साइकोलॉजी के कितने प्रकार होते हैं? - saikolojee ke kitane prakaar hote hain?

विषयसूची

  • 1 साइकोलॉजी कितने प्रकार के होते हैं?
  • 2 मनोविज्ञानशाला उत्तर प्रदेश इलाहाबाद की स्थापना कब हुई?
  • 3 साइकोलॉजी के जनक कौन है?
  • 4 अवधान के कितने प्रकार होते हैं?
  • 5 UP में मनोविज्ञान की पहली प्रयोगशाला कहाँ खुली?
  • 6 मनोविज्ञान दर्शनशास्त्र से अलग कब हुआ?

साइकोलॉजी कितने प्रकार के होते हैं?

इसे सुनेंरोकेंमनोविज्ञान के प्रकार Types of psychology इसको सामान्यतः 4 भागों में विभक्त किया जाता हैं- व्यवहारिक, संज्ञानात्मक, विकासात्मक और शैक्षिक मनोविज्ञान।

मनोविज्ञान हमारे जीवन में कैसे उपयोगी हो सकता है?

इसे सुनेंरोकेंधीरे-धीरे ज्ञान की विभिन्न शाखाओं पर मनोविज्ञान का प्रभाव अनुभव किया जाने लगा। आशा व्यक्त की गई कि मनोविज्ञान अन्य विषयों की समस्याएँ सुलझाने में उपयोगी हो सकता है। साथ ही साथ, अध्ययन की जानेवाली समस्याओं के विभिन्न पक्ष सामने आए। परिणामस्वरूप मनोविज्ञान की नई-नई शाखाओं का विकास होता गया।

मनोविज्ञानशाला उत्तर प्रदेश इलाहाबाद की स्थापना कब हुई?

इसे सुनेंरोकेंसबल एवं स्वस्थ समाज के अस्तित्व को बनाये रखने के उद्देश्य से आचार्य नरेन्द्र देव समिति 1935 की संस्तुतियों के आलोक में विद्यालयीय आयु वर्ग के बच्चों को मनोवैज्ञानिक सेवाएं सुलभ कराने हेतु जुलाई 1947 में मनोविज्ञानशाला, उ0प्र0, प्रयागराज की स्थापना की गयी तथा 1981 से राज्य शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद, उ0प्र0.

मनोविज्ञान का जन्म कब हुआ?

इसे सुनेंरोकेंआधुनिक मनोविज्ञान के विकास की प्रमुख घटनाएँ 1879 विलहम वुण्ट ने जर्मनी के लिपशिग में प्रथम मनोविज्ञान प्रयोगशाला को स्थापित किया। 1890 विलियम जेम्स ने ‘प्रिंसिपल ऑफ साइकोलॉजी’ प्रकाशित की। 1895 मनोविज्ञान की एक व्यवस्था के रूप में प्रकार्यवाद की स्थापना।

साइकोलॉजी के जनक कौन है?

विल्हेम वुण्ट Wilhelm Wundt
राष्ट्रीयता German
क्षेत्र Experimental psychology, Physiology
संस्थान University of Leipzig
शिक्षा University of Heidelberg

व्यक्तित्व को कितने भागों में बांटा गया है?

इसे सुनेंरोकेंआइजैनक (1970, 1975) ने व्यक्तित्व को चार भागों में बांटा- अंतर्मुखी, बहिर्मुखी, स्थिर और अस्थिर। आलपोर्ट (1966) ने शीलगुणों (ट्रेट्स) के आधार पर व्यक्तित्व का वर्गीकरण किया।

अवधान के कितने प्रकार होते हैं?

इसे सुनेंरोकेंअवधान के तीन अलग-अलग प्रक्रियाएँ या प्रकार होते हैं. निरंतर अवधान: किसी कार्य या घटना पर लंबे समय तक लगातार ध्यान केंद्रित करने की क्षमता. चयनात्मक अवधान: बाहरी या आंतरिक कारकों या उत्तेजनाओं में से किसी भी रुकावट या हस्तक्षेप के बिना कार्य को निर्देशित करने और ध्यान केंद्रित करने की क्षमता.

मनोविज्ञान का पिता कौन है?

इसे सुनेंरोकेंविल्हेम मैक्समिलियन वुण्ट (Wilhelm Maximilian Wundt ; 16 अगस्त, 1832 – 31 अगस्त, 1920) जर्मनी के चिकित्सक, दार्शनिक, प्राध्यापक थे जिन्हें आधुनिक मनोविज्ञान का जनक माना जाता है। वुण्ट ने मनोविज्ञान को विज्ञान माना और उन्होने ही सबसे पहले अपने आप को मनोवैज्ञानिक कहा। वे ‘प्रायोगिक मनोविज्ञान के जनक’ माने जाते हैं।

UP में मनोविज्ञान की पहली प्रयोगशाला कहाँ खुली?

इसे सुनेंरोकेंउत्तर- भारत में पहला मनोविज्ञान विभाग और पहली मनोविज्ञान प्रयोगशाला की स्थापना कलकत्ता विश्वविद्यालय में डॉ एन एन सेन गुप्ता के नेतृत्व में 1916 में स्थापित की गई थी।

भारत में बाल विकास की शुरुआत कब हुई?

इसे सुनेंरोकेंनोट- भारत में बाल विकास के अध्ययन की शुरुआत लगभग 1930 में हुई।

मनोविज्ञान दर्शनशास्त्र से अलग कब हुआ?

इसे सुनेंरोकेंमनोविज्ञान को दर्शनशास्त्र से अलग करके क्रमबद्ध अध्ययन करने का श्रेय संरचनावाद को जाता है, जिसके प्रवर्तक विलियम बुण्ट (1832-1920) तथा ई. बी. टिचनर (1867-1927) थे। इन्होनें अमेरिका के कार्नेल विश्वविद्यालय में इसकी शुरूआत की।

मनोविज्ञान के जनक कौन है?

मनोविज्ञान (Psychology) शब्द अंग्रेजी भाषा के दो शब्दों से मिलकर बना है Psycho+Logos. Psycho का अर्थ है ‘आत्मा’ और Logos का अर्थ है अध्ययन। आत्मा का अध्ययन करना ही मनोविज्ञान है, मनोविज्ञान के सिद्धांतो एवं मूल्यों का विकास करने का श्रेय सिगमंड फ्रायड को जाता हैं। जिन्होंने मनोविज्ञान को एक नई दिशा प्रदान की एवं इसको इसका सही स्थान प्राप्त करवाया। आधुनिक मनोविज्ञान का पिता विल्लियम वुण्ट (Father of modern psychology) को कहा जाता हैं। इन्होंने वर्ष 1879 में सर्वप्रथम मनोवैज्ञानिक प्रयोगशाला का निर्माण किया था। सामान्यतः व्यक्तियों और पशु-पक्षियों के व्यवहार एवं उनकी मानसिक क्रियाओं का अध्ययन किया जाता है अतः इसकी इस विशेषता से साफ हो जाता है कि इसका सीधा संबंध ‘मस्तिष्क’ से हैं।

मानसिक क्रियाओं के अंतर्गत आने वाली समस्त प्रक्रिया जैसे – संवेदना, अवधान, प्रत्यक्षण, सीखना, स्मृति, चिंतन आदि इसके अध्ययन में सम्मिलित की जाती है। दोस्तों आज हम सरल शब्दों में जनिंगे कि मनोविज्ञान क्या है, अर्थ, परिभाषा, प्रकार और शिक्षा में इसकी भूमिका। इन सभी की जानकारी हेतु पोस्ट को ध्यानपूर्वक समझें।

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मनोविज्ञान का अर्थ Meaning of Psychology

बाल मनोविज्ञान जैसी अनेको शाखाएं इसी के सिद्धांतो के आधार पर कार्य करती है। इसमें मानसिक क्रियाओं के अंतर्गत आने वाली समस्त प्रक्रिया का विश्लेषण निम्न माध्यम से किया जाता है।

साइकोलॉजी के कितने प्रकार होते हैं? - saikolojee ke kitane prakaar hote hain?

1- संवेदना- उदाहरणतः एक लड़की ने अपने भाई को रोते हुए देखा तो वह भी रोने लगी अर्थात उस लड़की ने भाई के दर्द को महसूस किया ये सब एक संवेदना हैं।

2- अवधान- ध्यान मन को एकगरित होकर किसी कार्य को करना उदाहरणतः राम ने पूरे अवधान के साथ अपना खेल खेला।

3- प्रत्यक्षण- प्रत्यक्षण का अर्थ होता है किसी भी चीज को लेकर अपने मे एक धारणा बनाना जैसे- बच्चों को हम बताते है कि गाय के 4 पैर होते है तो बच्चे 4 पैर वाले जितने पशुओं को देखता है उसे गाय कहने लगता है अर्थात बच्चे ने यह धारणा बनाई हैं।

4- स्मृति- जो चीज हमने पहले सीखी होती है समय आने पर उसका पुनः स्मरण Recall करना स्मृति हैं।

5- चिंतन- अर्थात सोचना उदाहरणतः एक अध्यापक ने छात्र को एक समस्या दी ऐसी परिस्थिति में बच्चा उस समस्या को दूर करने के लिए हर प्रयास करता है अर्थात वह हर एक प्रक्रिया अपनाता है जिससे उस समस्या का समाधान निकल सकें।

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मनोविज्ञान की परिभाषा Definition of Psychology

” व्यक्तियों के पर्यावरणीय संबंधों एवं क्रियाओं की दर्शाने का अध्ययन हैं।”

वुडवर्थ

” व्यक्तियों के आपसी व्यवहार एवं उनके संबंधों का अध्ययन हैं।”

क्रो एवं क्रो

दोनों परिभाषाओं से यह स्पष्ट हो जाता है कि इसमें (Psychology) व्यक्तियों, पशु-पक्षियों के आपसी व्यवहार एवं उनकी क्रियाओं के उद्देश्य एवं लक्ष्यों को स्पष्ट कर उसका विस्तृत अध्ययन किया जाता हैं।

मनोविज्ञान के प्रकार Types of psychology

इसको सामान्यतः 4 भागों में विभक्त किया जाता हैं- व्यवहारिक, संज्ञानात्मक, विकासात्मक और शैक्षिक मनोविज्ञान।

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1- व्यवहारिक- इसमें व्यक्तियों एवं पशु-पक्षियों के व्यवहार का अध्ययन विस्तृत रूप में किया जाता है एवं उनके द्वारा की गयी क्रियाओं को समझने का प्रयास किया जाता हैं साथ ही इसके द्वारा यह भी ज्ञात किया जाता है कि व्यक्ति किसी विशिष्ट परिस्थिति या वातावरण में कैसे व्यवहार करता है।

2- संज्ञानात्मक- इसमे बच्चे की स्मृति, अधिगम (सीखना) के क्षेत्र का अध्ययन किया जाता है अर्थात एक व्यक्ति किसी समस्या की कैसे समझता है उसका समाधान कैसे निकालता है और उसको याद कब तक रखता है या कितने समय तक उसे याद रखता है।

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3- विकासात्मक – इसमें व्यक्तियों एवं पशु-पक्षियों के विकास का अध्ययन किया जाता है शारीरिक एवं मानसिक दोनों रूपों में व्यक्तियों एवं पशु-पक्षियों का अध्ययन किया जाता है और अगर उसके शारीरिक, मानसिक या परिपक्व होने में कोई समस्या उत्पन्न होती है तो ऐसी स्थिति में उसकी समस्याओं का समाधान निकालने का प्रयास किया जाता हैं।

4- शैक्षिक – आधुनिक शिक्षा में इसका बेहद महत्वपूर्ण योगदान है क्योंकि एक अध्यापक के लिए अच्छे अधिगम के लिए बच्चों के व्यवहार को जानना बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि प्रत्येक बच्चे एक-दूसरे से भिन्न-भिन्न होते हैं। आधुनिक शिक्षा का स्वरूप बाल-केंद्रित है अर्थात बच्चों की आवश्यकतानुसार उन्हें शिक्षा देने का प्रयास किया जाता है और इसके लिए इसका प्रयोग शिक्षा के क्षेत्र में किया जाना बेहद आवश्यक हैं।

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● इसके अनुसार व्यक्ति को अपनी किसी भी आदत को बनाने या छोड़ने में 21 दिन का समय लगता हैं।

● व्यक्ति के पास वह शक्ति होती है, जिससे वह किसी व्यक्ति को मात्र देखने से ही उसके व्यक्तित्व का अंदाजा लगा सकता हैं।

● इसके अनुसार कम बोलने वाले व्यक्ति और काले रंग को पसंद करने वाले व्यक्ति सुंदर और बुद्धिमान होते हैं।

● अगर कोई व्यक्ति किसी व्यक्ति को हद से ज्यादा याद करता है तो वह दूसरा व्यक्ति (जिसे वह याद कर रहा होता है) भी उसे याद करता हैं।

● इसके अनुसार सोने से पहले एक गिलास पानी पीने से व्यक्ति को उसके सपने याद रहने की संभावना बढ़ जाती हैं।

शिक्षा में मनोविज्ञान की भूमिका Role of psychology in education

यह शिक्षा के क्षेत्र में बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि यह शिक्षण-अधिगम प्रक्रिया को प्रभावशाली बनाने का कार्य करती है और छात्रों के व्यवहार को समझने एवं उनकी आवश्यकताओं को समझने में अध्यापक की सहायता करती है जिस कारण शैक्षिक मनोविज्ञान को शिक्षक-शिक्षा के पाठ्यक्रम में भी सम्मिलित किया गया है यह अधिगम की सरल व सहज बनाने का कार्य करती है इसकी भूमिका को हम निम्न रूप में स्वीकार कर सकते हैं-

● व्यक्तिगत भिन्नता Individual difference- हम जानते है कि हर व्यक्ति दूसरे व्यक्ति से भिन्न होता है अर्थात हर व्यक्ति का शारीरिक विकास, मानसिक विकास भिन्न-भिन्न होता है उदाहरणतः अध्यापक बच्चों को गणित में जोड़ना-घटाना सिखाता है तो ऐसे में एक बच्चा जल्दी सिख लेता है जबकि दूसरा बच्चा वही चीज को सिखने में काफी समय लगा देता है अर्थात अध्यापक को यह देखना होगा कि हम किस तरह दोनों बच्चों को साथ लेकर चले।

● पाठ्यक्रम Curriculum- पाठ्यक्रम निर्माण में भी इसका अपना अहम योगदान निभाता है जो भी पाठ्यक्रम बनाया जा रहा है वो बच्चों की मानसिक स्थिति को ध्यान में रखकर बनाया जाता है अर्थात छठी कक्षा के छात्रों के लिए ना ही पांचवी कक्षा का और न ही पाचवी कक्षा के लिए छठी कक्षा का पाठ्यक्रम बनाया जाना चाहिए। दोनों छात्रों के मानसिक स्तर को ध्यान में रखकर ही पाठ्यक्रम का निर्माण किया जाना चाहिए।

● नकारात्मक और सकारात्मक पुनर्बलन Negative and positive Reinforcement- बच्चों को कब और कौन सा पुनर्बलन देना है यह बताने में भी यह अध्यापक की सहायता करता है उदाहरणतः एक बच्चा किसी समस्या को सुलझाने में असहाय सिद्ध हो रहा है तो हम उसे नकारात्मक पुनर्बलन नहीं देंगे बल्कि उसे अभिप्रेरित करेंगे क्योंकि अगर हम उस छात्र को नकारात्मक पुनर्बलन देंगे तो बच्चा अपने आप को कमजोर समझेगा और आगे चलकर यह सोच उसको अधिगम (सीखना) करने में उसके लिए समस्या उत्पन्न करेंगी।

निष्कर्ष Conclusion-

साधारण शब्दों में इसको हम मन का विज्ञान (science of mind) के रूप में देख सकते है क्योंकि इसके अंतर्गत मनुष्यों एवं पशु-पक्षियों की मानसिक क्रियाओं का अध्ययन किया जाता है। मन के विज्ञान का अध्ययन कर अध्यापक छात्रों को समाज मे समायोजन करने के कौशलों में वृद्धि कर सकते है। आधुनिक समाज की भ्रमित मनोस्थिति को देखते हुए इसकी आवश्यकता निरंतर बढ़ती जा रही है। दोस्तों आज आपने हमारी इस नवीन पोस्ट के माध्यम से जाना कि मनोविज्ञान Psychology क्या हैं,अर्थ, परिभाषा, प्रकार और शिक्षा में इसकी भूमिका को जाना व समझा।

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” अब अंतिम शब्दों में हमारा आपसे यही निवेदन है कि इस पोस्ट को अधिक से अधिक व्यक्तियों के साथ सांझा करें ताकि वह भी इस प्रकरण की महत्ता को समझ सकें और अपने ज्ञान का विस्तार कर सकें “

मनोविज्ञान का पिता कौन है?

विल्हेम मैक्समिलियन वुण्ट (Wilhelm Maximilian Wundt ; 16 अगस्त, 1832 – 31 अगस्त, 1920) जर्मनी के चिकित्सक, दार्शनिक, प्राध्यापक थे जिन्हें आधुनिक मनोविज्ञान का जनक माना जाता है।

मनोविज्ञान कितने प्रकार के होते हैं?

मनोविज्ञान के प्रकार Types of psychology इसको सामान्यतः 4 भागों में विभक्त किया जाता हैं- व्यवहारिक, संज्ञानात्मक, विकासात्मक और शैक्षिक मनोविज्ञान

मनोविज्ञान के 4 प्रकार क्या हैं?

मनोविज्ञान के क्षेत्र में सन् 1912 ई के आसपास संरचनावाद, क्रियावाद, व्यवहारवाद, गेस्टाल्टवाद तथा मनोविश्लेषण आदि मुख्य मुख्य शाखाओं का विकास हुआ। इन सभी वादों के प्रवर्तक इस विषय में एकमत थे कि मनुष्य के व्यवहार का वैज्ञानिक अध्ययन ही मनोविज्ञान का उद्देश्य है।

साइकोलॉजी में क्या क्या पढ़ाया जाता है?

साइकोलॉजी व्यक्ति के व्यवहार की पढ़ाई है, जहां व्यक्ति की परेशानियों का निदान करने के लिए वैज्ञानिक नियमों और थ्योरी का प्रयोग किया जाता है। आप विभिन्न क्षेत्रों में विशेषज्ञता हासिल कर सकते हैं, जैसे चाइल्ड साइकोलॉजी, क्लिनिकल साइकोलॉजी, जिसके तहत आप अस्पतालों में काम कर सकते हैं, और सोशल साइकोलॉजी