नमस्कार दोस्तों, आज के इस आर्टिकल में हम पोषण(Nutrition) के बारे में जानकारी प्राप्त करने वालें है। जिसमें हम पोषण क्या है(poshan kya hai), पोषण किसे कहतें है(poshan kise kahate hain), पोषण की परिभाषा क्या है(poshan ki paribhasha), पोषक तत्व क्या है(poshak tatva kya hai), पोषक तत्व किसे कहते हैं(poshak tatva kise kahate hain), पोषक तत्व की परिभाषा(poshak tatva ki paribhasha), पोषक तत्व के प्रकार(poshak tatva ke prakar), पोषक तत्व के कार्य(poshak tatva ke karya), पोषण के कितने प्रकार है(poshan ke prakar), पोषण और पोषक तत्वों का वर्गीकरण(poshak tatvon ka vargikaran) आदि बातों के बारे में हम विस्तार से चर्चा करने वालें है। तो चलिए बढ़तें है आज के आर्टिकल की ओर…Nutrition in Hindi Show
पोषण क्या है – Poshan kya haiWhat is Nutrition in HindiNutrition in Hindi : वह अध्ययन जिससे हमें यह ज्ञात होता है कि हमारे भोजन में कौन-कौनसे पोषक तत्त्व है, हमारे शरीर को कौन-कौनसे तत्त्व मिल रहें है, हम जो भोजन ग्रहण कर रहें है उससे हमारा शरीर स्वस्थ है या नहीं और हमारे शरीर में वृद्धि हो रहीं है या नहीं, हमारे भोजन में विभिन्न प्रकार के पोषक तत्व जैसे कार्बोहाइड्रेट, वसा, प्रोटीन, खनिज, लवण और जल है या नहीं आदि का पता चलता है। उसे हम पोषण(Nutrition) कहतें है। पोषण ही वह है जिससे हमारे शरीर को ऊर्जा मिलती है। यह हमारे शरीर में महत्त्वपूर्ण पोषक तत्वों को ले जाने वाला कारक है। आसान भाषा में कहें तो “विभिन्न पोषक तत्वों को अपने भोजन के द्वारा ग्रहण करना ही पोषण(Poshan) कहलाता है।” इसे हम संतुलित आहार भी कहतें है। पोषण किसे कहते हैं – Poshan kise kahate hainPoshan kise kahate hainPoshan ki Paribhasha : दोस्तों पोषण एक प्रक्रिया है जिसमें जीवों के द्वारा अपना भोजन ग्रहण किया जाता है तथा दैनिक जीवन में उस भोजन द्वारा प्राप्त की गई ऊर्जा का उपयोग किया जाता है। आसान भाषा में कहें तो “वह प्रक्रिया जिससे जीव-जंतु भोजन प्राप्त करतें है जिसमें विभिन्न प्रकार के पोषक तत्व मौजूद हो तथा इस भोजन का उपयोग अपने दैनिक जीवन में करतें है, उसे ही पोषण(Nutrition in Hindi) कहतें है। पोषण ही किसी जीव की वृद्धि और विकास का मुख्य कारक है। जैसा कि हमने पढ़ा कि पोषण के लिए हमें विभिन्न प्रकार के पोषक तत्वों की जरूर होती है तो चलिए ये भी जानें कि पोषक तत्व क्या है(Nutrients in Hindi) और पोषक तत्व किसे कहतें है, हमारे शरीर के लिए कौन-कौनसे पोषक तत्व(Nutrients) आवश्यक है और उनके कार्य(Work) को समझतें है। पोषक तत्व क्या है – Poshak tatva kya haiNutrients in Hindi : दोस्तों हम भोजन करतें है तो उसका उद्देश्य यह होता है कि यह हमारे शरीर की वृद्धि और विकास मे सहायता करें। जब हम किसी भी प्रकार का भोजन ग्रहण करतें है तो उससे हमें पोषण प्राप्त होता है, जो पोषक तत्वों का ही समिश्रण होता है। संतुलित भोजन में यह पोषक तत्व रासायनिक पदार्थों के रूप में रहतें है। जिनकी लगभग संख्या 50 तक होती है, जिन्हें हम पोषक तत्व(Nutrients) कहतें है। आसान भाषा में कहें तो “संतुलित भोजन में पाए जाने वाले आवश्यक रसायनिक पदार्थ जो हमारे शरीर की वृद्धि में सहायक होतें है, वे ही पोषक तत्व है।” पोषक तत्व किसे कहते हैं – Poshak tatva kise kahate hainPoshak Tatva Ki Paribhasha : एक संतुलित आहार में उपब्लध विभिन्न प्रकार के रासायनिक पदार्थ जैसे कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, वसा, खनिज, लवण, जल, विटामिन और रेशे आदि सभी भोजन के अंग है, जिन्हें पोषक तत्व(poshak tatva) कहा जाता है। इन्हीं पोषक तत्वों से हमारे शरीर को ऊर्जा मिलती है और शरीर के अन्दर होने वाली सभी उपापचयी क्रियाएँ हो पाती है। परिभाषिक रूप में कहें तो “भोजन मे उपलब्ध वे तत्व जो हमारे शरीर की वृद्धि और विकास में सहायता करतें है, उन्हें पोषक तत्व कहतें है।” पोषक तत्त्वों के प्रकार – Poshak tatva ke prakar
पोषक तत्व व उनके कार्य – Poshak tatva ke karyaकार्बोहाइड्रेट क्या है ?दोस्तों कार्बोहाइड्रेट(Carbohydrate) को हम शर्करा भी कहतें है। ये स्वाद में मीठे होतें है। कार्बोहाइड्रेट से हमें तुरन्त ऊर्जा मिलती है और ये हमारे शरीर के लिए जरूरी भी है।
उपरोक्त में कार्बोहाइड्रेटस के ही भाग है जो कार्बोहाइड्रेटस के अन्तर्गत ही आतें है।
कार्बोहाइड्रेट के गुण
कार्बोहाइड्रेट के प्रकारदोस्तों कार्बोहाइड्रेट को उनके अणुओं की संख्या तथा अणु संगठन के आधार पर निम्न तीन भागों में बाँटा गया है:
मोनोसैकेराइड किसे कहते हैं ?“वे कार्बोहाइड्रेट जिन्हें मानव के द्वारा आसानी से पचाया जा सकता है, उन्हें मोनोसैकेराइड(Monosaccharide) कहा जाता है।” चूँकि मोनोसैकेराइड कार्बोहाइड्रेट एक ही अणु से मिलकर बने होते है इसलिए इन्हें पचाना आसान होता है। ग्लूकोज एक मोनोसैकेराइड कार्बोहाइड्रेट/शर्करा होता है। डाईसेकेराइड किसे कहते हैं ?“वे कार्बोहाइड्रेट जो कार्बोहाइड्रेट के दो अणु या दो अणुओं के जोड़े से मिलकर बनें होते है उन्हें डाईसेकेराइड(Disaccharide) कहा जाता है।” चूँकि डाईसेकेराइड कार्बोहाइड्रेट दो अणुओं के जोड़े से मिलकर बना होता है इसलिए मोनोसेकराइड की तुलना में इसे पचाना आसान नहीं होता है। फ्रूक्टोज और सुक्रोज डाईसेकेराइड की श्रेणी में आतें है। पॉलीसेकेराइड किसे कहते हैं ?“वे कार्बोहाइड्रेट जो कार्बोहाइड्रेट के दो अणुओं से अधिक जोड़ों से मिलकर बनें होते है उन्हें पॉलीसेकेराइड(Polysaccharide) कहा जाता है।” चूँकि हमारा शरीर केवल मोनोसैकेराइड को आसानी से और डाईसेकेराइड को थोड़ा जटिलता से पचा पाता है। इसलिए पॉलीसेकेराइड को पचा पाना हमारे शरीर के लिए संभव नहीं है। स्टार्च/मण्ड, सेल्युलोज और काइटीन पॉलीसेकेराइड की श्रेणी में आतें है। कार्बोहाइड्रेट की सबसे जटिल संरचना पॉलीसेकेराइड है जिसे पचाना बहुत जटिल है। कार्बोहाइड्रेट का पाचन कैसे होता है ?दोस्तों जैसा कि हमने पूर्व में पढ़ा कार्बोहाइड्रेट की सबसे जटिल संरचना पॉलीसेकेराइड है। जिसे पचा पाना आसान नहीं है। इसके बाद डाईसेकेराइड है जिसे पचा पाना थोड़ा जटिल है और उसके बाद अंत में आता है मोनोसैकेराइड से पचा पाना आसान है। अगर हम पोली सेकेराइड की कोई खाद्य सामग्री खा भी लेतें है तो वह हमारे शरीर में जाने के बाद में पोली सेकेराइड से डाई सेकेराइड में बदलती है और फिर डाई सेकेराइड से मोनो सेकेराइड में बदलती है। इसके बाद मोनो सेकेराइड से हमें ग्लूकोज प्राप्त होता है। इस प्रकार अंत में हमारे शरीर को मोनो सेकेराइड की ही आवश्यकता होती है जिसे हमारा शरीर आसानी से पचा पाता है। अस्पताल में मरीज को ग्लूकोज क्यों दिया जाता है ?दोस्तों जब कोई ऐसा रोगी अस्पताल में लाया जाता है जिसकी शरीरिक स्थिति बहुत कमजोर हो तो उसे ग्लूकोज दिया जाता है। जो कार्बोहाइड्रेट जिससे हमें ऊर्जा प्राप्त होती है, का सरलतम रूप होता है। जिससे रोगी को तुरन्त ऊर्जा मिल जाती है और रोगी के जल्द ठीक होने के आसार बढ़ जातें है। इसके बजाय अगर रोगी को डाई सेकेराइड कार्बोहाइड्रेट अर्थात् फल आदि खिला दिए जाए तो वह उसे पचा नहीं पाएगा। क्योंकि रोगी में इतनी ऊर्जा ही नहीं है जो कि डाई सेकेराइड को पचा सकें। इसलिए रोगी में तुरन्त ऊर्जा का वहन करने के लिए ग्लूकोज दिया जाता है। वसा क्या है ?दोस्तों जब हम कार्बोहाइड्रेट से ऊर्जा प्राप्त करके उसे व्यय नहीं करतें है तो उसे हमारे शरीर में वसा(Fat) अर्थात् चर्बी उत्पन्न हो जाती है। क्योंकि जब हम ऊर्जा का व्यय नहीं करतें है तो कार्बोहाइड्रेट परत दर परत हमारे शरीर में जमा होता जाता है जिसे वसा या चर्बी कहतें है।
प्रोटीन क्या है ?
प्रोटीन के गुण
नोट:
पोषण में ऊर्जा प्रदान करने वाले पदार्थFat > Protien > Carbohydrate श्वसनीय पदार्थों में ऊर्जा ?“वे पदार्थ जो आसानी से ऊर्जा देतें है, उन्हें श्वसनीय पदार्थ कहतें है।” Carbohydrate > Fat > Protien
विटामिन क्या है ?
विटामिन के प्रकारघुलनशीलता के आधार पर विटामिन के दो प्रकार है जो निम्न प्रकार है:
वसा में घुलनशील“वे विटामिन जो वसीय पदार्थों जैसे तेल, मक्खन, घी आदि में घुल जाते है, उन्हें वसा में घुलनशील या वसीय विटामिन(Fat soluble vitamin) कहतें है।” विटामिन A, विटामिन D, विटामिन E और विटामिन K वसा में घुलनशील विटामिन के उदाहरण है। जल में घुलनशील“वे विटामिन जो जलीय या जल में आसानी से घुल जाते है, उन्हें जल में घुलनशील या जलीय विटामिन(Water soluble vitamin) कहतें है।” विटामिन B और विटामिन C जल में घुलनशील विटामिन है। जल क्या है ?
खनिज व लवण क्या है ?
रेशे क्या है ?
तो दोस्तों अब तक हमने पोषक तत्वों के बारे में अच्छे से जानकारी प्राप्त कर ली है। अब हम पोषण के प्रकार के बारे में अच्छे से समझनें वालें है। तो चलिए बढ़तें है पोषण के कितने प्रकार होतें है(Poshan Kitne Parkar Ka Hota Hain), की ओर… पोषण के प्रकार – Poshan Ke Prakarदोस्तों पोषण को दो श्रेणियों में वर्गीकृत किया गया है जिसमें जन्तु और पेड़-पौधों को रखा गया है इस आधार पर पोषण दो प्रकार का होता है:
दोस्तों सर्वप्रथम हम जंतुओं में पोषण का समझने वालें है कि जंतुओं में पोषण कितने प्रकार का होता है। जंतुओं में पोषणदोस्तों जंतु अधिकतर अपने आस-पास के वातावरण और पर्यावरण के अनुरूप ही अपने भोजन का चुनाव करतें है। जिनमें कुछ जंतु अपना भोजन खुद बनाते है तो कुछ जन्तु अपने भोजन के लिए दूसरों पर आश्रित रहतें है। इस प्रकार जंतुओं में पोषण निम्न दो प्रकार का होता है:
स्वपोषी पोषण/स्वपोषण किसे कहतें हैं ?“ऐसे जीव जो अकार्बनिक यौगिकों, कार्बन डाइऑक्साइड, जल और प्रकाश के माध्यम से स्वयं अपना भोजन बनातें है। उन्हें स्वपोषी(Autotrophic Nutrition) कहतें है।” तथा यह क्रिया स्वपोषण कहलाती है। साधारण भाषा में कहें तो “वे जीव जो अपना भोजन स्वयं बनाते है उन्हें स्वपोषी कहते है, तथा इनकी यह क्रिया स्वपोषी पोषण कहलाती है। जैसे : पादप व कुछ जीवाणु। हरे पेड़-पौधें स्वपोषण क्रिया द्वारा अपना भोजन स्वयं बनातें है। “पेड़-पौधों के द्वारा अपना भोजन बनाने की क्रिया प्रकाश संश्लेषण(Photosynthesis) कहलाती है।” चूँकि ये क्लोरोफिल और प्रकाश की उपस्थिति में जल तथा कार्बन डाइऑक्साइड से भोजन बनातें है। और भोजन में कार्बोहाइड्रेट का निर्माण करतें है। इस पूरी प्रक्रिया में ऑक्सीजन मुक्त होती रहती है। स्वपोषी पोषण के प्रकारदोस्तों स्वपोषण अर्थात् स्वपोषी पोषण को पुनः दो भागोें में विभाजित किया गया है जो निम्न प्रकार है:
प्रकाशसंश्लेषी पोषण किसे कहतें हैं ?प्रकाशसंश्लेषी पोषण के अन्तर्गत हरे पौधे, अधिकतर शैवाल और कुछ जीवाणु आते हैं। “जो सूर्य के प्रकाश व क्लोरोफिल की उपस्थिति में सरल अकार्बनिक पदार्थों, कार्बन डाइऑक्साइड व जल से अपना भोजन कार्बोहाइड्रेट के रूप में स्वयं बनातें है। ऐसे सभी जीव प्रकाशसंश्लेषी स्वपोषी(Photosynthetic Nutrition) कहलातें है।” इस प्रकाश संश्लेषण की क्रिया में सूर्य के प्रकाश की सौर ऊर्जा, स्थितिज ऊर्जा में बदलकर भोज्य पदार्थों में संचित हो जाती है। और प्रकाश संश्लेषण के द्वारा भोजन पौधों के सभी भागों में पहुँच जाता है। नोट: यूग्लीना एक स्वपोषी जीव है जो संघ प्रोटोजोआ का जीव है। इसमें पर्णहरिम पाया जाता है जिसके कारण यह सूर्य के प्रकाश में अपना भोजन स्वयं ही बना लेता है। इसलिए इसे पौधों और जंतुओं के बीच की कड़ी माना जाता है। रसायनसंश्लेषी पोषण किसे कहतें हैं ?“रसायनसंश्लेषी पोषण में कुछ जीवाणु सरल कार्बनिक यौगिकों में ऑक्सीकरण से उत्पन्न ऊर्जा का उपयोग करके अकार्बनिक पदार्थों से अपना कार्बनिक भोजन बनातें है। ऐसे जीव रसायनसंश्लेषी स्वपोषी(Chemosynthetic Nutrition) कहलातें है।” कुछ रसायनसंश्लेषी जीवाणुओं में क्लोरोफिल नहीं पाया जाता है। इसलिए ये रसायनिक ऊर्जा का उपयोग करके हाइड्राॅजन सल्फाइड और कार्बन डाइऑक्साइड से कार्बोहाइड्रेट बनातें है। जैसे: सल्फर जीवाणु, लौह जीवाणु, हाइड्रोजन जीवाणु, नाइट्रो मोनासा आदि। परपोषी पोषण या विषमपोषी किसे कहतें हैं ?“ऐसे जीव जो अपना भोजन स्वयं नहीं बना सकते और अपने भोजन के लिए अन्य जीवों पर निर्भर रहते है। उन्हें परपोषी या विषमपोषी(Heterotrophic) जीव कहतें है।” यह क्रिया परपोषी पोषण या विषमपोषण(Heterotrophic Nutrition) कहलाती है। साधारण भाषा में कहें तो “वे जीव जो अपना भोजन दूसरों से प्राप्त करते है, स्वयं भोजन नहीं बनाते, परपोषी या विषमपोषी कहलाते है और पोषण की यह क्रिया परपोषी पोषण या विषमपोषी पोषण कहलाती है।” इस प्रकार के जीव प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से दूसरे जीवों पर ही निर्भर करतें है। जैसे: सभी जंतु और कवक आदि। परपोषी या विषमपोषी पोषण के प्रकारदोस्तों परपोषी या विषमपोषी पोषण को भी पुनः पाँच भागों में विभाजित किया गया है जो निम्न प्रकार है:
परजीवी किसे कहते हैं ?“वे जीव जो दूसरे जन्तुओं से अपना भोजन जीवित अवस्था में ही प्राप्त करतें हैं। परजीवी जीव(Parasites) कहलातें है।” आसान भाषा में कहें तो “ऐसे जीव जो किसी अन्य जीवित जीव के शरीर के अन्दर या बाहर रहकर अपना भोजन प्राप्त करतें है उन्हें परजीवी कहतें है।” इस प्रकार के पोषण को परजीवी पोषण कहतें है। जैसे: अमरबेल, फीताकृमि, फैशियोला, टीनिया, ऐस्केरिस, रेफ्लेशिया, विस्कम आदि। परजीवी के प्रकारदोस्तों परजीवी के भी दो प्रकार है जो निम्न है:
दोस्तों जैसा कि नाम से ही पता लगाया जा सकता है, ये वे जीव होते है जो किसी दूसरे जीवित जीव के शरीर से बाहर रहकर भोजन प्राप्त करतें है। अर्थात् “वे जीव जो किसी अन्य जीवित जीव के शरीर के बाहर रहकर पोषण प्राप्त करतें है, उन्हें बाह्य परजीवी(Ectoparasites) कहतें है।” जैसे: मच्छर, खटमल, जोंक, जूं आदि। अन्तः परजीवी किसे कहते हैं ?दोस्तों यह जीव किसी दूसरे जीवित शरीर के अन्दर रहकर उनसे भोजन प्राप्त करतें है और उन्हीं से पोषण प्राप्त करतें है। अर्थात् “वे जीव जो किसी अन्य जीवित जीव के शरीर के भीतर रहकर पोषण प्राप्त करतें है, उन्हें अन्तः परजीवी(Endoparasites) कहतें है।” जैसे: फीताकृमि, ऐस्कारिस, लीवरफ्लूक, फाइलेरिया परजीवी आदि। मृतोपजीवी किसे कहते हैं ?ये वे जीव होतें है जो सड़ी-गली वस्तुओं या अपशिष्ट से अपना भोजन प्राप्त करतें है। अर्थात् “ऐसे जीव जो सड़े-गले कार्बनिक पदार्थों या मृत जंतुओं से अपना भोजन प्राप्त करके उनसे पोषण प्राप्त करतें हैं, उन्हें मृतोपजीवी(Saprozoic) जीव कहतें है।” इस प्रकार के पोषण को मृतोपजीवी पोषण कहतें है। जैसे: विभिन्न प्रकार के जीवाणु, कवक, ऐगेरिकस, मोनोट्रोपा आदि मृतोपजीवी के उदाहरण है। इसी के साथ ऐसे अधिकतर जीव पर्यावरण हितैषी भी होतें है। जो सड़ी-गली पदार्थ सामग्री को भोजन के रूप में ग्रहण करके नष्ट कर देते है और पर्यावरण की स्वच्छता को बनाए रखतें है। शाकाहारी किसे कहते हैं ?दोस्तों “कुछ जीव ऐसे होतें है जो केवल पेड़-पौधों से प्राप्त होने वाले खाद्य पदार्थों का ही सेवन करतें है, उन्हें शाकाहारी(Herbivores) कहतें है।” अर्थात् “ऐसे जीव जो वनस्पति जैसे – फल, फूल, पत्ती आदि का सेवन करते हैं, शाकाहारी जंतु कहलातें है।” गाय, घोड़ा, हिरण आदि शाकाहारी जंतुओं के उदाहरण है। मांसाहारी किसे कहते हैं ?दोस्तों “कुछ जंतु ऐसे भी होतें है जो दूसरे कमजोर जीवों को मारकर खाते हैं, उन्हें हम मांसाहारी(Carnivores) कहतें है।” अर्थात् “ऐसे जीव जो अन्य जन्तुओं या जीवित जीवों का भक्षण करते हैं या उन्हें मारकर खा जाते हैं। उन्हें मांसाहारी जीव कहतें है।” जैसे: शेर, बाघ, सर्प, भेड़िया आदि। सर्वाहारी किसे कहते हैं ?दोस्तों “कुछ जीव ऐसे भी होतें है जो पेड़-पौधों से भी अपना भोजन प्राप्त करते हैं और दूसरे जीवों से भी भोजन प्राप्त करतें है। इस प्रकार ये पेड़-पौधों और जन्तुओं दोनों पर आश्रित रहतें है। जिन्हें हम सर्वाहारी(Omnivores) कहतें है।” अर्थात् ये सब कुछ खा लेतें है। आसान भाषा में कहें तो “वे जीव जो जन्तुओं एवं पौधों दोनों को अपने भोजन के रूप में ग्रहण कर लेतें है उन्हें सर्वाहारी कहा जाता है।” जैसे: मानव आदि। तो दोस्तों आज के आर्टिकल में हमने पोषण(Nutrition in Hindi) और पोषक तत्वों(Nutrient in Hindi) के बारे में अच्छे से जानकारी प्राप्त की। मुझे आशा कि आपको यह जानकारी जरूर अच्छी लगी होगी। अगर आपको हमारे द्वारा दी गई जानकारी अच्छी लगी तो इसे अपने दोस्तों के साथ शेयर जरूर करें तथा इसी प्रकार की बेहतरीन जानकारी के लिए हमारे साथ बने रहें। धन्यवाद! Bio Related ArticlesEuglena in Hindi Balanoglossus in Hindi वायरस क्या है : संरचना, प्रकार, लक्षण, रोग और उपयोग आधुनिक जीव विज्ञान – Modern Biology in Hindi पाचन तंत्र के रोग – Diseases of Digestive System in Hindi कुपोषण – Malnutrition in Hindi संक्रामक रोग – Infectious Diseases in Hindi ब्रायोफाइटा : वर्ग, लक्षण, गुण, आर्थिक लाभ जैव विकास के सिद्धान्त – Theories of evolution in Hindi उत्परिवर्तन – Mutation in Hindi विटामिन – Vitamin in Hindi पौष्टिक तत्व से आप क्या समझते हैं?एक पोषक तत्व या पोषकतत्व वह रसायन होता है, जिसकी आवश्यकता किसी जीव के पोषक तत्व वह पदार्थ हैं जो शरीर को समृद्ध करते हैं। यह ऊतकों का निर्माण और उनकी मरम्मत करते हैं, यह शरीर को उष्मा और ऊर्जा प्रदान करते हैं और यही ऊर्जा शरीर की सभी क्रियाओं को चलाने के लिए आवश्यक होती है।
पोषण से आप क्या समझते हैं?इस प्रकार पोषण की परिभाषा करते हुए हम कह सकते हैं कि पोषण वह विज्ञान है जो आहार द्वारा मानव शरीर के लिए आवश्यक पोषण तत्त्वों की मात्रा को पूर्ण करता है। जिससे व्यक्ति का शारीरिक, मानसिक, सामाजिक, सांवेगिक एवं नैतिक विकास समुचित ढंग से होता है ।
पोषक तत्व किसे कहते हैं कितने प्रकार के होते हैं?पोषक तत्वों को पौधों की आवश्यकतानुसार निम्न प्रकार वगीकृत किया गया है। मुख्य पोषक तत्व- नाइट्रोजन, फास्फोरस एवं पोटाश। गौण पोषक तत्व- कैल्सियम, मैग्नीशियम एवं गन्धक। सूक्ष्म पोषक तत्व- लोहा, जिंक, कॉपर, मैग्नीज, है।
पोषक तत्वों से आप क्या समझते हैं पौधों में पोषक तत्वों के विभिन्न तरीकों की व्याख्या करें?पौधों में आवश्यक पोषक तत्व. पौधों के सामान्य विकास एवं वृद्धि हेतु कुल 16 पोषक तत्वोंकी आवश्यकता होती है। ... . कार्बन, हाइड्रोजन व आक्सीजन को पौधे हवा एवं जल से प्राप्त करते हैं।. नाइट्रोजन, फस्फोरस एवं पोटैशियम को पौधे मिट्टी से प्राप्त करते है। ... . कैल्शियम, मैग्नीशियम एवं गन्धक को पौधे कम मात्रा में ग्रहण करते है।. |