क्या 2060 में पृथ्वी नष्ट हो जाएगी? - kya 2060 mein prthvee nasht ho jaegee?

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Death of Earth: धर्म शास्त्रों में कहा गया है कि ये संसार नश्वर है. यानी यहां पर जो कुछ भी है, इसको एक दिन नष्ट हो जाना है. ऐसे में एक सवाल हमेशा से रहा है, क्या हमारी पृथ्वी भी एक दिन खत्म हो जाएगी. दरअसल, सदियों से लोग हमारे एकमात्र घर यानी पृथ्वी की मृत्यु (Death of Earth) के बारे में भयभीत और उत्सुक दोनों रहे हैं. यही वजह है कि माया कैलेंडर की भविष्यवाणी से लेकर निबिरू प्रलय तक की अंतहीन सिद्धांत और कहानियां लोगों में खूब चर्चा का विषय रही है. हालांकि, इन सिद्धांत के पीछे कोई वैज्ञानिक आधार नहीं होने की वजह से ये सभी गलत साबित हुई. गौरतलब है, इस सवाल को लेकर कई तरह की अंटलें लगाई जाती रही है, लेकिन अब इसका वैज्ञानिक जवाब आ गया है. 

न्यूटन की गणना के आधार पर 800 में 1260 को जोड़ने पर साल 2060 आया और उन्‍होंने दुनिया के अंत का साल 2060 बताया. उनका कहना था कि अगर इस समय तक दुनिया खत्‍म नहीं भी हुई तो भी उसका विनाश शुरू हो जाएगा.


दुनिया को लॉ ऑफ ग्रैविटी यानी गुरुत्‍वाकर्षण का सिद्धांत बताने वाले आइसैक न्‍यूटन ने एक ऐसी भविष्‍यवाणी भी की थी जो किसी की भी समझ से परे हो सकती है. पूरी दुनिया इस समय कई तरह के उतार-चढ़ावों से गुजर रही है. कोरोना वायरस महामारी से लेकर मौसम तक का प्रकोप दुनिया को परेशान किए हुए है. न्‍यूटन को दुनिया का महान गणितज्ञ और भौतिक विज्ञानी कहा जाता है. न्‍यूटन ने अपनी गणना के आधार पर बताया था कि साल 2060 तक दुनिया खत्‍म हो चुकी है. न्‍यूटन ने कुछ फॉर्मूलों के आधार पर यह बात कही थी

सर आइसैक न्‍यूटन ने अपने कई नोट्स और चिट्ठियों में दुनिया के खत्‍म होने का जिक्र किया था. उन्‍होंने स्‍पष्‍ट तौर पर कहा था कि अगर साल 2060 तक दुनिया बची रह गई तो ये विनाश की शुरुआत का साल होगा. न्यूटन ने दुनिया के खत्‍म होने का एक फार्मूला भी दिया था. न्यूटन ने ये भविष्‍यवाणी सन् 1704 में की थी. भविष्‍यवाणी के साथ न्यूटन का यह नोट उनकी लिखी चिट्ठियों के साथ मिला था. सन् 1727 में उनका निधन हो गया था और इसके बाद उनके लिखे सभी नोट्स, चिट्ठियां उनके घर में पाए गए.

न्‍यूटन ने अपनी गणना के आधार पर कहा कि दुनिया 1260 साल में खत्म हो जाएगी. इसके बाद न्यूटन के मन में सवाल उठा कि ये 1,260 साल किस वर्ष से शुरू माने जाएं. इसके लिए उन्होंने वर्ष 800 को मानक बनाया. इसके पीछे उन्‍होंने तर्क दिया कि 800AD में रोम में धार्मिक क्रांति आई और रोम के राजा चैलीमैगन ने शासन से ऊपर पोप को स्थान दिया. न्यूटन की गणना के आधार पर 800 में 1260 को जोड़ने पर साल 2060 आया और उन्‍होंने दुनिया के अंत का साल 2060 बताया. उनका कहना था कि अगर इस समय तक दुनिया खत्‍म नहीं भी हुई तो भी उसका विनाश शुरू हो जाएगा.

धरती का अंत कहाँ होता है?

इंटरनेशनल डेस्क. ये फोटोज धरती के सबसे साउदर्न प्वाइंट पर मौजूद तिएरा डेल फ्यूगो आइलैंड की हैं। ये आइलैंड चिली और अर्जेंटीना के बीच बंटा है। धरती के आखिरी छोर पर बसा ये आइलैंड दुनिया से बिल्कुल अलग-थलग पड़ा है।

 पृथ्‍वी का अंत का कारण सूरज बनेगा

अनुमान लगाया गया है कि भविष्य में खरबों वर्षों में गैस का ज्वलनशील गोला खत्म होने वाला है, लेकिन बहुत जल्द कई बदलाव होंगे जो हमारे सौर मंडल के अंत की ओर ले जाएंगे। वैज्ञानिकों का अनुमान है कि सूर्य अभी अपने जवानी के चरण पर है जिसे इसके 'मुख्य अनुक्रम' के रूप में जाना जाता है, अब से लगभग पांच अरब वर्ष बाद सूरज ब्लास्‍ट हो जाएगा जिसके कारण पूरी धरती तबाह हो जाएगी।


पृथ्‍वी के साथ अन्‍य ये ग्रह भी हो जाएंगे नष्‍ट

वैज्ञानिकों ने बताया पांच बिलियन साल बाद सूरज में मौजूद हाइड्रोजन कोर काम करना बंद कर देगा जिसके कारण सूरज गर्मी उत्‍पन्‍न नहीं कर पाएगा। जिसके कारण अन्य ग्रह भी ठंडे हो जाएंगे। यह सूर्य के पड़ोसी ग्रहों बुध और शुक्र को निगल जाएगी जिसमें पृथ्‍वी भी शामिल होंगी

प्रलय का अर्थ होता है संसार का अपने मूल कारण प्रकृति में सर्वथा लीन हो जाना। प्रकृति का ब्रह्म में लय (लीन) हो जाना ही प्रलय है। यह संपूर्ण ब्रह्मांड ही प्रकृति कही गई है। इसे ही शक्ति कहते हैं।

हिन्दू शास्त्रों में मूल रूप से प्रलय के चार प्रकार बताए गए। पहला किसी भी धरती पर से जीवन का समाप्त हो जाना, दूसरा धरती का नष्ट होकर भस्म बन जाना, तीसरा सूर्य सहित ग्रह-नक्षत्रों का नष्ट होकर भस्मीभूत हो जाना और चौथा भस्म का ब्रह्म में लीन हो जाना अर्थात फिर भस्म भी नहीं रहे, पुन: शून्यावस्था में हो जाना। इस विनाश लीला को नित्य, आत्यन्तिक, नैमित्तिक और प्राकृत प्रलय में बांटा गया है।

जिसका जन्म है उसकी मृत्यु भी तय है। जिसका उदय होता है, उसका अस्त होना भी तय है, ताकि फिर उदय हो सके। यही सृष्टि चक्र है। इस संसार की रचना कैसे हुई और कैसे इसका संचालन हो रहा है और कैसे इसके विलय हो जाएगा। इस संबंध में पुराणों में विस्तार से उल्लेख मिलता है।

पुराणों में सृष्टि उत्पत्ति, जीव उद्भव, उत्थान और प्रलय की बातों को सर्गों में विभाजित किया गया है। हालांकि पुराणों की इस धारणा को विस्तार से समझा पाना कठिन है। इसीलिए हम ब्रह्मांड की बात न करते हुए सिर्फ धरती पर सृष्टि विकास, उत्थान और प्रलय के बारे में बताएंगे।

जब-जब पृथ्वी पर प्रलय आता है भगवान विष्णु अवतरित होते हैं पहली बार जब जल प्रलय आया तो प्रभु मत्स्य अवतार में अवतरित हुए और कलयुग के अंत में जब महाप्रलय होगा तब कल्कि अवतार में अवतरित होंगे।

2060 में क्या दुनिया खत्म हो जाएगा?

न्यूटन की गणना के आधार पर 800 में 1260 को जोड़ने पर साल 2060 आया और उन्‍होंने दुनिया के अंत का साल 2060 बताया. उनका कहना था कि अगर इस समय तक दुनिया खत्‍म नहीं भी हुई तो भी उसका विनाश शुरू हो जाएगा.

पृथ्वी का अंत कब हो सकता है?

वैज्ञानिकों के मुताबिक पृथ्वी के निधन का अगला चरण अब से पांच से सात अरब वर्षों में दिखाई देगा. दरअसल, एक वक्त ऐसा आएगा जब सूर्य एक तारे से एक विशाल हीलियम के जलने वाले लाल विशालकाय गोले में बदल जाएगा. उस वक्त इसकी गर्मी इतनी बढ़ जाएगी कि पृथ्वी पर कुछ भी इस गर्मी को झेल नहीं पाएगा.

पृथ्वी के अंत में कौन सा देश है?

इंटरनेशनल डेस्क. ये फोटोज धरती के सबसे साउदर्न प्वाइंट पर मौजूद तिएरा डेल फ्यूगो आइलैंड की हैं। ये आइलैंड चिली और अर्जेंटीना के बीच बंटा है। धरती के आखिरी छोर पर बसा ये आइलैंड दुनिया से बिल्कुल अलग-थलग पड़ा है।

भारत का विनाश कब होगा?

एक अन्य जगह नास्त्रेस्देमस लिखते हैं कि एक आग का गोला समुन्द्र में गिरेगा और पुरानी सभ्यता के सारे देश तबाह हो जाएंगे। केवल धर्म ग्रंथों में ही नहीं, बल्कि कई देशों में वैज्ञानिकों ने भी प्रलय की अवधारणा को सही माना है। अमेरिका के कुछ वैज्ञानिकों ने घोषणा कि है कि 13 अप्रैल 2036 को पृथ्वी पर प्रलय हो सकता है।