औद्योगिक क्रांति के परिणाम आर्थिक, सामाजिक, राजनैतिक आदि क्षेत्रों में देखने को मिलते हैं। औद्योगिक क्रांति के परिणाम स्वरूप घरेलू उद्योग – धंधों का विनाश हो गया। जो कारीगर लोग अपने घर पर, अपने परिवार के सदस्यों के साथ, अपने थोङे से औजारों और सीमित पूँजी से काम करते थे। जिस वस्तु से रुचि होती थी, उसी को को बनाते थे, और उसी
से निर्वाह कर लेते थे। अब मशीनों से जो उत्पादन होता था, वह हाथ के उत्पादन से काफी सस्ता और सुन्दर होता था। अतः घरेलू उत्पादन की वस्तुओं के ग्राहक कम हो गये और कुटीर-उद्योग में काम करने वाले कारीगर बेकार हो गये। बङे-बङे कारखानों में फैक्ट्री पद्धति अपनाई गयी। औद्योगिक क्रांति का सूत्रपात इंग्लैण्ड से क्यों हुआ? औद्योगिक क्रांति के परिणाम : आर्थिक परिणाम
औद्योगिक क्रांति के परिणाम : सामाजिक परिणाम
औद्योगिक क्रांति के परिणाम : राजनैतिक परिणाम
औद्योगिक क्रांति के परिणाम स्वरूप समाजवाद का सहयोगमजदूरों की स्थिति को सुधारने के लिये जो आंदोलन किया गया, वह आगे चलकर समाजवाद के नाम से प्रसिद्ध हुआ। समाजवाद का अर्थ है – समाज में समानता की स्थापना करना। समानता का अर्थ है – आर्थिक और राजनीतिक समानता।अवसरों की समानता उपलब्ध कराना। समान कार्य के लिये समान वेतन उपलब्ध कराना। इस दिशा में सर्वप्रथम एक अंग्रेज उद्योगपति राबर्ट ओवन ने कदम बढाया। उसने अपनी न्यू लेनार्क (स्कॉटलैण्ड) की गंदी बस्ती को एक आदर्श बस्ती में बदल दिया। न्यू लेनार्क में उसने अपने उद्योगों में मालिकाना अधिकार और मुनाफा मजदूरों और प्रबंधकों के बीच बाँट दिया। औवन का प्रयोग काफी सफल रहा, परंतु अन्य लोगों ने उसे यूटोपियन (काल्पनिक) समाजवादी कहकर उसकी योजना को अंगीकार नहीं किया। फ्रांस में चार्ल्स कूरयाँ और क्लूडे हेनरी सॉसीमोन ने यह विचार प्रतिपादित किया कि सरकार संपत्ति का प्रबंध संभाले और सभी लोगों के बीच उसे बाँट दे। 1848 की क्रांति के समय लुई ब्लांक ने प्रस्ताव रखा, कि पेरिस शहर के बेरोजगारों के लिये सरकार को कारखाने खोलने चाहिये। समाजवादी विचारधारा को अमर रूप प्रदान करने का श्रेय दो प्रमुख जर्मन सोशलिस्टों – कार्ल मार्क्स (1818-1883) और फ्रेडरिक ऐंगल्स को दिया जाता है। 1848 ई. में इन दोनों ने मिलकर कम्युनिस्ट घोषणा पत्र प्रकाशित करवाया। इसमें मजदूरों की निर्धन स्थिति को सुधारने संबंधी विचारों का प्रतिपादन किया गया था। 1867 ई. में मार्क्स और ऐंगल्स ने दास कैपीटल नामक पुस्तक की पहली तीन जिल्दें प्रकासित की। इन पुस्तकों में उन्होंने बहुत विस्तार के साथ अपने सिद्धांतों को स्पष्ट किया था, जो मार्क्सवादी समाजवाद या साम्यवाद के रूप में पुकारे गए। कार्ल मार्क्स के प्रयत्नों से ही श्रमिकों में समाजवाद की भावना का प्रचार एवं प्रसार हुआ। वैज्ञानिक होने के नाते मार्क्स की विचारधारा व्यक्तिवाद एवं अन्य वादों से सर्वथा अलग है। यदि पूँजी और श्रम में निहित तथ्यों का गंभीर अध्ययन और विश्लेषण ही विज्ञान है, तो मार्क्स के समाजवाद को वैज्ञानिक कहा जा सकता है। मार्क्स के मतानुसार किसान एवं मजदूर के हाथ में शक्ति आनी चाहिये। जब राज्य शक्ति जनता के हाथ में रहेगी और भूमि एवं पूँजी पर व्यक्तियों का स्वामित्व न रहेगा और सब लोग काम करने लगेंगे तो स्वयं एक वर्ग विहीन समाज का निर्माण हो जाएगा, जिसमें कोई किसी का शोषण नहीं कर सकेगा। कार्ल मार्क्स ने 1864 ई. में पूँजीवाद के विरुद्ध सभी देशों के मजदूरों को अंतर्राष्ट्रीय श्रमिक संघ में बाँधने का प्रयास किया। यह संगठन प्रथम इंटरनेशनल के नाम से प्रसिद्ध हुआ। विभिन्न कारणों से 1876 ई. में प्रथम इंटरनेशन भंग हो गया। कुछ वर्षों बाद द्वितीय इंटरनेशनल की स्थापना की गयी। और पूंजीवादी सरकारों को पलटने के लिये प्रयास किये जाते रहे। यूरोप के अधिकांश देशों में मार्क्सवादी विचारों का प्रचार करने के लिये राजनीतिक दल भी संगठित किये गये। 1906 ई. तक जर्मनी, बेल्जियम, आस्ट्रिया, फ्रांस, रूस, इंग्लैण्ड और संयुक्त राज्य अमेरिका में समाजवादी पार्टियाँ बन चुकी थी। और कुछ देशों में तो प्रमुखता की ओर अग्रसर होने लगी थी। 1917 ई. में रूस की राज्य क्रांति और साम्यवादी शासन की स्थापना से समाजवाद को बहुत बल प्राप्त हुआ। प्रश्न : औद्योगिक क्रांति शब्द का प्रयोग सर्वप्रथण किस विद्वान ने किया उत्तर क) अर्नाल्ड टायनबी। प्रश्न : यूरोप में औद्योगिक क्रांति का सूत्रपात किस देश से हुआ उत्तर ग) इंग्लैण्ड। प्रश्न : औद्योगिक क्रांति का सूत्रपात किस क्षेत्र से शुरू हुआ उत्तर ग) वस्त्र उद्योग। प्रश्न : भाप के इंजन का आविष्कारक कौन था उत्तर ख) जार्ज स्टीफेन्सन। प्रश्न : वैल्थ ऑफ नेशन्स नामक पुस्तक का लेखक था उत्तर घ) एडम स्मिथ। 1. पुस्तक- आधुनिक विश्व का इतिहास (1500-1945ई.), लेखक - कालूराम शर्मा Online References औधोगिक क्रांति के परिणाम क्या थे?धन सम्पदा में भारी वृद्धि हुई। अंतर्राष्ट्रीय व्यापार भी बढ़ा। औपनिवेशिक साम्राज्यवाद का विस्तार भी औद्योगिक क्रांति का परिणाम था एवं नए वर्गों का उदय हुआ। इस क्रांति से किसी वर्ग को पूंजी जमा करने और शोषण करने का मौका मिला तो शोषित वर्ग को उस शोषण चक्र से मुक्ति के लिए तरह-तरह के प्रयत्न करने पड़े।
औद्योगिक क्रांति के परिणाम स्वरूप किसका विकास हुआ?यह बसाहट धीरे धीरे नगरों में बदल गई! इसी प्रकार मेनचेस्टर, लंकाशायर, लीवरपूल तथा ग्लासगो को आदि नगरों का जन्म और विकास औद्योगिक की क्रांति के परिणाम स्वरुप ही हुआ है!
औद्योगिक क्रांति कब और कहाँ हुई तथा इसके क्या परिणाम थे?औद्योगिक क्रांति का अर्थ:
अवधि ब्रिटेन में लगभग 1740 से 1850 के बीच और 1815 से यूरोप में उन्नीसवीं शताब्दी के अंत तक है। इसके अलावा, "क्रांति" शब्द बलों, प्रक्रियाओं और खोजों की एक जटिल श्रृंखला का वर्णन करने के लिए भ्रामक है, जिसने बहुत धीरे-धीरे लेकिन धीरे-धीरे काम किया और एक नया आर्थिक संगठन बनाया।
औद्योगिक क्रान्ति के प्रमुख कारण क्या थे?औद्योगिक क्रांति के कारण
तेजी से बढ़ती जनसंख्या के कारण विश्व भर में वस्तुओं की मांग में वृद्धि होने लगी जिसके कारण विश्व भर में औद्योगिक क्रांति को प्रोत्साहन मिला। औद्योगिक क्रांति के कारण देश-विदेशों में नए-नए उद्योगों के कारखानों का विकास हुआ जिससे समय पर वस्तुओं की मांग की पूर्ति की जा सकी।
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