नवाब साहब ने खीरे के बारे में क्या बताया? - navaab saahab ne kheere ke baare mein kya bataaya?

Solution :  नवाब साहब अपनी नवाबी का दिखावा कर रहे थे। नवाब साहब की नवाबी पर व्यंग्य किया गया है उन्होंने खीरे को पहले धोया, सुखाया, छीला और फिर फाँकों में काटकर सूंघकर खिड़की से बाहर फेंक दिया इससे उनके दिखावटी पूर्ण जीवन का पता चलता है कि वे खीरे को अपदार्थ और तुच्छ समझते हैं। इस प्रकार नवाबों का वास्तविकता से बेखबर होना दर्शाया गया है।

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विषयसूची

  • 1 नवाब साहब ने खीरे की फाँकों को खिड़की से बाहर क्यों फेंक दिया?
  • 2 नबाब साहब का कौन सा अनुमान गलत सिद्ध हुआ?
  • 3 नवाब साहब ने खिड़की के बाहर देख क र दीर्घ निःश्वास क्यों लिया?
  • 4 लेखक ने नवाब साहब को खीरा खाने के लिए पूछने पर क्या उत्तर दिया?
  • 5 नवाब साहब ने खीरे के गुण अवगुण के बारे में कौन सी बात नहीँ कही?

नवाब साहब ने खीरे की फाँकों को खिड़की से बाहर क्यों फेंक दिया?

इसे सुनेंरोकेंउत्तर: नवाब साहब द्वारा दिए गए खीरा खाने के प्रस्ताव को लेखक ने अस्वीकृत कर दिया। खीरे को खाने की इच्छा तथा सामने वाले यात्री के सामने अपनी झूठी साख बनाए रखने के कश्मकश में नवाब ने खीरे को काटकर खाने की सोची तथा फिर अन्तत: जीत नवाब के दिखावे की हुई। अत: इसी इरादे से उसने खीरे को फेंक दिया।

नबाब साहब का कौन सा अनुमान गलत सिद्ध हुआ?

इसे सुनेंरोकेंनवाब साहब की असुविधा और संकोच के कारण का अनुमान करने लगे। संभव है, नवाब साहब ने बिल्कुल अकेले यात्रा कर सकने के अनुमान में किफ़ायत के विचार से सेकंड क्लास को टिकट खरीद लिया हो और अब गवारा न हो कि शहर का कोई सफेदपोश उन्हें मँझले दर्जे में सफर करता देखे। ….

लेखक िे ििाब सािब से खीरा ि खािे का कारण क्या बताया?

इसे सुनेंरोकें✔ (ग) इच्छा नही है। ✎… ‘लखनवी अंदाज’ पाठ में लेखक ने नवाब साहब से खीरा ना खाने का यह कारण बताया कि उसे इच्छा नहीं है। जब नवाब साहब ने लेखक से कहा कि ‘वल्लाह शौक कीजिए, लखनऊ का बालम खीरा है। ‘ तब लेखक ने अपने आत्मसम्मान को बचाने के लिए नवाब साहब को उत्तर दिया, ‘शुक्रिया!

नवाब साहब ने खीरे की फाँकों को कैसे देखा?

इसे सुनेंरोकेंनवाब साहब ने सतृष्ण आँखों से नमक-मिर्च के संयोग से चमकती खीरे की फांकों की ओर देखा । खिड़की के बाहर देखकर दीर्घ निश्वास लिया । खीरे की एक फाँक उठाकर होंठों तक ले गए । फाँक को सूंघा ।

नवाब साहब ने खिड़की के बाहर देख क र दीर्घ निःश्वास क्यों लिया?

इसे सुनेंरोकेंनवाब साहब ने खिड़की के बाहर देखकर दीर्घ विश्वास क्यों लिया? नवाब साहब खिड़की के बाहर देखकर लंबी सांस इसलिए ले रहे हैं क्योंकि वे खीरा खाना चाहकर भी खा नहीं पा रहे और इसी खिड़की के रास्ते से उन्होंने खीरे की कटी हुई फाँकें बाहर फेंकनी हैं।

लेखक ने नवाब साहब को खीरा खाने के लिए पूछने पर क्या उत्तर दिया?

इसे सुनेंरोकेंउत्तर- नवाब साहब ने लेखक से जब पहली बार खीरा खाने के लिए पूछा तो उसने मना कर दिया। नवाब साहब जब दोबारा खीरा खाने के लिए पूछते हैं तो लेखक के मुँह में पानी आ जाता है लेकिन वह अपने स्वाभिमान को बनाए रखने के लिए खीरा खाने से मना कर देता है।

नवाब साहब द्वारा खीरा खाने के लिए पूछने पर लेखक ने क्या जवाब दिया?

इसे सुनेंरोकेंनवाब साहब ने खीरे की फाँकों पर नमक-मिर्च छिड़का जिसे देखकर लेखक ललचाया पर उसने खीरे खाने का प्रस्ताव अस्वीकृत क्यों कर दिया? नवाब साहब ने करीने से सजी खीरे की फाँकों पर नमक-मिर्च छिड़ककर लेखक से खाने के लिए आग्रह किया तो लेखक ने साफ़ मना कर दिया। जबकि लेखक खीरे खाना चाहता था।

लेखक द्वारा खीरा खाने से इंकार करने पर नवाब साहब ने अपनी झेंप कैसे मिटाई?

इसे सुनेंरोकेंनवाब साहब ने बहुत नजाकत और सलीके से खीरा काटा, उन पर नमक-मिर्च लगाया। उनकी इस हरकत का यह कारण होगा कि वे एक नवाब थे, जो दूसरों के सामने खीरे जैसी आम खाद्‌य वस्तु खाने में शर्म भव करते थे। लेखक को अपने डिब्बे में देखकर नवाब को अपनी रईसी याद आने लगी। इसीलिए उन्होंने खीरे को मात्र सूँघकर ही खिड़की से बाहर फेंक दिया।

नवाब साहब ने खीरे के गुण अवगुण के बारे में कौन सी बात नहीँ कही?

इसे सुनेंरोकेंउनका यह स्वभाव उनके दिखावटी स्वभाव को प्रकट करता है। नवाब साहब ने लेखक के सामने खीरा काटा और फिर सूंघकर खिड़की से बाहर फेंक दिया। शायद वह अपनी झूठी आन-बान के एक के सामने खीरा खाने से शर्मा रहे हों। वह खीरे को एक साधारण वस्तु समझते थे और खीरे जैसी आम वस्तु को खाकर वह अपनी श्रेष्ठता को कम नहीं करना चाहते।

विषयसूची

  • 1 नवाब साहब ने खीरो के सिर काटने से पहले क्या किया?
  • 2 लेखक को क्यों लगा कि नवाब साहब उससे बात करने के ललए ततनक भी उत्सुक नह ं हैं?
  • 3 नवाब साहब ने खीरे की फांकों का स्वाद कैसे लिया?
  • 4 नवाब साहब ने खीरे को लखनऊ का कौन सा खीरा बताया?

नवाब साहब ने खीरो के सिर काटने से पहले क्या किया?

इसे सुनेंरोकेंप्रश्न (ग). खीरों को काटने से पहले नवाब साहब ने क्या किया? उत्तरः खीरों को काटने से पहले नवाब साहब ने खीरों को धोकर तौलिये से पोंछा फिर दोनों के सिर काटकर, उनका झाग निकाला।

लेखक को क्यों लगा कि नवाब साहब उससे बात करने के ललए ततनक भी उत्सुक नह ं हैं?

इसे सुनेंरोकेंलेखक को नवाब साहब के किन हाव भावों से महसूस हुआ कि वे उनसे बातचीत करने के लिए तनिक भी उत्सुक नहीं हैं? उत्तर: जब लेखक अपनी सीट पर बैठा तो नवाब साहब उनसे नजरें मिलाने से बच रहे थे। नवाब साहब खिड़की के बाहर देख रहे थे। इन हाव भावों से पता चलता है कि नवाब साहब लेखक से बातचीत करने के लिए तनिक भी उत्सुक नहीं थे।

नवाब साहब ने खीरे की फाँकों को कैसे देखा?

इसे सुनेंरोकेंनवाब साहब ने सतृष्ण आँखों से नमक-मिर्च के संयोग से चमकती खीरे की फांकों की ओर देखा । खिड़की के बाहर देखकर दीर्घ निश्वास लिया । खीरे की एक फाँक उठाकर होंठों तक ले गए । फाँक को सूंघा ।

नवाब ने अपनी नवाबी का परिचय कैसे दिया?

इसे सुनेंरोकेंपहले नवाब साहब ने अपने थैले से खीरा निकाला और उसे पानी से धोकर,उसे तौलिए से पोंछा और चाकू से उसे चार टुकड़ों में काटा उसपर नमक मिर्च लगाकर नवाब साहब ने अपनी नाक के पास ले गए। और उसे सूंघे। सूंघने के बाद उसे रेल के डिब्बे से नीचे फेंक दिया इस प्रकार नवाब साहब ने अपनी नवाबी का परिचय दिया।

नवाब साहब ने खीरे की फांकों का स्वाद कैसे लिया?

इसे सुनेंरोकेंनवाब साहब ने खीरे का कैसे आनंद लिया? नवाब साहब ने खीरे का आनंद खीरे की फाँकों को खा कर नहीं लिया बल्कि उन फाँकों को नाक के पास ले जाकर तथा सूँघकर आनंद लिया। सूँघने के बाद वे खीरे की फाँकों को खिड़की से बाहर फेंकते रहे।

नवाब साहब ने खीरे को लखनऊ का कौन सा खीरा बताया?

इसे सुनेंरोकेंउत्तर- (ii) तिरछी नजरों से देखना । प्रश्न-15. लेखक कनखियों से देखकर सोच रहे थे कि…..। (i) नवाब साहब के खीरे कड़वे थे ।

नवाब साहब ने खीरे के गुण अवगुण के बारे में कौन सी बात नहीँ कही?

इसे सुनेंरोकेंउनका यह स्वभाव उनके दिखावटी स्वभाव को प्रकट करता है। नवाब साहब ने लेखक के सामने खीरा काटा और फिर सूंघकर खिड़की से बाहर फेंक दिया। शायद वह अपनी झूठी आन-बान के एक के सामने खीरा खाने से शर्मा रहे हों। वह खीरे को एक साधारण वस्तु समझते थे और खीरे जैसी आम वस्तु को खाकर वह अपनी श्रेष्ठता को कम नहीं करना चाहते।

नवाब साहब ने खीरे के बारे में क्या बताया *?

नवाब साहब ने खीरे की यह विशेषता बताई कि खीरा खाने से शरीर के कई रोग दूर होते है। नवाब साहब सेकंड क्लास के डब्बे में सफर कर रहे थे,लेखक के अनुसार उन्होंने सफर काटने के लिए खीरा खरीदा होगा। नवाब साहब लेखक के सामने खीरा खाने से संकोच कर रहे थे।

नवाब साहब ने खीरे का स्वाद कैसे लिया?

नवाब साहब ने खीरे का कैसे आनंद लिया? नवाब साहब ने खीरे का आनंद खीरे की फाँकों को खा कर नहीं लिया बल्कि उन फाँकों को नाक के पास ले जाकर तथा सूँघकर आनंद लिया। सूँघने के बाद वे खीरे की फाँकों को खिड़की से बाहर फेंकते रहे।

लेखक ने खीरे को क्या माना?

Answer:खीरे को अपदार्थ वस्तु इसलिए कहा गया हैं क्योंकि क्योंकि उन्हें यह लजीज नही लगा होगा क्योंकि नवाबों के लिहाज से खीरा बहुत ही आम चीज है क्योंकि नवाब बहुत ही शौकीन होते हैं और वे महंगी और लजीज चीजों का आनंद ही लेना चाहते है।

नवाब साहब ने खीरे को क्यों फेंक दिया?

Answer: नवाब साहब द्वारा दिए गए खीरा खाने के प्रस्ताव को लेखक ने अस्वीकृत कर दियाखीरे को खाने की इच्छा तथा सामने वाले यात्री के सामने अपनी झूठी साख बनाए रखने के कश्मकश में नवाब ने खीरे को काटकर खाने की सोची तथा फिर अन्तत: जीत नवाब के दिखावे की हुई। अत: इसी इरादे से उसने खीरे को फेंक दिया