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एक स्वस्थ आहार कुपोषण से बचाने में मदद करता है उसके साथ ही नॉन कम्युनिकेबल डिजीज जैसे मधुमेह, हृदय रोग, स्ट्रोक और कैंसर से लड़ने में भी लाभकारी होता है। हालांकि, तैयार खाद्य पदार्थों (processed food) के बढ़ते उत्पादन, तेजी से शहरीकरण और बदलती जीवनशैली के कारण आहार के पैटर्न में बदलाव आया है। आजकल लोग एनर्जी से भरपूर , फैट्स मुक्त, शर्करा मुक्त और नमक / सोडियम में उच्च खाद्य पदार्थों का अधिक सेवन कर रहे हैं साथ ही साथ कई लोग साबुत अनाज, फल, सब्जियां और अन्य फाइबर रिच आहार पर्याप्त रूप सेवन नहीं करते हैं। अस्वास्थ्यकर आहार (unhealthy diet) और शारीरिक गतिविधियों (physical activity) की कमी स्वास्थ्य के लिए वैश्विक जोखिम पैदा कर रही है। संतुलित और स्वस्थ आहार की जरुरत उम्र, जेंडर, जीवन-शैली और शारीरिक गतिविधि के आधार पर अलग-अलग होती है। एक व्यक्ति को स्वस्थ रहने के लिए जिन चीजों की जरूरत होती है उसमें संतुलित व पौष्टिक आहार भी शामिल हैं। दरअसल, संतुलित आहार (balanced diet) का मतलब है पोषक तत्व से भरपूर खाना। संतुलित आहार या पौष्टिक आहार में मानव शरीर के लिए जरूरी प्रोटीन, कैल्शियम, हेल्दी फैट, विटामिन, और कार्बोहाइड्रेट आदि पोषक तत्व शामिल होते हैं। आइये इस लेख में संतुलित आहार या बैलेंस्ड डाइट के बारे में जानते हैं। संतुलित आहार के अनिवार्य तत्व क्या होते हैं?What is balanced diet in hindiSantulit aahar ke anivarya tatav kya hai, santulit aahar (balanced diet) kaise banaye, santulit aahar talikaसंतुलित आहार तालिका (meal planning chart) के मदद से आप पोष्टिक तत्वों का सही मात्रा में सेवन कर अपने शरीर को स्वस्थ रख सकते हैं।पोषक तत्व जो किसी भोजन तालिका को संतुलित और पौष्टिक बनाते निम्न हैं : -
प्रोटीन न केवल व्यक्ति की मांसपेशियों को मजबूत बनाने में सहायक है बल्कि यह इम्यूनिटी सिस्टम को सुदृढ़ भी रखने में भी मददगार है।इसके अतिरिक्त यह बच्चे से लेकर वृद्ध आयु तक के व्यक्ति के संपूर्ण स्वास्थ्य को दुरुस्त बनाए रखने के लिए जरूरी है।यह प्रोटीन तनाव, डिप्रेशन और एंगजाइटी को खत्म करने में भी सहायक है। किसी व्यक्ति को कितने प्रोटीन की आवश्यकता है यह उस व्यक्ति द्वारा किए जाने वाले शारीरिक श्रम पर निर्भर करता है।सामान्य रूप से प्रोटीन मांसाहारी भोजन जैसे मांस, अंडे और मछ्ली आदि में प्रचूर मात्रा में मिल सकता है।लेकिन अगर आप शाकाहारी हैं तब आप प्रोटीन के लिए पनीर, दूध, मटर और बीन्स व चने का सेवन कर सकते हैं।
शरीर में आयरन व कैल्शियम की जरूरत हड्डियों की मज़बूती और दांतों की हेल्थ के लिए जरूरी होता है। इसके अलावा कैल्शियम व्यक्ति के हृदय की मांसपेशियों, शरीर के सभी सेल्स और नर्वस सिस्टम के सही रेगुलेशन के लिए भी जरूरी होता है। वैसे तो आयरन और कैल्शियम की जरूरत हर व्यक्ति को हर आयु में रहती है, लेकिन बच्चों और महिलाओं विशेषकर प्रेग्नेंट महिलाओं को इन न्यूट्रीट्रेंट्स की ज्यादा जरूरत होती है। आयरन के लिए आप पालक, मेथी, टमाटर आदि सब्ज़ियाँ और अंजीर, अंगूर आदि जैसे फलों का सेवन कर सकते हैं।इसके अलावा कैल्शियम के लिए सभी डेयरी प्रोडक्ट, साबुत अनाज, दालें, लहसुन आदि का सेवन किया जा सकता है।
हर व्यक्ति को हमेशा स्वस्थ रहने के लिए अन्य न्यूट्रीट्रेंटस के साथ ही विटामिन्स की भी जरूरत रहती है।विटामिन्स, दरअसल वे रासायनिक और कार्बनिक पदार्थ होते हैं जो हर खाने योग्य वस्तु में अलग-अलग मात्रा में होते हैं और शरीर को स्वस्थ रखने के साथ ही संपूर्ण विकास के लिए जरूरी भी होते हैं।इन्हें मेडिकल भाषा में सिक्यूरिटी एलीमेंट भी कहा जाता है क्योंकि हर प्रकार के विटामिन का शरीर में अलग-अलग काम होता है।मुख्य रूप से विटामिन दो प्रकार के होते हैं – पानी में घुल जाने वाले विटामिन जैसे विटामिन बी और इसकी सभी श्रेणी जैसे विटामिन बी 2,विटामिन बी 3,विटामिन बी 6,विटामिन बी 10 और विटामिन बी 12 आदि और विटामिन सी।विटामिन बी की सभी श्रेणियों को सामूहिक रूप में विटामिन बी कॉम्प्लेक्स कहा जाता है।दूसरे प्रकार के विटामिन वो होते हैं जो फैट के रूप में शरीर में घुल जाते हैं। इनमें शामिल विटामिन ए,विटामिन डी,विटामिन ई और विटामिन के होते हैं।
जैसे किसी भी मशीन को चलाने के लिए ऊर्जा यानि एनर्जी की जरूरत होती है वैसे ही हमारे शरीर को भी हर समय एक्टिव रहने के लिए एनर्जी की जरूरत होती है।भोजन के जरिये यह एनर्जी कार्बोहाइड्रेट से मिलती है। लेकिन इसका सेवन सही मात्रा में किया जाना जरूरी होता है नहीं तो यह शरीर में एक्स्ट्रा फैट के रूप में जमा होकर वज़न भी बढ़ा देती है।इसके लिए कम चिकनाई वाले डेयरी प्रोडक्ट, ओर्गेनिक रूप से उगाई हुई सब्ज़ियाँ जैसे आलू, ब्राउन राइस आदि का सेवन करें तो इससे शरीर में केवल एनर्जी ही जाएगी, अतिरिक्त फैट नहीं जमा होने पाएगी।
हमारे शरीर के हर अंग का सही ढंग से संचालन होता रहे इसके लिए यह जरूरी है कि हमारे शरीर को सही मात्रा में मिनरल्स या खनिज लवण भी मिलते रहें। खनिज पदार्थ अनाज, रोटी, मांस, मछली, दूध, डेयरी,सूखा मेवा, फल (विशेष रूप से सूखे फल) और सब्जियों में पाए जाते हैंये आयोडीन, आयरन, मेग्नीशियम , कैल्शियम, सोडियम, पोटेशियम, क्लोरीन आदि के रूप में होते हैं।शरीर में हड्डियों और दांतों की हेल्थ के लिए मिनरल्स बेहद ज़रूरी हैं। इसके साथ ही ये हार्मोन के बैलेंस को बनाने के साथ ही नर्वस सिस्टम को भी ठीक रखते हैं।
अधिकतर लोगों का यह मानना है कि पौष्टिक खाना वह होता है जिसमें फैट्स की मात्रा बिलकुल ना हो। लेकिन यह ख्याल बिल्कुल गलत है क्योंकि भोजन में फैट या वसा भी कुछ मात्रा में ज़रूरी है। लेकिन इसे सही मात्रा में और संतुलित रूप में लेना जरूरी होता है नहीं तो यह शारीरिक वजन बढ़ने का मुख्य कारण बन सकती है। इसलिए अपने भोजन में गुड फैट के रूप में अखरोट, जैतून का तेल, मछ्ली का तेल और ओमेगा 3 युक्त चीजों का सेवन कर सकते हैं। पौष्टिक आहार या बैलेंस्ड डाइट के क्या लाभ होते हैंBenefits of healthy diet in hindiposhtik aahar ke kya labh hote hai, poshtik aahar ke fayde, balanced diet ke fayde aur mahatvसंतुलित आहार जिसे पौष्टिक आहार के नाम से भी जाना जाता है, शरीर में ऊर्जा प्रदान करके आपको पूरे दिन सक्रिय रखने में मदद करता है। इसके साथ ही पोष्टिक आहार की कमी के कारण होनेवाली बीमारियों को रोकने में मदद करते हैं। पौष्टिक और संतुलित आहार के मनुष्य शरीर में बहुत फायदे होते हैं उनमे से कुछ फायदे यहाँ हम बता रहे हैं।
संतुलित, कैलोरी-युक्त आहार खाने से वजन को नियंत्रित करने में मदद मिल सकती है। जब आप एक स्वस्थ नाश्ते के साथ दिन की शुरुआत करते हैं, तो आप बाद में अधिक भूख लगने से बच जाते हैं, यानि आप दोपहर के भोजन से पहले फास्ट फूड खाने से छुटकारा पा सकते हैं। सही भोजन करना और नियमित रूप से व्यायाम करना आपको अतिरिक्त वजन घटाने और स्वस्थ वजन बनाए रखने में मदद कर सकता है। इसके अतिरिक्त,अगर आप दिन की शुरुआत नाश्ते से नहीं करते हैं और खाली पेट रहते हैं, तो इसके परिणामस्वरूप आपके शरीर में ब्लड ग्लूकोज का स्तर बढ़ जाता है, जिससे शरीर में फैट स्टोरेज होकर मोटापा का रूप ले लेता है। खाद्य पदार्थ, जो कैलोरी में कम और पोषक तत्वों में उच्च होते हैं, वह वजन नियंत्रण में मदद करते हैं। वजन का नियंत्रण करना है या मोटापा कम करना है तो शर्करा युक्त पेय पदार्थों, जैसे सोडा और फलों के रस का सेवन सीमित करें, और मछली को आहार में शामिल करें। अगर आप वेजेटेरियन हो तो आपको हरी सब्जियां, .सोयाबीन से बने पदार्थ, सूखे मेवे को आहार में शामिल करें। इस तरह संतुलित और पौष्टिक आहार वजन का नियंत्रण करने में फ़ायदेमंद है।
स्वस्थ वजन बनाए रखना और संतुलित आहार खाना जिसमें फैट की मात्रा कम और फाइबर की मात्रा ज्यादा हो जैसे - साबुत अनाज (whole grain), टाइप 2 मधुमेह के प्रकार के विकास की जोखिम को कम करने में मदद कर सकता है। टाइप २ मधुमेह जिसे "गैर-इंसुलिन-निर्भर मधुमेह मेलिटस (Non Insulin Dependent Diabetes Mellitus )" या "वयस्कता में शुरु होने वाला मधुमेह" – कहा जाता है । अगर आप संतुलित आहार के साथ-साथ नियमित व्यायाम कर रहे, तो यह जीवन-शैली मधुमेह के खतरे को कम करने में मदद करती है।
अगर आपके रोज के भोजन में नमक और सैचुरेटेड फैट की मात्रा अधिक हो तो इसके परिणाम स्वरूप शरीर में उच्च रक्तचाप और ब्लड कोलेस्ट्रॉल का प्रमाण बढ़ जाता है इससे हार्ट डिजीज का खतरा होता है। स्वस्थ और पौष्टिक आहार जैसे फल, सब्ज़ियाँ, साबुत अनाज और कम फैट वाले डेयरी के पदार्थ रक्तचाप और कोलेस्ट्रॉल के स्तर को बनाए रखकर हृदय को स्वस्थ रखकर हार्ट डिजीज जैसी जोखिम को कम करने में मदद करते हैं। कनाडा के हार्ट एंड स्ट्रोक फाउंडेशन के अनुसार, समय से पहले हृदय रोग और स्ट्रोक के 80 % मामलों को जीवनशैली में बदलाव करके रोका जा सकता है, जैसे कि शारीरिक गतिविधि (exercise) का स्तर बढ़ाना और स्वस्थ भोजन करना है ।
कैल्शियम से भरपूर आहार आपके दांतों और हड्डियों को मजबूत रखता है और ऑस्टियोपोरोसिस को कम करने में मदद करता है। कैल्शियम आमतौर पर डेयरी उत्पादों में भरपूर मात्रा में पाया जाता है। लेकिन आप अन्य खाद्य पदार्थ से भी कैल्शियम प्राप्त कर सकते हैं, जैसे सार्डिन मछली और अन्य सी फ़ूड। अगर आप वेजेटेरियन हैं तो हड्डियां और दातोंको मजबूत रखने के लिए आपको गहरे हरे रंग की सब्जियां और कैल्शियम फोर्टीफाइड खाद्य पदार्थ - जैसे सोया उत्पाद, फलों के रस, सूखा मेवा और अनाज का सेवन करना चाहिए। इस तरह एक संतुलित और पौष्टिक आहार का सेवन हड्डियां और दांतों को मजबूत रखने में सहायक है।
2014 के एक अध्ययन में, शोधकर्ताओं ने पाया कि फलों से भरपूर आहार से पेट की अंतड़ियो (gastrointestinal tract) के कैंसर का खतरा कम हो जाता है। उन्होंने यह भी पाया कि सब्जियों, फलों और फाइबर से भरपूर आहार से कोलोरेक्टल कैंसर का खतरा कम होता है और फाइबर से भरपूर आहार से लीवर कैंसर का खतरा भी कम होता है। फलों, सब्जियों, सूखा मेवा और दाल में पाए जाने वाले कई फाइटोकेमिकल्स (phytochemicals) एंटीऑक्सिडेंट के रूप में कार्य करते हैं, जो कोशिकाओं डैमेज से बचाते हैं जो कैंसर का कारण बन सकते हैं। इनमें से कुछ एंटीऑक्सिडेंट्स में बीटा-कैरोटीन, लाइकोपीन और विटामिन ए, सी, और ई शामिल हैं।
स्वस्थ आहार मनोभ्रंश और डेमेंशिया (dementia) को रोकने में मदद कर सकता है। 2015 के अध्ययन में यह पाया गया कि विटामिन डी, विटामिन सी, विटामिन ई, ओमेगा -3 फैटी एसिड, फ्लेवोनोइड्स (फल ,सब्जियां,सूखा मेवा, बीज, स्टेम, फूल, चाय, शराब और शहद में पाए जाते हैं), पॉलीफेनोल्स (बेरी ,बीन्स ,नट्स में पाए जाते हैं) और मछली युक्त आहार मेमोरी में सुधार मदद करता है। इस तरह एक स्वस्थ और पौष्टिक आहार मेमोरी में सुधर में लाभकारी है।
संतुलित और पोषक आहार के सेवन से रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ने में मदद होती है। आहार में उपलब्ध विटामिन ए, विटामिन बी, विटामिन सी, विटामिन ई, जस्त (zinc), आयरन और सेलेनियम शरीर में रोगों से लड़ने वाली वाइट ब्लड सेल को पोषण देते है और इम्युनिटी पावर बढ़ाते हैं। संतुलित और पोषक आहार रक्त प्रणाली पे भी प्रभाव डालता है और उसे सुलभ बनता है। इस कारण पौष्टिक आहार रोग प्रतिरोधक शक्ति बढाने में लाभकारी है। संतुलित आहार चार्ट या डाइट चार्ट क्या होता हैWhat is healthy diet plan in hindiHealthy diet chart kya hota hai aur kaise taiyar hota hai in hindi, santulit ahar chart talika, उम्र के अनुसार डाइट चार्टजब किसी व्यक्ति की आयु, लिंग और जीवनशैली को ध्यान में रखकर संतुलित आहार के सभी अनिवार्य तत्वों को शामिल करते हुए एक आहार योजना को तैयार किया जाता है तब इसे संतुलित आहार योजना (balanced meal planning) कहा जाता है। इसलिए एक अच्छे और पौष्टिक आहार योजना को तैयार करते समय इस बात का ध्यान रखा जाता है कि किसी एक व्यक्ति को एक निश्चित समय पर कितने पौष्टिक तत्वों या कैलोरी की जरूरत हो सकती है। इसके लिए जिन बातों को ध्यान में रखा जाता है वो इस प्रकार है : - सामान्य रूप से व्यक्ति की आयु के आधार पर उन्हें मिलने वाली कैलोरी की मात्रा का निर्धारण होता है। जैसे एक बच्चे की कैलोरी की जरूरत एक वृद्ध व्यक्ति की तुलना में अधिक होती है। इसी प्रकार एक सुस्त जीवनशैली जीने वाले पुरुष और महिला की तुलना में एक्टिव जीवन जीने वाले पुरुष और महिला को अधिक कैलोरी की जरूरत होती है। सामान्य रूप से यह देखा गया है कि पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं को कम कैलोरीज़ की जरूरत होती है। लेकिन गर्भवती और स्तनपान करवाने वाली स्त्रियों को अन्य समय की तुलना में अधिक कैलोरीज़ की जरूरत होती है। साधारण रूप में यह देखा गया है कि जो लोग गर्म प्रदेशों या वातावरण में रहते हैं उन्हें कम एनर्जी और कैलोरी की जरूरत होती है। जबकि ठंडे वातावरण में रहने वाले लोगों को स्वयं को एक्टिव और हेल्दी रखने के लिए अधिक कैलोरी की जरूरत होती है। यह देखा गया है कि जो लोग अधिक शारीरिक मेहनत वाले काम करते हैं उन्हें अधिक एनर्जी की जरूरत होती है। लेकिन जो लोग मानसिक मेहनत का काम करते हैं उन्हें अपेक्षाकृत कम कैलोरी की जरूरत होती है।
इस प्रकार कहा जा सकता है कि यदि यहाँ बताई गई कैलोरी से अधिक या कम मात्र में केलोरीज़ भोजन के माध्यम से शरीर में जाती हैं, तब दोनों ही स्थितियों में व्यक्ति को नुकसान हो सकता है। स्वस्थ प्रेगनेंसी के लिए भारतीय डाइट चार्टIndian diet plan for healthy pregnancy in hindiswastha pregnancy ke liye bhartiya diet chart in hindi, pregnancy ke dauran kya khaye, pregnancy mei santulit bhojan, pregnancy mei kya khayeप्रेगनेंसी टेस्टके बाद महिलाओं मे प्रेगनेंसी का पता चल जाता है। यह खबर होने वाली माँ के लिए बहुत ख़ुशी लेकर आती है।हालांकि, इसके साथ ही महिला इस चिंता में पड़ जाती है कि प्रेगनेंसी के दौरान उन्हें क्या खाना चाहिए जो बच्चे के स्वस्थ और ग्रोथ में सहायक हो। स्वस्थ आहार का सेवन करने साथ, स्वस्थ गर्भावस्था के लिए प्रति दिन कम से कम 30 मिनट का व्यायाम करना महत्वपूर्ण है। प्रेगनेंसी दौरान महिलों मे दर सप्ताह कुछ बदलाव होते हैं। प्रेगनेंसी में पहली तिमाही में, दूसरी तिमाही में और तीसरी तिमाही में शरीर में होने वाले बदलाव सब अलग-अलग होते हैं। इसलिए गर्भावस्था में महिलाओं को लगने वाली कैलोरी की मात्रा भी अलग अलग होती है। अधिकांश सामान्य वजन वाली गर्भवती महिलाओं के लिए, कैलोरी की सही मात्रा है:
प्रेग्नेंट महिला के लिए आदर्श भारतीय डाइट क्या होगी चाहिए यह जानते हैं : -
गर्भवती माताओं के लिए नाश्ते से पहले का नाश्ता महत्वपूर्ण होता है। यह मॉर्निंग सिकनेस जैसे गर्भावस्था के शुरवाती लक्षणों को रोकने में विशेष रूप से उपयोगी है। स्नैक हल्का और ऊर्जावान होना चाहिए और बाकी बचे हुए दिन के लिए शरीर को तैयार करने वाला होना चाहिए। आमतौर पर इस नाश्ते के लिए एक गिलास दूध या एक मिल्कशेक की सलाह दी जाती है। ऐसा इसलिए है क्योंकि दूध कैल्शियम का एक महत्वपूर्ण स्रोत है, जो बच्चे के विकास के लिए फ़ायदेमंद है। बादाम प्रोटीन, स्वस्थ फैट, आयरन और विटामिन ई का एक अच्छा स्रोत हैं और बादाम का दूध डेयरी उत्पादों के लिए एलर्जी रहने वाली या जिन्हे दूध पसंद नहीं उन महिलाओं के लिए एक बढ़िया विकल्प है। एक गिलास सेब या टमाटर का रस भी एक स्वस्थ विकल्प है। टमाटर का रस, विशेष रूप से, रक्त को शुद्ध करने में मदद करता है और आयरन और विटामिन सी से भरपूर होता है।
पोहा और रवा उपमा बहुत ही आम भारतीय नाश्ते का पदार्थ हैं। वे प्रेग्नेंट महिलाओं के लिए भी एक सही नाश्ता माना जाता है। पोहा में आयरन और कार्बोहायड्रेट की अच्छी मात्रा होती है, और रवा उपमा में आयरन, मैग्नीशियम और कैल्शियम जैसे खनिज होते हैं जिनमे फैट भी कम होता है। भरवां पराठे भी भारी और ऊर्जा से भरे विकल्प हैं, लेकिन उन्हें प्रेग्नेंट महिलाओं के लिए सामान्य से कम तेल का उपयोग करने के लिए तैयार रहना चाहिए । अन्य स्वस्थ और सुविधाजनक विकल्पों में गेहूं की रोटी शामिल हैं, जो आवश्यक पोषक तत्वों से भरपूर हैं। ओट्स से बना नाश्ता भी शरीर को बहुत सारे फाइबर प्रदान करता है, जो आयरन का एक मूल्यवान स्रोत है। सब्जियों से बना सैंडविच जो आयरन और विटामिन के समृद्ध होता है, एक सुविधाजनक नाश्ता माना जाता है। नाश्ते में फल भी विटामिन और फाइबर का एक अन्य स्रोत है।
प्रेगनेंसी डाइट चार्ट में सबसे महत्वपूर्ण मध्य-सुबह का नाश्ता होता है। इसमें भोजन के लिए सूप का सुझाव दिया जाता है क्योंकि वे पेट के लिए हल्का होता हैं और पोषक तत्वों से भरपूर होता हैं। सूप के विकल्पों में चिकन, टमाटर, पालक, गाजर और चुकंदर (बीटरूट) शामिल हैं - ये सभी पदार्थ भारतीय रसोई में आसानी से उपलब्ध होते हैं।
दही के साथ सूखी चपातियाँ या पराठे प्रेगनेंसी के दौरान दोपहर के भोजन के लिए सामान्य सिफ़ारिशें होती है। चिकन करी और रायता के साथ चावल दोपहर के भोजन के लिए एक और अच्छा विकल्प है। चिकन यह लीन प्रोटीन और नियासिन (विटामिन बी -3) का एक बड़ा स्रोत है। भारतीय पसंदीदा, दही चावल की तरह खिचड़ी भी दोपहर के भोजन के लिए एक स्वस्थ और हल्का विकल्प है। चावल से बने भोजन से होनेवाले मुख्य लाभों में शारीरिक ऊर्जा को बढ़ावा देना शामिल है। इसके साथ चावल के मूत्रवर्धक गुणों के कारण यूरिनोजेनिटल संक्रमण को रोकना और माँ की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ावा देने में मदद करता है। पारंपरिक गेहूं की रोटी जैसे रोटियां और पराठे फाइबर और कार्ब्स के अच्छे स्रोत हैं।
लंच और डिनर के बीच में कभी भी सिंपल, लाइट स्नैक्स लिए जा सकते हैं। गर्भवती महिलाओं के लिए प्री-डिनर शाम के स्नैक्स बहुत महत्वपूर्ण हैं। कुछ लोकप्रिय इवनिंग स्नैक्स हलवा, इडली, स्मूदी, भुनी हुई मूंगफली, हल्के तले हुए कटलेट और सूखे फल शामिल हैं।
दोपहर के भोजन के साथ,प्रेगनेंसी डाइट चार्ट में एक और भारी भोजन शामिल है। दाल एक पौष्टिक पारंपरिक आहार है और इसे चावल या सूखी रोटियों के साथ रात के खाने का हिस्सा बनाना चाहिए, क्योंकि यह शरीर को आवश्यक कार्ब्स प्रदान करते हैं। खिचड़ी, दही, पराठे और करी भी पोषण का एक अच्छा स्रोत हैं। दही और छाछ पाचन में सहायता करते हैं। सोने से पहले एक गिलास दूध के साथ दिन का अंत करना सबसे अच्छा है। दूध में मेलाटोनिन होता है जो नींद सुरक्षित और अच्छे से लाने में मदद करता है। इसके साथ ही प्रेग्नेंट महिलाओं ने अच्छी तरह से हाइड्रेटेड रहना बेहद जरूरी है। इसके लिए आपको प्रतिदिन 8 से 10 गिलास पानी पीना चाहिए। हेल्दी डाइट चार्ट कैसे बनाएँWay to prepare a balanced diet chart in hindihealthy diet chart kaise banaye in hindi, santulit ahar chart, santulit ahar talika, healthy dietहेल्दी डाइट चार्ट बनाने के लिए सबसे पहले यह देखा जाता है कि वह किस आयु के व्यक्ति के लिए बनाया जा रहा है और उसका जेंडर क्या है।इसके साथ ही उसका लाइफस्टाइल क्या है और वह व्यक्ति किस प्रकार के वातावरण में रह रहा है।
डाइट चार्ट को बनाते समय सबसे पहले उसमें अनाज (grain) को शामिल किया जाता है।इसमें मुख्य रूप से साबुत अनाज जैसे जौ, बाजरा, चना, मक्का और ज्वार आदि को शामिल किया जा सकता है।इसके अलावा इसमें चावल और दलिया भी शामिल किया जा सकता है। मुख्य रूप से यह कार्बोहाइड्रेट यानि एनर्जी देने वाले स्त्रोत होते हैं।हेल्दी भोजन में कार्बोहाइड्रेट के किसी भी सोर्स का 33% हिस्सा ही होना चाहिए।
डाइट चार्ट का अगला भाग फल व सब्जियों से मिलकर बनता है। इनसे शरीर को विटामिन और मिनरल्स मिलते हैं।डबल्यूएचओ (WHO) के अनुसार एक हेल्दी डाइट चार्ट में लगभग 400 ग्राम फल और सब्ज़ियाँ ज़रूर होनी चाहिए।इससे न केवल हृदय रोग, डायबिटीज़ और मोटापे जैसी परेशानियों से छुटकारा मिलता है बल्कि सभी न्यूट्रीट्रेन्ट्स भी सही और उपयुक्त मात्रा में मिल जाते हैं। अपने डाइट चार्ट में मुख्य रूप से हरी पत्तेदार सब्ज़ियाँ जैसे पालक, मेथी, धनिया के साथ ही गाजर, खीरा, फलियाँ, चुकंदर, ब्रोकली आदि को शामिल करना चाहिए। इसके अलावा फलों में एनर्जी देने वाले फल अधिक खाने चाहिए जैसे सेब, केला, पपीता, खरबूजा, तरबूज आदि। आपकी प्लेट में भी इनका 33% भाग एक सही डाइट प्लान की निशानी होता है। इसके अलावा सलाद के रूप में भी फल और सब्जियों को उबाल कर खाने से उनके पूरे पौष्टिक गुण शरीर में पहुँच जाते हैं।
डाइट चार्ट का अगला हिस्सा प्रोटीन के सोर्स के लिए होता है। इसमें दालें, डेयरी प्रोडक्ट, बीन्स आदि को शामिल किया जाता है।इसके लिए हर प्रकार की दाल, दूध (बिना चिकनाई वाला), दही, राजमा, लोबिया, अंडा, मांस, मछ्ली चिकन आदि को शामिल किया जा सकता है।इसके संतुलित सेवन से शारीरिक वजन में तो बैलेंस रहता ही है साथ ही मांसपेशियों में भी मज़बूती बनी रहती है और डाइजेस्टीव सिस्टम भी ठीक रहता है।इसमें दूध और डेयरी प्रोडक्ट का 15% भाग व प्रोटीन के अन्य सोर्स को 12% भाग लेना ठीक रहता है।इसके लिए दूध और दूध से बने प्रोडक्ट, अंडा, मछ्ली को दिन में कम से एक -दो बार तो लेना ही चाहिए। इससे शरीर में पर्याप्त प्रोटीन और कैल्शियम की मात्रा पहुँच जाती है।
शरीर को ऊर्जा देने के लिए कार्ब डाइट के साथ थोड़ी मात्रा में फैट और शुगर की भी जरूरत होती है।इसलिए एक बेलेंस्ड और हेल्दी मील चार्ट में 7% भाग हेल्दी फैट और शुगर का भी होना चाहिए।इससे कम होने पर शरीर को पूरी शक्ति नहीं मिलेगी और इससे अधिक होने पर वजन बढ़ने के साथ ही हृदय रोग और डायबिटीज़ जैसी बीमारियाँ होने का डर रहता है। शरीर को अच्छे फैट मिले इसके लिए रिफाइन ऑयल के स्थान पर ऑलिव ऑयल का इस्तेमाल किया जा सकता है। हेल्दी डाइट संबंधी जरूरी टिप्सTips for healthy diet in hindiHealthy diet ke liye jaruri tips in hindi, postik aahar kya hai और पोष्टिक आहार के लाभअपने हेल्दी डाइट चार्ट के अनुसार लिए गए हेल्दी खाने को हमेशा पौष्टिक और स्वादपूर्ण बनाए रखने के लिए कुछ बातों का ध्यान रखें जैसे :
कभी भी सुबह के नाश्ते से लेकर रात के खाने तक के क्रम को न तोड़ें। अगर किसी वजह से ऐसा होता है तब दूसरे वक्त के खाने के समय आपको अधिक भूख लगने के कारण अधिक भोजन करना होगा। इससे जहां एक ओर डाइजेस्टीव सिस्टम में परेशानी हो सकती है वहीं दूसरी ओर शारीरिक वजन भी बढ़ सकता है।
ये चीज़ें मैदा, चीज़ और अत्यधिक फैट से बनी होती हैं जिनके कारण पेट को इन्हें पचाने में अधिक मेहनत करनी पड़ती है और वह जल्दी बीमार हो जाता है। इसके अतिरिक्त मैदा, चीज़ और ऑयल खराब फैट को भी बढ़ा देते हैं जिससे शारीरिक वजन भी बढ़ने लगता है।
वयस्कों के लिए नमक की मात्रा दिन में 6g से अधिक नहीं होनी चाहिए। बहुत अधिक नमक खाने से आपका रक्तचाप बढ़ सकता है। उच्च रक्तचाप वाले लोगों में हृदय रोग विकसित होने या स्ट्रोक होने की संभावना अधिक होती है।
शरीर को निर्जलित (dehydrated) होने से रोकने के लिए आपको ज्यादा पानी और हैल्थी ड्रिंक पीने की ज़रूरत है। हर दिन 6 से 8 गिलास पीने की सलाह दी जाती है।
जहां तक हो सके योगाऔर मेडिटेशन के जरिये स्वयं को तनावमुक्त रखने का प्रयास करें।
शरीर में किसी प्रकार का रोग होने पर अपने डाइट चार्ट में डाइटीशियन की मदद से ही परिवर्तन करें।इस प्रकार कहा जा सकता है कि शरीर रूपी मशीन को चलाने के लिए सभी मुख्य पोषक तत्व जैसे प्रोटीन, कार्बोडाइट्रेट, विटामिन्स, मिनरल्स, फैट आदि की जरूरत होती है।लेकिन एक अच्छे डाइट चार्ट के माध्यम से अपनी जरूरत के अनुसार सभी तत्वों का चयन सही अनुपात में करें और भोजन के माध्यम से मिलने वाली एनर्जी से अपने शरीर को स्वस्थ व प्रसन्न रखें। निष्कर्षConclusionin hindisantulit ahar ke fayde aur mahatvaहर आयु के व्यक्ति को अच्छे स्वस्थ्य के लिए पौष्टिक भोजन की जरूरत होती है। भोजन को पौष्टिक बनाने के लिए उसमें उन सभी अनिवार्य तत्वों को शामिल करना जरूरी होता है जो शरीर के संपूर्ण स्वस्थ्य के लिए जरूरी होते हैं। इसलिए एक हेल्दी डाइट प्लान को बनाते समय आवश्यक प्रोटीन, विटामिन, मिनरल्स, कार्बोहाइड्रेट की मात्रा का ध्यान रखा जाता है। क्या यह लेख सहायक था? हां कहने के लिए दिल पर क्लिक करें Dr. Ritu Prasad Gynecologist | dehradun स्वर्ण पदक विजेता और प्रशिक्षित आईवीएफ विशेषज्ञ, डॉ. रितु प्रसाद, नेशनल एसोसिएशन फॉर रिप्रोडक्टिव एंड चाइल्ड हेल्थ ऑफ़ इंडिया (NARCHI) की सदस्य हैं। उन्होंने अपने कुशल प्रजनन उपचार के माध्यम से कई दंपत्तियों को उन्होंने माता-पिता होने की खुशी का अनुभव कराया है | आर्टिकल की आख़िरी अपडेट तिथि: : 13 May 2020 पौष्टिक आहार का क्या महत्व है?उचित पौष्टिक आहार खाने से हम मानसिक और शारीरिक रूप से स्वस्थ रहते हैं और बीमारियों से भी दूर रहने में इससे सहायता मिलती है। अच्छा पोषण शरीर के सभी अंगों को हमेशा बेहतर ढंग से काम करने में मदद करता है। सभी दैनिक कार्यों को उचित तरीके से करने के लिए पौष्टिक आहार एक ईंधन के रूप में काम आता है।
भोजन का हमारे जीवन में क्या महत्व है?आहार या भोजन के तीन उद्देश्य हैं : (1) शरीर को अथवा उसके प्रत्येक अंग को क्रिया करने की शक्ति देना, (2) दैनिक क्रियाओं में ऊतकों के टूटने फूटने से नष्ट होनेवाली कोशिकाओं का पुनर्निर्माण और (3) शरीर को रोगों से अपनी रक्षा करने की शक्ति देना। अतएव स्वास्थ्य के लिए वही आहार उपयुक्त है जो इन तीनों उद्देश्यों को पूरा करे।
पौष्टिक आहार में क्या क्या होना चाहिए?संतुलित आहार क्या है? संतुलित आहार वह होता है, जो आपके शरीर को सभी जरूरी पोषक तत्व उपलब्ध कराता है। उन पोषक तत्वों में प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, वसा, विटामिन और खनिज जैसे पोषक तत्व पाए जाते हैं। संतुलित पोषण के लिए ताजा फल, सब्जियाँ, साबुत अनाज और प्रोटीन अपने रोज के आहार में लेने चाहिए।
पौष्टिक आहार क्या है पौष्टिक आहार की कमी के कारण कौन सी बीमारी हो जाती है?शरीर को स्वस्थ और निरोग रखने के लिए पौष्टिक तत्व बहुत जरूरी हैं। अगर शरीर को भरपूर मात्रा में पौष्टिक तत्व न मिले तो कई तरह की स्वास्थ्य समस्याएं होने लगती हैं। इसकी कमी से त्वचा की समस्या, अपच, बालों का गिरना, कमजोरी, आंखों की रोशनी कम होना, भूलने की समस्या जैसी कई समस्यों होने लगती हैं।
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