ब्रिटिश राजा व राजमुकुटराजा वह व्यक्ति होता हैं जो एक विशेष समय पर ब्रिटिश राज्य के प्रमुख पद पर आसीन होता है। राजमुकुट राज्य शक्ति का वह प्रतीक है जिसे सम्राट अपने सिर पर धारण करता है। Show
आज हम इस लेख मे ब्रिटिश राजा और राजमुकुट मे अन्तर (भेद) को जानेंगे। प्रारंभ मे राजा व राजमुकुट मे कोई भेद नही था। राजा ही राजमुकुट था और राजमुकुट ही राजा था, जिसे राजा अपने सिर पर धारण करता था और राजकीय शक्तियों का प्रयोग राजा स्वयं ही करता था। लेकिन अब परिस्थितियाँ बदल चुकी हैं। ब्रिटिश शासन-व्यवस्था का लोकतंत्रीकरण हो गया हैं। अतः अब राजा और राजमुकुट के बीच महत्वपूर्ण अन्तर हो गया हैं। ब्रिटेन के संवैधानिक इतिहास मे क्रमशः बदलाव आते रहे है और इसी परिवर्तन के फलस्वरूप निरंकुश राजतन्त्र से शक्तियाँ खिसकने लगीं और संसद मे समाहित होकर उसे शक्तिशाली बनाने लगीं इस तारतम्य मे राजा व राजमुकुट के मध्य का अंतर व्यापकता की ओर अग्रसर होने लगा। राजा और राजमुकुट मे अंतर (भेद) (raja or rajmukut me antar)राजा और राजमुकुट में निम्नलिखित अंतर हैं-- 1. राजमुकुट सामूहिक या बहुल कार्यकारिणी है, जबकि राजा वैयक्तिक कार्यपालक है। राजमुकुट की शक्तियों का प्रयोग एक व्यक्ति द्वारा न होकर अनेक व्यक्तियों द्वारा होता हैं। 2. राजा अस्थायी हैं। एक व्यक्ति की भांति वह अपने जीवन-काल तक ही पद पर रहता है। उसकी मृत्यु के उपरांत दूसरा व्यक्ति इस पद पर आसीन हो जाता हैं। इसके विपरीत राजमुकुट स्थायी संस्था हैं। "राजा मर गया, राजा अमर रहें" यह ब्रिटिश कहावत राजमुकुट के संस्थागत स्वरूप को दर्शाती है। एक राजा मरता हैं, तो दूसरा उसका स्थान ग्रहण कर लेता हैं। यानि राजा विशेष मर सकता है पर राजमुकुट नही। 3. सम्राट (राजा) एक व्यक्ति होता हैं, जो एक विशेष समय पर राजपद पर आसीन होता है। इसके विपरीत राजमुकुट एक संस्था है। वह शासन सत्ता का प्रतीक है जिसे विधायी, प्रशासनिक और न्यायिक दोनों ही प्रकार की शक्तियाँ प्राप्त हैं। 4. राजा शक्तिहीन हैं। लोकतंत्रीकरण के परिणामस्वरूप राजा के पास जो शक्तियाँ हैं वे नाममात्र की हैं। जबकि राजमुकुट सर्वशक्तिशाली है। यह शासन की समूची शक्तियों का वास्तविक प्रयोग करता हैं। </font></span></div><div><span style="background-color:white"><font size="4">5. राजा एक सजावट मात्र हैं। यह ब्रिटिश शासन की सजावट बढ़ाने वाला "ध्वजमात्र शासक" के समान हैं। जबकि राजमुकुट जन-इच्छा का प्रतीक है, जिसमें "पूरी सरकार" निहित है।</font></span></div><div><span style="background-color:white"><font size="4"><div>6. राजा राजकीय एकता का प्रतीक हैं। वह समस्त ब्रिटिश साम्राज्य को एकता के सूत्र मे संगठित करता हैं। जनता की भक्ति क्राउन के प्रति होती हैं।&nbsp;</div><div>7. राजा का सामाजिक जीवन में बहुत महत्व हैं। जबकि मुकुट (क्राउन) का सामाजिक जीवन में महत्व नहीं हैं।&nbsp;</div><div>8. राजा राजतंत्र का प्रतीक हैं। जबकि क्राउन सीमित राजतंत्र (लोकतंत्र द्वारा) का प्रतीक हैं।&nbsp;</div><div>9. राजा का अनौपचारिक सम्मान हैं। जबकि क्राउन का सम्मान औपचारिक हैं।</div><div><div dir="ltr" style="font-family:-apple-system,BlinkMacSystemFont,&quot;Segoe UI&quot;, Roboto,Helvetica,Arial,&quot;Open Sans&quot;,sans-serif;font-size:17px;height:auto;margin:0px;padding:0px" trbidi="on"><span style="font-size:large;margin:0px;padding:0px"><b><script async src="https://pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js"> <ins class="adsbygoogle" data-ad-client="ca-pub-4853160624542199" data-ad-format="auto" data-ad-slot="7124518223" data-full-width-responsive="true" style="display:block"></ins> <script> (adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({}); यह जानकारी आपके के लिए बहुत ही उपयोगी सिद्ध होगी विषयसूची राजकुमार एवं राजा में क्या अंतर है?इसे सुनेंरोकेंप्रारंभ मे राजा व राजमुकुट मे कोई भेद नही था। राजा ही राजमुकुट था और राजमुकुट ही राजा था, जिसे राजा अपने सिर पर धारण करता था और राजकीय शक्तियों का प्रयोग राजा स्वयं ही करता था। लेकिन अब परिस्थितियाँ बदल चुकी हैं। ब्रिटिश शासन-व्यवस्था का लोकतंत्रीकरण हो गया हैं। सुखी राजकुमार कहानी का सबसे मार्मिक स्थल कौन सा है और क्यों? इसे सुनेंरोकेंराजकुमार शहर के बीचोबीच ऊंचाई पर स्थापित होने के कारण अपने शहर में बसे लोगों के दुख देख सकता है। उनके दुख से वह दुखी था। इस क्रम में वह एक सबसे पहले वह गोरिया से एक आग्रह करते हैं कि एक मेहनती स्त्री है। उसका बच्चा बीमार है और आप मेरी एक तलवार में जो हीरे जड़े हैं उसको जाकर उस महिला को दे दो। गौरैया सुखी राजकुमार से क्या सीखती है?इसे सुनेंरोकेंराजकुमार की प्रतिमा कुरूपता की तरफ़ बढ़ती है, गौरैया का उसके प्रति प्रेम, निष्ठा और समर्पण बढ़ता जाता है; क्योंकि उसके रूप-सौंदर्य के कम होने के पीछे उसके हिंदी Page 13 टिप्पणी कर्म-सौंदर्य का विकसित होना है, जिसमें वह भी भागीदार है। क सुखी राजकुमार कहानी के किस प्रसंग ने आपके हृदय को छू लिया और क्यों पाठ 13 देखें? इसे सुनेंरोकेंAnswer: (क) उत्तर- “सुखी राजकुमार” कहानी में ऐसे कई प्रसंग है जिन्होंने हमारे ह्रदय को छुआ है लेकिन सबसे अधिक महत्वपूर्ण प्रसंग वह है जब राजकुमार की मूर्ति भटठी में पिघलने के लिए डाली जाती है। मूर्ति पिघल जाती है पर जस्ते से बना हृदय नहीं पिघलता। ईश्वर द्वारा राजकुमार और गौरैया को स्वर्ग में स्थान देने की बात से कहानीकार क्या संदेश देना चाहता है?इसे सुनेंरोकेंराजा ऐसा होना चाहिए जो हमेशा खुद से पहले अपने प्रजा के विषय में सोचे। तभी वह सही मायने में राजा कहलाता है। सुखी राजकुमार पाठ में राजा का चरित्र मुझे बहुत प्रभावित करता है क्योंकि राजा अपने प्रजा के लिए सब कुछ कुर्बान कर देता है। राजा ने न केवल अपने कर्तव्य का पालन किया बल्कि अपने राजत्व को भी साबित कर दिया। गरुड़ध्वज कौन सी विधा है? इसे सुनेंरोकेंAnswer. नाट्यकला की दृष्टि से पण्डित लक्ष्मीनारायण मिश्र की रचना ‘गरुड़ध्वज’ एक उत्कृष्ट कोटि की रचना है, जिसका तात्विक विवेचन निम्नलिखित है। ‘गरुड़ध्वज’ नाटक की कथावस्तु ऐतिहासिक है, जिसमें इंसा से एक शताब्दी पूर्व के प्राचीन भारत का सांस्कृतिक, सामाजिक एवं राजनीतिक परिवेश चित्रित किया गया है। आन का मान कौन सी विधा है?इसे सुनेंरोकेंनाटक का सार साहित्यकार हरिकृष्ण ‘प्रेमी द्वारा रचित नाटक ‘आन का मान’ मगलकालीन भारत के इतिहास पर आधारित है, जिसमें राजपूत सरदार। राजमुकुट की शक्तियां कौन कौन सी है? राजमुकुट/क्राउन क्या हैं? क्राउन की शक्तियाँ/कार्य
गरुड़ किसकी रचना है?इसे सुनेंरोकें’गरुड़ किसने देखा है’ श्रीकान्त वर्मा का छठा काव्य-संग्रह है, जो उनके निधन के लगभग वर्ष-भर बाद प्रकाशित हो रहा है। राजा और राजकुमार में क्या अंतर है?राजा को महाराज या महाराजा कहते है और राजा के पुत्र को राजकुमार कहते है।
राजा और राजमुकुट में प्रमुख अंतर क्या है?Answer: राजा वह व्यक्ति होता है जो एक विशेष समय पर ब्रिटिश राज्य के प्रमुख पद पर आसीन होता है। राजमुकुट राज्य शक्ति का वह प्रतीक हैजिसे सम्राट अपने सिर पर धारण करते हैं।.... राजा ही राजमुकुत था और राजमुकुट ही राजा था , जिसे राजा अपने सिर पर धारण करता था और राजकीय शक्तियों का प्रयोग राजा स्वयं ही करता था।
|