समझाइए कि धनायन छोटे क्यों होते हैं और ऋणायन अपने मूल परमाणु की त्रिज्या में बड़े क्यों होते हैं? - samajhaie ki dhanaayan chhote kyon hote hain aur rnaayan apane mool paramaanu kee trijya mein bade kyon hote hain?

जनक परमाणुओं से एक या अधिक इलेक्ट्रॉनों के निकलने पर प्रभावी नाभिकीय आवेश बढ़ता है। इस प्रकार बचे हुए इलेक्ट्रॉन अधिक नाभिकीय आकर्षण का अनुभव करते हैं। परिणामस्वरूप त्रिज्या घटती है। इसी कारण धनायन की त्रिज्या उनके जनक परमाणु से छोटी होती है। दूसरी ओर, जनके परमाणुओं में एक या अधिक इलेक्ट्रॉन बढ़ने पर प्रभावी नाभिकीय आवेश घटता है। इस प्रकार, इलेक्ट्रॉन कम नाभिकीय आकर्षण या खिंचाव अनुभव करते हैं। परिणामस्वरूप त्रिज्या बढ़ती है। इसी कारण से ऋणायनों की त्रिज्या उनके जनक परमाणुओं की त्रिज्या से अधिक होती है।

धनायन अपने जनक परमाणुओं से छोटे क्यों होते हैं और ऋणायनों की त्रिज्या उनके जनक परमाणुओं की त्रिज्या से अधिक क्यों होती है? व्याख्या कीजिए।

जनक परमाणुओं से एक या अधिक इलेक्ट्रॉनों के निकलने पर प्रभावी नाभिकीय आवेश बढ़ता है। इस प्रकार बचे हुए इलेक्ट्रॉन अधिक नाभिकीय आकर्षण का अनुभव करते हैं। परिणामस्वरूप त्रिज्या घटती है। इसी कारण धनायन की त्रिज्या उनके जनक परमाणु से छोटी होती है। दूसरी ओर, जनके परमाणुओं में एक या अधिक इलेक्ट्रॉन बढ़ने पर प्रभावी नाभिकीय आवेश घटता है। इस प्रकार, इलेक्ट्रॉन कम नाभिकीय आकर्षण या खिंचाव अनुभव करते हैं। परिणामस्वरूप त्रिज्या बढ़ती है। इसी कारण से ऋणायनों की त्रिज्या उनके जनक परमाणुओं की त्रिज्या से अधिक होती है।

हेलो दोस्तो आपका प्रश्न है समझाइए धनायन कि अपने जनक परमाणु से छोटी त्रिज्या होती है तथा ऋण आयन कि इनसे बड़ी त्रिज्या होती है तो चलिए इस प्रेस को हल करते हैं ठीक है तो दोस्तों यहां पर जैसे कि हमें बताना है कि जो धनायन है उसकी त्रिज्या उसके जनक परमाणु से छोटी होती है जबकि अगर हम इसी जनक परमाणु कारण आयन बनाए तो उसकी त्रिज्या जन्म प्रमाण उसे बड़ी होगी तो यह दोस्तों में समझना है तो हम मान लेते हैं कोई एकता तो मान लिया ठीक है तो यहां पर माना कि जो हम तनु ले रहे हैं इसका परमाणु क्रमांक क्या मान लेते हैं परमाणु क्रमांक 10 मान लेते हैं परमाणु क्रमांक 10 मान लिया कोई तत्व का परमाणु क्रमांक 10 है और परमाणु क्रमांक 10 है तो इसका मतलब क्या हो गया दोस्तों परमाणु में उपस्थित प्रोटोन की संख्या क्या हो गई 10 परमाणु में प्रोटॉन कितने होंगे यहां पर 10:00 होंगे और इलेक्ट्रॉन कितने होंगे दोस्तों पर मारूंगा

फोन भी 10 होंगे ठीक है अब दोस्तों प्रारंभ में दोस्तों आप देखेंगे जो हमारा प्रोटोन है यह धन आवेशित होता है और परमाणु के केंद्र पर अर्थात नाभिक में प्रोटॉन सभी प्रोटॉन नाभिक में उपस्थित होते हैं कुछ इस प्रकार से यह मैंने परमाणु इस प्रकार से बना दिया है कि क्या अब परमाणु के केंद्र में यहां पर दोस्तो 10 प्रोटॉन उपस्थित हैं और यह जो परमाणु के चारों ओर एक कक्षाएं बनी है इन कक्षाओं में नृत्य कक्षा में इलेक्ट्रॉन इस प्रकार से गत घूम रहे होंगे ठीक है अब 10 इलेक्ट्रॉन बना है तो यहां पर देख लेते हैं 2244 2628 210 ठीक है तो यहां पर 10:00 लेक्टोन है इस प्रकार से घूम रहे हैं अब 10 प्रोटोन प्रोटोन क्योंकि धन आवेशित कण है इलेक्ट्रॉन दोस्तों रन आवेशित करें तो इस समय दस प्रोटॉन दोस्तों केस को खींच रहे हैं 10 इलेक्ट्रॉनों पर आकर्षण बल लगा रहे हैं जिससे नाभिक पर दोष नाडी दोष तो इन इलेक्ट्रॉनों पर सभी पर आकर्षण

आरोपित कर रहा होगा अपने केंद्र की ओर समझ में आ गया ठीक है अब दोस्तों हमने क्या बनाया यह जो परमाणु है इसको मैंने परमाणु ए कह दिया अब हमें इसका धनायन बनाना है धनायन का मतलब क्या है दोस्तों अगर हम ए प्लस करदे ए प्लस धनायन बन गया परमाणु अगर यह है तो इसका इससे अगर एक लेक्टोन को निकाल लेंगे तब हमें धनायन कौन सा प्राप्त होगा ए प्लस बी प्लस कैसे प्राप्त हुआ होगा दोस्तों हमने एक इलेक्ट्रॉन को निकाल दिया परमाणु से तो अब दोस्तों धनायन के लिए देख लेते हैं तो अगर हम धनायन धनायन ए प्लस बनाते हैं धनायन ए प्लस अगर है तो इसमें दोस्तों प्रोटॉन कितने रहेंगे प्रोटोन क्योंकि निकाले नहीं हमने परमाणु से प्रोटॉन तो निकाल ले नहीं तो प्रोटोन अभी भी 10 रहेंगे और इलेक्ट्रॉन परंतु अब कितने हो गए ना समझ में आ गया तो अब दोस्तों इसको इस प्रकार आप समझ सकते हैं जैसे कि कोई रस्सी है हमने प्रारंभ में 10 लोग इधर खड़े किए 10 लोग इधर खड़े किए और दसों इन

सभी लोगों की क्षमता जो है रस्सी को खींचने की जो ताकत यह लोग लगाएंगे वह सब की समान है तो प्रारंभ में दोस्तों दोनों और लोगों की संख्या बराबर है तो रस्सी ना तो इस तरफ जा सकती है यह नाइस तरफ जाएगी परंतु अगर दोस्तों हम इस तरफ अब अब हमने क्या करा 10 की जगह पर यहां पर 9 लोग खड़े किए इधर 10 लोग अब इस इस तरह दोस्तों 10 लोग खींच रहे रस्सी को इधर 9 लोग खींच रहे हैं तो अब राशि किस दिशा में खींची जाएगी दोस्तो थोड़ी सी इस तरफ खिंचे की ठीक है थोड़ी सी इस तरह खिल जाएगी तो आप इसी प्रकार यहां पर समझ सकते हैं प्रारंभ में 10-10 इलेक्ट्रॉन थे ठीक है अब यहां पर दोस्तों 9 इलेक्ट्रॉन रह गए एक लैपटॉप अन्यथा यह वाला हमने उसको बाहर निकाल दिया तो अब नौ इलेक्ट्रॉनों पर परमाणु अपना आकर्षण बल लगाएगा परमाणु का नाभिक आकर्षण लगाएगा 99 इलेक्ट्रॉन ऊपर तो इससे क्या होगा तो सुपर मारुति रब यह इलेक्ट्रॉन यहां इस कक्षा में नहीं घूमेंगे बल्कि एक दूसरी कक्षा यहां पर बन जाएगी या यह कह सकते यह वाली कक्षा उठ के यहां आ जाएगी सभी इलेक्ट्रॉन अब यहां

पर दोस्तों घूमना आरंभ कर देंगे इससे परमाणु की त्रिज्या क्या हो जाएगी जो हमारा धनायन बना है इसकी त्रिज्या अपने जनक परमाणु से कम हो जाएगी तो इसको यहां पर मैंने लिख दिया दोस्तों धन के बनने से परमाणु में इलेक्ट्रॉनों की संख्या क्या होती है इलेक्ट्रॉनों की संख्या दोस्तों कम हो जाती इलेक्ट्रॉन घट जाते हैं जबकि प्रोटोन ओं की संख्या में कोई परिवर्तन नहीं होता है जिससे क्या होगा दूसरे इलेक्ट्रॉन पर लगने वाला नाभिक का आकर्षण बल बढ़ जाता है और धनायन की त्रिज्या जनक परमाणु की त्रिज्या से कम हो जाती है अब यहां पर दोस्तों रामायण के लिए ऋण आयन के संबंध में समझते हैं तो कोई परमाणु का अगर हमें ऋण आयन बनाना है तो ऋण आयन कब बनेगा लड़ाएं दोस्तों रामायण का मतलब है कि उस परमाणु में हमने इलेक्ट्रॉन को बाहर से प्रवेश करा दिया तू जैसे कि यहां पर अब आप भी समझ सकते हैं 10 इलेक्ट्रॉन 10 इलेक्ट्रॉन है 10 की जगह पर अगर हमें परमाणु का ऋण आयन बनाना है तो हमने एक इलेक्ट्रॉन उसमें और

डाल दिया तो यानी परमाणु में आप क्या कितने इलेक्ट्रॉन हो गए दोस्तों 11 इलेक्शन 11 इलेक्ट्रॉन हो गया और प्रोटोन कितने हैं अभी भी 10 है ठीक है तो 10 प्रोटोन है और जबकि परमाणु में दोस्तों यहां पर 11:00 इलेक्ट्रॉन है 123456789 1011 इस तरीके से ठीक है अब इनके यहां पर इलेक्ट्रॉनों का अरेंजमेंट दोस्तों यह मैंने जो हमारा आफबाऊ सिद्धांत है या जो भी सिद्धांत रहता है परमाणुओं में उसके अनुसार लेकर आइए बस उदाहरण के लिए आप को समझा रहे हैं ठीक है तो आप यहां पर इसको देख सकते हैं यह 200 सामान्य ऐसे ही मैंने बना दिया है ठीक है यहां पर 11:00 इलेक्ट्रॉन है और 10 प्रोटो ने अपराह्न में दोस्तों इसको आप यहां पर समझ सकते हैं प्रारंभ में वही वही कहानी है पहले यहां पर 10 लोग इधर थे 10 लोग इधर है इस राशि में इधर-उधर खींच रहे हैं रस्सी कहीं पर भी नहीं जाएगी अपनी जगह पर ही रहेगी अब दोस्तों क्या हुआ हमने क्या करें इस तरफ एक लोग

एक्स्ट्रा जोड़ दिया है ठीक है यहां पर 10 लोग हैं अब यहां पर हमने कर दिया 11 लोग तो रस्सी अब किस दिशा में जाएगी रस्सी रोज तो इस दिशा में जाएगी ना ठीक है तो यह दोस्तों यहां पर ऋण आयन मैंने बना दिया था तत्व का अब इसी प्रकार यहां पर क्या होगा 11 लोग है वही पहले 10 लोग 10 लोग 10 लोग 1010 लोग यहां पर बैठे थे और 10 लोग यहां पर परमाणु में इधर-उधर घूम रहे हैं तो यह 10 लोग इन दसों को खींच रहे थे तो दोस्तों यहां पर कोई भी परिवर्तन नहीं होगा परंतु जैसे ही 1 लोग यहां पर और बढ़ गया तो अब एक लो की शक्ति और बढ़ गई अब क्या होगा दोस्तों यहां पर प्रतिकर्षण बल लगने लगता है इलेक्ट्रॉनों में क्या होगा दोस्त एक लैपटॉप और अधिक बढ़ने से एक तो इलेक्ट्रॉनिक प्रतिकर्षण बल बढ़ गया आपस में दूसरा दोस्तों अब 10 लोग जो है 10 प्रोटोन जो है वह 11 इलेक्ट्रॉनों को अपनी ओर आकर्षित कर रहे हैं तो यहां पर आकर्षण बल इतना अधिक प्रभावी नहीं होगा जितना कि दोस्तों

राजपूतों का 10 इलेक्ट्रॉनों पर आकर्षण बल था समझ में आ गया तो इस वजह से दोस्तों प्रभावी नाथ की आदेश या प्रभावी नाभिकीय नाभिक का जो आकर्षण बल है वह इलेक्ट्रॉनों पर कम लगेगा जैसे परमाणु की त्रिज्या अब यहां पर बढ़ जाएगी अब पर मैं यहां पर इलेक्ट्रॉन यहां पर ना घूम के कुछ इस प्रकार से यह नई कोष बनेगी इसमें घूम रहे होंगे ठीक है और परमाणु की त्रिज्या कुछ यह हो जाएगी इस प्रकार से ठीक है तो यह समझ में आ गया आपको अब इसको यहां पर लिख दे रहा हूं मैं तो इसको यहां लिख दिया दोस्तों मैंने परमाणु का ऋण आयन बनने से क्या होता तो उसको उस में इलेक्ट्रॉनों की संख्या बढ़ जाती है परंतु प्रोटोन ओं की संख्या में कोई परिवर्तन नहीं होगा इसी कारण से इलेक्ट्रॉनों पर लगने वाला नाविक का आकर्षण बल क्या होता है दोस्तों घट जाता है और ऋण आयन की त्रिज्या जनक परमाणु से अधिक होगी तो यही दोस्तों हमारे प्रश्न का उत्तर आशा करता हूं आपको समझ में आया होगा धन्यवाद

व्याख्या कीजिए कि धनायन छोटे क्यों होते हैं और ऋणायन जनक परमाणु से बड़े होते हैं in Hindi?

Solution : धनायन जनक परमाणुओं से इलेक्ट्रॉन की कमी द्वारा बनते हैं। अतः इनकी त्रिज्याएं जनक तत्वों से छोटी होती हैं। दूसरी ओर, ऋणायन तब बनते हैं जब जनक परमाणु एक या एक से अधिक इलेक्ट्रॉन को ग्रहण कर लेते हैं। अतः इनकी त्रिज्या जनक परमाणुओं से बड़ी होती हैं

समझाइए कि धनायन छोटे क्यों होते हैं और आयन अपने मूल परमाणुओं की तुलना में त्रिज्या में बड़े होते हैं?

भारतीय दार्शनिक महर्षि कनाड (Maharshi Kanad) ने प्रतिपादित किया था कि यदि हम द्रव्य (पदार्थ) को विभाजित करते जाएँ तो हमें छोटे-छोटे कण प्राप्त होते जाएँगे तथा अंत में एक सीमा आएगी जब प्राप्त कण को पुनः विभाजित नहीं किया जा सकेगा अर्थात् वह सूक्ष्मतम कण अविभाज्य रहेगा। इस अविभाज्य सूक्ष्मतम कण को उन्होंने परमाणु कहा।

स्पष्ट कीजिए क्यों केटायन का आकार अपने मूल परमाणु से छोटा होता है?

यदि धनायन तथा ऋणायन पर आवेश की मात्रा बढ़ाई जाए तो आयनिक बंध के सहसंयोजी लक्षणों में वृद्धि होगी। धनायन का आकार अपने मूल परमाणु से छोटा होता है। केटायन का आयनिक विभव जितना अधिक होता हैं उसकी सह-संयोजक बंध बनाने की क्षमता उतनी अधिक होता हैं।

धनायन का आकार जनक परमाणु से छोटा क्यों होता है?

आवर्त - नियम का अध्ययन करेंगे । तत्त्वों का वर्गीकरण परमाणु के इलेक्ट्रॉनिक विन्यास का परिणाम है। अंत में हम तत्त्वों के भौतिक तथा रासायनिक गुणों की आवर्ती प्रवृत्ति पर विचार करेंगे ।