पत्नी को वामांगी क्यों कहा जाता है? - patnee ko vaamaangee kyon kaha jaata hai?

पति-पत्नी (husband wife) का रिश्ता पवित्र होता है, क्योकि यह एक विश्वास की पक्की डोर से बंधा होता है। माना जाता है की पत्नी, पति का आधा अंग होती है, इसलिए इन्हें आर्धांगिनी कहा जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार ब्रह्मा जी (Brahma ji) के दाएं कंधे से पुरुष और बाएं कंधे से स्त्री की उत्पत्ति हुई। इसी वजह से महिला को वामांगी कहा गया है।

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शादी के बाद आमतौर पर महिलाएं पति के बाईं ओर बैठती हैं, जबकि किसी विशेष धार्मिक अनुष्ठानों के दौरान पत्नी को पति के दाईं तरफ बैठना होता है। वहीं जब स्त्री प्रधान धार्मिक कार्य (major religious work) किए जाते हैं तो पत्नी पति के बाईं ओर भी बैठती है। हिंदू धर्म ग्रंथ (Hindu scriptures) के मुताबिक सिंदूरदान (vermilion), भोजन, शयन और सेवा में के दौरान पत्नी को अपने पति के बाईं ओर रहना चाहिए।

माना जाता है की महिला का बायां और पुरुष का दाहिना हिस्सा शुभ होता है। विज्ञान के अनुसार इंसान के मस्तिष्क (Brain) का बायां हिस्सा रचनात्मक होता है। साथ ही दायां हिस्सा कर्म प्रधान होता है। महिलाओं को पुरुष की बाईं ओर बैठने का एक कारण यह भी है। शास्त्रों के मुताबिक कन्यादान, विवाह, पूजा-पाठ और यज्ञ के दौरान पत्नी को पति के दाईं ओर बैठना शुभ है, वहीं विदाई, आशीर्वाद लेते समय, सहवास के दौरान पत्नी को अपने पति की बाईं ओर रहना शुभ माना गया है।

हिंदू धर्म शास्त्रों में पत्नी को वामांगी कहा गया है, इस कारण पत्नी को पति के बायीं ओर बैठाने की बात कही जाती है. लेकिन हर कार्य में पत्नी का स्थान बायीं ओर नहीं होता. कई शुभ कामों में पत्नी पति के दायीं ओर बैठती है. ऐसा क्यों किया जाता है, यहां जानिए इसके बारे में.

महादेव (Mahadev) के अर्धनारीश्वर रूप में उनके शरीर के बाएं हिस्से से स्त्री को उत्पन्न दिखाया जाता है. इस कारण पत्नी को वामांगी (Vamangi) कहा जाता है. वामांगी यानी जो पुरुष के शरीर के बाएं अंग का हिस्सा हो. तमाम शुभ कार्यों (Auspicious Works) में पत्नी को पति की बायीं तरफ बैठाया जाता है, लेकिन कुछ कार्यों में वो दायीं ओर बैठती है. ऐसे में मन में ये सवाल आना लाजमी है, कि आखिर वामांगी होने के बावजूद तमाम कार्यों में पत्नी को पति के दायीं ओर क्यों बैठाया जाता है? कब पत्नी का पति की दायीं तरफ बैठना और कब बायीं तरफ बैठना शास्त्र सम्मत है, यहां जानिए इसके बारे में.

इन कार्यों में दाहिनी ओर बैठती है पत्नी

शास्त्रों में बताया गया है कि कन्यादान, विवाह, यज्ञकर्म, जातकर्म, नामकरण और अन्नप्राशन के दौरान पत्नी को पति के दायीं ओर बैठना चाहिए. इसकी वजह है कि ये सभी काम पारलौकिक माने जाते हैं और इन्हें पुरुष प्रधान माना गया है, इसलिए इनमें पत्नी को दायीं ओर बैठाने की बात कही गई है. इसके अलावा सोते समय, सभा में, सिंदूरदान, द्विरागमन, आशीर्वाद ग्रहण करते समय और भोजन के समय पत्नी को पति के बायीं ओर बैठना चाहिए क्योंकि ये कर्म संसारिक होते हैं. सांसारिक कर्म स्त्री प्रधान माने गए हैं, इनमें पत्नी को पति की बायीं तरफ बैठना चाहिए.

क्यों पत्नी कहलाती है अर्द्धांगिनी

पत्नी को अर्द्धांगिनी कहकर भी संबोधित किया जाता है. इसका सार है कि शादी के बाद एक पत्नी अपने पति के जीवन को खुद के साथ बांट लेती है. उसके सुख और दुख दोनों को भोगती है, उसके जीवन की हर परिस्थिति का हिस्सा बन जाती है. जीवन संगिनी बनकर पति के दायित्वों की भागीदार बन जाती है और उन्हें पूरी निष्ठा के साथ निभाती है. पत्नी के बिना पति का जीवन अधूरा होता है. इसलिए हमारे शास्त्रों में उसे अर्द्धांगिनी कहा गया है.

पत्नी को लेकर भीष्म पितामह ने दिया था ये ज्ञान

महाभारत काल में भीष्म पितामह ने पत्नी को लेकर कई महत्वपूर्ण बातें कही हैं. पितामह का कहना था कि पत्नी घर की लक्ष्मी होती है. उसी से वंश की वृद्धि होती है. पत्नी का हमेशा सम्मान करना चाहिए और उसे प्रसन्न रखना चाहिए. जिस घर में लक्ष्मी प्रसन्न होती है, वहां हर तरफ से खुशियों का आगमन होता है.

(यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारितहैं, इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)

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जयपुर। हिन्दू धर्म में पत्नी को वामंगी कहा जाता है, वामंगी का अर्थ होता है, बाएं अंग का अधिकारी। इस कारण से विवाह के बाद पति के शरीर का बायां हिस्सा स्त्री का माना जाता है। किसी भी धार्मिक रीति रिवाज में पति के बांयी ओर बैठने को कहा जाता है। ऐसा माना जाता है

By Sunita PandeyFri, 12 Apr 2019

पत्नी को वामांगी क्यों कहा जाता है? - patnee ko vaamaangee kyon kaha jaata hai?

जयपुर। हिन्दू धर्म में पत्नी को वामंगी कहा जाता है, वामंगी का अर्थ होता है, बाएं अंग का अधिकारी। इस कारण से विवाह के बाद पति के शरीर का बायां हिस्सा स्त्री का माना जाता है। किसी भी धार्मिक रीति रिवाज में पति के बांयी ओर बैठने को कहा जाता है।

पत्नी को वामांगी क्यों कहा जाता है? - patnee ko vaamaangee kyon kaha jaata hai?

ऐसा माना जाता है कि भगवान शिव के बाएं अंग से स्त्री की उत्पत्ति हुई है, हमने भी भगवान शिव के अर्धनारीश्वर रुप में उनके शरीर के बाएं अंग में देवी पार्वती को देखा होगा। इसके साथ ही अगर कोई पंडित हाथ देखता है तो पुरुष के दाएं हाथ को देखता है व पुरुष के बाएं हाथ से उसकी पत्नी के बारे में बताता है।

पत्नी को वामांगी क्यों कहा जाता है? - patnee ko vaamaangee kyon kaha jaata hai?

शास्त्रों में स्त्री को पुरुष की वामांगी माना गया है, जिस कारम से सोते समय और किसी सभा में बैठते समय,  सिंदूरदान के समय, बडें बुजुर्गों के दवारा आशीर्वाद देते ग्रहण करते समय और भोजन के समय स्त्री पति के बायीं ओर बैठती है, ऐसा करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है।

पत्नी को वामांगी क्यों कहा जाता है? - patnee ko vaamaangee kyon kaha jaata hai?

इन सब के बावजूद शास्त्रों में ऐसे कुछ काम है जिनको करते समय स्त्री को दायीं ओर रहना होता है, शास्त्रों में इस बारे में बताया गया है कि कन्यादान, विवाह, यज्ञकर्म, जातकर्म, नामकरण और अन्न प्राशन के समय पत्नी को पति के दायीं ओर बैठना चाहिए। शास्त्रों में माना जाता है कि पत्नी पति के बायीं ओर बैठती है तो वह कर्म स्त्री प्रधान कर्म होते हैं।

पत्नी को वामांगी क्यों कहा जाता है? - patnee ko vaamaangee kyon kaha jaata hai?

सनातन धर्म में पत्नी को पति को वामांगी कहा गया है, यानी पति के शरीर का बांया हिस्सा, इसके अलावा पत्नी को पति की अर्द्धांगिनी भी कहा जाता है, जिसका अर्थ है पत्नी, पति के शरीर का आधा अंग होती है, दोनों शब्दों का सार एक ही है, जिसके अनुसार पत्नी के बिना पति अधूरा है।

वामांगी का अर्थ क्या है?

शास्त्रों में पत्नी को वामंगी कहा गया है, जिसका अर्थ होता है बाएं अंग का अधिकारी। इसलिए पुरुष के शरीर का बायां हिस्सा स्त्री का माना जाता है।

पत्नी हमेशा पति के बाएं और क्यों होता है?

इन कार्यों में बायीं ओर बैठती हैं पत्नी शास्त्रों में स्त्री पुरुष की वामांगी होती है इसलिए सिंदूर दान करते समय, द्विरागमन, भोजन करते समय, सोते समय, सेवा के समय, आशीर्वाद ग्रहण करते समय और ब्राह्मणों के पांव धोते समय पत्नी को पति के बायीं ओर रहना चाहिए। इससे शुभ फलों की प्राप्ति होती है।