूं। मैं आपसे ऐसे समय में धैर्य के साथ आशीर्वाद देने के लिए कहता हूं जब मुझे समझ में नहीं आता, और उसके लिए अपना प्यार दिखाने के लिए खुलापन।

धन्यवाद, भगवान, मुझे मेरी माँ के साथ आशीर्वाद देने के लिए। मैं अपने परिवार और एक दूसरे के लिए हम जो कुछ भी करते हैं, उसके लिए निरंतर आशीर्वाद के लिए प्रार्थना करता हूं। तेरे नाम पर, आमीन।'

पाठ 1

           प्रार्थना                  

 डॉ• जयकुमार जलज 

कभी मां से क्या-क्या प्रार्थना करता है - kabhee maan se kya-kya praarthana karata hai

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MP Board Class 7 Hindi Chapter 1 Prarthana Question Answers

Textual Exercise

शब्दार्थ

 मुसीबत = कठिनाई, संकट

 भारी = बहुत बड़ा, गंभीर

आँधी से = आंधी के समान, सघन, भयानक

 तकदीर = भाग्य, किस्मत

 दिये = दीपक

आंखो में आँसू भरना = रोना, निराश होना

 सपना = स्वप्न, कल्पित लक्ष्य।

(1) तन से ---------- बादल सा बिखरा दें।

संदर्भ-- प्रस्तुत काव्य पंक्तियाँ पाठ्य-पुस्तक -"सुगम भारती" (हिन्दी सामान्य) भाग 7 के पाठ 1 प्रार्थना से ली गई हैं। इसके रचयिता डॉ• जयकुमार जलज हैं।

प्रसंग--प्रस्तुत पंक्तियों में कवि ने चेताया है कि हम अपनी बुद्धि और बल का प्रयोग करके जीवन में उत्पन्न मुसीबतों का मुकाबला करें।

व्याख्या - हम सब को अपनी बुद्धि और बल का सदुपयोग करके स्वयं का विकास करना चाहिए। फिर चाहे जीवन में किसी भी प्रकार की कठिनाई, या मुसीबत उत्पन्न हो, हम उनका मुकाबला डट कर करें।

(2) मुट्ठी में तकदीरें -------- भर जाएँ।

संदर्भ - पूर्व वत।

प्रसंग -- प्रस्तुत पंक्तियों में कवि ने किस्मत को स्वयं बनाने और सबके लिए मार्गदर्शक बनने के लिए आव्हान किया है।

व्याख्या -- हमे अपना भाग्य खुद बनाना चाहिए और स्वयं को इतना मजबूत बना लेना चाहिए कि कमजोर हमारा सहारा ले सके। प्यासे अपनी प्यास बुझा सके तथा दूसरों पर निर्भर न होना पड़े।

(3) थके हुए के लिए -------- आँसू भरने को।

संदर्भ - पूर्व वत।

प्रसंग - प्रस्तुत पंक्तियों में कवि ने कमजोर और दीन-दुखियों की रक्षा के लिए जागृत किया है।

व्याख्या - जो व्यक्ति समाज की मुसीबतों से डर जाते हैं, थक जाते हैं, उनको सही राह सुझाएँ। हमे निस्वार्थ होकर दीन दुखियों की सेवा करनी चाहिए। हमे अपने घावों की चिंता न करके दूसरो के आँसू पोंछने चाहिए।

(4) माँ इन ------------------ सपना।

संदर्भ - पूर्व वत

प्रसंग - इसमे बच्चे माँ से आशीर्वाद माँग रहे हैं।

व्यख्या - बच्चे माँ के समक्ष प्रार्थना कर रहे हैं कि वे तन-मन और बुद्धि से इतने पूर्ण हो जाएं कि सबकी रक्षा कर सके।

1 (क) सही जोड़ी बनाइए-

     (अ)                     (ब)                   उत्तर

सिर।                         तन।                   ऊंचा 

सीना।                        ऊंचा।                तान 

दिया।                         गागर।               लौ 

सागर                         लौ।                  गागर। 

(ख) दिए गए शब्दों में से उपयुक्त शब्द चुनकर काव्य पंक्तियाँ पूर्ण कीजिए-

1. अपने सुख दुःख को चुप-चाप सहे हम।( चुप चाप, सहर्ष)

2. थके हुए के लिए हवा की तरह सदा बहे हम।(दवा की तरह, हवा की तरह)

3. बैठे आँखों में आँसू भरने को। (आशा,आँसू)

4. माँ! इन नन्हे हाथों को बस यह प्रसाद दो अपना। (प्रभार, प्रसाद)

अति लघुत्तरीय प्रश्न--

2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-एक वाक्य में लिखिए -

(क) कवि अपनी मुट्ठी में क्या बांधना चाहता है?

उत्तर : कवि अपनी मुट्ठी में तकदीर बांधना चाहता है।

(ख) हम सीना तान कर किस प्रकार खड़े हों?

उत्तर : हम पर्वत की तरह सीना तानकर खड़े हों।

(ग) कवि नन्हे हाथों में किस प्रसाद को कहता है?

उत्तर : कवि नन्हे हाथों में ऐसा प्रसाद चाहता है जिससे वह वो कार्य कर सके जिस को लोग सपना मानते हैं।

(घ) इस कविता में "माँ" का संबोधन किसके लिए है?

उत्तर : कविता में "माँ" का संबोधन भारत माता के लिए है।

लघु उत्तरीय प्रश्न-

प्रश्न 3 निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर तीन से पांच वाक्यों में लिखिए-

(क) कवि माँ से क्या-क्या प्रार्थना करता है?

उत्तर : कवि माँ से प्रार्थना करता है कि वह बुद्धि और बल से श्रेष्ठ बने। उनका सिर पर्वत सा ऊँचा हो ताकि वे सभी मुसीबतों का डटकर मुकाबला करे। हममे इतनी शक्ति हो कि हम जरूरतमंदो की सेवा कर सकें। हम अपने दुःखों को चुपचाप सहें। वह कार्य भी कर सकें जिसे सब सपना समझते हैं।

(ख) 'सावन से घिर आएँ 'का क्या तात्पर्य है?

उत्तर : 'सावन से घिर आएँ 'पंक्ति में कवि का तात्पर्य है कि माँ हमे इतनी शक्ति और बुद्धि प्रदान करे कि हम सभी प्यासों की प्यास बुझा सकें तथा हर सूखी और बंजर भूमि को तृप्त कर सकें।

(ग) कवि नन्हे हाथो को कहाँ तक पहुँचाना चाहता है?

उत्तर - कवि नन्हे हाथों को वहाँ तक पहुँचाना चाहता है जहाँ तक लोग मात्र सपना सा समझते हैं अर्थात हर समय उनके हाथ दूसरों की मदद के लिए उठें।

(घ) प्रार्थना कविता का भावार्थ लिखिए।

उत्तर : संपूर्ण कविता में कवि ने बच्चों को प्रार्थना के माध्यम से परिपूर्ण बनने का आव्हान किया है। बच्चे माँ के सामने प्रार्थना करते है कि उनकी बुद्धि और बल दोनो श्रेष्ठ हों ताकि वे उन व्यक्तियो की सेवा कर सकें जो दुर्बल एवं क्षीण हैं। अपने दुखों को सहने तथा दीन-दुखियों की सहायता करने पर बल दिया गया है।

4, निम्नलिखित शब्दों की वर्तनी शुद्ध कीजिए--

        साबन, बुध्दी, पिरसाद, सदेव, परबत, पियासे

उत्तर : साबुन, बुद्धि, प्रसाद, सदैव, पर्वत, प्यास।

5. निम्नलिखित शब्दों के दो-दो पर्यायवाची शब्द लिखिए-

पर्वत -               नग, अचल

सिर -                शीश, मस्तिष्क

सागर -              समुद्र, जलधि

हवा -                 नीर, पवन

धरती -               धरा, भू

आँख -               लोचन, नेत्र

6, निम्नलिखित शब्दों के विलोम शब्द लिखिए--

ऊँचा, कठिन, अंधियारा, सुख, बड़े, बिखराना

उत्तर :  ऊँचा        -    नीचा

         कठिन       -    सरल

         अँधियारा   -    उजियारा

         सुख         -     दुःख

          बड़े          -    छोटे

         बिखराना   -   समेटना

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कवि माँ से क्या क्या प्रार्थना करता?

कवि माँ से प्रार्थना करता है कि वह बुद्धि और बल से श्रेष्ठ बने। उनका सिर पर्वत सा ऊँचा हो ताकि वे सभी मुसीबतों का डटकर मुकाबला करे। हममें इतनी शक्ति हो कि हम जरूरतमंदों की सेवा कर सकें। हम अपने दुःखों का चुपचाप सहें।

कवि नन्हे हाथों को कहाँ तक पहुँचाना चाहता है?

उत्तर - कवि नन्हे हाथों को वहाँ तक पहुँचाना चाहता है जहाँ तक लोग मात्र सपना सा समझते हैं अर्थात हर समय उनके हाथ दूसरों की मदद के लिए उठें।

मेघ बजे से कवि का क्या आशय है?

'मेघ बजने' से कवि का आशय बादलों के तेज आवाज के साथ गरजने से है। () 'पंक' किस प्रकार से हरिचन्दन लगने लगता है ? बरसात में सब ओर पानी भर जाता है जिससे मिट्टी कीचड़ का रूप धारण कर लेती है और तब वह हरिचन्दन सी दिखाई देती है।

समाज सेवा पाठ में सेवा के कितने प्रकार की चर्चा की गई है?

(क) समाज-सेवा पाट में सेवा के कितने प्रकारों की चर्चा की गई है? समाज-सेवा पाठ में दीन-दुखियों, अपंगों, अनाथ, अज्ञों, कुपथगामियों, गरीबों, नारियों, रोगियों आदि की सेवा करने की चर्चा की गई है।