सारण लंका के राजा रावण का दरबारी मंत्री था। श्रीराम की वानर सेना द्वारा समुद्र पर सेतु बाँधकर उसे पार कर लेने के बाद रावण ने 'शुक' और 'सारण' नामक अपने मंत्रियों को राम की सेना में भेद लेने के लिए गुप्तचर बनाकर भेजा, किंतु ये दोनों गुप्तचर विभीषण की दृष्टि से बच नहीं पाये और पहचाने जाने पर पकड़ लिये गए। Show
टीका टिप्पणी और संदर्भसंबंधित लेख
रावण ने शुक और सारण को राम की छावनी पर क्यों भेजा?सारण लंका के राजा रावण का दरबारी मंत्री था। श्रीराम की वानर सेना द्वारा समुद्र पर सेतु बाँधकर उसे पार कर लेने के बाद रावण ने 'शुक' और 'सारण' नामक अपने मंत्रियों को राम की सेना में भेद लेने के लिए गुप्तचर बनाकर भेजा, किंतु ये दोनों गुप्तचर विभीषण की दृष्टि से बच नहीं पाये और पहचाने जाने पर पकड़ लिये गए।
शुक और सारण कौन थे?ये दोनों गुप्तचर रावण के मन्त्री 'शुक' और 'सारण' हैं, जो हमारे कटक में गुप्तचरी करते पकड़े गये हैं।" राम के सामने जाकर दोनों राक्षस थर-थर काँपते हुये बोले, "हे राजन्! हम राक्षसराज रावण के सेवक हैं। उन्हीं की आज्ञा से आपके बल का पता लगाने के लिये आये थे।
रावण के गुप्तचर का नाम क्या था?दरअसल रावण की नादानी यह थी कि उसने शुक नाम के एक गुप्तचर को सुग्रीव के पास भेजकर उनके मन को भ्रमित करने का प्रयत्न किया। उस गुप्तचर ने सुग्रीव से कहा, 'लंकापति रावण ने मुझे भेजा है। आप श्रीराम का साथ न दें।
शुक कौन था?शुकदेव महाभारत काल के मुनि थे। वे वेदव्यास जी के पुत्र थे। वे बचपने में ही ज्ञान प्राप्ति के लिये वन में चले गये थे। इन्होने ही परीक्षित को श्रीमद्भागवत पुराण की कथा सुनायी थी शुक देव जी ने व्यास जी से महाभारत भी पढा था और उसे देवताओ को सुनाया था।
|