राजस्थान में होली कैसे मनाई जाती है? - raajasthaan mein holee kaise manaee jaatee hai?

Holi 2022 : भारत को विविधताओं का देश कहा जाता है. हर एक जगह की बोली, परंपराएं और रहन-सहन का तरीका अलग है. यहां त्योहरों को भी अलग-अलग तरीकों से मनाया जाता है. आइए जानें देश के अलग-अलग हिस्सों में होली के त्योहार को किस अनोखे तरीके से मनाया जाता है.

भारत में हर त्योहार (Festival) को बहुत प्यार और उत्साह के साथ मनाया जाता है. होली का त्योहार भी नजदीक है. रंगों के त्योहार (Holi 2022) होली को देश के हर हिस्से में बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है. इस साल होली का त्योहार 18 मार्च को मनाया जाएगा. भारत के लोग जोश और बड़े हर्षोल्लास के साथ रंगों का त्योहार (Holi Festival) मनाते हैं. बुराई पर अच्छाई की जीत का जश्न मनाते हैं. भारत में अलग-अलग जगहों पर अलग-अलग रीति-रिवाजों और परंपराओं के साथ अलग-अलग तरीके से होली मनाई जाती है. आइए जानें अलग-अलग जगहों पर किन अलग- अलग तरीकों से होली मनाई जाती है.

लठमार होली- ब्रज की होली

भगवान कृष्ण जन्मभूमि पर मनाई जाने वाली होली आपको पारंपरिक रीति-रिवाजों और लोक कथाओं में वापस ले जाएगी. ब्रज की होली गोकुल, वृंदावन, बरसाना, नंदगांव से लेकर मथुरा तक पूरी ब्रजभूमि को कवर करती है. यहां बहुत ही दिलचस्प तरीके से होली मनाई जाती है. यहां न केवल रंगों से बल्कि लाठियों के साथ भी होली मनाई जाती है. इस दिन महिलाएं लाठियों और बेंत का इस्तेमाल पुरुषों के साथ होली खेलने के लिए करती हैं. पुरुष लाठियों से बचने के लिए ढाल का इस्तेमाल करते हैं. ये महिलाएं के लिए होली मनाने का सबसे अच्छा तरीका है.

फूलों की होली- वृंदावन

वृंदावन में भी होली बहुत ही खूबसूरती के साथ खेली जाती है. यहां फूलों वाली होली खेली जाती है. वृंदावन में बांके बिहारी मंदिर में फूलों का इस्तेमाल एक-दूसरे के साथ खेलने के लिए किया जाता है. इसलिए इसका नाम फूलों वाली होली पड़ा है.

दोल जात्रा – पश्चिम बंगाल

दोल जात्रा दोल पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है. भारतीय राज्यों पश्चिम बंगाल, ओडिशा और असम में होली दोल जात्रा के रूप में मनाई जाती है. संगीत और नृत्य इस त्योहार का एक हिस्सा हैं. इस दिन पुरुष और महिलाएं पीले रंग के कपड़े पहनते हैं. महिलाएं बालों में फूल सजाती हैं. गायन और नृत्य का आयोजन किया जाता है. लोग एक-दूसरे को गुलाल लगाकर इस त्योहार को मनाते हैं.

रॉयल होली- राजस्थान

उदयपुर की होली को धुलंडी के नाम से भी जाना जाता है. ये होली मनाने का एक बेहतरीन तरीका है. इस दौरान शाही परिवार के वंशज होली उत्सव समारोह के लिए महल में इकट्ठा होते हैं. होलिका दहन के बाद अगले दिन पूरे शहर में गलियों और महलों में रंगों और पानी के गुब्बारों और फूलों के साथ ये त्योहार मनाया जाता है. जयपुर में हर साल सिटी पैलेस में पूर्व राजपरिवार की तरफ से बड़े स्तर पर होलिका दहन कार्यक्रम आयोजित किया जाता है. हर साल होली पर उदयपुर और जयपुर में स्थानीय और विदेशी पर्यटकों की भीड़ उमड़ती है जो शाही अंदाज में मौजमस्ती का आनंद लेने आते हैं.

‘शिग्मो’ फेस्टिवल – गोवा

गोवा में होली के त्योहार को शिग्मो के नाम से जाना जाता है. इस अवसर पर लोग रंग खेलते हैं और बसंत का स्वागत करते हैं. ये संस्कृति, रंग और खानपान का उत्सव है. शिग्मो उत्सव के दौरान, पूरे राज्य में परेड के माध्यम से आप पारंपरिक लोक नृत्य और पौराणिक दृश्यों का लुत्फ उठा सकते हैं. इस दिन लोग रंग बिरंगे कपड़े पहनते हैं. रंगीन झंडे लहराए जाते हैं और संगीत वाद्ययंत्र बजाए जाते हैं.

हैलो मोहल्ला-पंजाब

होली को पंजाब में होला मोहल्ला के रूप में मनाया जाता है. ये सिख पुरुषों की बहादुरी और वीरता को श्रद्धांजलि के रूप में मनाया जाता है. उत्सव में कुश्ती और मार्शल आर्ट जैसे कई अन्य शक्ति-संबंधी अभ्यासों का प्रदर्शन किया जाता है. इसके बाद रंगों से खेलने, शाम को नृत्य करने और पूरे दिन एक बड़े लंगर की व्यवस्था करने की परंपरा का पालन किया जाता है.

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जनता से रिश्ता वेबडेस्क। होली हिंदू धर्म के प्रमुख त्योहारों में से एक है। होलिका के पर्व पर होलिका होलिका) दहन के बाद रंगों की होली खेली जाती है। रंगों के त्योहार की शुरुआत ब्रज क्षेत्र में हुई थी, लेकिन आज होली भारत के सभी राज्यों में मनाई जाती है। होली के दिन घर में लोग खुशियों के रंग में नजर आ रहे हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि होली सिर्फ भारत के सभी राज्यों में ही नहीं बल्कि कई अन्य देशों में भी मनाई जाती है। लेकिन उनका समय और खेलने का तरीका थोड़ा अलग हो सकता है। भारत में इस बार रंगों की होली 18 मार्च को खेली जाएगी।इस बार होली 18 मार्च को है। वहीं 17 मार्च को होलिका दहन होगा। यह दिन बहुत ही शुभ माना जाता है। इस दिन लोग पूजा-अर्चना करते हैं। ऐसा माना जाता है कि ऐसा करने से सभी परेशानियां दूर हो जाती हैं। हर प्रयास में सफलता का विश्वास होता है। तो आइए जानें कि अन्य देशों में होली कैसे मनाई जाती है।

नेपाल

नेपाल भारत से सटा एक देश है। भारत के सभी त्योहारों की झलक इस देश में देखी जा सकती है। यहां होली भी मनाई जाती है। इस त्यौहार को महल में बांस के डंडे फेंक कर मनाया जाता है। उत्सव एक सप्ताह तक चला। यहां की पहाड़ियों में होली भारत की होली से एक दिन पहले मनाई जाती है, जबकि तराई होली भारत की तरह ही भारत में भी मनाई जाती है।

स्पेन

टोमैटिनो फेस्टिवल हर साल अगस्त में स्पेन में मनाया जाता है। ऐसा हम फिल्म 'जिंदगी ना मिलेगी दोबारा' में भी देख सकते हैं। इस त्योहार पर हजारों लोग इकट्ठा होते हैं और टमाटर की होली खेलते हैं। टमाटर की यह होली भारत की होली के समान है।

पोलैंड

में होली के दौरान पोलैंड अर्सीना मनाया जाता है। प्राकृतिक रंगों और फूलों से बने इत्र से होली खेली जाती है। इस दिन लोग एक-दूसरे को गले लगाकर इस त्योहार की कामना करते हैं।

मॉरीशस

मॉरीशस में होली करीब एक महीने तक चलती है। इसकी शुरुआत बसंत पंचमी के दिन से होती है। यहां होलिका दहन भी किया जाता है। अगर आप इस होली का मजा लेना चाहते हैं तो बसंत पंचमी के आसपास मॉरीशस जाएं। होली के मौके पर कई जगहों पर पानी की बौछार भी होती है.

रोम में भी होली मनाई जाती है । यहां के लोग मई के महीने में इस त्योहार को मनाते हैं और लकड़ी जलाते हैं और होलिका जलाते हैं। अगली सुबह लोग इसके चारों ओर नृत्य करते हैं, रंगों से खेलते हैं और फूलों की वर्षा करते हैं।

अफ्रीका

अफ्रीकी देशों में भी अलाव जलाने की परंपरा है। इसे ओमेना बोंगा कहा जाता है। इस मौके पर लोग अपने देवता की याद में यहां आग जलाते हैं और रात भर नाच-गाकर इस त्योहार को मनाते हैं।

राजस्थान में होली कैसे मनाया जाता है?

राजधानी जयपुर के गोविंददेव मंदिर में होली का त्योहार काफी धूमधाम और जोश से मनाते हैं. मंदिर में लोग गुलाब और अन्य फूलों से होली खेलते हैं जिस दौरान राधा-कृष्ण के प्रेमलीला का मनोहर मंचन भी किया जाता है. बता दें कि इस बार होली पर गोविंद देव मंदिर में 200 किलो फूलों से होली पर्व की शुरुआत हुई है.

राजस्थान में होली को क्या बोलते हैं?

चंग-गींदड फाल्गुन शुरू होते ही शेखावाटी में होली का हुडदंग शुरू हो जाता है। हर मोहल्ले में चंग पार्टी होती है।

होली पर्व कैसे मनाते हैं?

होली हम कैसे मनाते हैं? पहले दिन को होलिका जलायी जाती है, जिसे होलिका दहन भी कहते हैं। दूसरे दिन, जिसे प्रमुखतः धुलेंडी व धुरड्डी, धुरखेल या धूलिवंदन इसके अन्य नाम हैं, लोग एक दूसरे पर रंग, अबीर-गुलाल इत्यादि फेंकते हैं, ढोल बजा कर होली के गीत गाये जाते हैं और घर-घर जा कर लोगों को रंग लगाया जाता है।

होली मनाने के पीछे क्या कहानी है?

हिरण्यकश्यपु के कहने पर होलिका प्रह्लाद को मारने के लिए अपनी गोद में बैठाकर आग में प्रवेश कर कई। किंतु भगवान विष्णु की कृपा से तब भी भक्त प्रह्लाद बच गया और होलिका जल गई। तभी से बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में होलिका दहन होने लगा और ये त्योहार मनाया जाने लगा।