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answered May 16 by PradeepPal
(55.9k points) सहयोगी व्यवस्थापन सात्मीकरण प्रतिस्पर्धा प्रतिकूलन संघर्ष सहयोग (Co-operation) वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा व्यक्ति अथवा समूह अपने संयुक्त प्रयत्नों को अधिक या कम संगठित रूप से, सामान्य उद्देश्यों की पूर्ति के लिए संगठित करते हैं। यह सामान्य उद्देश्य के लिए मिलकर कार्य करना है। समाज का विशाल भवन सहयोग की मजबूत नींव पर खड़ा है। सहयोगी या सहगामी सामाजिक प्रक्रियाओं में सहयोग सर्वोपरि व अत्यंत महत्त्वपूर्ण प्रक्रिया है। सहयोग के बिना न तो पीढ़ियों का समाजीकरण ही ठीक प्रकार से हो सकता है और न ही व्यक्तियों के व्यक्तित्व का विकास। जन्म से लेकर मृत्यु तक प्रत्येक व्यक्ति को अन्य व्यक्तियों से किसी-न-किसी रूप में सहयोग की आवश्यकता पड़ती हैं। सहयोग द्वारा ही सामाजिक संगठन सुदृढ़ होता है। Show फेयरचाइल्ड (Fairchild) ने समाजशास्त्रीय शब्दकोश में सहयोग की परिभाषा इन शब्दों में दी है, “सामाजिक अंत:क्रिया का कोई भी वह स्वरूप; जिसमें व्यक्ति या समूह अपनी क्रियाओं को संयुक्त कर लेते हैं या पारस्परिक सहायता से, कम या
अधिक रूप में संगठित, तरीके से किसी सामान्य उद्देश्य या लक्ष्य या प्राप्ति के लिए साथ-साथ कार्य करते हैं; सहयोग कहलाता है।” व्यवस्थापन वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा मनुष्य अपने पर्यावरण से सामंजस्य की भावना उत्पन्न कर लेता है। इसके द्वारा और समुह सहयोगी एकता की स्थापना के लिए विरोधपूर्ण प्रक्रियाओं से सामंजस्य कर लेते हैं। यह एक दशा भी है क्योंकि व्यवस्थापन संबंधों की वह स्वीकृति या मान्यता है जिसके द्वारा समूह में व्यक्ति की स्थिति अथवा सम्पूर्ण सामाजिक संगठन में समूह की स्थिति को परिभाषित किया जाता है। मैकाइवर एवं पेज (Maclver and Page) के अनुसार, “व्यवस्थापन से अभिप्राय विशेष रूप से उस प्रक्रिया से है जिससे मनुष्य अपने पर्यावरण से सामंजस्य की भावना उत्पन्न कर लेता है।’ सात्मीकरण या आत्मसात् (Assimilation) एक सहयोगी प्रक्रिया है तथा वह सामाजिक संपर्को का अंतिम प्रतिफल है। इस प्रक्रिया द्वारा व्यक्तियों या समूहों में पारस्परिक मतभेद दूर होते
हैं तथा उनके दृष्टिकोणों में समानता विकसित होती है। वास्तव में, इस प्रक्रिया द्वारा दो समूह या संस्कृतियाँ एक-दूसरे में इस प्रकार घुल-मिल जाती हैं कि उनमें किसी प्रकार का अंतर ही नहीं रहता। इसीलिए सात्मीकरण को दृष्टिकोण और मूल्यों का संपूर्ण मिश्रण तथा सामाजिक संपर्को का अंतिम प्रतिफल कहा गया है। यह प्रक्रिया व्यवस्थापन से अगला चरण है क्योंकि इससे अस्थायी समझौता न होकर दो समूह या संस्कृतियाँ पूरी तरह से एक-दूसरे में घुल-मिल जाती हैं। ऑगबर्न एवं निमकॉफ (Ogburn and Nimkoff) के अनुसार, “सात्मीकरण एक प्रक्रिया है जिसके द्वारा असमान व्यक्ति या समूह समान हो जाते हैं अर्थात् वे अपने स्वार्थों और दृष्टिकोणों में समान हो जाते हैं। ऑगर्बन एवं निमकॉफ की इस परिभाषा से यह स्पष्ट हो
जाता है कि सात्मीकरण भावनाओं, उद्देश्यों, मूल्यों व दृष्टिकोणों में समानता लाने की प्रक्रिया है। इसके परिणामस्वरूप दो भिन्न समूह एक समान हो जाते हैं। इनके अनुसार यह संस्कृतियों या उनको धारण करने वाले व्यक्तियों का एक समान इकाई के रूप में घुल-मिल जाना हैं। इसके परिणामस्वरूप विभिन्न संस्कृतियाँ एक हो जाती हैं। निष्कर्ष-उपर्युक्त विवेचन से यह स्पष्ट हो जाता है कि सामाजिक प्रक्रिया का अर्थ सामाजिक अंत:क्रिया का वह स्वरूप है जो विशिष्ट होता है तथा जिसमें निरंतरता पायी जाती है। प्रक्रियाएँ सहयोगी व असहयोगी दोनों प्रकार की होती हैं। answered May 16 by PradeepPal (55.9k points) जब समूह, समुदाय या समाज के सदस्य परस्पर व्यवहार करते हैं तो उनमें निश्चित व अर्थपूर्ण अंत:क्रियाएँ विकसित होती हैं। समूह के सदस्यों में पायी जाने वाली अंत:क्रियाएँ सहयोग के रूपमें हो सकती हैं अथवा संघर्ष के रूप में भी हो सकती हैं। उनमें प्रतियोगिता हो सकती है और समायोजन तथा व्यवस्थापन भी हो सकता है। सामाजिक अंत:क्रिया के इन विभिन्न स्वरूपों को ही सामाजिक प्रक्रिया कहा जाता है। सामाजिक प्रक्रियाएँ सामाजिक संबंधों के अध्ययन की जानकारी प्राप्त करने में सहायता प्रदान करती हैं तथा विभिन्न प्रकार के संबंधों को बताती हैं। सामाजिक प्रक्रिया के लिए सामाजिक संबंधों का होना जरूरी है। वास्तव में, सामाजिक संबंध परिवर्तनशील होते हैं परन्तु फिर भी इनमें निरंतरता पायी जाती है। इसीलिए सामाजिक संबंध, परिवर्तनशीलता तथा निरंतरता; सामाजिक प्रक्रिया का निर्माण करने वाले तीन तत्त्व माने जाते हैं। सामाजिक प्रक्रिया का अर्थ एवं परिभाषाएँ ⦁ फेयरचाइल्ड (Fairchild) ने समाजशास्त्र के शब्दकोश में सामाजिक प्रक्रिया की परिभाषा इन शब्दों में दी है-“कोई भी सामाजिक परिवर्तन या अंत:क्रिया जिसमें
अवलोकनकर्ता एक सतत (निरत) गुण या दिशा देखता हो, जिसे एकवर्गीय नाम दिया जा सके, सामाजिक परिवर्तन या अंत:क्रिया का एक वर्ग जिसमें सामान्य रूप से सामान्य आदर्श देखा जा सके व नामांकित किया जा सके। उदाहरण के लिए अनुकरण, परसंस्कृतिग्रहण, संघर्ष सामाजिक नियंत्रण संस्तरण।” सामाजिक प्रक्रिया की विशेषताएँ ⦁ घटनाओं से संबंधित सामाजिक प्रक्रियाओं का संबंध सामाजिक घटनाओं या सामाजिक संबंधों से है। बिना सामाजिक घटनाओं
या सामाजिक संबंधों के हम सामाजिक प्रक्रिया की , कल्पना भी नहीं कर सकते हैं। सामाजिक
प्रक्रियाओं के प्रकार सहयोगी प्रक्रियाओं को सहभागी प्रक्रियाएँ, संगठनात्मक प्रक्रियाएँ या एकीकरण लाने वाली प्रक्रियाएँ भी कहा जाता है क्योंकि इसका लक्ष्य सहयोग में वृद्धि करना है। सहयोग, व्यवस्थापन तथा सात्मीकरण इसके प्रमुख उदाहरण हैं। असहयोगी सामाजिक प्रक्रियाओं को असहगामी, विघटनकारी या पृथक्करण करने वाली सामाजिक प्रक्रियाएँ भी कहते हैं। प्रतिस्पर्धा, प्रतिकूलन तथा संघर्ष इसके उदाहरण हैं। सामाजिक प्रक्रियाओं के प्रमुख प्रकारों को निम्नांकित चार्ट द्वारा प्रदर्शित किया जा सकता है- Find MCQs & Mock Test
सामाजिक प्रक्रिया की विशेषता क्या है?सामाजिक प्रक्रियाएं – एक व्यक्ति या समूह की दूसरे के साथ अन्तःक्रिया होती है और वह अन्तः क्रिया सहयोग, संघर्ष, प्रतिस्पर्धा, आदि किसी भी रूप में हो सकती है। अन्तःक्रिया के विभिन्न स्वरूपों को ही सामाजिक प्रक्रिया के नाम से पुकारा गया है।
सामाजिक प्रक्रिया का क्या अर्थ है?अपने उद्देश्यों या जरूरतों को पूरी करने के लिए उसे या तो किसी से सहयोग लेना पड़ता है अथवा संघर्ष करना पड़ता है। समाज के अस्तित्व, अनवरतता के लिए ये प्रवृत्तियां आवश्यक होती है। इन प्रवृत्तियो को ही सामाजिक प्रक्रिया कहते हैं।
सामाजिक प्रक्रिया कितनी होती है?समाजशास्त्रियों ने सामाजीकरण की पूरी प्रक्रिया को दो हिस्सों में विभक्त किया है : प्राथमिक सामाजीकरण और द्वितीयक सामाजीकरण। यह विभाजन समाज के प्राथमिक व द्वितीयक संस्थाओं के विभाजन पर आधारित है।
सामाजिक प्रक्रिया में व्यवस्थापन का क्या स्वरूप है?फिचर के अनुसार " व्यवस्थापन सामाजिक प्रक्रिया के उस स्वरूप के रूप मे परिभाषित किया जा सकता है जिसमे दो या अधिक व्यक्ति या समूह संघर्ष को रोकने कम करने या समाप्त करने के लिए अन्तःक्रिया करते है।
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